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clobeta gm cream uses in hindi सोरायसिस, एक्जिमा, डर्मटाइटिस आदि समस्याओं के उपचार मे इस क्रीम का उपयोग किया जाता है। आपको इस क्रीम का उपयोग तभी करना चाहिए जब डॉक्टर इस क्रीम को पर्ची के अंदर लिख कर देता है। यदि डॉक्टर इसको लिखकर नहीं देता है तो आपको इस क्रीम का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए । इसके अलावा आपको बतादें कि ‌‌‌इसकी जो खुराक होती है वह उम्र और लिंग के आधार पर निर्भर करती है। यदि आपको समस्या अधिक है तो क्रीम को दिन मे 3 बार लगाने के बारे मे कहा जा सकता है। इसके अलावा यदि क्रीम का उपयोग से किसी तरह का दुष्प्रभाव होता है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो ‌‌‌ निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा  ।

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  • एलर्जी
  • लाइकेन प्लेनस
  • फिश स्किन डिजीज
  • मस्सा
  • बेडसोर
  • योनि में सूजन
  • कैंडिडिआसिस
  • दाद
  • एथलीट फुट
  • सेहुआ
  • मुंह में फंगल इन्फेक्शन
  • योनि में खमीर संक्रमण
  • जॉक खुजली
  • वल्वाइटिस
  • पेनिस इन्फेक्शन
  • रूसी
  • दस्त
  • ई कोलाई संक्रमण
  • आँख आना
  • सोरायसिस
  • एक्जिमा
  • डर्मेटाइटिस
  • फंगल इन्फेक्शन
  • स्किन इन्फेक्शन
  • कान में इन्फेक्शन
  • आंख का संक्रमण
  • परागज ज्वर

clobeta gm cream uses in hindi ‌‌‌ सोरायसिस

 के अंदर

सोरायसिस एक प्रकार का त्वचा विकार होता है जिसके अंदर त्वचा लाल परतदार हो जाती हैं।और यह एक संक्रामक नहीं यह बस एक बार होने वाली बीमारी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद मरीज की स्थिति काफी अधिक खराब ‌‌‌हो जाती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अंदर होता यह है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के अंदर गड़बड़ी हो जाती है। और आमतौर पर हमारे शरीर के अंदर नई कोशिकाएं बनने मे 28 दिन का समय लगता है लेकिन इस रोग से ग्रस्ति लोगों के अंदर कम समय के अंदर ही नई कोशिकाएं बन जाती हैं इसके बारे मे ‌‌‌ आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

सोरायसिस (छाल रोग) के लक्षण की यदि बात करें तो इस बीमारी के कई सारे लक्षण प्रकट होते हैं जिसके अंदर आपकी त्वचा के अंदर खुजली हो जाती है इसके अलावा त्वचा के अंदर सूजन आ जाता है और दर्द भी महसूस होने लग जाता है। त्वचा पर छोटे परतदार धब्बे, शुष्क, फटी त्वचा जिसमें से खून निकल सकता है। इसके अलावा इसके अंदर जोड़ों के अंदर दर्द और सूजन भी हो सकता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

सोरायसिस के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण होते हैं जिसकी वजह से यह रोग हो जाता है हालांकि सभी लोगों के अंदर यह रोग नहीं होता है वरन कुछ ही लोगों के अंदर यह रोग देखने को मिलता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • आनुवंशिकी इसका सबसे बड़ा कारण होता है यदि माता पिता के अंदर यह रोग है तो उनको होने वाले बच्चे मे इसके होने की संभावना 60 फीसदी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इसके बारे मे समझ सकते हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली एक असामान्य प्रतिक्रिया की वजह से भी यह रोग हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैसे तो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के अंदर मौजूद हानिकारक जीवाणुओं पर हमला करने के लिए जानी जाती है। लेकिन इस रोग के अंदर प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की कोशिकाओं पर ही हमला कर ‌‌‌ देती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से यह रोग हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि त्वचा पर किसी वजह से चोट लग जाती है तो इसकी वजह से  यह रोग हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए चोट की सही देखभाल करना बहुत ही जरूरी होता है।
  • शहद, लहसुन, मूली, तेलयुक्त भोजन, समुद्री भोजन, खट्टा या मसालेदार भोजन, जंक फूड आदि का यदि आप अधिक सेवन करते हैं तो आपको सोरायसिस होने के चांस होते हैं। यदि आप इस रोग से बचना चाहते हैं तो आपको एक अच्छा आहार का सेवन करना चाहिए । यही आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना ‌‌‌ चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

सोरायसिस (छाल रोग) से बचाव की यदि हम बचाव की बात करें तो इस रोग के बारे मे अभी तक सही सही पता नहीं चल पाया है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । सोरायसिस (छाल रोग) के अंदर पुरानी कोशिकाएं नष्ट हुए बिना नई कोशिकाएं आने लग जाती है। और इसकी वजह से त्वचा काफी अधिक मोटी हो जाती है। और यही एक ‌‌‌समस्या होती है।

सोरायसिस के अंदर आपको खाने पीने की चीजों के बारे मे ध्यान रखना होगा इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, दाल, फल, मछली आदि का उपभोग करना चाहिए । और अधिक नमक का सेवन करने से आपको बचना होगा । इसके अलावा जंग फूड का सेवन तो बिल्कुल भी नहीं करना  ‌‌‌चाहिए ।

‌‌‌इसके अलावा खट्टी चीजों का सेवन ना करें । और दूध दही का सेवन ना करें ।शराब और दूसरी तरह के धूम्रपान नहीं करना चाहिए । यह सभी इस रोग को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

सोरायसिस रोग में करें त्वचा की देखभाल करना भी जरूरी है। यदि त्वचा पर किसी तरह का खरोंच या कट लग जाता है तो यह बैक्टिरिया के प्रवेश का रस्ता बन जाता है और इसलिए यदि त्वचा पर इस तरह की किसी भी कट का सही तरह से उपचार करना बहुत ही जरूरी होता है। वरना इस रोग के होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते ‌‌‌ हैं।

सोरायसिस रोग तनाव की वजह से भी हो सकता है। यदि आप भी तनाव के अंदर रहते हैं तो अपने तनाव को दूर करने का प्रयास करें । और यदि आप यह खुद नहीं कर सकते हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने डॉक्टर की मदद ले सकते हैं। और दवाएं भी ले सकते हैं जोकि आपकी मदद करते हैं । आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

clobeta gm cream uses in hindi डर्मेटाइटिस

डर्मेटाइटिस के अंदर त्वचा पर जलन और सूजन आ जाती है। इसको ही डर्मेटाइटिस  के नाम से जाना जाता है इसके बारे मे पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।और त्वचा पर चकते बन जाते हैं और सूजन आ जाती है। डर्मेटाइटिस में प्रभावित त्वचा के स्थान पर छाले, त्वचा से द्रव का निकलना, त्वचा पर पपड़ी जैसी हो जाती है। ‌‌‌वैसे तो यह समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ लोगों के अंदर यह समस्या आसानी से ठीक नहीं होती है। और काफी समय तक चल  सकती है। बच्चों में डर्मेटाइटिस की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती हैं। हालांकि यदि आपको यह समस्या है और अपने आप ही ठीक नहीं हो रही है तो आपको चाहिए कि अपने ‌‌‌डॉक्टर को परामर्श करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा आप समझ सकते हैं।

‌‌‌वैसे इस रोग को दूर करने के लिए कई तरह की दवाएं और क्रीम होती है जिनकी मदद से इसको बहुत ही आसानी से ठीक किया जा सकता है। आप जब डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपको यह क्रीम और दवाएं लिखकर दे सकते हैं।

