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देवता के इतने पर्यायवाची शब्द कोई नही बताएगा

दोस्तो आपको इस लेंख में देवता का पर्यायवाची शब्द devta paryayvachi shabd या देवता का समानार्थी शब्द devta ka samanarthi shabd के बारे मे जानकारी दी जाएगी  साथ ही देवता कोन होता है इसके बारे मे बहुत कुछ बताया जाएगा 

देवता का पर्यायवाची शब्द या देवता का समानार्थी शब्द devta paryayvachi shabd ya devta ka samanarthi shabd

शब्द {shabd}पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द  {devta paryayvachi shabd / devta ka samanarthi shabd}
देवतात्रिदिवेश, दजुजारि, विबुध, अमर, निर्जर, देव, त्रिदश, सुर, सुपर्वा, लेख, दिवौकस, आदितेय, ‌‌‌ अदितिनन्दन, आदित्य, अवस्प्न, अमर्त्य, दानवारि, अमृतान्धा, बहिर्मुख, क्रतुभुक, गीर्वाण, वृन्दारक, अग्निमुख, अमृतेश, भट्टारक, अग्निजिह्व , सुभना, वृदारक, आदित्य, वसु, निर्जर, दानवारि, अल्लाह, पूजायोग्य, नियन्ता, क़ुदरत, परमेश्वर, भगवान, ईश्वर, प्रभु।
devatatridivesh, djujari, vibudh, amar, nirjar, dev, tridash,  sur, suprva,  lekh, divaukas, aaditey,  aditinandan, aadity, avaspn, amarty, daanavari, amrtandha, bahirmukh, kratubhuk, geervan, vrndarak, agnimukh, amrtesh, bhattarak, agnijihv , subhana, vrdarak, aadity, vasu, nirjar, danavari.
GodDeity, divinity, golly, dev, deity, Elf, god, Allah, Immortal, undying, perdurable, Lord, , Goddess, divine being, celestial being, supreme being, divinity, immortal, creator, demiurge, godhead, daemon, totem] almighty, world spirit, omnipotent, Divine Being Holy Spirit.

‌‌‌देवता क्या है what is God –

ऐसी परालौकिक शक्ति जो सदेव अमर ‌‌‌होती है और प्राकृतिक होने के साथ साथ दिव्य भी हो देवता कहा जाता है । इसकी पूजा भी की जाती है । हिंदू देवता को परमेश्र्वर के नाम से जानते है और वही ईश्लाम में इसे अल्लाह के नाम से जानते है ।

‌‌‌देवता का पर्यायवाची शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • जैसा अल्लाह ने कहा है हम वैसा ही करेगे चाहे इसमे हमारे प्राण भी क्यो न चले जाए ।
  • तुम देवता की पूजा करनी शुरू कर दो क्या पता कष्ट कम हो जाए ।
  • राजवीर तो शिव देवता की पूजा करता है ।
  • आज तो डाकूओ ने मुझे जान से मार दिया होता मगर देव ने ही मुझे ‌‌‌बचा लिया ।
  • जैसी परमेश्वर की मर्जी जो होगा वही होगा ।
  • कुदरत ने जैसा चाहा वैसा ही होगा ।
  • भगवान अमर होते है उन्हे कोई नही मार सकता ।
  • अगर तुम पूरी तरह से शून्य हो जाओगे तो तुम भी ईश्वर की तरह दिव्य हो जाओगे ।
  • जैसा भाग्य मे प्रभु ने लिखा है वैसा ही होगा ।

‌‌‌हिंदू धर्म के मुख्य देवता जो सबसे उपर हो

हिंदु धर्म के अनुसार देवता को अलग अलग कोर्यो मे बाटा गया है और उनकी शक्ति के कारण उन्हे छोटे बडे के रूप मे ‌‌‌दर्शाया जाता है । मगर यह कहना मुश्किल है की सबसे बडा देव कोन है । मगर गणेश जी की सबसे पहले पूजा की जाती है इसी क्रम मे देवताओ की लिस्ट निचे है जो प्रमुख है ।

