दानव का विलोम शब्द danav ka vilom shabd, दानव का उल्टा आइए जानते हैं दानव के विलोम शब्द के बारे मे ।
आइए जानते हैं तरल शब्द और इससे जुड़े अर्थ के बारे मे ।
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
दानव | देव |
Danav | Dev, Manav |
दानव | मानव |
दानव वर्ड के बारे मे आप बहुत ही अच्छे तरीके से परिचित हैं।दानव का मतलब है जिसके अंदर राक्षस गुण हो। जैसे कि किसी को मार देना ,किसी को काट देना या किसी का रेप कर देना यह सारे राक्षस गुण के अंदर आते हैं। भले ही आज दो सींग वाले दानव नहीं हैं लेकिन इंसान के भेष मे दानव घूम रहे हैं और यह दानव असली दानवों से भी अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि यह बाहर से एकदम से इंसान दिखाई देते हैं लेकिन अंदर पूरे दानव होते हैं। और अब तो धरती पर अच्छे इंसान कम दानव अधिक होते जा रहे हैं। आप जो धरती पर त्राहि त्राहि देख रहे हैं वह दानवों के कारण है। देवों के कारण नहीं
प्राचीन काल के अंदर भयंकर भयंकर दानव हुआ करते थे ।ब्रह्माजी की आज्ञा से प्रजापति कश्यप ने वैश्वानर की दो पुत्रियों पुलोमा और कालका के साथ भी विवाह किया। उनसे साठ हजार रणवीर दानवों का जन्म हुआ था।
इन सबके अलावा यदि आप प्राचीन ग्रंथों को पढ़ेगे तो आपको अनेक दानवों का उल्लेख मिल जाएगा ।जैसे कि रावण भी एक दानव था जिसको राम ने मारा था । इसी प्रकार से कंस भी एक दानव था। जिसको कृष्ण ने मारा था। इसी प्रकार से भस्मासुर ,जैसे दानव भी पैदा हुए थे । इन सबके अलावा नजाने कितने नाम हैं जो काफी भयंकर दानव रह चुके हैं।
उपर हमने कुछ असुरों के नाम दिये हैं जोकि दानव थे । असल मे दानव का मतलब होता है जिसकी पकृति विध्वंसात्मक हो ।जो चीजों को नष्ट करने पर विश्वास रखते हैं उनको दानव के नाम से जाना जाता है।
देव का मतलब होता है जो जीवन रक्षा के लिए होते हैं। जो रचात्मक पकृति के अंदर विश्वास रखते हैं वे देवता होते हैं। आप देवताओं की पूजा करते हैं। असल मे देवता जीवन के कल्याण के लिए ही होते हैं। वे आपके जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करते हैं।
जब हम देवताओं की पूजा करते हैं तो हम इसका फल भी मिलता है। जैसे कोई देवता की पूजा करके अधिक धन प्राप्त करता है तो कोई देवताओं की पूजा करके अपने दुखों को दूर करता है। इस प्रकार से सभी प्रकार के कष्ट के अंदर देवता काफी सहायक होते हैं।
आपने अनेक कथा और कहानियों के अंदर देवताओं और दानवों के युद्ध के बारे मे देखा है। असल मे यह सिर्फ कथा तक ही सीमित नहीं है। रियल के अंदर भी सुक्ष्म जगत के अंदर ऐसी चीजें होती हैं जिनको हम अपनी भौतिक आंखों से नहीं देख सकते हैं।देवताओं के अंदर भी अनेक प्रकार के देवता होते हैं।जैसें कि शिव , शक्ति , विष्णु , सूर्य) , त्रिमूर्ति , राम , कृष्ण , कार्तिकेय , हनुमान , इंद्र , वायु , वरुण , अग्नि , रूद्र , दत्तात्रेय , अन्य
देवी , सरस्वती , लक्ष्मी , सती , पार्वती , दुर्गा , शक्ति , काली , सीता , राधा , महाविद्या , नवदुर्गा , मातृका , अन्य आदि देवताओं के नाम हैं। 33 कोटि देवता होते हैं।
प्राचीन काल के अंदर एक भस्मासुर राक्षस हुआ करता था। इस कहानी के अनुसार एक बार भस्मासुर शिव से वरदान पाने के लिए कठोर तप करने लगा । और उसके तप से शिव काफी प्रसन्न हुए उनको सिंहासन तक हिल गया और वे भस्मासुर के सामने प्रकट हुए और बोले कि ……मैं तुम्हारे तप से बहुत अधिक प्रसन्न हूं बोलो तुम्हें क्या चाहिए ?
……..मुझे आप वरदान दें कि मैं सदा सदा के लिए अमर हो जाउं और मुझे कोई भी मार ना सके ।
लेकिन शिव ने यह वरदान नहीं दिया क्योंकि यह प्रकृति नियम के खिलाफ है।
उसके बाद भस्मासुर ने शिव से दूसरा वरदान मांगा और कहा कि ……..आप मुझे ऐसा वरदान दें कि मैं जिसके उपर हाथ रखूं वह भस्म हो जाए और उसके बाद शिव ने उसी वरदान को पूर्ण करने का वचन देदिया । उसके बाद भस्मासुर ने शिव को ही सबसे पहले अपने वरदान के परीक्षण के लिए चुना लेकिन शिव अपने वचन को कैसे तोड़ सकते थे । तो उन्होंने इस मुश्बित के अंदर भगवान विष्णु को याद किया और उसके बाद भगवान विष्णु सुंदर स्त्री का वेश धारण करके भस्मासुर के सामने पहुंचे । इतनी सुंदर स्त्री भस्मासुर ने कभी देखी ही नहीं थी तो वह अपनी सुधबुद खो बैठा और यह भूल गया कि वह क्या कर रहा था। भस्मासुर ने पूछा ………आपका नाम क्या है ?
……..मेरा नाम मोहनी है।
……..क्या आप मुझसे शादी करेंगी?
——– मैं एक नर्तकी हूं और उसी से शादी करती हूं जो नर्तक है। यदि तुम एक नर्तक बनने के लिए तैयार हो तो तुमसे शादी कर सकती हूं ।
और भस्मासुर ने कभी नर्तय नहीं किया था लेकिन उसके बाद भी वह मोहनी से शादी करने के लिए नर्तक बनना स्वीकर कर लिया । उसने मोहनी को तैयार किया कि यदि वह उसे नृत्य सीखा देखी तो वह सीखने के लिए तैयार है। और उसके बाद मोहनी ने भस्मासुर को वहीं पर नृत्य की कुछ स्टेस सीखने लगी । और उसके बाद भस्मासुर यह भूल गया कि उसको क्या वरदान था।जैसे ही मोहनी ने अपना हाथ अपने सर पर रखा भस्मासुर ने भी वैसा ही किया और अपने उस वरदान की वजह से वह वहीं पर भस्म हो गया ।
इस प्रकार से भस्मासुर राक्षस का अंत हो गया । इस प्रकार से प्राचीन ग्रंथों के अंदर अनेक प्रकार के राक्षसों का वर्णन मिलता है। और उनके वध का वर्णन भी मिलता है। यह कहानी इस बात का संकेत देना चाहती है कि बुराई चाहे कितनी भी प्रबल क्यों ना हो एक ना एक दिन उसका अंत होता ही है।
इस प्रकार से दानव के विलोम शब्द लेख के अंदर हमने देवताओं और दानवों के बारे मे विस्तार से जाना उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपका इस संबंध मे कोई विचार है तो नीचे कमेंट के माध्यम से हमे बता सकते हैं।
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