दिव्य का पर्यायवाची शब्द
दिव्य का पर्यायवाची शब्द या दिव्या का समानार्थी (divya ka paryayvachi shabd / divya ka samanarthi shabd) के बारे में इस लेख में आपको जानने को मिलेगा । जिसमें आप दिव्य के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेगे । ताकी आपको दिव्य के पर्यायवाची शब्द आसानी से याद हो जाए ।
दिव्य का पर्यायवाची शब्द या दिव्या का समानार्थी (divya ka paryayvachi shabd / divya ka samanarthi
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
दिव्य | अलौकिक, चमकीला, सुन्दर, लोकोत्तर, स्वर्गिक, मनोहर, भव्य, लोकातीत, प्रकाशवान । |
दिव्य in Hindi | alaukik, chamakeela, sundar,lokottar, svargik, manohar, bhavy, lokaateet, prakaashavaan. |
दिव्य in English | divine, heavenly. |
दिव्य का अर्थ हिंदी में || divy ka arth hindi mein
दोस्तो दिव्य शब्द का उपयोग सुंदर के स्थान पर किया जाता है । मगर इसका मतलब यह नही की दिव्य का मतलब सुंदर होना ही होता है। बल्की इसके अलावा भी दिव्य का मतलब भगवान से जुड़ा माना जाता है ।
जैसे रावण को शिव ने दिव्य शक्तिया दी । और यही कारण होता है की दिव्य का अर्थ अलौकिक शब्द के अर्थ होते है। मगर इसके अलावा भी दिव्य शब्द के अर्थ को निम्न तरह से समझा जा सकता है –
- जो इस लोक में देखने को न मिले यानि अलौकिक ।
- जो देखने में अधिक से अधिक सुंदर लगता हो यानि सुंदर ।
- जो देखने में काफी अधिक चमकता है यानि चमकिला ।
- जो स्वर्ग की तरह का होता है यानि स्वर्गिक ।
- जो मन हर लेता है यानि मनोहर ।
- जो देखने में शानदार या अलिशान लगता है यानि भव्य ।
- इस तरह से दिव्य शब्द के अर्थ होते है । हालाकी इन्हे अलग अलग तरह से समझा जा सकता है । मगर संक्षिप्त में बात करे तो दिव्य शब्द के अर्थ वही होते है जो इसके पर्यायवाची होते है ।
दिव्य शब्द का वाक्य में प्रयोग || divy shabd ka vaaky mein prayog
- हनुमान को देवताओ ने दिव्य शक्तियो का वरदान दिया ।
- किशोरी के पास जरूर कुछ दिव्य शक्ति है तभी वह इतनी सुरिली आवाज में भजन करती है।
- हनुमान जी का दिव्य रूप सभी को अच्छा लगता है ।
- आपका चेहरा दिव्य लग रहा है ।
दिव्य शब्द के पर्यायवाची शब्दो के वाक्य में प्रयोग
- आज तो मैंने एक ऐसे जीव को देखा जो अलौकिक है ।
- महेश ने एक चमकीला कन्या को देखा और वह मोहित हो गया ।
- मोहिनी का रूप काफी अधिक सुंदर है ।
- कृष्ण को मनोहर के नाम से भी जाना जाता है क्योकी वे सभी के मन को हर लेते है ।
दिव्य क्या होता है या दिव्य का मतलब क्या है
दोस्तो इस दुनिया के अंदर अनेक तरह के लोक है जिनके बारे में बहुत कुछ नही पता है । क्योकी कुछ ही ऐसे लोक है जिनके बारे में आज हमारे महान वैज्ञानिक जानते है । मगर दोस्तो हमारे धर्म में बताया गया है की बहुत से ऐसे लोक है जहां पर हम नही रहते है ।