डर्मेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं इसके बारे मे भी आइए हम जानने का प्रयास करते हैं। हालांकि यह सब डॉक्टरी भाषा के अंदर होते हैं। और कई बार आम जन को भ्रमित करने के लिए इनको विभाजित कर दिया जाता है।

  • एटोपिक डर्मेटाइटिस इसमें त्वचा पर लालिमा के साथ खुजलीदार दाने निकल आते है। इसके अंदर कोहनी गर्दन आदि के आस पास यह दिखाई देने लग जातें हैं।और यदि आप इनको खुजलाते हैं तो इनके अंदर रिसाव भी होने लग जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • कॉटैक्ट डर्मेटाइटिस एक प्रकार की स्थिति होती है यह तब हो सकता है जब आपकी त्वचा उन चीजों के संपर्क मे आती है जोकि कॉटैक्ट डर्मेटाइटिस की स्थिति को बढ़ाने का काम करते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • फोलीक्यूलर एक्जिमा के अंदर प्रभावित हिस्सा काफी मोटा दिखने लग जाता है और बालों के अंदर रोम जैसा दिखने लग जाता है। और यह अधिकतर अमेरिकन लोगों के अंदर होता है।

डर्मेटाइटिस के लक्षण की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं तो आइए जानते हैं डर्मेटाइटिस के लक्षण के बारे मे विस्तार से । ‌‌‌वैसे यही लक्षण कुछ लोगों के अंदर काफी गम्भीर हो सकते हैं तो कुछ लोगों के अंदर यह काफी हल्के हो सकते हैं। हालांकि यह कितने गम्भीर होंगे इसके बारे मे कोई जानकारी नहीं है।

  • चकत्ते
  • फफोले
  • त्वचा का सूखना या फटना
  • खुजली होना
  • चुभन और जलन
  • त्वचा पर लालिमा
  • त्वचा में सूजन

‌‌‌यदि किसी के अंदर उपर दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देती है उसका पालन आपको करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा और आप समझ सकते हैं।

  • डर्मेटाइटिस की समस्या किसी तरह की साबुन के संपर्क मे आने से भी हो सकता है। कोई इस प्रकार का साबुन जोकि आपके उपर सूट नहीं करता है। इस तरह की साबून के संपर्क मे आने से आपको बचना चाहिए जोकि आपके उपर सूट नहीं करता है।
  • डर्मेटाइटिस की समस्या कई बार आभूषण के पहनने से भी हो सकता है। आभूषण के त्वचा पर टच होने की वजह से खुजली हो सकती है। और इस खुजली से डर्मेटाइटिस  की समस्या हो सकती है तो ऐसी स्थिति के अंदर आभूषण को हटा देना चाहिए कुछ समय के लिए ।
  • ‌‌‌यदि आप तनाव के अंदर रहते हैं तो भी आपको डर्मेटाइटिस  की समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप भी तनाव मे रहते हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने दिमाग को शांत करने का प्रयास करना चाहिए ताकि सब कुछ सही हो जाए।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी समस्या की वजह से भी यह रोग हो सकता है। यदि आपको प्रतिरक्षा प्रणाली मे कोई दिक्कत है तो इस रोग के होने के चांस काफी बढ़ जाते हैं।
  • त्वचा संक्रमण यदि आपको हो चुका है तो आपको चाहिए कि आप इसका जल्दी से जल्दी इसका इलाज करवाएं । क्योंकि कई बार यह रोग त्वचा के संक्रमण होने की वजह से भी हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा सेंट लगाने या फिर किसी दूसरी चीजों की वजह से एलर्जी हो सकती है। यदि आपको किसी चीज से एलर्जी हो जाती है तो त्वचा मे खुजली हो सकती है और इसकी वजह से डर्मेटाइटिस की समस्या हो सकती है। डर्मेटाइटिस के कारणों के बारे मे हम आपको समझा ही चुके हैं तो आप इसके बारे मे अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि डर्मेटाइटिस  किस वजह से होता है। इसके पीछे कई सारे कारण जिम्मेदार होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

डर्मेटाइटिस से बचाव की यदि हम बात करें तो इसके लिए कई सारे उपाय आप कर सकते हैं जिनकी मदद से डर्मेटाइटिस  से बचा जा सकता है। तो आइए जानते हैं डर्मेटाइटिस  से बचाव के बारे मे विस्तार से ।खास कर आपको अपनी त्वचा पर खास तौर पर ध्यान देना होगा । आपको इस तरह के कपड़े नहीं पहनने चाहिए जो कि बहुत ‌‌‌ अधिक टाइट होते हों ।

  • डर्मेटाइटिस से यदि आप बचना चाहते हैं तो आपको अधिक देर तक स्नान नहीं करना चाहिए । अधिक देर तक स्नान करना डर्मेटाइटिस  की समस्या को बढ़ा सकता है। आप अस बाथरूम के अंदर 5 से 10 मिनट तक ही रहें । इससे आप डर्मेटाइटिस  से बच सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा आप जोभी साबुन का प्रयोग करते हैं वह अच्छा क्वालिटी का और नैचुरल साबुन होना चाहिए । किसी भी तरह से कैमिकल युक्त साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए । कैमिकल युक्त साबुन डर्मेटाइटिस  की समस्या को काफी अधिक बढ़ा सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको बतादें कि त्वचा को नम नहीं रहने देना चाहिए । क्योंकि यदि त्वचा के अंदर नमी होती है तो डर्मेटाइटिस  होने के चांस अधिक होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। डर्मेटाइटिस को रोकने के लिए त्वचा को समय समय पर पौंछना चाहिए । खास कर नहाने के ‌‌‌बाद । और गीले कपडे भी पहनने से भी आपकी त्वचा को नम कर सकते हैं। इसलिए गीले कपड़ों का उपयोग भी आपको नहीं करना चाहिए । नहीं तो यह रोग होने के चांस अधिक होते हैं।

clobeta gm cream uses in hindi बैक्टिरियल संक्रमण के अंदर

दोस्तों इस दवा का उपयोग बैक्टिरियल संक्रमण की स्थिति के अंदर किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।मानव शरीर में कोशिकाओं की तुलना में अधिक बैक्टीरिया होते हैं। और बैक्टीरिया अधिकतर केस के अंदर हानिकारक नहीं होते हैं ‌‌‌लेकिन कई बार क्या होता है कि यह हानिकारक प्रभाव पैदा कर देते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।बैक्टीरियल संक्रमण गला, फेफड़े, त्वचा, आंत्र आदि को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि इसका इलाज एंटिबायोटिक दवाओं की मदद से किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

बैक्टीरियल संक्रमण से बचने के लिए साफ सफाई मे रहना जरूरी होता है। यदि साफ सफाई नहीं रखते हैं तो यह किसी दूसरे इंसान को भी संक्रमित कर सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • बैक्टीरियल संक्रमण कई प्रकार के होते हैं इसके अंदर त्वचा बैक्टीरियल संक्रमण आमतौर पर आपकी त्वचा पर हमला करता है और इसे नुकसान पहुंचाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।सेल्युलाइटिस, फॉलिक्युलिटिस और इम्पेटिगो आदि संक्रमण इसी प्रकार के होते हैं।
  • मतली और उल्टी, बुखार, ठण्ड लगना व पेट दर्द  आदि समस्याएं खाने से जुड़े बैक्टिरियल संक्रमण की वजह से हो सकती हैं। इसलिए आपको खाने पीने की चीजों को सही रखना बहुत ही जरूरी होता है। नहीं तो बैक्टिरियल संक्रमण हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • यौन संबंध बनाने से भी बैक्टिरियल संक्रमण हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए बेहतर यही होगा कि आप सुरक्षित योन संबंध बनाने का प्रयास करें तभी फायदेमंद हो सकता है।

बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं और इन लक्षणों की मदद से आप पहचान सकते हैं कि बैक्टीरियल संक्रमण हुआ है तो आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे मे विस्तार से और आप समझ सकते हैं।

  • बैक्टीरियल संक्रमण से बुखार हो सकता है और कंपकंपी हो सकती है। इसके अलावा सर्दी भी लग सकती है। यदि आपको बुखार हुआ है तो इसका मतलब भी यही हो सकता है कि यह एक प्रकार का बैक्टिरियल संक्रमण है।
  • लिम्फ नोड्स की सूजन का होना भी बैक्टिरियल संक्रमण के अंदर हो सकता है यदि आपके लिंफ नोडस के अंदर सूजन है तो फिर आपको एक बार अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • बैक्टीरियल की वजह से गला खराब हो सकता है और खाने पीने के अंदर काफी समस्या हो सकती है। इसके अलावा गले के अंदर दर्द का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • बैक्टीरियल संक्रमण से निमोनिया हो सकती है, जिसमें सूखी खांसी और सांस फूलने जैसे लक्षण होते हैं।
  • इसके अलावा बैक्टिरिया की वजह से यूरिन इन्फेक्सन हो सकता है।बार मूत्र आना, मूत्र त्यागने की तत्कालिक आवश्यकता और पेशाब में दर्द हो सकता है।

बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव के बारे मे हम आपको बताना चाहते हैं यदि आप बैक्टीरियल संक्रमण से बचना चाहते हैं तो कुछ उपाय कर सकते हैं जिसकी मदद से आप बैक्टीरियल संक्रमण से बच सकते हैं तो आइए जानते हैं कुछ उपायों के बारे मे विस्तार से ।

  • बैक्टीरियल संक्रमण से बचने के लिए आपको बार बार हाथ धोना चाहिए । यदि आप बार बार हाथ धोते हैं तो इससे बैक्टिरियल संक्रमण से आप बच सकते हैं। इसलिए समय समय पर अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोना चाहिए ।
  • बैक्टीरियारोधी और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें । हाथ को धोनों के लिए यह एक अच्छा तरीका है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । सही तरह से हाथ धोना जरूरी है।
  • ‌‌‌अपने घर के अंदर और कार्यालय के अंदर वस्तुओं की अच्छी तरह से साफ सफाई करना भी बहुत जरूरी होता है नहीं तो बैक्टिरियल संक्रमण के होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं।
  • ‌‌‌जो इंसान पहले से संक्रमित हैं उस इंसान से आपको दूरी बनाना चाहिए । हालांकि उस इंसान की सेवा करने मे आपको  कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए । लेकिन सावधानी बरतनी चाहिए ।
  • ‌‌‌आंतों के अंदर रहने वाले बैक्टिरिया के बारे मे जानें और यदि समस्या लगे तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को दिखाना बहुत ही जरूरी होता है आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌आप जो भी पानी पीते हैं उसको साफ सुथरा रखना बहुत ही जरूरी होता है। वरना आपके लिए काफी समस्या हो सकती है और बैक्टिरियल संक्रमण काफी अधिक हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आप भोजन बना रहे हैं तो आपको चाहिए कि सबसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना जरूरी है। क्योंकि नहीं तो बैक्टिरियल संक्रमण फैल सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि कोई चीज आपको काफी खराब लग रही है तो आपको उस चीज का सेवन नहीं करना चाहिए । क्योंकि खराब चीजों की वजह से बैक्टिरिया संक्रमण हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । खराब चीजों को फेंक देना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आपके गले के अंदर किसी भी तरह का दर्द को तो आपको एक बार अपने डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा ।

बैक्टीरियल संक्रमण का परीक्षण की बात करे तो यदि आपको किसी तरह का संक्रमण हुआ है और आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो आपका डॉक्टर आपको कई तरह के परीक्षण के लिए बोल सकता है जिससे कि संक्रमण के बारे मे पता चल सके ।

बैक्टीरियल की वजह से यदि आपको किसी तरह का लक्षण प्रकट हुआ है जैसे गले मे खराश बुखार आदि होता है तो डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर कोई निर्णय लेता है और आपको दवा देता हैं।

‌‌‌इसके अलावा आपके डॉक्टर आपको रक्त और मूत्र के नमूने ले सकता है और उसके बाद इनकी जांच करने के लिए लेब के अंदर भेज सकता है जिससे कि संक्रमण के बारे मे ठीक से पता चल जाता है।

बैक्टीरियल संक्रमण के बारे मे एक बार डॉक्टर को पता चल जाता है तो उसके बाद इसको दूर करने के लिए आगे की कार्यवाही की जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

clobeta gm cream uses in hindi एक्जिमा

एक्जिमा के अंदर भी इस क्रीम का प्रयोग किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होता चाहिए । एक्जिमा  एक प्रकार यह एक प्रकार का त्वचा से जुडा हुआ रोग है इसके अंदर सूजन, खुजली, दरारें और खुरदरापन हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । धुआं, पराग, साबुन और सुगंधित प्रोडक्ट आदि की वजह से यह रोग ‌‌‌ हो सकता है।एक्जिमा के प्रकार के बारे मे बात करें तो इसके अलग अलग प्रकार होते हैं। और इनके प्रकार के आधार पर ही इसका इलाज किया जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा और आप इस बात को समझ सकते हैं।

  • एटोपिक डर्मेटाइटिस (Atopic dermatitis) यह आमतौर पर बचपन मे ही शूरू हो जाता है और समय के साथ यह अधिकतर केस मे अपने आप ही समाप्त हो जाता है। सभी लोगों के अंदर यह नहीं होता है।
  • कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस Contact dermatitis यह किसी तरह की चीजों को छूने से विकसित हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • स्टैसिस डर्मेटाइटिस (Stasis dermatitis)इसके अंदर आपकी त्वचा की कमजोर नसों मे से तरल पदार्थ बहने लग जाता है।जोकि खुजली और जलन का कारण बन सकता है इसके बारे मे पता होना ‌‌‌ चाहिए ।
  • न्युमुलर एक्जिमा (Nummular eczema)यदि इस प्रकार का रोग हो जाता है तो इसके अंदर काफी अधिक खुजली होती है और आप खुजली करते हुए काफी परेशान हो जाते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • हाथ पर एक्जिमा (Hand eczema) यह पर हाथों मे होता है। और अधिकतर वे लोग इनका सामना करते हैं तो सफाई करने का काम करते हैं क्योंकि वे लोग कई तरह के कैमिकल के संपर्क मे आते हैं।

एक्जिमा के लक्षण की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप इसको पहचान सकते हैं।खुजलीदार, शुष्क, खुरदरी और परतदार त्वचा इसके प्रमुख लक्षण होते हैं। एक्जिमा शरीर के अंदर कहीं पर भी विकसित हो सकता है जिसके अंदर बांह हाथ और गर्दन के आस पास हो सकता है।

  • तेज खुजली
  • लाल या भूरे-ग्रे पैच
  • इसके अलावा सूखा पीला स्त्राव हो सकता है।
  • और मोटी व पपड़ी जैसी त्वचा हो सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि हम इसके इलाज की बात करें तो इसके लिए एंटिबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। यदि किसी को उपर दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको चाहिए आप जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को दिखाएं ताकि समस्या और अधिक ना बढ़े ।

