चंचल का विलोम शब्द Chanchal ka vilom shabd kya hai ?

चंचल का विलोम शब्द या चंचल का विलोम , चंचल का उल्टा क्या होता है ? Chanchal ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
चंचलस्थिर, एकाग्र, शांत, चित्त, गंभीर
Chanchal 

‌‌‌चंचल का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों चंचल का विलोम शब्द गतिशील होता है। या जो भागता रहता है उसके लिए चंचल शब्द प्रयोग किया जाता है। या जो टिकता नहीं है। कई बार यह शब्द किसी ऐसी लड़की के लिए किया जाता है जो बार बार अपनी चीजों को बदलती रहती है। इसके अलावा चंचल मन भी होता है। मन एक ऐसी ‌‌‌चीज होती है जो चंचल होता है।

चंचल का विलोम शब्द

‌‌‌आपको पता होना चाहिए कि मन की चंचलता की वज ह से आत्मा को नया शरीर मिलता है। असल मे योग की मदद से मन की चंचलता को समाप्त कर दिया जाता है। मन जितना अधिक चंचल होता है। वह बार बार इधर उधर की चीजों के बारे मे सोचता रहेगा ।

‌‌‌संसार के अंदर जितनी भी अपराध होते हैं वे उनके चंचल मन के ही परिणाम होते हैं। मन की चंचलता ही तो इंसान के विवेक को नष्ट कर देती है। इंसान के अंदर एक बॉयलोजिकल साफटवेयर होता है। जिसमे कुछ भी उल्टा सुल्टा गिरने पर विनाश होता है।

‌‌‌हिंदु धर्म के अंदर मानव जीवन इसलिए उपयोगी माना गया है क्योंकि आप इसमे अपने सोफटवेयर को बदल सकते हैं। चाहे जो डेटा उसमे डाल सकते हैं। लेकिन जब आपके पास शरीर नहीं होता है तो आप ऐसा नहीं कर सकते हैं।

‌‌‌मन की चंचलता की वजह से एक लड़का दूसरी लड़की का रेप कर देता है। असल मे सरकारें कभी वह करने का प्रयास नहीं करती कि इंसान के मन की शुद्धता को बनाए । वरन कानून को कठोर करती हैं जो उतना अधिक कारगर नहीं है।

‌‌‌आपके मन मे यह भी प्रश्न उठता होगा कि मन चंचल क्यों होता है ? तो इसका कारण यह है कि आपके पास सोचने और समझने की की एक तेज शक्ति का होना मन की चंचलता का परिणाम होता है। पशु के अंदर भी मन होता है लेकिन इंसान के जितना चंचल नहीं होता है। ‌‌‌यही कारण है कि पेट भरने के बाद पशुओं को किसी बात की चिंता नहीं होती है। लेकिन इंसानों का पेट भरने के बाद युद्ध होते हैं। यह मन की चंचलता का गलत दिशा मे जाने से होता है।

‌‌‌मन की चंचलता हर द्रश्टि के अंदर नुकसानदायी होती है। क्योंकि हर इंसान को अपने आप बनने वाला डेटा चला रहा है। अधिकतर इंसान सोते हुए काम करते हैं। तो कुछ तो पूरी जिंदगी के अंदर सोते ही रह जाते हैं।

‌‌‌यदि आप एक जागरूक होकर जीवन जीते हैं तो फिर आप मन की चंचलता पर कुछ हद तक काबू पा सकते हैं। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि मन पर काबू करने के लिए आपके पास एकाग्रता का होना बहुत ही जरूरी होती है। बिना एकाग्रता के मन को काबू मे नहीं किया जा सकता है। तब आप मन के काबू मे रहते हैं। इस दुनिया के ‌‌‌90 प्रतिशत लोग मन के काबू से बाहर ही नहीं आकर देखते हैं। केवल 10 प्रतिशत प्रयास करते हैं और 5 प्रतिशत इसमे सफल होते हैं।

