दोस्तो हम इस लेख मे जानेगे की देवसभा के पर्यायवाची शब्द dev sabha ka paryayvachi shabd या देवसभा के समानार्थी शब्द devsabha ka samanarthi shabd कितने होते है और यह भी जानेगे की देवसभा क्या होती है और भी बहुत कुछ जानेगे तो लेख देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd ya / samanarthi shabd} |
देवसभा | सुधर्मा, शुभा, देवसमाज, सुधर्मी, देवनगरी, देवो की सभा, देवमंडली, राजसभा, देव सभा स्थल, ऐसा स्थान जहां पर देवो की सभा हो , देव स्थान , ईश्वर सभा, भगवान की सभा, प्रभु की सभा, खुदा की सभा, ईश्वर मंडली, खुदा मंडली, प्रभुमंडली, ईश्वर समाज, खुदासमाज, प्रभुसमाज, प्रभु नगरी, ईश्वर नगरी, खुदानगरी , परमेश्वर सभा, परमेश्वर मंडली, परमेश्वर नगरी, अल्लाह सभाग, अल्लाह नगरी, अल्लाह मंडली, सुरमंडली, सुरसभा, कुदरतसभा, धर्मसभा । |
Dev Sabha | sudharma, shubha, devasamaj, sudharmi, devanagari, devo ke sabha, devamandali, raajasabha, dev sabha sthal, dev sthaan, eeshvar sabha, bhagavaan kee sabha, prabhu kee sabha, khuda kee sabha, eeshvar mandalee, khuda mandalee, prabhumandalee, eeshvar samaaj, khudaasamaaj, prabhusamaaj, prabhu nagaree, eeshvar nagaree, khudaanagaree , parameshvar sabha, parameshvar mandalee, parameshvar nagaree, allaah sabhaag, allaah nagaree, allaah mandalee, suramandalee, surasabha, kudaratasabha |
God Society | God Society ,Lord Society, Deity Society, synod, god guild, lord guild, deity guild, God circle, God team, God collectivity, God gang, God incorporation, Lord circle, Lord team, Lord collectivity, Lord gang, Lord incorporation, Deity circle, Deity team, Deity collectivity, Deity gang, Deity incorporation. |
ऐसा स्थान जहां पर देवताओ की संभा हो उसे देव सभा कहा जाता है यानि देवताओं की सभा ।
राज सभा ।
हिंदू धर्म के अनुसार ही नही बल्की सभी धर्मो में देवी देवता होते है । जिन्हे वह पुजता है । जिस तरह से ईश्लाम मे अल्लाह को पूजा जाता है और हिंदुओ मे अलग अलग देवताओं को पूजा जाता है । तो इन देवताओ का भी एक ऐसा स्थान होता है जहां पर ये अपना जीवन की कुछ अनमोल बाते करते है । और कभी कभी अपने जीवन का आनन्द उठाते है । जिसके लिए खेल भी खलते रहते है ।
इस तरह के स्थान को देव सभा कहा जाता है । जिसे अनेक नामो से जाना जाता है । यह देवसभा उसी तरह से होती है जिस तरह से राजाओं की सभा चलती हो । जहां पर वे खेलते हो या अपने न्याय का काम करते हो । संक्षिप्त मे कहते तो जब बहुत से राजा एक स्थान पर इकट्ठा होते है तो उन्हे राजा की सभा चल रही है ऐसा कहा जाता है यानि राजसभा ।
उसी तरह से जब बहुत से देवो की सभा चलती है तो उसे देव सभा कहा जाता है । जिस तरह से हिंदुओ का मानना है की अक्सर स्वर्ग में इद्र की सभा चलती रहती है । इस तरह की सभा को ही देव सभा कहा जाता है ।
वैसे तो इस बार मे ज्यादा जानकारी नही है मगर फिर भी जब प्राचिन समय मे देवो मे किसी बात के लिए सभा का आयोजन होता था तो उसे सभा के नाम से ही जाना जाता था । मगर यह सभा तो अनेक प्रकार की होती है । जैसे अगर किन्ही साधुओ के बिच मे यह सभा हो तो वह भी सभा कही जाती थी और राजाओ के बिच मे सभा होती तो भी सभा कहा जाती थी ।
जिसके कारण से सुनने वाले समझ नही पाते थे की किसकी सभा हो रही है । यह सवाल हर किसी के मन मे होता की किसकी सभा है । जिस तरह से अगर इंद्र ने कोई सभा का आयोजन किया है तो किसने सभा का आयोजन किया है यह जरूर पुछा जाता था । और किनकी सभा है यह भी जरूर पुछा जाता था । तब उत्तर मिलने के बाद ही पता चलता की इंद्र ने सभा बुलाई है और वह भी देवो की ।