गणेश (प्रथम पूज्य) –  भगवान गणेश के पिता का नाम शिव है जो देवो के देव कहलाते है । गणेश का विवाह रिद्धि और सिद्धि नाम की दो देवियों से विवाह हुआ है । गणेश जी का रूप एक न होकर अनेक प्रकार का होता है इसका कारण उनका अलग अलग युग मे अलग अलग अवतार माना जाता है । फिर भी गणेश जी का रूप दो भागो मे बटा होता है जो ‌‌‌सीर वाला भाग हाथी का और निचे का बचा भाग पुरूष का होता है । ‌‌‌इनके इस रूप पर अनेक कथा चलती है जिसमें बताया जाता है की इनका यह रूप किस तरह से बना है ।

‌‌‌बाकी देव जो प्रमुख है निम्न प्रकार से है – लक्ष्मी, इन्द्र, शनि देवता, विष्णु, दुर्गा, शंकर, ब्रह्मा, हनुमान, कृष्ण, राम, सरस्वती, जल देवता, सूर्य, अग्नि देवता, पार्वती, शेषनाग, इन्द्र, वायु, देवता, कार्तिकेय, धन्वंतरि ‌‌‌आदी।

देवता शब्द की उत्पत्ति

‌‌‌दिव्‌ धातु से निकलने वाला शब्द देवता न था बल्की देव था जिसे ही बाद मे देवता के नाम से जाने जाना लगा । देव का ‌‌‌अर्थ चमकना से होता है। यानि जो अपने तेज से चमकता है वह देव ही कहा जाता है जिस तरह से सूर्य चमता है और वह अपने तेज से चमकता है तो उसे सूर्य देव कहा जाता है बिलकुल इसी तरह से अन्य को ‌‌‌देवता कहा जाता है ।

देवगण में जो भी देव होते है वे प्रबल भी होते है और असुर भी प्रबल होते है । इस कारण से ही कई जगहो पर देवो को असुर के नाम से जाना जाता है । जिस तरह से ऋग्वेद मे देव को असुर से बताया जाता है । क्योकी देवो को महान बताया जाता है जिससे हिंदू धर्म के भारतियो ने इन्हे देव कहना ‌‌‌शुरू किया था ।

इस तरह से भारत मे हिंदु ने देव शब्द का स्तेमाल किया था । इसी के चलते जो देव सबसे बडा होता है उसे भारत ने महादेव कहा । इस तरह से देव बनते गए और जब बहुत से देवो के नाम बन गए तो सभी को एक नाम से बुलाने के लिए ही देवता कहा जाने लगा । ‌‌‌क्योकी वर्तमान मे अनेक प्रकार के देवी देवता मोजुद है जिनको अलग अलग धर्म के लोग पूजते है तो इन्हे एक साथ बुलाने के लिए देवता कहा जाता है ।

जिस तरह से अगर कोई कहता है की वह देवता की पूजा करता है तो कौनसे देवता की यह प्रशन उठ जाता है । जिससे आसानी से समझ मे आ जाता है की देवता एक है मगर उनके रूप ‌‌‌अनेक है । अलग अलग धर्म मे इनको अलग अलग नाम से जाना जाता है ।

मगर देव शब्द की उत्पत्ति ‌‌‌के समय ही ईरान मे असुर कहा जाता था और भारत में देव तो इन दोनो मे शब्द का तालमेल न हो सका और शब्द पर युद्ध जैसी स्थिती थी । यानि ईरान भारत मे भी देव को हटा कर असुर शब्द स्थापित करना चाहता था । जिसके कारण ‌‌‌से कुछ समय के बाद भारत मे असुर कहा जाने लगा मगर जब विद्वानो ने इस बारे मे सोचा समझा तो जान बुझ कर देवता शब्द का उपयोग कर दिया ।

जिससे देव और असुर दोनो शब्द इसमे मोजुद है । इस तरह से देवता शब्द की उत्पत्ति के बाद मे लोग भी धीरे धीरे देवता शब्द का उपयोग करना शुरू कर दिया था । और एक समय के ‌‌‌बाद मे देवता शब्द का उपयोग लोगो की जबान पर छा गया । अब लोग देव और असुर नाम न लेकर देवता ही कहते थे । और यही कारण रहा की देवता का विपरीत शब्द असुर हो गया । इस तरह से देवता शब्द का उपयोग भारत मे हर कोई करने लगा था ।

देवताओं की उत्पत्ति कैसे हुई

‌‌‌देवता जिसका अर्थ दिव्य से है यानि बहुत ही सुक्ष्म । इस तरह से जब कोई  दिव्य होता है वह आसानी से दिखाई नही देता है । मगर वर्तमान मे देवता के अनेक रूप बताए जाते है क्योकी माना जाता है की इन देवताओ ने अवतार लिया था । और इन सभी देवो को एक साथ मे देवता कहा जाता है । अब आखिर देवता आए कहा से ‌‌‌इनकी उत्पत्ति कैसे हुई ? यह एक प्रशन है । जिसका उत्तर अलग अलग कथाओ के अनुसार अलग अलग माना जाता है ।

