चाह का पर्यायवाची शब्द क्या होता है ?
चाह का पर्यायवाची शब्द या चाह का समानार्थी शब्द (chah ka paryayvachi shabd / chah ka samanarthi shabd) के बारे में आपको यहां पर इस लेख में काफी अधिक अच्छी तरह से पढने को मिलने वाला है तो आप इस लेख को देखे –
चाह का पर्यायवाची शब्द या चाह का समानार्थी शब्द (chah ka paryayvachi shabd / chah ka samanarthi shabd)
चाह | चाह का पर्यायवाची शब्द या चाह का समानार्थी शब्द (chah ka paryayvachi shabd / chah ka samanarthi shabd) |
चाह | इच्छा, लालसा, आकांक्षा, ईप्सा, अरमान, कामना, स्पृहा, मनोकामना, मनोरथ, अभिलाषा, तमन्ना, वांछा, उत्कंठा, आरजू, कांक्षा, मर्ज़ी, मुराद, ख्वाहिश, ईहा, प्रेम । |
चाह in Hindi | ichchha, lalasa, akanksha, eepsa, araman, kamana, sprha,manokamana, manorath, abhilasha, tamanna, vanchha, utkantha, arajoo, kanksha, marzee, murad, khvahish, eeha, prem . |
चाह in English | desire, love, will, liking, ready. |
चाह का हिंदी अर्थ || chah ka hindi arth
चाह का अर्थ होता है लालसा । जब आप किसी चिन की लालसा करते है । जब आप किसी वस्तु की कामना करते है उसकी इच्छा करते है तो इसे चाह कहा जाता है । असल में मनुष्य के जीवन में चाह के एक मतलब नही होते है बल्की यह अनेक तरहो से परिभाषित की जा सकती है । मगर सभी का अर्थ एक तरह की इच्छा के साथ जुड़ा होता है । इस तरह से चाह के अनेक मतलब होते है –
- एक तरह की इच्छा होना ।
- किसी के दर्शन की लालसा होना यानि लालसा ।
- एक तरह की आकांक्षा का होना ।
- किसी से प्रेम होना यानि प्रेम ।
- कुछ पाने की ईप्सा होना यानि ईप्सा ।
- किसी तरह के अरमान का होना यानि अरमान ।
- कुछ मागने की या किसी तरह का कुछ पाने की कामना होना यानि कामना ।
- मन से की जाने वाली एक तरह की मनोकामना ।
- किसी तरह की तमन्ना होना यानि तमन्ना ।
- एक तरह की आरजू का होना ।
- इस तरह से दोस्तो चाह के अनेक तरह के मतलब होते है जो की विशेष रूप से पर्यायवाची शब्द ही होते है। क्योकी मतलब का अर्थ होता है समान अर्थ होना और पर्यायवाची शब्दो में समान अर्थ होता है ।
चाह शब्द से जुड़ा पर्यायवाची शब्द
- रामू अपनी पत्नी को काफी अधिक चाह करता है ।
- भाई साहब आज तो लड्डू खाने की चाह हो रही है ।
- जब शहर आ ही गए है तो रामलाल जी के बने समौसे खाने की चाह नही हो यह कैसे हो सकता है ।
- यहां पर सबसे पसिद्ध पानी पूरी की दुकान यही है और जो भी इस शहर में आता है याहं की पानी पूरी खाने की चाह बन जाती है ।
चाह शब्द के पर्यायवाची शब्दो का वाक्य में प्रयोग
- मेरी तो कामना है की आप मुझसे विवाह कर ले ।
- सभी के माता पिता की इच्छा होती है की उनके बेटे बड़े होकर कुछ अच्छा काम करे ।
- भाई साहब मैं बहुत गरीब हूं जिसके कारण से एक ही मनोकामना बना रखी है की जीवन में इस गरीबी को दूर करना ही है ।
- आज रामू धनवान होने की आरजू रख कर दिन रात काम करने में लगा है ।
चाह शब्द क्या है और इसका मतलब समझाए
दोस्तो चाह एक तरह का शब्द है । जिसके दो तरह के मतलब हो सकते है पहला है प्रेम और दूसरा है इच्छा । हालाकी प्रेम और इच्छा कुछ हद तक एकसमान हो सकते है । मगर हम इन्हे अलग अलग मानेगे ।
दोस्तो क्योकी प्रेम में इसका मतलब होता है की महिला पुरूष को चाह करती है । यानि चाहती है । और उसी तरह से पुरूष महिला को चाह करता है । यानि वे दोनो एक दूसरे को प्रेम करते है । तो यह चाह है ।
वही पर दूसरे अर्थ इच्छा में इस तरह से होगा की आप किसी वस्तु की इच्छा करते हो । जैसे की आपको समोसे अच्छे लगते है और आपको अचानक से समोसे खाने की इच्छा हो जीत है तो इस इच्छा को चाह कह सकते हो । जैसे की आज तो मेरी समोसे खाने की चाह हो रही है ।
इस तरह से इच्छा और प्रेम दोनो का एक अलग ही मलतब होता है । हालाकी प्रेम और इच्छा समान इस तरह से हो सकती है जैसे की आपकोअधिक धन की इच्छा है । की मेरे पास खुब सारा धन हो । तो आप धन को प्रेम भी कर सकते है । यानि कहते है न इसको तो धन से प्रेम हो गया है ठिक वैसे ही ।
मगर चाह का सही अर्थ एक तरह की इच्छा होता है । हालाकी यह इच्छा कैसी होगी यह किसी को नही मालूम । क्योकी अलग अलग लोगो की चाह अलग अलग हो सकती है । जैसे की मैं अपनी बात करू तो मुझे हमेशा से समोसे खाने की चाह रहती है । जब भी कही जाता हूं तो एक बार समोसे जरूर खता हूं । अरग नही खाता हूं तो चाह होने लग जाती है । यानि खाने की इच्छा होती है । इस तरह से खाने पर भी चाह हो सकती है ।
