दानी का विलोम शब्द या माया का विलोम , दानी का क्या होता है ? Dani ka vilom shabd , Dani ka vilom shabd kya hai
शब्द | विलोम शब्द |
दानी | कंजूस, कृपण |
Dani | Kanjus, Krapan |
दोस्तों दानी का विलोम शब्द होता है कंजूस ।यदि आप दानी हैं तो आपको पता होगा कि कंजूस लोग भी इस दुनिया के अंदर होते हैं। एक बार एक व्यक्ति के बारे मे सुना कि उसके पास बहुत अधिक पैसा था। लेकिन वह किसी भी चीज के अंदर एक पैसा भी खर्च नहीं करना चाहता था तो एक तरफ उसके मकान भी गिरने वाले हो चुके थे ।वह अपने मकानों की मरम्मत भी नहीं करवाना चाहता था। एक बार बारिश के मौसम मे उसके मकान गिर गए और उसके अंदर दबकर उसकी मौत हो गई। दोस्तों माया का नशा इतना अधिक भयंकर होता है कि इसके अंदर बड़ों बड़ों की पुंगी बज जाती है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि धरती पर केवल कंजूस ही एकत्रित हैं। यहां पर महादानी भी लोग हैं। आपको पता ही होगा कि जब राममंदिर के लिए चंदा एकत्रित किया जा रहा था तो कुछ ही दिनों के अंदर करोड़ों एकत्रित हो चुके थे । इसका मतलब यही है कि राम मंदिर के लिए लोगों ने खुलकर दान किया ।
और देते भी क्यों नहीं राम उनके पूर्वज भी थे ।खैर दान देना कई तरीकों से फायदेमंद होता है। यदि आपके पास अधिक पैसा है और आप दान देते हैं किसी सही जगह पर तो इसके कई फायदे आपको मिलते हैं। सबसे पहला फायदा तो यह होता है कि इससे गरीबों की मदद होती है।
आपने मंदिरों के आस पास देखा होगा कि वहां पर न जाने कितने भिखारी रहते हैं और सभी का पेट दान दिये धन से ही तो चलता है। दान को हमेशा से ही धर्म से जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि यह माना जाता रहा है कि दान जो हम करते हैं उसका फायदा हमें मिलता है।
जब हम किसी अच्छे काम को करते हैं तो हमारे संस्कार भी अच्छे हो जाते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर हम खुद अच्छे बनते चले जाते हैं और जब हम बुराइयों को छोड़ते हैं तो समाज के अंदर वातावरण भी स्वच्छ हो जाता है।
कुछ लोगों का यह विश्वास होता है कि दान दिया हुआ पैसा या कुछ भी उसके आगे काम आते हैं तो दोस्तों यह भी सच होता है। हमारे अच्छे कर्म हर जन्म के अंदर हमारी मदद करते हैं। जो अच्छा कर्म करता है उसे अच्छा फल मिलता ही है। भले ही आप अब दुख भोग रहे हैं लेकिन उसके बाद भी अच्छे कर्म कर रहे हैं तो एक ना एक दिन आपको इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे ।आपको इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए सब कुछ ठीक हो जाएगा ।हमारे यहां पर एक काफी पैसे वाला इंसान था। उसने अपना पूरा जीवन बस धन कमाने मे ही लगाया और जब उसकी मौत हो गई तो वह अपनी वासनाओं की वजह से अब प्रेत योनी के अंदर आकर भटक रहा है।
यदि आप अच्छे काम करते हैं तो आप अच्छे बनते हैं और फिर आपको किसी प्रेतयोनी के अंदर भटकने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। देवता भी आपकी मदद करना पसंद करते हैं लेकिन यदि आप बूरे काम करते हैं तो फिर कोई भी आपकी मदद करना पसंद नहीं करता है।