इस तरह से ही अगर कोई राजा सभा बुलाता तो भी इसे केवल सभा कहा जाता था । जिससे देव समझ नही पाते थे की राजाओ की सभा है की देवो की । इस दुविधा को दूर करने के लिए जब देवो की सभा होती तो उसे देव सभा के नाम से जाना जाता और राजाओ की सभा होती तो उसे राजाओ की सभा के नाम से जाना जाता था ।
इस तरह से देवो की सभा को देव सभा कहा जाने लगा था और देवसभा शब्द की उत्पत्ति गई थी । इसके साथ ही राजाओ की सभा भी होती जिसे संक्षिप्त मे राजसभा कहा जाता । जिसके कारण से हर कोई समझ जाता की देवो की सभा है की राजाओ की ।
दोस्तो हिंदुओ का मानना है की भगवान इंद्र की नगर मे अक्सर सभा चलती रहती है । जिसमे से कभी कभी इंद्र देव आनन्द के लिए अपसराओ का नाच देखते है तो अपने मनोरंजन के लिए मदीरा का भी सेवन करते है । यह सुनने को मिलता रहता है । मगर यह सत्य है की नही यह कहना मुसीकल है । फिर भी जब भगवान इंद्र के यहां देवसभा चलती है तो बहुत से देव उनकी सभा मे जाते थे ।
मगर शिवजी और विष्णु व भ्रहमा जी जैसे महान देव उनकी इस सभा मे नही जाया करते थे । और बताया जाता है की इंद्र की सभा मे वरूण देव, अग्नि देव, वायुदेव, राहु, जलदेव आदी रहते थे । जो अपने आनन्द के लिए ही इस सभा मे रहते थे । मगर हमेशा ही आनन्द ही नही चलता था बल्की जब भी कोई समस्या आती तो इंद्र देवो की एक सभा बुलता और उन्हे समस्या से निपटने के बारे में कहता था ।
जिसके कारण से सभी देव एक साथ मिल कर समस्या से निपटते थे । मगर जब उनसे समस्या का हल नही होता तो वे समस्या को दूर करने के लिए भगवान विष्णु और भ्रहमाजी के पास जाते थे । साथ ही जब भी देव सभा का आयोजन होता तो नाराद जी से देवो के पास इस सभा की सुचना इंद्र पहुचाता था ।
क्योकी नारद जी एकमात्र ऐसे थे जो कही पर भी आ जा सकते थे । यानि वे आकाश पाताल यहां तक की नर्क में भी आ जा सकते थे । जिसके कारण से उनसे सुचना पहुचाकर अन्य देवो को सभा मे आने का न्युता दिया जाता था ।
दोस्तो देवसभा के बारे मे आप लोगो ने अभी तक बहुत कुछ जान लिया होगा जिससे आपको पता चल गया होगा की देवो की जो सभा होती है उसे देव सभा कहा जाता है । और इस सभा का आयोजन न केवल एक देव करता है बल्की अलग अलग देव कर सकते है । क्योकी जब किसी देव को किसी कार्य के लिए अन्य किसी देवों से बात करनी होती है तो वह स्वयं देव सभा का आयोजन करता है और सभी देवो को एक जगह पर इकट्ठा किया जाता है जिसके बाद मे देव सभा चलती है ।
ऐसा इस कारण से होता है क्योकी देव सभा जो देव आयोजित करता है वह अलग अलग देवो के पास नही जा सकता है मगर सभी देव एक स्थान पर आ जाते है तो सभी से एक साथ बात हो जाती है । इस देव सभा मे सभी देव अपनी बात रख सकते है ।
एक समय की बात है देवो मे अपने बडे होने की बात चल रही थी मगर कोई यह मानने को तैयार नही था की उनमे से वह बडा है बल्की सभी कह रहे थे की मेरे पास यह शक्ति है इस कारण से मैं बडा हूं । इस बात के लिए काफी देव एक जगह इकट्ठा हुए थे । जिसमें भगवान इंद्र और गणेश व कार्तिकय भी थे । मगर अन्य देवो के अनुसार यह भी एक साथ यही बात कर रहे थे की मैं सबसे बडा देव हूं ।
इस देवसभा मे काफी समय तक बहस चलती रही । मगर फिर भी किसी को समझ मे नही आया की सबसे बडा कोन है । इस दुविधा को दूर करने के लिए सभी भगवान विष्णु के पास गए तो भगवान विष्णु ने कहा की इस बात का निर्णय मैं अकेला नही करूगा बल्की ब्रहमाजी और भगवान शिव भी मेरे साथ होने चाहिए ।
जिससे भगवान विष्णु और शिवजी के पास चले गए और ब्रहमाजी भी वहां पर आ गए । तब देवो ने शिवजी के सामने सबसे बडा कोन है यह प्रशन रखा । यह प्रशन सुन कर शिवजी सोच मे पड गए और सोचने की इन देवो को यह क्यो जरूर हो गया की वे अपने आप मे से सबसे बडे देव को पता जानना चाहते है ।