दोस्तो चाह एक तरह की कामना होती है । जो की अलग अलग हो सकती है । हालाकी आज के इस संसार मे मानव की चाह इतनी अधिक हो चुकी है की उनके बारे मे पूरी तरह से लिखा तक नही जा सकता है । क्योकी एक छोटी सी वस्तु से लेकर बडी वस्तु तक मानव अपनी चाह बना लेता है । जैसे की हम बात करे की घर में बनने वाली सब्जी की तो कुछ लोगो की इच्छा या चाह होती है की वे अधिक से अधिक तेल गेर कर सब्जी खाए । तो यह एक तरह की चाह ही मान सकते है । जब आप पहले से ही ऐसा करने की शोचते है तो यह चाह ही है ।
इसकी परिभाषा मैं कुछ इस तरह से दूगी –
मानव के मन की कुछ ऐसी क्रिया जो उसे किसी विशेष काम करने के लिए पहले उत्तेजीत करती है और मन अपने अनुसार मानव से काम करवाता है चाह होती है ।
जैसे की मानव की एक तरह की मन की इच्छा जो की कुछ देखने के बाद में मानव के मन मे चाह बना लेती है ।
दोस्तो हालाकी आपको यह मालूम होना चाहिए की आपकी चाह कैसी है । यानि आप सबसे अधिक क्या चाहते है । आपकी इच्छा क्या क्या है । यह सभी लोगो को अच्छी तर हसे मालूम होना चाहिए । दोस्तो यह नही होता ही मानव की चाह नही होती है। और आपकी चाह भी है । तो आप अपनी चाह के बारे में हमे कमेंट में बता सकते है –
दोस्तो मैंने कहा की मानव की चाह होती ही है मगर इस पर एक प्रशन उठ जाता है की जो योगी लोग होते है उनकी चाह क्या है । क्योकी वे तो अपनी सभी चाहो को मार देते है । तो दोस्तो योगी लोगो के लिए भी चाह होती है । क्योकी योगी लोग हमेशा से ही ध्यान में रहते है तो इसका सबसे बड़ा कारण क्या है की वे मोक्ष के रास्ते पर चले जाए ।
यानि उनको मरने के बाद में मोक्ष प्राप्त हो । और यह मोक्ष प्राप्त करना ही योगी लोगो की चाह होती है । आप अपने आस पास जीस तरह के योगी लोगो को देखते हो वह सही है की नही यह मैं नही जानता । क्योकी बहुत से ढोगी योगी बने फिरते है वे योगी नही है बल्की ढोगी है । हालाकी जो योगी होता है वह संसार से किसी तरह का रिश्ता नही रखना चाहता है । वह तो अपने और अपने भगवान के बारे में ही सोचता रहता है । वह तो अपने भगवान के नाम में खोए रहते है ।
एक भग्त की चाह होती है की उसे उसका प्रिय भगवान मिले । उसे उसके गुरूमिले । और यही भग्त की चाह होती है । दोस्तो इस दुनिया के अंदर अलग अलग तरह के लोगो की अलग अलग चाह है ।
चाह एक तरह की मानव के मन की क्रिया होती है जिसे मन की इच्छा भी कह सकते है । दोस्तो यह जो मन होता है वह किसी काम का नही है । ऐसा हम इस कारण से कहते है की आज यह मन ही है जो की तरह तरह की चाह हमारे अंदर बनाता रहता है । अगर आपने किभी इसी ऐसी चिज को खा लिया जो की सबसे अच्छी लगती है । यानि खाने के बाद में अगर आपको वह वस्तु अच्छी लगती है तो यह आपकी चाह बन सकती है ।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की इसी तरह की चाह को नही पनपने देने के लिए बहुत से लोग किसी ऐसी चिज को ग्रहण तक नही करना चाहते है जो की उनके मन में जगह बना लेते है । आपने देखा होगा की कुछ लोग ऐसे होते है जो की कम मिठाई खाते है । तो इसका कारण यह नही है की उनका सुगर है । हां ऐसा हो सकता है । मगर यह भी हो सकता है की वे नही चाहते की मिठाई उनके मन में चाह बनाए । और इसी चाह को न बनाने के लिए ही तो लोग मिठाईयो को नही खाते है ।
दोस्तो आज बाजार में आपको ऐसी बहुत सी खाने की चीज मिल सकती है जो की आपने एक बार खा ली तो आप उसे बार बार खाने की इच्छा रखने लग जाओगे । और यह जब इच्छा होने लगती है तो यह एक तरह की चाह होती है ।
जब आपने देखा की आज एक नई मुवी रिलिज हुई है । और आपको उसका ट्रैलर काफी अधिक अच्छा लगा । और फिर आपके मन में यह इच्छा होने लगती है की मैं भी वह मुवी देखू । तो यह जो मन में किसी तरह की इच्छा हो रही है ना यही असल में चाह है । फिर आपकी चाह बन जाती है और आप उस मुवी को थेयटर में यहा फिर अपने ही मुबाईल में किसी न किसी तरह से देख ही लेते है । तो दोस्तो हमारे कहने का मतलब है की मानव की चाह उसके मन के कारण से होती है ।
इस तर हसे मैं आसा करती हूं की आपको चाह के पर्यायवाची शब्द या चाह के समानार्थी शब्द के बारे में अच्छी तरह से जानकारी मिली होगी ।
अगर कुछ पुछना हो तो कमेंट कर सकते है ।