दोस्तो इस लेंख में हम दिशा का पर्यायवाची शब्द disha ka paryayvachi shabd और दिशा का समानार्थी disha ka samanarthi shabd शब्द के बारे में जानेगे । इसके अलावा दिशा कितने प्रकार की होती है और पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण के पर्यायवाची शब्द के बारे में जानेगे इसके साथ साथ दिशा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जानेगे तो लेख को देखें ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द और समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
दिशा | दिक्, काष्ठा, जानिब, हरित, ओर, तरफ, धारा, नेतृत्व, झुकाव । |
Disha in hindi | dik, kaashtha, janib, harit, or, taraph, dhaara, netritv, jhukav . |
Disha in english | Direction, side, flank, quarter, disha, lines. |
दोस्तो अगर हिंदू धर्म की बात करे तो यह बताता है की दिशा कुल चार प्रकार की होती है जो है – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण ।
इसके अलावा अगर इन दिशाओ को 45 डिग्री कोण पर स्थित रखते हुए उपर और निचे की दिशाओ को मिलाकर कुल दश दिशाए बनाई जाती है । यही कारण है की दिशा दश प्रकार की भी बताई जाती है ।
शब्द | 10 प्रकार की दिशा |
हिंदी भाषा में 10 दिशा | उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो। |
अंग्रेजी भाषा में 10 दिशा | East , West, North, South, North-East, South-East, North-West, South-West, Zenith,Nadir. |
दिशा | शब्द | दिशा का पर्यायवाची शब्द |
पूर्व | पूर्व दिशा का पर्यायवाची शब्द | प्राची, पूरव, पुरूव । |
पश्चिम | पश्चिम दिशा का पर्यायवाची शब्द | पच्िछम, प्रतीची, पच्छू, अपरा । |
उत्तर | उत्तर दिशा का पर्यायवाची शब्द | उदीची । |
दक्षिण | दक्षिण दिशा का पर्यायवाची शब्द | अवाची, दिक्खिन, दिच्िछन । |
मनुष्य के चारो और पाए जाने वाले क्षितिज वृत्त को चार विभागो में बाटा जाता है जिनमें से जब किसी एक विभाग का विस्तार होता है तो उसे दिशा कहा जाता है अगर चारो विभागो का ही विस्तार होता है तो उसे दिशाएं कहा जाता है ।
जिस तरह से उपर बताया गया की चार विभागो में से किसी एक का विस्तार होता है तो उसे दिशा कहा जाता है अगर इस अर्थ को एक शब्द में बताए तो दिशा का अर्थ होता है
1.क्षितिज मंडल के चार भागों में से कोई
2.ओर, तरफ़ जैसे [1.भगवान कृष्ण का घर उस ओर है, 2.राहुल का महल इस तरफ है ।]
दिशा का पता लगाने के लिए पहले यह जान लेना जरूर होती है की दिशा की सख्या होती कितनी है तो बता दे की दिशा को मुख्य रूप से 4 बताया गया है और वैसे दिशा की सख्या 6 भी बताई जाती है और दिशा की सख्या 10 भी बताई जाती है ।
अगर 4 दिशा की बात करे तो पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण होती है अगर यही पर 6 दिशाओ की बात करे तो पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के साथ साथ उपर और निचे का नाम भी जोड दिया जाता है । वही अगर 10 दिशाओ की बात करे तो उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो होती है । अब आखिर इन दिशाओ का पता कैसे लगाए की किस दिशा किस ओर होती है ।
दिशा का पता लगाने के लिए निम्न प्रकार की विधी उपयोग मे ली जा सकती है-
दिशा का पता लगाने के लिए सूरज, चुम्बकीय परकार, धूपघड़ी, खगोल, डायल देखें, दिशा बनाम असर, दिक्सूचक और उपग्रह नेविगेशन विधियो का उपयोग लिया जाता है ।
महत्वपूर्ण प्रशन – कई बार पूछा जाता है की दिशा का पता लगाने के लिए कोनसे उपकरण काम में लिए जाते है तो उनका उत्तर होता है – सूरज, चुम्बकीय परकार, धूपघड़ी, खगोल, डायल देखें, दिशा बनाम असर, दिक्सूचक और उपग्रह नेविगेशन विधियो का उपयोग किया जाता है ।
जैसा की हमने बताया की दिशा चार होती है जो की पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण होती है । अब इन दिशाओ का पता लगान के लिए सूर्य का उपयोग किया जाता है। क्योकी वर्तमान में सभी को पता है की सूर्य पूर्व दिशा में उगता है । इस कारण से दिशा का पता पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर कर लगाया जा सकता है ।