तब शिवजी ने देवो से इस बारे में पूछा तो सभी देवो ने कहा की जो भी सबसे बडा होगा उसकी पूजा सबसे पहले की जाएगी फिर दुसरे देवो की जाएगी । यह सुन कर शिव ने कहा की तो ठिक है मैं जो कहुगा उसे जो भी पूरा करेगा वह सबसे बडा देव है । तब देवो ने शिव से कहा की प्रभु आप बताए की हमे क्या करना है ।
तब शिव ने कहा की आपको पास अलग अलग प्रकार की शक्ति है जिसके कारण से आसानी से एक दूसरे में से बडे नही बन सकते है । इस कारण से मैं आपमे से शक्ति के आधार पर बडे को नही बता सकता हूं । यह सुन कर विष्णु ने कहा की तो फिर किसी आधार पर इनकी समस्या का निवारण करोगे । तब शिव ने कहा की यह संसार बहुत बडा है जिसे चक्कर लगाना हर किसी के बस का नही होता है और जो कोई चक्कर सबसे पहले लगा लेगा वही सबसे बडा देव होगा और उसकी सबसे पहले पूजा होगी ।
यह सुन कर जिन देवो के पास शक्तिशाली वाहन था वे खुश हो गए और सबसे अधिक कार्तिकय खुश था । क्योकी उसका वाहन मोर था जो बहुत तेज गति से उड सकता था । जिसके कारण से जब चक्कर लगाने की रेश शुरू हुई तो सभी चले गए । मगर वहां से गणेश जी नही गए । तब शिव और विष्णु ने कहा की आपको सबसे बडा नही बनना क्या ।
यह सुन कर गणेश ने कुछ नही कहा बल्की अपने माता पिता के चारो ओर चक्कर लगाने लगा । जिस देख कर भगवान शिव को भी समझ मे नही आया था । इस तरह से गणेश ने तिन चक्कर लगाए । तब भगवान शिव ने पूछा की यह क्या कर रहे थे की तभी कार्तिकय आ गया और वह सबसे पहले विजय होने का कहने लगा था । उसके पिछे पिछे अन्य देव भी आ गए थे ।
इस देव सभा में कार्तिक्य अपने आप को विजय मान रहा था मगर तभी गणेश ने शिव से कहा की आप मेरे माता पिता हो और इस संसार के महादेव हो जिसके कारण से ही मैंने आपके चारो और चक्कर लगाया था । साथ ही कहा की आपके जैसा कोई नही है । यह सुन कर विष्णुजी बोल पडे की यह सत्य है । तभी ब्रहमाजी को भी गणेश की बात समझ मे आ गई ।
जिसक कारण से उन्होने गणेश को सबसे पहले आया हुआ घोषित किया । मगर यह बात कातिक्य को अच्छी नही लगी । जिसके कारण से शिवजी ने समझाते हुए कहा की गणेश सत्य है अपने माता पिता से बढ कर किसी के लिए कुछ नही होता है साथ ही ब्रहमाजी बोल पडे की गणेश ने इस देवसभा मे अपनी बुद्धी का उपयोग करते हुए देवो के देव महादेव के चारो और तीन चक्कर लगाए है । इस कारण से वे ही विजय है ।
तभी दुसरे देव बोल पडे की शिव के जैसा कोई नही है यही इस संसार के निर्माता है इस कारण से यही संसार है तो इनके चारो और चक्कर लगाने के कारण से इस देवसभा मे सबसे बडा गणेश हुआ । उस दिन के बाद मे गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है । इस तरह से देवो की इस सभा यानि देवसभा मे गणेश बससे बडे साबित हो गए थे । इस तरह से देवसभा देवो का स्थान होता है जहां परदेव इकट्ठा होते है । साथ ही देव सभा के बारे मे अनेक बाते आपको पता चल गई होगी ।
पहले के समय में बहुत कुछ था देव भी थे जो और असुर भी थे और देवो की कभी कभार एक सभा होती थी । जिस अंदर महान संत ओर देव एक दूसरे से मिलते थे और किसी बात पर चर्चा करते थे और इसे देवसभा के रूप में जाना जाता है।
आपको बात दे की देवसभा जो होती है वह असल में देवो की सभा को कहा जाता है और आपको तो इस लेख को पढने के बाद में पता चल ही गया होगा की यह देवसभा आखिर क्या होती है ।
वैसे देवसभा जो होती है वह मानव के लिए कितनी जरूरी है यह नही कहा जा सकता है क्योकी वर्तमान में देवो की सभा होती है की नही यह तक पता नही चलता है हालाकी पहले मानव के लिए उपयोगी होती थी । क्योकी मानव के कल्याण के लिए देव सभा करते थे ।
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