मगर हिंदू धर्म के अनुसार देवता मे सबसे पहले ब्रह्मा थे जो जन्मदाता के नाम से जाने जाते है । यानि ब्रह्माजी को ही सृष्टी में जन्म देने का काम दिया जाता है यह हिंदू धर्म मानता है । ‌‌‌मगर जब आज ब्रहमाजी जन्म देते है तो सबसे पहले जब देवो की उत्पत्ति हुई तो जरूर ब्रहमा के कारण से ही हुई होगी । यह बात भी ‌‌‌हमे ध्यान मे आती है । तो आपको बता दू की एक कथा के अनुसार ऐसा ही है ।

‌‌‌एक दिन ब्रहमाजी ने सृष्टि निर्माण के लिए सोचने लगे तो उन्होने अपने ही हाथ की दो अंगुलिया का बलिदान देकर सृष्टि निर्माण करने का काम शुरू किया । जब ब्रहमाजी ने अपनी अंगुलिया को काटा तो उन्होने अपनी शक्ति के कारण से ही ‌‌‌उन दोनो अंगुलियो में जीवन डाल दिया । जिसके कारण से ब्रहमाजी के पहली अंगुली से दक्ष प्रजापति का जन्म हो गया ।

तब ब्रहमाजी ने सोचा की पुरूष का जन्म तो हो गया मगर स्त्री का भी जन्म होना चाहिए । ऐसा सोचने के बाद में ब्रहमाजी ने अपनी दुसरी अंगुली को भी काट डाला । जिसके कारण से एक महिला का जन्म ‌‌‌हो गया । जिसके कारण से ब्रहमाजी ने उन दोनो का विवाह करा कर दक्ष की पत्नी उस महिला को बना दिया था ।

जिसके कारण से दक्ष अब अपनी पत्नी के साथ जीवन गुजारने लगा था । तब दक्ष के घर मे कई बच्चो का जन्म हुआ जिसमे से बहुत सी कन्या थी और ‌‌‌पुत्र बहुत ही कम थे । साथ ही जो भी पुत्र थे वह जन्म के बाद ‌‌‌में मर गए थे । जिसके कारण से दक्ष को बडा बुरा लगा । तब यह परेशानी लेकर दक्ष अपने पिता ब्रहमाजी के पास पहुंचा तब ब्रहमाजी ने कहा की तुम्हे अपनी कन्याओ के साथ रहना होगा ।

इसके अलावा कोई रास्ता नही है । यह सुन कर दक्ष ने कहा की इनका विवाह होना भी जरूरी है । तब ब्रहमाजी ने कहा की ठिक है इनका विवाह तुम जिसके साथ भी करोगे वे बहुत ही महान होगे । यह सुन कर दक्ष ने अपनी बेटियो का विवाह करने की सोची ‌‌‌और सोचा की अगर इनका विवाह होगा और इनके जो प्रथम पुत्र होगा वह मैं गोद ले लूगा ।

जिसके कारण मुझे पुत्र मिल जाएगे । ऐसा सोच कर दक्ष ने उनका विवाह कर दिया । तब दक्ष की पुत्रियो ‌‌‌का विवाह जिससे भी हुआ वे स्वयं शक्तिशाली और ज्ञानी बन गए । क्योकी दक्ष की पुत्रियो मे ब्रहमाजी के गुण थे । जिसके कारण से वे सभी देवो की तरह महान और ज्ञानी कहलाए ।

इसके साथ ही कुछ कन्याओ का ऋषी के साथ विवाह हुआ था । ‌‌‌जिससे उत्पन्न होने वाले पुत्र भी शक्तिशाली थे । और इसके अलावा उनमे से कुछ देवी देव बने तो कुछ असुर बन गए । इस तरह से सृष्टि में देवी देवताओ का जन्म हुआ ।

‌‌‌क्या सच मे देवी देवता है

दोस्तो ‌‌‌हिदुओ का मानना है की देवता सच मे मोजुद है जो हमारे आस पास भी हो सकते है या कह सकते की वे कही पर भी हो सकते है । क्योकी हिंदुओ मे एक प्रथा चलती है की देवताओ को मानो तो सब जगह और न मानो तो किसी जगह पर नही ।