इसके लिए सबसे पहले पूर्व दिशा की तरफ जिस और सूर्य निकलता है मुंह कर कर खडे हो जाए । अब आप समझ गए होगे की आपके मुंह की तरफ पूर्व दिशा है । और पूर्व दिशा के बिल्कुल उल्टे यानि आपके पिछे पीठ की तरफ जो दिशा होगी वह पश्चिम होगी । अब पूर्व और पश्चिम का तो आसानी से पता चल गया ।
मगर उत्तर और दक्षिण का पता लगाने के लिए एक छोटी सी बात याद करनी होगी की जब हम भोजन करते है तो कोनसा हाथ काम में लेते है । यानि भोजन करते समय दाया हाथ काम में लेते है या बाया । लगभग सभी लोग अपना दाया हाथ काम में लेते है तो इसे ही दक्षिण दिशा मान लो । और बाए हाथ की तरफ उत्तर दिशा । इस तरह से अब आप सूर्य की तरफ मुह करते हुए खडे है तो आसानी से पता लगा सकते है की आपके बाए हाथ की तरफ उत्तर है और दाए हाथ की तरफ दक्षिण ।
इस तरह से दिशाओ का पता लग जाता है । मगर उपर व निचे की दिशा को मिला दिया जाए जो यह दो दिशा की संख्या बढ जाती है । मगर आप इसका भी पता लगा सकते है यानि आप जिस पर खडे है वह निचे की दिशा और जिस और आपका सिर है वह उपर की दिशा । इस तरह से छ दिशाओ का पता लग गया है ।
मगर उपर व निचे की दिशाओ को छोड कर दश दिशाओ का पता लगाना कठिन हो जाता है । फिर भी इन 10 दिशाओ का भी पता लगा सकते है । इसके लिए आपको एक गोल घेरा बनाना होगा और उस घेरे मे अपने आप को मानते हुए चारो दिशाओ को अंकित कर लेना होगा । अब इन चारो दिशाओ में से दो दिशाओ के बिच में एक एक दिशा और मान लेनी होगी जैसे पूर्व और दक्षिण के बिच में पूर्व दक्षिण दिशा और इसी तरह से अन्य दिशाओ के बिच मे ।
इस तरह से कुल 8 दिशा हो जाती है । अब बची दो दिशा जो पहले की तरह उपर व निचे की है जिसका पता लगाना है । यानि इसका पता पहले की तरह ही लगाया जाता है । इस तरह से हम सूर्य को देख कर दिशा का पता लगा सकते है।
मगर सूर्य से दिशा का पता लगाने में दिक्कत यह रहती है की समय सूबह का ही हो अरग समय सुबह का नही होता है तो यह ध्यान रखना होगा की उस समय सूरज किस दिशा मे रहता है । जिस तरह से जब सुरज छिपता है तो पश्चिम की और तो इस समय हमारी पिठ की और पश्चिम होगा और बाकी सब वही । इस तरह से सूरज से दिशा का पता लगाया जा सकता है ।
हिंदू धर्म के पुराणो मे बताया गया है की कुल दश दिशा होती है जिनमें से प्रत्यक दिशा का पालनहार के रूप में किसी न किसी देव को चुना गया है । और इन ही दिशा के स्वामी या पालनहार को दिक्पाल कहा जाता है । ये कुल 10 होते है क्योकी दिशा की संख्या भी 10 होती है । ये 10 दिक्पाल है –
पूर्व के इंद्र, दक्षिणपूर्व के अग्नि, दक्षिण के यम, दक्षिण पश्चिम के सूर्य, पश्चिम के वरुण, पश्चिमोत्तर के वायु, उत्तर के कुबेर, उत्तरपूर्व के सोम, ऊर्ध्व दिशा के ब्रह्मा और अधो दिशा के अनंत। इस तरह से ये 10 दिक्पाल है जो की अपनी दिशा के स्वामी होते है और यही कारण है की हिंदू धर्म इनके अनुसार ही अपने घर में अनेक कार्य करता है ।
जिस तरह से पूर्व में इंद्र का वास रहता है और उसी तरह से दक्षिण में यम का वास होता है । इसी कारण से ऐसा कहा जाता है की दक्षिण दिशा में हमेशा भारी समान रखना चाहिए । ताकी यम के कष्ट हम पर न पडे ।
जी हां, वर्तमान का वह समय है जब मानव के जीवन में काफी कुछ ऐसा होता है जो की उपयोगी माना जाता है । और उनमे से दिशा भी एक होती है । क्योकी आपको पता होगा की हम दिशा का उपयोग करते है और कई तरह की दिशाओ के जरीय हम तय करते है की हम किस और जा रहे है।
इसके अलावा ज्योतिषी शास्त्रो के अनुसार तो दिशा जो होती है वह सच में काफी महत्वपूर्ण होती है । क्योकी काफी कुछ ऐसा होता है जो की दिशा के आधार पर चुना जाता है । जैसे की मंदिर किस और होना चाहिए, घर में धन किस और रखना चाहिए यह दिशा के आधार पर ही रखे जाते है और इन सभी कारणो से दिशा मानव के लिए उपयोगी है ।
इस तरह से इस लेख में हमने दिशा के पर्यायवाची शब्द के बारे में जान लिया है और दिशा के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जान ली है ।
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