दोस्तो इस लेख मे हम द्रौपदी का पर्यायवाची शब्द draupadi ka paryayvachi shabd या द्रौपदी का समानार्थी शब्द draupadi ka samanarthi shabd के बारे मे जानेगे। इसके अलावा द्रौपदी कौन थी और इसके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलूओ के बारे में विस्तार से जानेगे तो इस लेख को देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
द्रौपदी | द्रुपदसुता, कृष्णा, सैरिंघ्री, नित्ययौवना, याज्ञसेनी, वेदिजा, पांचाली, अग्निसुता । |
Draupadi | Drupada Suta, Krishna, Singhi, Nityayouvana, Yagyaseni, Vedika, Panchali. |
Draupadi in English | Drupada Suta, Krishna, Singhi, Nityayouvana, Yagyaseni, Vedika, Panchali. |
द्रौपदी महाभारत के 5 पाण्डवो की पत्नी के रूप मे जानी जाती है । और वह राजा द्रुपद की पुत्र है । इसके जन्म के बारे मे बताया जाता है की इसका जन्म नही हुआ बल्की द्रौपदी की उतपत्ति हुई थी और यह उत्पत्ति एक यज्ञकुण्ड से हुई ।
कथा के अनुसार बताया जाता है की द्रोणाचार्य एक बार राजा द्रुपद से मित्रता करने के लिए उनके महल मे गए थे । तब द्रोणाचार्य को राजा द्रुपद ने यह कह कर अपमानित कर दिया की मित्रता बराबर के लोगो मे होती है । यही बात द्रोणाचार्य को अच्छी नही लगी ।
क्योकी द्रोणाचार्य पांण्डवो और कोरवो का गुरू था तो उसने दोनो से दक्षिणा के रूप मे राजा द्रुपद को बंदी बना कर उसका राज्य मागा । इसी बात के कारण से अर्जुन ने द्रुपद को बंदी बना लिया । इसके बाद मे द्रोणाचार्य ने द्रुपद को राज्य से निकाल दिया । यह देख कर राजा द्रुपद को बहुत बुरा लगा ।
इसके बाद मे एक दिन राजा द्रुपद कल्याणी नगरी मे पहुंच गए थे वहां पर काफी अधिक ब्रह्मण रहा करते थे । अब राजा द्रुपद द्रोणाचार्य को मृत्यु के घाट उतारना चाहता था तब उसने इस बारे मे दो ब्रह्मणो से बात की याज तथा उपयाज से बात की थी । जो बहुत बडे ब्राह्मण थे ।
मगर इससे पहले राजा द्रुपद ने उनके घर मे रह कर उनकी कई दिनो तक सेवा की जिसके कारण से ब्राहमण प्रसन्न हो गए और राजा द्रुपद की की बात मान गए । जिसके कारण से याज तथा उपयाज ने एक यज्ञ करने को कहा और कहा की इस यज्ञ से एक ऐसा पुत्र प्राप्त होगा जो आपकी मनोकामना पूरी कर देगा ।
इस तरह से याज तथा उपयाज की बात मान कर राजा ने यज्ञ करवाया । जिससे द्रोपदी नाम पुत्री की उत्पत्ति हुई । इसके साथ ही एक पुत्र की उत्पत्ति हुई जिसका नाम धृष्टघ्युमन था । इस तरह से पता चलता है की द्रौपदी का जन्म नही हुआ था बल्की उसकी उत्पत्ति हुई थी ।
प्राचीन समय में जब भी राजा महाराजा अपनी बेटी का विवाह करते थे तो एक स्वयंवर का आयोजन करते थे । जिसमे आस पास के राजा महाराजाओ के अलावा और भी बहुत लोग आते थे । और राजा अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए एक ऐसी कठिन परिक्षा रखता था जो हर कोई उसे पूरा नही कर पाता था । मगर, अगर कोई उसे पूरा कर देता है तो उसका विवाह अपनी बेटी से करना पडता है । चाहे फिर सामने वाला कोई राजा या राजकुमार हो या नही ।
जिस तरह से राम और सिता का स्वयंवर हुआ था उसकी तरह से द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था । और इस स्वयंवर मे द्रोपदी का पिता राजा द्रुपद ने पानी मे देखते हुए मछली की तीर पर निशाना लगाने की शर्त रखी । अब यह शर्त तो आसान लग रही है मगर इसके साथ ही एक बात और रही थी की मछली चारो और घूम रही थी ।
यानी घूमती हुई मछली को पानी में देख कर निशाना लगाना था । जिसे हर कोई पूरा नही कर सकता था । इसे तो एक धनुधारी ही पूरा कर सकता है । महाभारत मे अर्जुन को सबसे बडा धनूधारी बताया जाता है और उसने ही इस शर्त को पूरा किया और फिर द्रौपदी से विवाह किया था ।
अर्जुन और उसके चारो भाई एक ब्राह्मण के भेष मे अपनी माता के साथ रहते थे । तब उनके पास द्रौपदी के स्वयंवर की सुचना पहुंची तो अर्जुन भी एक ब्राह्मण के भेष मे राजा द्रुपद के राज्य जाकर स्वयंवर को देखने लगा था । इसके साथ ही कुछ जगहो पर बताया जाता है की वेदव्यास ने अर्जुन और उसके भाइयो को आदेश देकर राजा द्रुपद की बेटी से विवाह करने के लिए भेजा था ।
जब अर्जुन एक ब्राह्मण के भेष मे राजा द्रुपद के महल मे गया तो उसने देखा की वहां पर श्री कृष्ण, कर्ण और दुर्योधन के अलावा अनेक प्रकार के राजा थे । मगर श्री कृष्ण द्रौपदी के सका के रूप मे थे यह अर्जुन को पता था । अर्जुन चुप चाप ब्राह्मणो के स्थान पर बैठ गया । देखते ही देखते द्रौपदी वहां पर एक माला के साथ पधारी ।