एक्जिमा के कारण की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन माना जाता है जब हमारा शरीर किसी चीज के संपर्क मे आता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली आक्रमक प्रतिक्रिया देती है। जिससे की समस्या काफी अधिक आती है।

पसीना आना

  • तापमान में परिवर्तन
  • नमी में अचानक गिरावट
  • तनाव
  • फूड एलर्जी
  • पशु के बाल

‌‌‌आदि की वजह से एक्जिमा अपने आप ही ट्रिगर हो सकता है। यदि आपको उस चीज का पता चल जाता है तो आपको उससे दूरी बनानी होगी । तभी आपके लिए कुछ सही होगा  । वरना आपके लिए  काफी अधिक समस्या बढ़ जाएगी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

एक्जिमा से बचाव के उपाय की बात करें तो इसके लिए आप कई तरह के उपाय कर सकते हैं जिससे कि आप इससे बच सकते हैं । और यही आपके लिए सही होगा इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

एक्जिमा से बचाव की बात करें तो आप इसके लिए कई उपाय कर सकते हैं आपको अपनी जीवन शैली के अंदर बदलाव करना होगा तभी कुछ फायदेमंद हो सकता है।

  • आपको तनाव कम करना होगा । तनाव अधिक होने के की वजह से एक्जिमा के होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको कठोर साबुन व डिटर्जेंट के इस्तेमाल से आपको बचना होगा यही आपके लिए सही होगा आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
  • ठंड के मौसम में भी त्वचा शुष्क हो जाती है और फ्लेयर अप ट्रिगर कर सकती है। इसके लिए आपको ठंडे मौसम मे त्वचा को शुष्क होने से बचाना होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • एक्जिमा होने पर खुजली और खरोंच से आपको बचना होगा । वरना समस्या और अधिक बढ़ सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • एक्जिमा का परीक्षण की बात करें तो इसके लिए कई तरह के परीक्षण करने पड़ सकते हैं । क्योंकि एक्जिमा के जो लक्षण होते हैं वे बदलते रहते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • पैच टेस्ट (Patch testing) के अंदर त्वचा के एलर्जी से जुड़ा हुआ परीक्षण किया जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा आपके खाने पीने की चीजों को देखा जाता है कुछ खाने पीने की चीजों को हटा दिया और फिर से जोड़ा जाता है ताकि एलर्जी की समस्या तो नहीं हो रही है।

एक्जिमा यदि किसी को समस्या है तो आपको इसकी देखभाल ठीक तरह से करना चाहिए । यदि आप ठीक तरह से इसकी देखभाल करते हैं तो इससे आपकी समस्या का इलाज किया जा सकता है।

  • ‌‌‌इसके अलावा ठीक तरह से साबुन का उपयोग करें और अच्छी साबुन का उपयोग करना चाहिए । जिससे कि त्वचा शुष्क नहीं हो ।
  • मॉइस्चराइजर क्रीम, लोशन या मरहम का उपयोग भी आपको करना चाहिए । ताकि इसकी संभावना काफी कम हो जाए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको यदि एक्जिमा की समस्या से बचना होगा तो आपको ठंडे पानी से अधिक नहाना चाहिए गर्म पानी से नहाने से एक्जिमा के होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा अपनी त्वचा के अंदर नमी को बनाए रखना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है।इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

डॉक्टर आपको क्रीम और मरहम लगाने का सुझाव देंगे, जो सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को कम करके एक्जिमा ठीक करेगा।पिमेक्रोलिमस जैसी क्रीम आती है जोकि सूजन को कम करने काम करता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

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‌‌‌फंगल इन्फेक्सन किसी को भी हो सकता है। खिलाड़ी के पैरों मे फंगल इन्फेक्सन ,इसके बच्चे के मुंह के अंदर फंगल इन्फेक्सन हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह शरीर के उपर होता है। शरीर के उपर कई तरह के फंगस हो जाते हैं और जब यह नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं तो फंगल इन्फेक्सन हो ‌‌‌ सकता है।फंगल इन्फेक्सन संक्रामक हो सकता है। इससे ग्रस्ति बीमार व्यक्ति के संपर्क के अंदर यदि कोई दूसरा स्वस्थ व्यक्ति आता है तो उसको फंगस हो सकता है। हालांकि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनके उपर यह असर नहीं कर पाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि हम फंगल इन्फेक्सन के प्रकार की बात करें तो यह कई प्रकार का होता है। तो आइए जानते हैं फंगल इन्फेक्सन के प्रकार के बारे मे विस्तार से ।

  • एथलीट्स फुट के अंदर पैर मे फंगल इन्फेक्सन हो सकता है। यह आमतौर खराब मौजे और जूते या फिर स्विमिंग पुल के अंदर फैल सकता है इसके बारे मे आपको पता होना ‌‌‌ चाहिए ।
  • कैंडिडा इन्फेक्शन  आमतौर पर मुंह और आंत्र व योनी के अंदर पाया जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।कैंडिडा संक्रमण यदि आपको हो चुका है तो आपको इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना करना चाहिए ।
  • दाद भी एक प्रकार का फंगल इन्फेक्सन होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।सिर की त्वचा, पैरों व जांघ और जन्नांगों के बीच दाद विकसित हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • नाखून में फंगस इन्फेक्सन हो सकता है।इसकी वजह से नाखून काफी कमजोर हो सकता है और मोटा हो सकता है।यह आमतौर पर नाखूनों को काफी अधिक प्रभावित कर सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • फंगल इन्फेक्शन के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसकी मदद से आप फंगल इन्फेक्सन को पहचान सकते हैं। तो आइए जानते हैं फंगल इन्फेक्सन के प्रकार के बारे मे विस्तार से ।
  • ‌‌‌यदि फंगल इन्फेक्सन हो जाता है तो इससे त्वचा पर चकत्ते, लालिमा, पपड़ी या दरारे  आ जाती हैं।यदि मुंह के अंदर फंगल इन्फेक्सन हो जाता है तो इससे मुंह के अंदर सफेद चकते बन जाते हैं।और आप नीचे दिये गए लक्षणों की मदद से फंगल इन्फेक्सन को पहचान सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌त्वचा पर लाल रंग के चकते बन जाते हैं।
  • त्वचा पर लाल और बैंगनी रंग हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • त्वचा में पपड़ी जमना व खाल उतरना
  • त्वचा में दरारें होना
  • त्वचा के प्रभावित हिस्से में दर्द

‌‌‌फंगल इन्फेक्सन किन लोगों को अधिक होता है ?

दोस्तों हर किसी के अंदर फंगल इन्फेक्सन नहीं होता है। वैसे आपको बतादें कि फंगल इन्फेक्सन हर किसी के अंदर नहीं होता है। क्योंकि जो फंगस होते हैं वे हमारे आस पास ही रहते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर जो कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग होते हैं उनको ‌‌‌फंगल इन्फेक्सन होने के चांस काफी अधिक हो जाता है। यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर है तो आपको फंगल इन्फेक्सन होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है।आपके अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌ clobeta gm cream uses in hindi फंगल इन्फेक्सन से बचाव के उपाय

फंगल इन्फेक्सन से बचने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि आपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए । यदि आप रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के बारे मे सोच रहे हैं तो इससे बचने का एक अच्छा उपाय हो सकता है।

