धरती का पर्यायवाची शब्द या धरती का समानार्थी शब्द (dharti ka paryayvachi shabd / dharti ka samanarthi shabd) के बारे में इस लेख में हम जानेगे इसके साथ ही धरती से जुडे महत्वपूर्ण रोचक तथ्यों के बारे में भी बडे विश्तार से जानेगे तो लेख को आराम से देखे ।
शब्द | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
धरती | ज़मीन, धरा, भूमि, पृथिवी, पृथु, वसुधा, रत्नवती, इड़िका, सहा, अचलकीला, कु, गोत्रा, धारणी, गन्धवती, इड़ा, क्रीड़ाकान्ता, सर्वसहा, वसुमती, उर्वी, रत्नवती, गौ, इलिका, रत्नगर्भा, वसुन्धरा, भू, धरणी, धरित्री, रसा, ज्या, अवनि, मेदिनी, जगती, भुइँ, उरा, धरणीधरा, इला, भूमंडल, धारयित्री, खगवती, खण्डनी, भूतधात्री, आदी । |
धरती | zameen, dhara, bhoomi, prthvee, prthu, vasudha, ratnavatee, idika, sah, achalakeela, ku, gotr, korting, gandhavatee, ida, kredaakaanta, sarvasaha, vasumatee, urvee, ratnavatee, gau, ilika, ratna, vasundhara, bhoo, dharanee, dharitree, ras, jya, avani, madeenee, jagatee, bhuin, ura, dharanidhara, ila, bhoomandal, dhaarayitree, khagavatee, khaandanee, bhootadhaatree, aadee . |
धरती | , Earth, land, field, plot, ground, glebe, mother earth, silver thawterra. |
दोस्तो जैसा की आपको पता है की पृथ्वी की कुल 29 प्रतिशत ऐसी भूमि है जहां पर जल नही पाया जाता है यानि पृथ्वी पर 71 प्रतिशत पानी होता है। और इसी 29 प्रतिशत को जमीन कहा जाता है और इसे ही धरती कहा जाता है । मगर एक रूप में धरती को पृथ्वी के नाम से भी जाना जाता है । इस तरह से धरती शब्द के अनेक अर्थ होते है जो है – पृथ्वी, भू, भूमि, जमीन, धरा, कु, पृथवि आदी ।
दोस्तो आज के इस संसार में एक ही चिज को अनेक नामो से जाना जाता है जिस तरह से धरती यानि धरती को पृथ्वी, जमीन, भूमि के नाम से भी जाना जाता है । हालाकी धरती शब्द को संपूर्ण रूप में पृथ्वी कहा जाता है । इस कारण से कह सकते है की धरती और कुछ नही बल्की पृथ्वी स्वयं होती है जिसे एक अलग ही नाम से जाता है ।
इसे दूसरे शब्दो में इस तरह से समझा जा सकता है की सौरमंडल में कुल ग्रहो में से एक ग्रह धरती होती है । जो की दो रूप में बटा होता है पहले रूप में पानी पाया जाता है जो की 71 प्रतिशत भाग में होता है दूसरे रूप में पत्थर और रेत होती है जो की 29 प्रतिशत भाग में होती है । इसी भाग को एक अलग रूप में धरती कहा जाता है । हालाकी धरती पूर्ण 100 प्रतिशत भाग होता है ।
धरती के जन्म पर अनेक तरह की अवधारणा बताई जाती है और उन्ही में से लगभग सभी का मानना है की धरती से पहले सूर्य का जन्म हुआ था और सूर्य के बाद में सौरमंडल का इसके बाद में धरती का जन्म हुआ था । हालाकी कुछ अवधारणा के रूप में तो यह भी बताया जाता है की धरती सूर्य का अलग हुआ एक भाग है ।