जिसके साथ ही स्वयंवर की शर्त को पूरी करने का कार्य शुरू किया गया । शुरू होते ही एक एक करते हुए सभी राजा मछली को निशाना बनाने की कोशिश करने के लिए चले गए । मगर इसके साथ शर्त यह भी थी 5 तीरो से अधिक एक व्यक्ति नही चला सकता है । और सभी राजाओ से 5 तीरो मे एक भी तीर मछली की आंख पर नही लगी ।
अब दुर्योधन भी इस शर्त को पूरा करना चाहता था मगर उसे लगा की वह इसे पूरा नही कर पाएगा तो वह नही गया । कुछ समय के बाद मे कर्ण आगे की और बढे क्योकी कर्ण द्रौपदी से प्रेम करते थे और वे इस शर्त को आसानी से पूरा कर सकते थे । मगर द्रौपदी को पता चला की कर्ण एक सूत पुत्र है जिसके कारण से द्रौपदी ने भरी सभा मे कह दिया की मैं इस सूत पूत्र से विवाह नही करना चाहती हूं ।
बस हो क्या सकता था जब कर्ण ने यह सुना तो उसे अपना अपमान महसुस हुआ और वे स्वयं ही इस शर्त को पूरा करने के लिए पिछे हठ गए । जब सभी हार गए थे तो अर्जुन आगे बडे । मगर अर्जुन का भेष एक ब्राह्मण के रूप मे होने के कारण से सभी को लगा की यह क्या कर लेगा । सभी सोच रहे थे की इस शर्त को बडे बडे राजा महाराजा नही कर सकते तो यह एक ब्राह्मण है ।
यह देखने के बाद मे अर्जुन को किसी ने नही रोका । तब अर्जुन ने जैसे ही धनुष पर तीर चढाई और पानी मे देखा तो मछली घूम रही थी । तब अर्जुन ने आंखे बंद की और अपना ध्यान एकत्रित करते हुए एक तीर चला दिया । यह तीर सिधा मछली के आंख मे लगा । जिसे देख कर सभी हैरान हो गए ।
यहां तक की द्रौपदी भी हैरान हो गई क्योकी उसे भी यकिन नही हो रहा था की एक ब्राह्मण इतना अच्छा तीर निशाना लगा सकता है । अब शर्त के मुताबित अर्जुन का विवाह द्रौपदी से हो गया । जिसके बाद मे अर्जुन द्रौपदी के साथ अपनी माता के पास पहुंचा । मगर माता ने देखे बिना ही कह दिया की आपस मे बाट लो । इसी कारण से द्रौपदी पांच पाण्डवो की पत्नी के रूप मे जानी जाती है। मगर असल मे द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था । इस तरह से द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था ।
द्रौपदी का पिछला जन्म इस बात से जुडा हुआ है क्योकी बताया जाता है की द्रौपदी ने अपने पिछले जन्म में एक बार भगवान शिव की इतनी कठोर तपस्या की जिसके कारण से शिव प्रसन्न हो गए और द्रौपदी को वर देने के लिए आ गए । तब वर के रूप मे उसने शिव से ऐसे पति की कामना की जो सर्वगुण संपन्न हो ।
मगर द्रौपदी ने भूल के कारण से इस शब्द को 5 बार बोल दिया था । और भोलेनाथ का क्या था उन्होने वरदान दे दिया । जिसके चलते अगले जन्म में उसके पांच पति हो गए । और पांचो में मिलकार वे सर्वगुण संपन्न होते है । इस तरह से शिव का वरदान पूरा होता है ।
इसके अलावा किसी एक व्यक्ति में सभी गुण हो यह बहुत ही कठिन होता है यह भोलेनाथ को भी पता था मगर द्रौपदी के पांच बार कहने के कारण से पांच पति से विवाह होने का वरदान मिल गया । इसके साथ ही बताया जाता है की पांच पण्डवो को भी श्राप दिया गया था की उनका अगले जन्म मे धरती पर विवाह एक ही कन्या से होगा ।
यही कारण है की द्रौपदी का विवाह पांच पाण्डवो से हुआ था। मगर अर्जुन से द्रौपदी का विवाह हुआ था और विवाह के पश्चात अर्जुन और द्रौपदी अर्जुन की माता के पास मिलने के लिए गए तो अर्जुन की माता को लगा की बेटा भिक्षा लेकर आया है यह सोच कर उसने कहा की पांचो भाई आपस मे बाट लो । अपनी माता की बात मानते हुए द्रौपदी का विवाह पांचो भाईयो से हुआ ।
वैसे दोस्तो द्रौपदी के बारे मे हम सभी को पता है । हालाकी अगर हम इनके मानव जीवन में उपयोग होने के बारे में बात की जाए तो यह सभी का एक अपनी सोच हो सकती है । क्योकी कुछ लोग इन्हे एक देवी के रूप में मान सकते है और कुछ लोग इन्हे केवल स्त्री मानते है ।
तो इसके बारे में नही कहा जा सकता है की मानव के लिए द्रौपदी उपयोगी है की नही । वैसे आपको एक बात बता दे की द्रौपदी जो होती है वह असल मे श्री कृष्ण की सखी रह चुकी है ।
इस तरह से हमने इस लेख मे जाना की द्रौपदी का पर्यायवाची शब्द क्या होते है और द्रौपदी शब्द का अर्थ क्या है इसके अलावा सपूर्ण लेख मे हमने द्रौपदी के जीवन के बारे मे विश्तार से जाना है । मगर लेख मे महत्वपूर्ण द्रौपदी का पर्यायवाची था ।
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