बल्की वहां पर देवी देवताओ का वास होता है । दोस्तो जीस लोक पर हम रहते है उसके बारह जो भी होता है वह अलौकिक होता है । और इस तरह से अलौकिक को हमेशा ही दिव्य कहा जाता है ।
एक यह भी कारण होता है की दिव्य शब्द का प्रयोग देवी देवतओ के लिए भी होता है । जैसे आपको याद होगा की एक बार हनुमान जी ने सूर्य को खाना चाहा था और तभी इंद्र देव के प्रहार से वे बेहोस हो गए थे । और यह देख कर पवन देव ने सारी पवन को रोक दिया था और अपने बालक हनुमान को बचाने के लिए चल पड़े । जब पवन रूक गई तो सभी देवी देवता व्याकूल होने लगे थे । क्योकी धरती के सभी जीव मरने लगे थे ।
और इस समस्या का समाधान के लिए जब सभी देवी देवता पवन देव के पास पहुंचे तो उन्हे हनुमान के बारे में पता चला था । तब सभी देवताओ ने हनुमान को कुछ वरदान दिए थे । जो अपने आप में दिव्य वरदान थे । इस तरह से दिव्य शब्द का उपयोग शक्ति के लिए भी होता है । जैसे रावण के पास दिव्य शक्तियां थी ।
इसके अलावा कुछ चमकिला होने पर भी इसे दिव्य कहा जा सकता है । जैसे किसी का चेहरा काफी अधिक चमकता है तो वह दिव्य चेहरा वाला है यह कह सकते है। अधिकतर जहां पर सुंदर होने की बात होती है वहां पर भी दिव्य शब्द का उपयोग होता है ।
मित्रो आपको यह भी मालूम है की हनुमान जी के जैसा सुंदर शरीर किसी का नही था । और यही कारण था की उनको दिव्य कहा जाता था । इस तरह से दिव्य का एक मतलब सुंदर होना भी होता है ।
जैसे कुछ ऐसा हो जो की आपके मन को अपने वस में कर लेता है । जैसे आपने भगवान कृष्ण को देखा और उन्हे देख कर आपको काफी अधिक अच्छा लगा । और उस समय आप सब कुछ भूलजाते है तो कृष्ण आपके मन को हर लेता है।और यही कारण है की इसे मनोहर कहा जाता है ।
दोस्तो जैसा की आपको मालूम है की दिव्य शब्द का प्रयोग देवताओ से जुड़ा होता है । और इसी कारण से कुछ मंत्र भी होते है जिनको दिव्य मंत्र कहा जाता है ।
जैसे की एक हनुमान जी का दिव्य मंत्र है । उसी तरह से अलग अलग तरह के मंत्र होते है जो की अपने आप में दिव्य होते है । दोस्तो एक तरह की साधना भी होती है जिसे दिव्य मंत्र साधना कहा जाता है । और यही कारण है की दिव्य शक्तियो को प्राप्त किया जा सकता है ।
जैसे आपने प्राचीन महान ज्ञानी ऋषी के बारे में सुना होगा । वे इस तरह के मंत्रो के बारे में जानते थे । और वे दिव्य मंत्रो का उपयोग भी करते थे । मगर यह किसी कठिन समय पर ही करते थे । क्योकी इनका उपयोग बार बार नही किया जाता है । बल्की किसी समस्या पर ही किया जाता है ।
इस कारण से दिव्य शब्द का अधिकतर उपयोग देवताओ से जुड़ा होता है ।
दिव्य शक्तियां क्या है
महाकाव्यों में दिव्य शब्द का प्रयोग किया जाता है और वहां पर दिव्य को मसतिष्क अति शक्तीशाली होने को दिव्य कहा जाता है । दोस्तो कहा जाता है की यही असली दिव्य शक्ति होती है । बताया जाता है की इस तरह की शक्ति देवी देवताओ के पास होती है ।