यानि अगर किसी पत्थर मे देवता को माना जाए तो वह देवता है और अगर उस पत्थर को देवता न ‌‌‌माना जाए तो वह देवता नही है । इसका कारण देवता का दिव्य होना होता है क्योकी जो दिव्य हो जाता है वह हमे आसानी से दिखाई नही देता है । इसके लिए हमे भी दिव्य होना जरूरी होता है ।

साथ ही हिंदुओ का मानना है की देवता ने ही इस सृष्टि की उत्पत्ति की है और यह बात एक जगह पर नही बल्की अनेक ‌‌‌ग्रंथो, पुराणो, शास्त्रो मे बाताया गया है । जिससे देवता न केवल पत्थर मे है बल्की उनके द्वारा बनाई गई सभी वस्तुओ मे मोजुद है । क्योकी ग्रंथो मे बताया जाता है की ‌‌‌पुराने समय मे देवता थे और ज्ञानी व शक्तिशाली ऋषी भी थे ।

जो बहुत ही दिव्य थे और किसी भी समस्या ‌‌‌के आने से पहले ही उसे जान लेते थे । ‌‌‌तो उस समय के इन ऋषी और दिव्य लोगो को ही देवता कहा जाता है । क्योकी उस समय इनके पास इतनी शक्ति थी की इन्होने सृष्टि की उत्पत्ति कर दी।

गीता मे बताया जाता है की किस तरह से भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और उन्होने अपने दिव्य रूप के कारण से कितने चमतकार किए थे और फिर उकनी मृत्यु ‌‌‌हो गई । तो इन्हे भी देव कहा जाने लगा । इसी तरह से रामायण मे भगवान राम के जन्म और हनुमानजी के बारे मे जाना जाता है ।

साथ ही रावण के बारे मे भी जानने को मिलता है । तो इन सभी का दिव्य रूप था और इनके भी वे ‌‌‌वे सभी चमत्कारी शक्ति मोजुद थी । जिसके कारण से आज हनुमाजी, श्री राम, और रावण को भी देवता के रूप ‌‌‌में माना जाता है । जिसके कारण से यह सिद्ध होता है की देवता का जन्म भी हुआ ‌‌‌था और मृत्यु भी हुई थी । मगर सभी मे दिव्यता थी यह बात कोमन है जिसके कारण से दिव्य होना देवो का एक रूप है ।

‌‌‌हिंदु धर्म के अनुसार कितने देवता है

हिंदु धर्म का मानना है की कुल 33 करोड देवी देवता है और यह बात सच भी है क्योकी वेदो और शास्त्रो मे बताया जाता है की कुल 33 देव्य शक्ति मोजुद थी । जो कुल 33 हो गए । मगर इनसे उत्पन्न सन्तानो को जब क्रम से जोडा जाता है तो पता चलता है की 33 करोड देवी ‌‌‌देवता है । साथ ही इन देवी देवताओं मे प्राकृतिक शक्तिया भी मोजुद है जैसे सूर्य, अग्नि, इंद्र, वायु आदी । क्योकी इन्हे भी देव के नाम से बुलाया जाता है । इस कारण से इन सभी को मिलकार ही ये 33 करोड देवी देवता बनते है । अब हमे पूरी तरह से समझ मे आ जाता है की असल मे देवी देता होते है ।

क्या देवता मानव के लिए उपयोगी है

आप जैसे ज्ञानी साथी को एक बात तोजरूर पता है की अगर हम देवताओ को मानते है तो वे हमारे लिए कुछ न कुछ जरूर करते है और इसी बात से आप समझ सकते है की देवता मानव के लिए उपयोगी है ।

अगर इस भौतिक दुनिया में और इस भौतिक शरीर के साथ हम अगर देवताओ की पूजा करते है तो इससे काफी कुछ इस शरीर को फायदा मिल सकता है एक तो इस जीवन में कष्ट होते है वे आसानी से कमहो जाते है और दूसरा की जीवन में जो कुछ हासिल किया जाता है उसे आसान तरीके से हासिल किया जा सकता है ।

मगर पुराणो के अनुसार मरने के बाद में भी देवता हमारे लिए उपयोगी है क्योकी मरने के बाद में भी बहुत कुछ ऐसा होता है जिसके बारे में कोई बताता तक नही है ।

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