दोस्तो इस लेख मे हम जानेगे की धर्म का पर्यायवाची शब्द dharm ka paryayvachi shabd क्या होते है या धर्म का समानार्थी शब्द dharm ka samanarthi shabd क्या होते है । इसके अलावा धर्म से जुडी ऐसी रोचक जानकारी के बारे मे जानेगे जो पहले कही पर भी न सुनी थी । इसके अलावा और भी बहुत कुछ जानेगे तो लेख को आराम से देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द { paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
धर्म | शास्त्रपूर्ण, उपासना, धार्मिक, धार्मिकता, आध्यात्मिक, सच्चाई, पवित्रता, न्याय परायणीए धर्म, मज़हबए, श्रद्धा, ईमान, निष्ठा, यक़ीन, सदाचार, गुण, भलाई, सदगूण, नैतिक सदगुण, सदाचार, धर्मनिरपेक्ष, अधिकार, उचित, दाहिना, न्याय, दायां भाग, संप्रदाय, ईश्वरवादी, कर्तव्य, सम्मान, आदर, संप्रदाय, पंथ, धारा, पक्ष, धर्म, मज़हबए, दीन, यक़ीन, भरोसा, प्रकृति, श्रद्धालु, स्वभाव, स्वरूप, रूप, क़ुदरत, उत्तमता, हुनर, विशिष्ट लक्षण, विशिष्ट गुण, संपत्ति, गुण, जायदाद, माल, अधिकार, अलौकिक, संत, ईश्वरीय, |
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1. शास्त्रपूर्ण (Shastra-purna)
2. उपासना (Upasana)
3. धार्मिक (Dharmik)
4. धार्मिकता (Dharmikta)
5. आध्यात्मिक (Adhyatmik)
6. सच्चाई (Sachai)
7. पवित्रता (Pavitrata)
8. न्याय परायणी (Nyay Parayanee)
9. धर्म (Dharm)
10. मज़हबए (Mazhab-e)
11. श्रद्धा (Shraddha)
12. ईमान (Emaan)
13. निष्ठा (Nishtha)
14. यक़ीन (Yaqeen)
15. सदाचार (Sadachar)
16. गुण (Gun)
17. भलाई (Bhalai)
18. सदगूण (Sadgun)
19. नैतिक सदगुण (Naitik Sadgun)
20. सदाचार (Sadachar)
21. धर्मनिरपेक्ष (Dharm Nirpeksh)
22. अधिकार (Adhikar)
23. उचित (Uchit)
24. दाहिना (Dahina)
25. न्याय (Nyay)
26. दायां भाग (Dayan Bhag)
27. संप्रदाय (Sampraday)
28. ईश्वरवादी (Ishwarvadi)
29. कर्तव्य (Kartavya)
30. सम्मान (Sammaan)
31. आदर (Aadar)
32. संप्रदाय (Sampraday)
33. पंथ (Panth)
34. धारा (Dhara)
35. पक्ष (Paksh)
36. धर्म (Dharm)
37. मज़हबए (Mazhab-e)
38. दीन (Deen)
39. यक़ीन (Yaqeen)
40. भरोसा (Bharosa)
41. प्रकृति (Prakriti)
42. श्रद्धालु (Shraddhalu)
43. स्वभाव (Svabhav)
44. स्वरूप (Swaroop)
45. रूप (Roop)
46. क़ुदरत (Qudrat)
47. उत्तमता (Uttamta)
48. हुनर (Hunar)
49. विशिष्ट लक्षण (Vishisht Lakshan)
50. विशिष्ट गुण (Vishisht Gun)
51. संपत्ति (Sampatti)
52. गुण (Gun)
53. जायदाद (Jaydad)
54. माल (Maal)
55. अधिकार (Adhikar)
56. अलौकिक (Alokik)
57. संत (Sant)
58. ईश्वरीय (Ishwariya)
धर्म शब्द का शब्दीक अर्थ है – धारण करने योग्य जो हाता है ।
धर्म शब्द का शब्दीक अर्थ ईश्वर से जुडा माना जाता है जैसे
इसके अलावा भी धर्म शब्द के कुछ अन्य अर्थ होते है जैसे
धर्म का शब्दीक अर्थ होता है धारण करने वाला । यानि जो किसी ज्ञान या वस्तु या परमपरा को धारण किए हुए रहता है वह धर्म होता है । मगर ऋषि मुनियो का मानना है की धर्म वह होता है जिसके कारण से वे अपने प्रभु के ध्यान मे लीन रहते है । यानि प्रभु की भग्ति उनका धर्म था । मगर वर्तमान लोगो के बिच मे धर्म के अनेक मतलब निकलने लगे है ।
जैसे संसार मे सच्चाई की विजय होना एक महत्वपूर्ण धर्म होता है इसके अलावा न्याय का गुण और सभी के साथ सदाचार का गुण अपनाए रखना भी धर्म माना जाता है । इसके अलावा अपनी परमपराओ को बचाए रखने को भी धर्म कहा जाता है ।
मगर अब लोग भी अपनी जाती के अनुसार बट गए है जैसे इस्लाम, हिंदू और ईसाई आदी और इन्हे भी धर्म के नाम से जाना जाता है यानि इस्लाम धर्म , हिंदू धर्म और ईसाई धर्म ।
अब धर्म के अनुसार कार्य भी अलग अलग है । अगर हिंदू धर्म की बात करे तो इस धर्म मे अनेक पुराण व ग्रंथ रचे गए है जिसमे धर्म का उल्लेख भी है । क्योकी गीता मे श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा की अगर तुमने अपने भाईयों कोरवो से युद्ध नही किया तो इस पृथ्वी पर आंतक पच जाएगा । अगर तुम युद्ध करोगे तो यह धर्म की रक्षा होगी ।