दोस्तों कंजूस और और अपव्ययी के अंदर कोई अधिक फर्क नहीं होता है। कंजूस वह होता है जो जरूरत होने के बाद भी पैसा खर्च नहीं करता है और अपव्ययी वह होता है जो ना जरूरत के पैसे खर्च कर देता है। आज का जमाना तो वैसे ही ऐसा हो चुका है कि इंसान को कंजूस बनना पड़ता है।
क्योंकि आजकल हर इंसान का खर्चा बहुत अधिक बढ़ चुका है।ऐसी स्थिति के अंदर यदि हम लोग कंजूसी नहीं बरतेंगे तो फिर समस्याएं होगी और हम पैसे पैसे के लिए मोहताज हो जाएंगे । कर्ज हो जाएगा । लेकिन कंजूसी बरतना भी हर इंसान के बस की बात नहीं होती है। एक तरफ तो मेरे जैसे इंसान हैं जो बिना बात के पैसे को खर्च कर देते हैं तो दूसरे वे इंसान होते हैं जोकि जरूरत होने के बाद भी पैसा खर्च नहीं करते हैं। आजकल आपको पता ही है कि एक घर चलाने मे कितना खर्च आता है। आप एक दिन बाजार जाते हैं तो उसी के अंदर आपके 1000 रूपये आसानी से खर्च हो जाते हैं।
जबकि बात करें नौकरी की तो नौकरी के अंदर इतना दम रहा नहीं है। बस कुछ लोग हैं जोकि हजार रूपये दिन के लेते हैं बाकि लोग तो बस दिन के 400 रूपये भी आसनी से कमा नहीं पाते हैं।
देया की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है। उससे देखकर तो यही लगता है कि आने वाले दिनों मे रोजगार मिलेगा ही नहीं । अब यदि आप शहर के अंदर 5000 महिना की नौकरी मांगने के लिए जाएंगे तो आपको यह नौकरी भी नहीं मिलेगी ।हां आजकल खुद के बिजनेस के आप्सन बहुत सारे खुल चुके हैं ।जिनके अंदर आप अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं।
लेकिन मैंने ऐसे भी लोग देखे हैं।जिनके पास अच्छा खासा पैसा है लेकिन उसके बाद भी वे लोग कंजूसी बरतते हैं। आपके पास पैसा है उसके बाद भी आप उसको जरूरत की चीजों पर खर्च करने से बच रहे हैं तो आप कंजूस हैं।
कंजूसी एक सीमा तक जायज हो सकती है लेकिन जब आप उस सीमा से बाहर चले जाते हैं तो यह जायज नहीं होती है। आप अपने पैसों को मरते समय यहीं पर छोड़कर जाएंगे । उसके बाद आपके खानदान के लोग मौज करेंगे । जबकि आपने अपने जीवन को काफी कष्ट मे रहकर यह पैसा बचाया है।
इसलिए अधिक धन एकत्रित करने के चक्र मे अपने जीवन को कष्ट मे ना डालें और जहां पर जरूरत है वहां पर आपको पैसा खर्च करने मे कोई परहेज नहीं करना चाहिए । मेरा तो यही मानना है।
बाकी आपकी मर्जी है पैसा भी आपका ही है आप उसको कहां पर खर्च करते हैं और कहां पर नहीं करते हैं ? इस बारे मे आप खुद निणर्य कर सकते हैं। लेकिन पैसों से मोह रखना उतना अच्छा नहीं होगा । यह आपके लिए भी सही नहीं होगा ।
आप इस धरती पर भले ही कितना भी पैसा कमा लें लेकिन कोई भी फायदा नहीं होने वाला है क्योंकि एक दिन आपको पैसा छोड़कर जाना ही होगा । और उसके बाद आपके गाड़ी बंगले सब कुछ छूट जाएंगे । आप कुछ नहीं कर पाएंगे ।
इसलिए पैसा शरीर की जरूरत है समझ आता है लेकिन आप उनसे इतने अधिक चिपक जाएंग कि उतारे ही ना उतरें तो फिर आप सजा भुगतने के लिए तैयार रहे क्योंकि आप भौतिक चीजों को अपने पास अधिक समय तक नहीं रख सकते हैं। आपके पास इसका अधिकार नहीं है।
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