फंगल इन्फेक्सन से बचाव करने के लिए आपको साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए । यदि आप साफ सफाई का सही से ध्यान रखते हैं तो फिर आप इस इन्फेक्सन से बच सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • ‌‌‌पैरों को साफ रखना बहुत ही जरूरी होता है। और जूतों को अधिक टाइट नहीं पहनना चाहिए । मौजो को साफ सुथरा करके ही आपको पहनना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा पैरों मे फंगल इन्फेक्सन से बचाव करने के लिए एंटि फंगल पाउडर आता है उसका छिड़काव करें  इससे फंगल इन्फेक्सन होने का खतरा काफी कम होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको दूसरों के जूते और चप्पल पहनने से बचना चाहिए । क्योंकि इससे फंगल इन्फेक्सन से बच सकते हैं।
  • ‌‌‌जिस जगह पर आप नंगे पैर चलते हैं वहां की जगह को साफ करना जरूरी होता है जिससे कि फंगल इन्फेक्सन का खतरा काफी कम हो जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको अपने चेहरे को नियमित रूप से धोना चाहिए । और त्वचा को शुष्क रखना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • बाथरूम, जिम, कारपेट और सार्वजनिक स्नान वाली जगहों पर नंगे पैर जाने से बचें। इससे फंगल इन्फेक्सन से बचाव हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा अंडरवियर को अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही पहनना चाहिए । गीले कपड़ों को पहनने से बचना चाहिए ।

clobeta gm cream uses in hindi बैक्टीरियल संक्रमण

बैक्टीरियल संक्रमण का होना एक सबसे आम बात होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । आपको बतादें कि मानव शरीर के अंदर कोशिकाओं की तुलना मे बैक्टिरिया होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।वैसे अच्छे बैक्टिरिया हमारे लिए हानिकारक नहीं होते हैं। लेकिन कई बार बुरे बैक्टिरिया  आपके ‌‌‌ लिए हानिकारक होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।बैक्टीरियल संक्रमण गला, फेफड़े, त्वचा, आंत्र  मे रहते हैं। कई बार यह हल्के संक्रमण का रूप होता है। और आसानी से ठीक हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि कई बार संक्रमण अधिक होता है इसलिए दवाओं की जरूरत होती है।

‌‌‌बैक्टिरियल संक्रमण काफी संक्रामक हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।  यह खांसने और छींकने से भी फैल सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।

बैक्टीरियल संक्रमण के प्रकार की बात करें तो यह कई प्रकार का होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो इसके प्रकार के आधार पर इसका इलाज अलग अलग तरीके से किया जाता है।

  • ‌‌‌त्वचा बैक्टीरियल संक्रमण  के अंदर जो बैक्टीरिया होते हैं वे आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं और इस समस्या को दूर करने के लिए आपको एंटिबायोटिक दवाओं की जरूरत पड़ सकती है।सेल्युलाइटिस, फॉलिक्युलिटिस और इम्पेटिगो नामक संक्रमण इसके अंदर आते हैं।
  • बैक्टीरियल संक्रमण खाने की साफ सफाई नहीं होने से या फिर दूषित खान पान की वजह से भी हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।दस्त, मतली और उल्टी, बुखार, ठण्ड लगना व पेट दर्द जैसे लक्षण इसके प्रकट हो सकते हैं। यदि आपको इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो फिर अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको बतादें कि यौन संबंध बनाने से भी बैक्टिरियल संक्रमण हो सकता है। इसलिए यौन संबंध को सुरक्षित किया जाना चाहिए।  इसके लिए उचित साधनों का प्रयोग करना भी जरूरी होता है।

बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसकी मदद से आपको यह पता चल सकता है कि यह संक्रमण हुआ है या फिर नहीं हुआ है ? तो आइए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे मे विस्तार से ।

  • बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से बुखार आ सकता है आपको ठंड लग सकता है और दांत बज सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • यदि आपके लिंफ नोड के अंदर सूजन आ जाता है तो इसका मतलब यह है कि आपको बैक्टीरियल संक्रमण हो चुका है और आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए ।
  • बैक्टीरियल संक्रमण का एक लक्षण यह भी है कि आपका गला खराब हो सकता है। गले के अंदर दर्द भी हो सकता है और निगलने मे काफी अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण से निमोनिया हो सकती है, जिसमें सूखी खांसी और सांस फूलने जैसे लक्षण होते हैं।
  • इसके अलावा आपको बतादें कि बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से पेट की समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे की खांसी उल्टी और पेट दर्द होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं।
  • इसके अलावा यूरीन इन्फेक्सन हो सकता है ‌‌‌जिसके अंदर मूत्र का त्याग करते समय दर्द हो सकता है बार बार मूत्र आने की समस्याएं भी हो सकती हैं।

बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव के उपायों की हम बात कर लेते हैं। कुछ उपाय हैं जिनकी मदद से आप बैक्टीरियल संक्रमण से आसानी से बच सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं उन उपायों के बारे मे विस्तार से

  • ‌‌‌आपको अपने हाथों को बार बार धोना चाहिए । खास तौर पर यदि आप कुछ खाने जा रहे हैं तो आप अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धो सकते हैं और सैनिटाइज कर सकते हैं जिससे कि बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है। हालांकि हममेसे अधिकतर लोग इसके उपर ध्यान नहीं देते हैं आपको इसके बारे मे ‌‌‌ अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌अपने घर और कार्यालय के अंदर आप जो भी चीजों का इस्तेमाल करते हैं उनको समय समय पर अच्छी तरह से साफ सुथरा रखना जरूरी होता है। उनके उपर बैक्टिरिया पनप सकते हैं
  • बच्चे यदि मिट्टी के अंदर खेलते हैं तो उनको इसके लिए रोकना चाहिए । और खेलने वाले खिलौनों को भी साफ सुथरा रखा जाना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि कोई इंसान आपको बीमार लग रहा है तो आपको उस इंसान से दूरी बनाकर रखनी चाहिए । हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि आप उसकी सेवा करना बंद करदें । आप उसकी सेवा कर सकते हैं लेकिन आपको पूरी सावधानी बरतनी चाहिए । आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌यदि आप भोजन बना रहे हैं तो उससे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें । इसके लिए हेंड सैनिटाइजर का प्रयोग आप कर सकते हैं जिससे कि समस्याएं काफी कम हो जाएंगी । आपके लिए यह सही होगा ।
  • ‌‌‌यदि आप मांस मीट मछली आदि का सेवन करते हैं तो आपको सबसे पहले इनको अच्छी तरह से धोना चाहिए और कच्चा मांस का सेवन तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए । इसको अच्छी तरह से पकाने के बाद ही सेवन करें नहीं तो नुकसान हो सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा इस तरह की किसी भी चीज का सेवन करना आपको बंद कर देना चाहिए । जिससे कि बुरी गंध आ रही है। खराब चीज का सेवन करने से भी बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आपको गले के अंदर दर्द है तो फिर आपको इसको लेकर शांति से नहीं बैठना चाहिए और जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।  यही आपके लिए सही होगा ।
  • ‌‌‌इसके अलावा कान के अंदर गंदी चीजों को नहीं डालना चाहिए।  अक्सर लोग कान को हर किसी से साफ करवाने की कोशिश करते हैं इससे भी बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा आपको चाहिए कि आप अपने हाथों की गंदी उंगली को कान के अंदर ना डालें । ‌‌‌वरना इससे भी आपके कान मे संक्रमण हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

clobeta gm cream uses in hindi मस्सा

मस्सा त्वचा में वृद्धि या उभार होता है, यह ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) के कारण होता है।यह शरीर के किस्सी भी हिस्से के अंदर हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।मस्सा किस प्रकार का भी हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह उंगली के आस पास हो सकता है और गर्दन के उपर भी हो ‌‌‌ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।असल मे मस्सा कई बार अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन इसको ठीक होने मे बिना दवा के 5 साल तक लग सकता है। इसके अलावा मस्से की यदि आप दवा लेते हैं तो यह ठीक हो जाता है।