दोस्तो बताया जाता है की आज के 5 बिलियन वर्षो के पूर्व किसी भी प्रकार का सूर्य, सौरमंडल और किसी भी प्रकार की पृथ्वी न थी । तब उस समय अन्तरिक्ष में चारो और गैसे थी और धूल के बादल मडराते रहते थे । कई वर्ष के बाद में इन्ही गैसो के कारण से एक विस्फोट हो गया था बताया जाता है की यह विस्फोट इतना अधिक भगयान था की आस पास जो भी धूल के कण थे वे बहुत अधिक गर्म हो गए और आपस में मिलकर एक सूर्य का निर्माण कर लिया ।
इस विस्फोट से निकला ताप सूर्य कें अंदर समाता गया जिसके कारण से सूर्य बहुत ही अधिक गर्म हो गया था और आज तक ठंडा नही हुआ है । विस्फोट के बाद मे दूर दूर तक धूल के कण उढने लगे थे ।
इसी विस्फोट के कारण से एक बल का जन्म हुआ जिसे आज पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जानते है । इस बल से ही ये धूल के कण आपस मे जूडते हुए बडे बडे चटानो मे बदल गए और जब इन चटानो का आपस मे जूडना हुआ तो फिर तेज धमाका हो गया जिसके कारण से यह सूर्य के जैसा ही तेज गर्म हो गया और यही कारण है की बताया जाता है की जब धरती का जन्म हुआ था तो वह गर्म थी । इस तरह से धरती का जन्म हुआ ।
होयल और लिटलिटन परिकलपना का जन्म 1939 में हुआ था और इस परिकलपना के आधार पर बताया जाता है की सूर्य एक बडा तारा हुआ करता था इसके साथ ही एक अन्य तारा भी सूर्य के साथी तारा बना हुआ था । कुछ समय के बाद मे रिसर्च करने पर पता चला की इसके अलावा एक तारा और था जो सूर्य और साथी तारा के निकट रहा करता था ।
ये तारे ज्यादा पास पास नही थे यानि काफी अधिक दूरी पर थे मगर जैसे जैसे समय बिता तो एक विस्फोट हुआ और यह विस्फोट साथी तारे के कारण से हुआ था । होयल और लिटलिटन ने बताया की वह समय विस्फोट इतना अधिक भयानक था की एक शक्ति जन्म हुआ था जिसे गुरुत्वाकर्षण शक्ती के नाम से जाना जाता है ।
इस विस्फोट के कारण से सूर्य के चारो और गैसे के साथ साथ धूल के कण चक्कर लगाने लगे थे । और फिर विभिन्न तरह के कणो का आपस मे मिलने के कारण से धरती और बाकी ग्रहो का निर्माण हुआ था । इस तरह से धरती का निर्माण हुआ ।
इसके अलावा और भी बहुत सी अवधारणा है जिनसे बताया जाता है की धरती का निर्माण कैसे हुआ था । हर एक अवधारण एक अलग ही रूप में धरती के जन्म के बारे में बताती है मगर इसके बहुत कुछ एक जैसी बाते भी बताई जाती है ।
धरती पर जब से जीवन की उत्पत्ति हुई है उसे पानी की बहुत ही आवश्यकता रहती है और जहां मनुष्य भौजन के बिना कई दिनो तक जीवित रह सकता है वही पानी के बिना मनुष्य का जीवन बहुत ही कष्ट दायक हो जाता है । और धरती के विभिन्न तरह के भाग इसी मार्ग में चलते है ।
इस धरती पर पानी की अधिकता के बारे में सभी को मालूम है मगर यह आपको जानकारी नही है की पानी को पीने योग्य काम में नही लिया जा सकता है । आइए जानते है धरती पर पानी के बारे में
धरती के पूरे 100 प्रतिशत भाग में कुल 71 प्रतिशत ऐसा भाग है जहां पर पानी पाया जाता है और बाकी के 29 प्रतिशत भाग में किसी प्रकार का पानी नही होता है । धरती के इस 71 प्रतिशत पानी में वह सभी पानी के मार्ग आ जाते है जिसमें मानी की मात्रा पाई जाती है जैसे पृथ्वी कें अंदर का पानी, तालाब, महासागर और वाष्प व बादल का पानी । इस तरह से धरती का पानी अलग अलग भागो में बटा रहता है ।