मगर देवी देवता इनका उपयोग कम करते है । और ऐसा भी नही होता की देवी देवता अपनी इस शक्ति के बारे में दुसरो को नही बता सकते है । इसी तरह से जीस मानव के पास इस तरह की शक्ति होती है वह भी दुसरो को इस बारे में नही बात सकते है । बल्की वे एक साधारण रूप में मनुष्य बना रहता है।
दोस्तो जो देवी देवताओ की शक्तिया होती है उन्हे दिव्य शक्ति कहा जाता है । दोस्तो देवता के पास अनेक तरह की शक्ति होती है और जब वे अपनी शक्ति दुसरो को वरदान के रूप में देते है तो उन्हे दिव्य वरदान कहा जाता है ।
आपने प्राचीन समय होने वाली घटनाओ के बारे में पढा होगा । जब ऋषि मुनी ध्यान करते हुए भगवान को खुश करते थे तो उन्हे वरदान मिलता था । जिसमें कई तरह की दिव्य शक्ति होती थी । जैसे हनुमान जी को दिव्य शक्तियां मिली थी ।
ठिक वैसे ही कुछ शक्तिया अन्य लोगो के पास भी थी । ये शक्तिया दिखाई नही देती है । बल्की बताया जाता है की यह शक्ति उस व्यक्ति के पास होती है जो की दुसरो का दुख समझता है ।
जो की अपने दुखा को न देख कर दुसरो के दुखो को देखता है । और हमेशा ही नकारात्मक विचारो से दूर रहता है। बल्की अपने ईष्ट देव के ध्यान में मगन रहता है । तो ऐसे लोगो को दिव्य शक्तिया मिलती है ।
देवी देवताओ के पास अनेक तरह की दिव्य शक्तियां होती थी मगर फिर भी वे अपनी इन शक्तियो का उपयोग अपने लिए नही कर सकते है । क्योकी वे मन चाहे स्थानो पर इन शक्तियो का उपयोग भी नही कर सकते है।
इस तरह से देवी देवताओ की शक्तियों को ही दिव्य शक्ति कहा जाता है ।
दिव्य रूप
दोस्तो मानव के रूप के बारे में आप जानते हो । जो मानव बाहर से दिखता है वह मानव का रूप होता है । और जो मानव अधिक से अधिक सुंदर लगता है । उस मानव के लिए दिव्य रूप शब्द का प्रयोग किया जाता है ।
जैसे हम बात करे की आज के इस संसार में जीतने भी लोग है उनमें से आप सबसे अधिक सुंदर हो तो आपका दिव्य रूप है । मगर दिव्य रूप होने के लिए केवल सुंदर होना ही जरूरी नही है। दोस्तो दिव्य रूप होने के लिए चेहरे पर चमक भी होनी चाहिए ।
क्योकी जीसके पास चमक होती है वही दिव्य दिखता है। दिव्य रूप का एक उदहारण हनुमान जी को माना जाता है । क्योकी हनुमान जी को काफी अधिक सुंदर बातया गया है ।
दिव्य दवा
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की आज हमारे बिच में अनेक तरह की देवा ऐसी है जिनके नाम के आगे दिव्य शब्द का उपयोग होता है जैसे –
दिव्य यौवनामृत वटी
दिव्य किट
दिव्य मेधा वटी
दिव्य चूर्ण
दिव्य केश तेल
इस तरह से अनेक दवा और केश तेल को भी दिव्य शब्द का प्रयोग कर कर बेचा जा रहा है । जिसका मतलब यह है की यह दवा काफी अधिक अच्छी है । जो की बीमारी को दूर कर सकती है ।
हालाकी यह कैसी देवा है यह नही कहा जा रहा है ।बल्की हम केवल आपको दिव्य शब्द के बारे में जानकारी दे रहे है । और बता रहे है की बाजार में दिव्य शब्द का प्रयोग करते हुए दवा भी बेची जा रही है ।
इस तरह से दिव्य के पर्यायवाची शब्द या दिव्य के समानार्थी शब्द होते है जिनके बारे में आप जान गए होगे ।