मस्सा के प्रकार की यदि बात करते हैं तो यह अलग अलग प्रकार के होते हैं तो आइए जानते हैं मस्से के प्रकार के बारे मे विस्तार से ।

  • सामान्य मस्सा (Verruca vulgaris) सामान्य मस्सा होता है जोकि काफी कठोर हो सकता है। और यह एक फूल की तरह ही दिखाई देता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा पैर के तलवों मे भी मस्सा हो सकता है। यह मस्सा काफी कठोर होते है। पैर के तलवों की चमड़ी सफेद होती है लेकिन इनके बीच यह मस्सा एक ‌‌‌ डॉट की तरह होता है।
  • इसी प्रकार से फिलीफोर्म मस्सा होता है। इसका आकार काफी पतला होता है लेकिन यह काफी उंचाई तक बढ़ सकता है।
  • इसके अलावा महिलाओं और पुरूषों के गुप्तांगों के आस पास भी मस्सा निकल सकता है। जोकि बाद मे यदि इलाज नहीं किया जाता है तो भयंकर रूप मे बदल सकता है। इसके बारे मे आपको पता ‌‌‌ होना चाहिए और आप इसको अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

मस्सा के लक्षण की यदि हम बात करें तो मस्से के कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आपको यह आसानी से पता चल जाता है कि मस्सा हो चुका है तो आइए जानते हैं मस्सों के लक्षणों के बारे मे ।

  • हाथों की उंगलियां, पैर की उंगलियां और घुटनों के पीछे मस्सा हो सकता है। यह काले रंग के डॉट की तरह दिखाई देता है।यह मरी हुई कोशिकाओं का समूह होता है।
  • प्लांटर मस्से  आमतौर पर पैरों के नीचे ही होती हैं। हालांकि यह मस्सा हथेली के अंदर भी हो सकता है। यदि हथैली मे इस तरह का मस्सा है तो आपको अपने ‌‌‌ डॉक्टर से उपचार करवाने की जरूरत पड़ सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ज्यादातर मस्सों की परत रूखी होती है और साथ ही उनमें कुछ काले छोटे स्पॉट्स होते हैं
  • इसके अलावा कुछ मस्सों के अंदर कभी भी खून भी निकल सकता है। इस तरह के मस्सों को ट्रॉमाटाइज्ड  के नाम से भी जाना जाता है।

मस्से का कारण की बात करें तो इसका कारण सामान्य मस्से एचपीवी (Human Papilloma Virus) की वजह से होते हैं। यह कई सारे प्रकार के होते हैं। अधिकतर एचपीवी अलग अलग शरीर के अंगों के अंदर मस्से का कारण बन सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌यदि किसी इंसान को मस्सा है और वह इंसान उस मस्से को अपनी उंगलियों के मदद से छूता है और उसके बाद उसी उंगली से अपने शरीर के दूसरे हिस्से को छूता है तो दूसरे हिस्से के अंदर भी मस्सा बन सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसके अलावा यदि जिस इंसान को मस्सा है और उस इंसान के तौलिया ‌‌‌ आदि को यदि आप छूते हैं तो इससे मस्सा उस छूने वाले इंसान को हो सकता है। इसलिए यदि किसी को मस्से की समस्या काफी अधिक हो तो उसे अपने कपड़े और तौलिया को अलग रखना चाहिए । आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

‌‌‌इसके अलावा यदि आपने किसी के मस्से को छुआ और उसके बाद आप नाखून को अपने मुंह से काटते हैं तो भी आपको मस्सा हो सकता है। यह नाखून के अंदर प्रवेश कर सकता है जिससे कि आपको वहां पर मस्सा हो सकता है।

‌‌‌वैसे हर इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली मस्से के संबंध मे अलग अलग प्रतिक्रिया देती है। ऐसी स्थिति के अंदर हर किसी को मस्सा हो यह जरूरी नहीं होता है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

मस्सा से बचाव के उपायों के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। यदि आप मस्सों से बचना चाहते हैं तो इसके लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं। जिससे कि आप मस्से से बच सकते हैं। तो आइए जानते हैं कुछ उपायों के बारे मे।

  • ‌‌‌अपने हाथों को सही तरह से धोते रहें । खास कर जब आप किसी ऐसे इंसान के संपर्क मे आते हैं जिसको पहले से ही मस्सा है तो फिर आपको अपने हाथों को सही तरह से साफ करना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि मस्सा हो चुका है तो उसको खुद ही हटाने की कोशिश ना करें । नहीं तो यह और अधिक भयंकर रूप धारण कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • मस्से को पट्टी (बैंडेज) से ढक कर रखना चाहिए । जिससे कि संक्रमण को दूसरे लोगों के अंदर फैलने का चांस काफी कम हो जाएगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा अपने हाथ और पैरों को सूखा रखना बहुत ही जरूरी होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । नहीं तो संक्रमण होने के चांस काफी अधिक हो सकता है।
  • ‌‌‌जिस इंसान को मस्से की समस्या है तो उससे आपको दूरी बनाकर रखनी चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।

मस्से का परीक्षण की यदि हम बात करें तो इसके लिए आपको डॉक्टर के पास जाना होगा और डॉक्टर आपके मस्से का परीक्षण करेंगे ।पंच बायोप्सी (Punch Biopsy) नामक इसका एक परीक्षण होता है जिससे के अंदर आपके उस स्थान को सुन्न किया जाता है जहां पर मस्सा होता है। ‌‌‌उसके बाद मस्से का एक टुकड़ा निकाला जाता है। और उसके बाद परीक्षण के लिए इसको लेब के अंदर भेजा जाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌दोस्तों यदि हम मस्से के इलाज की बात करें तो इसका इलाज डॉक्टर से करवाया जा सकता है। हालांकि अधिकतर मस्सों को इलाज की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है यह अपने आप ही ठीक हो जाता है।

clobeta gm cream uses in hindi बेडसोर (दबाव अल्सर)

बेडसोर अल्सर को दबाव अल्सर के नाम से जाना जाता है। यह त्वचा पर दबाव होने की वजह से उत्तकों की क्षति हो जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और यह अधिकतर एड़ी, टखने, कोल्हू आदि के अंदर हो सकता है। जो लोग अधिक चल फिर नहीं पाते हैं उनको दबाव अल्सर होने के चांस काफी अधिक हो सकता है। इसके ‌‌‌ बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

 ‌‌‌यह बेडसोर अल्सर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं लेकिन आपको यदि डॉक्टर के पास जाना है तो आप डॉक्टर के पास जाकर दवाओं से भी इनको ठीक कर सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

बेडसोर (दबाव अल्सर) के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप इसको बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं। तो आइए जानते हैं इनके लक्षणों के बारे मे विस्तार से ।

सूजन

पस (मवाद)

दर्द महसूस होना ।

ऊतकों में हुए नुकसान कारण रूखी त्वचा और लाल चकत्ते, तथा मांसपेशियों और हड्डियों में गहरी क्षति भी हो सकती है।और यदि आपको इस तरह का अल्सर दिखाई देता है तो आपको अपनी पोजिशन को बदलना होगा । यदि 24 घंटे बाद भी आपको आराम नहीं आता है तो उसके बाद अपने डॉक्टर को ‌‌‌ दिखाएं यदि आप डॉक्टर को नहीं दिखाते हैं तो स्थिति और अधिक खराब हो सकती है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं तो डॉक्टर को दिखाने के बाद आपको डॉक्टर कुछ दवाएं लिखकर दे सकता है जिससे कि आपको काफी आराम मिलेगा ।