पृथ्वी के उपर जो पानी होता है यानि महासागरो का जो पानी है उसे मनुष्य अपने पीने के रूप में काम तक नही ले सकता है क्योकी इस पानी को पीने के कारण से शरीर को बडी हानि तक हो सकती है क्योकी यह पानी नमकिन होता है । मगर जब सूर्य की रोशनी इस पानी पर पडती रहती है तो वाष्प के रूप में यह पानी उपर बादलो के रूप में चला जाता है ।
अगर यह पानी वापस वर्षा के रूप में धरती पर आता है तो इसे पीने के योग्य लिया जा सकता है । इस तरह से धरती पर पानी के पीने योग्य होने की बात होती है तो केवल 3 प्रतिशत ही ऐसा पानी होता है जो की मानव अपने पीने के योग्य मानता है और उसे पीने के काम में लेता है । इस 3 प्रतिशत पानी में नदियों, झीलों और तालाबों का लगभग 0.6 प्रतिशत भाग होता है और 2.4 प्रतिशत ग्लेशियरों में रहता है ।
आपने यह देखा होगा की कभी कभार वर्षा के रूप में धरती पर पानी आने लग जाता है । इसका सबसे बडा कारण धरती का ही पानी होता है क्योकी वही वाष्प के रूप में पृथ्वी से बादलो में जाता है और जब यह पानी वापस पृथ्वी पर आता है तो यह स्वच्छ पानी होता है जिसे धरती पर जीवन जी रहे लोग पीने के काम में ले सकते है ।
धरती के पानी के बारे में हर कोई जानना चाहता है की इसकी मात्रा क्या होगी यानि यह कितनी मात्रा में होगा तो एक रिसर्च के द्वारा वैज्ञानिको ने पता लगाया और बताया की लगभग 32 करोड़ 60 लाख खरब गैलन पानी धरती पर जमा है ।
दोस्तो जैसा की आपको मालूम है की इस संसार में जन्म के लिए धरती ही एक प्रकार का स्थान है जहां पर आज मानव अपना जीवन बडी ही आसानी से कर गुजार सकता है क्योकी यहां पर उसे हर वह चीज मिलती है जीसकी उसे जरूरत होती है । हालाकी काफी समय से चांद पर भी जीवन के बारे में बताया जा रहा है ।
मगर चांद पर जीवन जीने के लिए मनुष्य को ऑक्सीजन की ही जरूरत पडती है तो वहां पर जीवन आसान नही है इसके साथ ही धरती की वह सुविधा चांद पर नही होने के कारण से चांद पर जीवन जीना आसान नही होता है ।
इसी के विपरीत धरती एक ऐसा स्थान है जहां पर मनुष्य जैसा चाहे वैसा जीवन जी सकता है और इसी धरती पर जीवन जीते हुए उस व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है इस तरह से जब से मनुष्य धरती पर जन्म लेता है उसी समय से वह धरती से बंध जाता है और मरने तक इसी ही धरती से बंधा रहता है और अपना जीवन जीता रहता है ।
इस तरह से एक सरल जीवन जीने के लिए धरती का होना जरूरती होता है अगर मान लिया जाए की धरती नही है तो हम भी नही रहेगे क्योकी जहां हम रह रहे है वह स्थान धरती है अगर वही नष्ट हो जाती है तो हम भी नष्ट हो सकते है । अत: मानव जीवन में धरती का बडा महत्व है जीसे कुछ शब्दो में बताया नही जा कसता है बल्की मनुष्य इसे अपने आप महसुस कर सकता है जिसका साधन योग होता है ।
इस तरह से हमने इस लेंख में महत्वपूर्ण रूप से धरती के पर्यायवाची शब्दो के बारे में जान लिया है । अगर लेख पसंद आया तो कमेंट करे और बताए ।
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