इस तरह से धर्म शब्द का प्रयोग हुआ है । जिसका अर्थ यहां पर इंसानियत को बचाए रखने का था । कुछ धर्म के लोग धर्म को अपनी परमपरा भी मानते है और बताया जाता है की यह धर्म वही होता है जिसके कारण से मानव मानव बन जाता है । अगर धर्म नही होता है तो इस धर्म के आभाव के कारण से लोग हिंसा करने लग जाएगे जो की धर्म को पूरी तरह से नष्ट कर सकते है । यानि धर्म वह होता है जो इंसानियत और हिंसा फैलने से रोकने का काम करता है ।
मनुष्य अपने कार्यो के आधार पर धर्म को अनेक रूप मे परिभाषित करने लगा है जिसके कारण से धर्म को अनेक प्रकार का माना जाने लगा है । और उन्हे ही धर्म कहा जाता है जैसे –
प्राचिन समय से चलता आ रहा है की जो भी कोई गुन्हा करता है उसे दंड दिया जाता है और जो निर्दोश होता है उसे आजादी मिलती है । जिस तरह से पहले के समय मे राजा महाराजा अपनी प्रजा की समस्या को दूर करने के लिए न्याय किया करते थे और अपने धर्म को बचाने का प्रयास करते थे ।
इस तरह से वे राजा महाराजा लोगो की इंसानियत और परमपराओ को जीवित रखने का काम करते थे । अपनी प्रजा के किसी दो लोगो के बिच मे हुई लडाई का न्याय करना, अपनी प्रजा पर आए संकट पर न्याय करना आदी सभी धर्म के ही मार्ग हुआ करते थे और वही से आज के समय मे न्याय की प्रणाली अपनाई गई है ।
यानि जो आज जुर्म करता है और जो जुर्म नही करता है वह पूरी तरह से निर्दोश होता है उन दोनो के बिच मे न्याय अदालत मे होता है । इस तरह से निर्दोश को बचाया जाता है और यह एक न्याय की प्रणाली बन जाती है । इस कारण से न्याय करने को कही धर्म कहा जाता है ।
धर्म का एक प्रकार यह भी होता है इसका अर्थ होता है की जो प्राणी दूसरो को किसी भी प्रकार की कोई हानि नही पहुंचाता है । और इस तरह से हानि न पहुचाने को ही धर्म कहा जाता है और जब हानि पहुचाई जाती है तो यह कहा जाता है की मेरा तो धर्म टुट गया ।
आपने देखा होगा की ऋषि मुनियो के पास जाने पर वे सभी को एक समान समझ कर एक जैसा ही व्यवाहर करते है । इसके अलाव कहा जा कसता है की एक मां अपने बेटो के लिए अच्छा व्यवाहर करती है । इसी तरह से हिंदू धर्म मे कहते है की भगवान तो सभी के साथ अच्छा व्यवाहर करते है ।
इस तरह से अच्छा व्यवाहर करने को ही सदाचरण का गुण कहा जाता है । जब किसी भी परिस्थिती मे यह गुण नही टुटता है और बना रहता है तो धर्म बना रहता है और टूट जाने पर यह धर्म टूटा हुआ मानते है । संक्षिप्त मे कहते है की वर्षो से अच्छा व्यवाहर करते आ रहे एक व्यक्ति ने जब अचानक दुरव्यवाहर कर दिया तो उसका धर्म टूटना कहा जाता है ।
हिंदू धर्म के लोगो का मानना है की जो अपने परमात्मा का आवाहन करता रहता है और किसी को किसी प्रकार की हानि नही पहुचाते हुए अहिंसा का गुण अपनाता है और सभी के साथ एक जैसा व्यवाहर करता है वही धर्म होता है । साथ ही कहा जाता है की अपने पुर्खो से चली आ रही परमपराओ को बनाए रखना एकमात्र अच्छा धर्म होता है ।
हिंदू धर्म मे सबसे अधिक बात अपने प्रभु ईश्वर पर होती है और ईश्वर को बनाए रखने को धर्म कहा जाता है । यानि ईश्वर की भग्ति करना धर्म होता है । साथ ही हिंदूओ का मानना है की न्याय को अपनाना भी एक धर्म है ।
इस्लाम मे धर्म को सबसे बडा महत्व दिया जाता है और जो इस्लाम मे बताया गया है वह उनका परम धर्म होता है । इस्लाम मे कहा जाता है की अगर किसी के घर मे बेटी होती है तो यह एक प्रकार का वरदान होता है अगर कोई इनके साथ दुरव्यवाहर करता है तो यह धर्म का उल्लघन होगा । इस्लाम धर्म के लोगो का मानना है की जो दिन मे 5 वक़्त इबादत करता है वह अपने धर्म का सही तरह से पालन करता है ।
यानि 5 वक़्त इबादत करना इस्लाम का एक धर्म के अर्थ के रूप मे जानते है । इस्लाम के लोगो का मनना है की जो व्यक्ति शराब और सूअर का मास खा लेता है वह इस्लाम धर्म के काबिल नही होता । शराब और सूअर का मास खाता है वह इस्लाम के धर्म को तोडता है और धर्म को बचाए रखने के लिए शराब और सूअर का मास नही खाना चाहिए । यह इस्लाम मे धर्म का अर्थ होता है ।
इसत रह से धर्म के अनेक तरह के अर्थ होते है जिनके प्रकार अलग अलग होते है यह आपने जान लिया होगा । मगर विशेष रूप से इस लेख मे पर्यायवाची की ही जानकारी थी ।
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