बेडसोर (दबाव अल्सर) के यदि हम कारणों पर बात करें तो इसके कई कारण हो सकते हैं। जब त्वचा पर अधिक दबाव पड़ता है तो बेडसोर अल्सर हो सकता है। कम चलना फिरना भी इस अल्सर का कारण बन सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

  • ‌‌‌यदि शरीर के किसी हिस्से पर अधिक दबाव बढ़ जाता है तो उसके बाद वहां से खून का बहाव ठीक तरह से नहीं हो पाता है जिसकी वजह से आक्सिजन और पोषक तत्व उत्तकों तक नहीं पहुंच पाते हैं जिसकी वजह से उनके नष्ट होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • रीड़ की हड्डी, कन्धों की हड्डी, कूल्हों, एड़ी और कोहनी पर हो सकता है। और यह समस्या अधिकतर उन लोगों के अंदर आती है जोकि सीमित गतिविधि करते हैं। उनको यह समस्या हो सकती है।तो अपनी गतिविधि को सीमित ना करें ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आपकी त्वचा किसी चीज से रगड़क खा रही है और इसकी वजह से कमजोर हो रही है तो वहां पर बेडसोर होने के चांस हो सकता हैं। और वहां पर जख्म बन सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌जिन लोगों को चलने फिरने मे काफी परेशानी होती है और वे अपनी मुद्रा को काफी कम ही बदलते हैं उनको यह बेडसोर होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।
  • चलने-फिरने में परेशानी यदि आपको हो रही है। जैसे कि आप बीमार हैं तो ऐसी स्थिति के अंदर आपको बेडसोर होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आपकी इंद्री किसी वजह से पूरी तरह से काम नहीं कर रही है आपको किसी तरह का कोई विकार है तो इससे भी बेडसोर अल्सर होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • स्वस्थ त्वचा और ऊतकों को नुकसान से बचाने के लिए हमे उचित पोषण की ज़रुरत होती है । यदि आप सही तरह से पोषण नहीं ले पा रहे हैं तो आपको बेडसोर अल्सर होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • शुगर की बीमारी और दिल की बीमारियां आदि के अंदर रक्त बहाव काफी बुरी तरह से प्रभावित होता है जिसकी वजह से बेडसोर अल्सर होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

बेडसोर (दबाव अल्सर) से बचाव के उपायों पर भी हम चर्चा कर लेते हैं। यदि आप बेडसोर अल्सर  से बचना चाहते हैं तो इसके लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं जिससे कि आप आसानी से बच सकते हैं तो आइए जानते हैं इसको बचने के उपायों के बारे मे विस्तार से ।

‌‌‌बेडसोर अल्सर से बचाव करने के लिए अपनी पोजिशन को बदलते रहें और त्वचा पर आपको दबाव देने से बचना होगा । वरना समस्या और अधिक बढ़ सकती है। अधिक मात्रा मे पानी का सेवन करना चाहिए । इसके अलावा अच्छा खान पान भी काफी अधिक जरूरी होता आप इस बात को समझ सकते हैं।

  • ‌‌‌आपको अपने वजन को शिफट करना होगा यदि आप खड़े नहीं हो सकते हैं तो आपको अपनी पोजिशन को बार बार बदलना होगा तभी आपके लिए कुछ सही हो सकता है और आप बेडसोर से बच सकते हैं आप समझ गए होंगे ।
  • अगर आपके शरीर का ऊपरी हिस्सा ताकतवर हो तो व्हीलचेयर से उठने की कोशिश करें ।
  • ऐसे तकियों और गद्दों का इस्तेमाल करें जो आपके शरीर पर बन रहे दबाव को कम करें । और इस तरह से खुद को रखने का प्रयास करें कि शरीर के किसी एक हिस्से पर अधिक दबाव ना पड़ें तो आप समझ गए होंगे।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आप कोई गति विधि कर सकते हैं तो आपको गतिविधी को जरूर ही करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक जरूरी होता है और आपको बेडसोर से बचाने का काम भी करता है जोकि एक अच्छी बात है।

clobeta gm cream uses in hindi कैंडिडिआसिस (कैंडिडा संक्रमण)

कैंडिडा इन्फेक्शन को यीस्ट इन्फेक्शन भी कहा जाता है।यह आमतौर पर एक फंगस की वजह से होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैसे हमारे शरीर के अंदर फंगस काफी अधिक मात्रा मे रहते हैं। लेकिन कई बार यह काफी अधिक बढ़ जाते हैं। जिसकी वजह से  यह हमारे शरीर पर अटैक कर देते हैं। फंगस की संख्या आमतौर पर गर्म व नम क्षेत्रों में ही बढ़ती है। और आपको बतादें कि कैडिडा संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों मे खून की मदद से फैल सकता है जोकि काफी घातक होता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

कैंडिडा संक्रमण के बारे मे पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करवाना बहुत ही अधिक जरूरी होता है ब्लड टेस्ट के करने बाद ही यह पता चलता है कि यह संक्रमण हुआ है या फिर नहीं हुआ है ?यदि आपका वजन काफी अधिक है तो यह संक्रमण फैलने का चांस काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

यदि कैंडिडा इन्फेक्शन त्वचा, मुंह या योनि में हो सकता है। इसके लिए एंटिफंगल क्रीम आती है जिसकी मदद से इसका इलाज किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।

कैंडिडिआसिस (कैंडिडा संक्रमण) के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसकी मदद से आप इसको बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

त्वचा पर होने वाले कैंडिडा इन्फेक्शन के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं तो आइए जानते हैं इसके प्रकार के बारे मे

  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना, जिनका आकार लगातार बढ़ता रहता है।
    • त्वचा की सिलवटों जैसे जननांगों, नितम्बों, स्तनों के नीचे व त्वचा पर चकते
    • इसके अलावा पिंपलस जैसा दिखाई दे ‌‌‌ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
    • ‌‌‌ओरल कैंडिडा के अंदर आपकेा अलग तरह के लक्षण दिखाई देते हैं इसके बारे मे भी आइए हम जान लेते हैं इसके अंदर जीभ, तालु और मुंह के अन्य हिस्सों में नीचे से लाल व ऊपर से सफेद रंग के चिपचिपे धब्बे बनने लग जाते हैं।
    • ‌‌‌यह दूध और दही के दाग जैसे दिखते हैं लेकिन इनको इतनी आसानी से साफ नहीं किया जा सकता है जितना की दूध और दही के दागों को साफ किया जा सकता है।
    • इसकी वजह से जीभ पूरी तरह से लाल भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
    • कैंडिडा इन्फेक्शन के अंदर अधिकतर मामलों मे अस्पताल मे भर्ति होने की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि जिन लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक कमजोर हो चुकी है उनके अंदर यह काफी अधिक गम्भीर स्थिति को पैदा कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
    • यीस्ट इन्फेक्शन के अंदर डॉक्टर आपको कुछ दवाएं देते हैं और आपको चाहिए कि उन दवाओं को डॉक्टर के परामर्श के बाद ही लेना चाहिए । यही आपके लिए सबसे अधिक सही रहेगा और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
    • कैंडिडिआसिस (कैंडिडा संक्रमण) के कारण की यदि हम बात करते हैं तो इसके कई सारे कारण होते हैं जिसकी वजह से यह संक्रमण हो सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌दोस्तों यह एक प्रकार का फंगल इन्फेक्सन होता है और यह जो फंगी होते हैं यह आपकी त्वचा के उपर जीवित रहते हैं। यदि त्वचा के अंदर किसी तरह की कट या खरोंच हो जाती है तो उसके बाद यह आपकी त्वचा के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और उसके बाद यह इन्फेक्सन पैदा कर सकते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से ‌‌‌ पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा ।