‌‌‌एकाग्र स्थिर का मतलब

दोस्तों चंचल का उल्टा स्थिर होता है।स्थिर का मतलब होता है जो अचल हो । जब आपका मन किसी एक विचार पर स्थिर होता है तो हम उसको अचल कहते हैं। या कुछ ऐसा जिसका गति करना संभव नहीं होता है उसे स्थिर कहते हैं। जैसे सूर्य स्थिर है और पृथ्वी गति कर रही है।

‌‌‌यदि हम बात करें मन की स्थिरता की तो मन को स्थिर करना उतना आसान कार्य नहीं है। कारण यह है कि मन एक तरंगों का जाल है। आपका मन बस एकत्रित की गई सूचनाओं का ढेर मात्र है। वह उसी ढेर से कुछ सूचना को उठाता है और फिर उसी के अंदर ही रख देता है। इसी को मन की चंचलता के नाम  से जाना जाता है।

‌‌‌प्राचीन काल के अंदर योगी ने मन की चंचलता को समाप्त करने के अनेक तरीके बताएं है। हालांकि अब उनके उपर कोई ध्यान नहीं देता है। यह कहा गया कि मन की चंचलता ही इंसानी जन्म का कारण होता है। हम इस शरीर के माध्यम से सूचनाओं को एकत्रित करते हैं और उन सूचनाओं के अनुसार बनने का प्रयास करते हैं।

‌‌‌जैसे कि आपका नाम किसी ने मोहर रख दिया है।तो आप मोहर बन जाते हैं और खुद को मोहर ही समझने लगते हैं। और आपकी जो रियल्टी है वह कहीं पर छुप जाती है। क्योंकि हकीकत यही होती है कि आप मेाहर नहीं हैं।‌‌‌जब आपके मन की चंचलता समाप्त हो जाती है।तो फिर आपका मन भागेगा नहीं । और वह शांत किसी सुधरे पशु की भांति बैठा रहेगा ।

‌‌‌वैसे मन की एकाग्रता सिर्फ योग के अंदर ही उपयोगी नहीं होती है। वरन सभी प्रकार के कार्यों के अंदर मन की एकाग्रता काफी उपयोगी होती है। यदि आपका मन एकाग्र नहीं है तो आप किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं कर सकते हैं । यदि किसी स्टुडेंट का मन एकाग्र नहीं है तो फिर उसके सीखने की दर कम हो जाती है।

‌‌‌क्योंकि अक्सर आपने यह देखा होगा कि जब हमारा मन भागता है तो हम किताब हाथ मे लिये बैठे रहते हैं लेकिन हम अपनी किसी दूसरी बात के बारे मे सोच रहे होते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर प्रश्नों को या उत्तरों को याद करना कठिन हो जाएगा ।

‌‌‌आजकल आप देख ही रहे हैं कि मन को भटकाने के साधन तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं। आज आपके सामने 100 तरह के मनोरंजन के साधन आ चुके हैं। लेकिन आधुनिकता के नाम से लोग योग और धर्म से टूट चुके हैं। किसी को मार देना भी धर्म के अंदर आने लगा है।

‌‌‌और मन की एकाग्रता का कोई भी अभियास नहीं करता है।क्योंकि बहुत सारे लोग यह समझते हैं। कि उनको योग और ध्यान करके क्या करना है ? उनकी तो अच्छी ऐसे ही कट रही है। ऐसी स्थिति के अंदर वे ही लोग समाज के अंदर वैमनस्य फैलाते हैं।

‌‌‌आज के दौर मे आप यह साफ साफ देख रहे हैं कि मन लोगों को चलाता है। आप अपने मन से संचालित होते हैं। आप कुछ एकत्रित की गई सूचनाओं के गुलाम मात्र हैं। जो सूचनाएं कहेंगी बस आप वहीं करेंगे आपको अपने कल्याण की चिंता नहीं है। आप समझ सकते हैं कि सूचनाएं बुद्धिमान नहीं होती हैं।

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