जब स्थिति व तापमान कैंडिडिआसिस के अनुकूल होता है, तो वह रोगजनक बन जाता है या रोग पैदा करने में सक्षम हो जाता है। गर्म व नम तापमान। दोस्तों एक बार यह आपके शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है तो यह अधिकतर केस मे उन स्थानों पर संक्रमण पैदा करता है जहां पर त्वचा काफी नमी युक्त होती है जैसे कांघ जांघ ‌‌‌ आदि के अंदर यह फंगस पनपने लग जाते हैं।

एंटीबायोटिक दवा को यदि आप लंबे समय तक सेवन करते हैं तो इससे नुकसान हो सकता है क्योंकि इससे कई बार अच्छे बैक्टिरिया भी मर जाते हैं जोकि आपके लिए नुकसानदायी हो सकती है।

अत्यधिक मात्रा में रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स लेना, खासकर चीनी का सेवन करते हैं ‌‌‌ तो आपको संक्रमण का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।

अत्यधिक मात्रा में शराब पीना भी काफी डेंजर हो सकता है। यदि आप अधिक मात्रा मे शराब पीते हैं तो फिर आपके लिए नुकसान का सौदा हो सकता है और आपको कैडिडा संक्रमण का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है।

‌‌‌इसके अलावा यदि आप  अधिक मात्रा मे तनाव को महसूस करते हैं तो फिर आपके लिए इसके संक्रमण का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। इसलिए तनाव को कम महसूस करें ।

  • शिशु
  • सूजन व लालिमा जैसे विकारों से ग्रस्त लोग
  • वे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई हो
  • जिनका वजन काफभ् अधिक बढ़ा हुआ है उनको संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • डायबिटीज से ग्रस्त लोग
  • हाइपोथायरायडिज्म के मरीज
  • गर्भवती महिलाएं, इत्यादि।
  • स्टेरॉयड क्रीम इनमें सबसे मुख्य दवाएं हैं, जो कैंडिडा इन्फेक्शन जैसी समस्याएं पैदा कर देती हैं। और एक गर्भनिरोधक गोली का भी यदि आप सेवन करते हैं तो यह समस्या पैदा कर सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

clobeta gm cream uses in hindi जॉक खुजली

जौक खुजली एक फंगल संक्रमण होता है जोकि आपके जननांगों के अंदर वाले हिस्से के अंदर विकसित होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह आमतौर पर ढके हुए हिस्सों के अंदर विकसित होने का चांस काफी अधिक होता है जहां पर काफी अधिक पसीना आता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । ‌‌‌जौंक खुजली आमतौर पर उन लोगों के अंदर सबसे अधिक होती है जिनको काफी अधिक पसीना आता है या वे लोग जिनका वजन काफी अधिक होता है उनको यह होने का चांस है वह काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌वैसे यह समस्या काफी अधिक परेशान करने वाली नहीं है। बस आपको जननांगों के हिस्से को साफ रखना होगा इसके अलावा एंटि फंगल दवाएं आती हैं उनकी मदद से आप इसको साफ रख सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

जॉक खुजली के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपको जॉक खुजली हो चुकी है। इसके अंदर यह चांद के आकार मे होती है। इसके अलावा जॉक खुजली जो होती है वह जलन और दाने पैदा कर सकती है।और इसके अंदर छोटे छोटे दाने से पैदा हो जाते हैं।

‌‌‌यदि आपके त्वचा पर खुजली हो रही है और काफी समय से ठीक नहीं हो रही है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

जॉक खुजली के कारण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। यह फंगस की वजह से फैलता है। संक्रमित इंसान के संपर्क मे आने से भी यह फैल सकता है। इसके अलावा संक्रमित इंसान के तौलिया आदि का इस्तेमाल  करने से भी खुजली हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

जौक खुजली उसी फंगस के कारण होती है जिससे एथलीट फुट होता है।

  • ‌‌‌यदि आप एक पुरूष हैं तो आपको जौंक खुजली होने के चांस काफी अधिक होता है। इसके बारे मे आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा यदि आप टाइट अंडरवियर पहनते हैं तो आपको जौंक खुजली होने के चांस काफी अधिक होते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आपका वजन काफी अधिक है तो फिर आपको जौंक खुजली होने के चांस काफी अधिक होता है।
  • इसके अलावा यदि आपको वजन काफी अधिक है तो भी जौंक खुजली होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो गई है तो आपको जौंक खुजली होने के चांस काफी अधिक होती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

जॉक खुजली से बचाव के उपायों की बात करें तो इसके कई सारे उपाय होते हैं जिनका उपाय आप कर सकते हैं तो आइए जानते हैं जॉक खुजली के उपायों के बारे मे हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं।

  • ‌‌‌अपने जननांग को अच्छे से साफ करना बेहद ही जरूरी होता है। अपने जननांग को अच्छी तरह से साफ करें । व्यायाम करने के बाद अपने जननांग को अच्छे से तौलिया से साफ करना चाहिए ताकि यह सूख जाए ।
  • अंडरवीयर को आपको सूखा हुआ पहनना चाहिए । यदि आपको अधिक पसीना आता है तो आपको बार बार अपने अंडरवीयर को बदलने ‌‌‌ की आवश्यकता हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
  • गर्मी से बचना चाहिए । यदि गर्मी का मौसम है तो आपको चाहिए कि आप हवादार कपड़ें पहने ताकि हवा अंदर तक लगती रहे और आपको अंदर किसी तरह का पसीना ना आए । और यदि पसीना आए तो पसीना आसानी से सूख जाए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको चाहिए कि आप टाइट कपड़े नहीं पहनना चाहिए । क्योंकि टाइट कपड़े पहनने से त्वचा पर रगड़क लगने की वजह से त्वचा छिल जाती है और इसकी वजह से जौंक खुजली होने के चांस काफी अधिक हो जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको चाहिए कि आप किसी और की वस्तुओं का इस्तेमाल आपको नहीं करना चाहिए । जैसे कि आप दूसरे के तौलिया वैगरह का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इन सभी का इस्तेमाल करने से बचना होगा आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • जॉक खुजली का परिक्षण की यदि हम बात करें तो इस समस्या को लेकर जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो  वैसे तो डॉक्टर को देखते ही पता चल जाता है कि आपको जॉक खुजली की समस्या हैं इसके अलावा डॉक्टर आपकी त्वचा का छोटा सा हिस्सा निकाल देते हैं और उसके बाद उसे लेब के अंदर भेजा जाता है। ‌‌‌ और उसके बाद यह पता चल जाता है कि आपको जॉक खुजली की समस्या है।

क खुजली का संक्रमण ज़्यादा ना बढ़ा हो तो, डॉक्टर एंटी-फंगल दवाइयां जैसे क्रीम, लोशन, स्प्रे या पाउडर चकत्ते पर लगाने के लिए देते हैं। और यदि आपको जॉक खुजली की समस्या है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए । और आपको जो दवाएं दी जा रही हैं उन दवाओं को आपको इस्तेमाल करना चाहिए ।

‌‌‌इस तरह से आप समझ सकते हैं जॉक खुजली वैसे एक घातक समस्या नहीं होती है। और यदि आप इसका समय पर इलाज करवाते हैं तो फिर यह समस्या आसानी से ठीक हो जाती है। हालांकि यदि आप समय को निकाल देते हैं तो यह काफी आसानी से ठीक नहीं हो पाती है। इसलिए यदि आपको किसी तरह की जॉक ‌‌‌ खुजली की समस्या हो रही है तो फिर आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से परामर्श करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपका उसका पालन करना चाहिए । और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।

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