दुष्ट का विलोम शब्द, दुष्ट शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, दुष्ट का उल्टा Dusht ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
दुष्ट | सज्जन |
Dusht | Sajjan |
दोस्तों दुष्ट का विलोम शब्द सज्जन होता है।वैसे आप दुष्टों के बारे मे बहुत ही अच्छे तरीके से जानते ही हैं। क्योंकि यहां पर दुष्ट लोगों की संख्या मे तेजी से बढ़ोतरी होती जा रही है। कारण यह है कि लोगों के पास संसाधनों की कमी होती जा रही है। जैसे जैसे संसाधन कम होते जा रहे हैं। वैसे वैसे दुष्ट लोगों के अंदर संग्रह करने और चोरी करने की प्रवृति बढ़ती जा रही है। दुष्टता का मतलब होता है। अनैतिक कार्य के अंदर संलग्न होना । आजकल कोरोना वायरस का काफी कहर चल रहा है। ऐसी स्थिति मे भारत की लोकतंत्र सरकार लाचार नजर आ रही है। कई जंगह तो सरकार के मंत्री ही गैस सिलेंडर की चोरी करते हुए पकड़े गए हैं।इसके अलावा कई लोग इंजेक्सन की चोरी करते हुए भी पकड़े गए हैं तो आप समझ सकते हैं कि स्थिति कितनी खराब है। ऐसे नेताओं को चुनने वाले लोग ही होते हैं। असल मे हम इसके लिए नेताओं को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।
उनको चुनने वाले लोगों की सोच का परिणाम वेा नेता लोग हैं।लेकिन असल मे भारत के अंदर नेता के गलत होने के बारे मे नहीं देखा जाता है। नेता के गुंडा होने पर जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता है। खैर यह रही दुष्टता की बात । इसी प्रकार से भारत का पूरा सिस्टम ही ऐसा हो चुका है । खास कर सरकारी नौकरी तो हर किसी को चाहिए लेकिन काम करना कोई भी नहीं पसंद करता है। आप शहर के सरकारी होस्पीटल के अंदर चले जाएं हालत खराब है। और इस प्रकार की स्थिति पैदा होने का कारण यही है कि जब तक सिस्टम कई इंसानों के हाथ मे रहेगा कुछ नहीं हो सकता है।
इसके अलावा भारत के अंदर बढ़ते रेप केस भी दुष्टता के बढ़ने की ओर संकेत करते हैं। आप समझ सकते हैं कि सरकार कितनी लाचार हो चुकी है। एक रेप के आरोपी को सजा देने के लिए 100 साल लग जाती हैं। वैसे देखा जाए तो सिस्टम सड़ चुका है।
लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि भले ही कोई इंसान कितना भी दुष्ट क्योंना हो लेकिन उसे उसके कर्मों की सजा प्रकृति से मिलती ही है। यह सिर्फ विश्वास नहीं है वरन विज्ञान है। कई अंग्रेजी वैज्ञानिकों ने हजारों साल पुराने लिखें वेदों की बात को सही माना कि पुर्न्जन्म होता है ।
यदि आपके उपर कोई अत्याचार करता है तो आपको चुप रहने की जरूरत नहीं है। आप उसे लड़ सकते हैं लेकिन एक दुष्ट इंसान के मन मे जो दुष्टता की स्मृतियां बनती हैं वे लंबे समय तक नष्ट नहीं हो पाती हैं। यही स्मृतियां तो कर्म होती हैं।जो उस दुष्ट इंसान को मरने के बाद भी चैन से नहीं बैठने देती हैं। हालांकि बहुत से लोग इन चीजों को ना तो मानते हैं ना ही जानने की कोशिश करते हैं। तो आप समझ सकते हैं कि यह कहावत सत्य है कि जो जैसा करता है वह वैसा भरता है।
सज्जन का मतलब होता है एक अच्छा इंसान । एक ऐसा इंसान जो कि अच्छा है।जिस तरह से कलयुग का प्रसार बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे इंसान का मानसिक स्तर तैजी से गिरता जा रहा है। वह और अधिक मतलबी और स्वार्थी होता जा रहा है। मतलब उसकी सज्जनता तेजी से नष्ट हो रही है। और वह दुष्टता की तरफ बढ़ता जा रहा है।
एक ही घर के पास रहने वाले लोग शहरों मे एक दूसरे को जानते ही नहीं हैं। यही कारण है कि एक पड़ोसी की हत्या होने पर दूसरे पड़ोसी यह इंतजार करते हैं कि कब उनकी हत्या हो । मतलब एक इंसान बहुत अधिक मतलबी हो चुका है। हालांकि गांवों के अंदर स्थिति अभी भी सही है।
प्राचीन काल की बात है। एक गांव के अंदर दो दूध बेचने वाले रहते थे एक का नाम मोहन था तो दूसरे का नाम सोहन था। मोहन लालची किस्म का था लेकिन सोहन एक अच्छा इंसान था। मोहन का दूध बहुत अधिक बिकता था लेकिन सोहन का नहीं बिक पाता था । क्योंकि उसकी अधिक जानकारी नहीं थी।
मोहन अपने दूध को बेचकर मिलने वाले पैसों से अधिक संतुष्ट नहीं था। और वह चाहता था कि उसे और अधिक पैसा मिले । एक दिन उसने दूध के अंदर गिलास भर पानी मिला दिया तो देखा कि वह दूध मे पानी मिलाकर बेच सकता है।
पहले दिन मोहन ने दूध के अंदर एक गिलास पानी मिलाया उसके बाद उसे बेच दिया । किसी को पता नहीं चला तो दूसरे दिन उसने दूध के अंदर एक लिटर पानी मिलाकर बेच डाला । आज उसके बाद काफी अधिक पैसे आए । तो उसके अंदर लालच आ गया ।
उसके बाद मोहन के पास जितना दूध था उसका आधा पानी मिलाकर बेचने लगा । इस बार भी मोहन काफी अधिक कमाई कर रहा था। और मोहन काफी खुश भी था इतनी अधिक कमाई करके ।
मोहन सिर्फ इतने पर ही संतुष्ट नहीं हुआ । वरन उसके पानी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ादी । जिससे गांव वालों को अब पता चलना शूरू हो गया कि मोहन पानी मिलकार दूध बेच रहा है। और एक दिन मोहन को गांव वालों ने पकड़ लिया और उसको बोले ………..हम तुम्हे दूध का एक भी पैसा नहीं देंगे क्योंकि तुमने दूध के अंदर पानी मिलाया है।और पानी मिलाकर हम लोगों को तू बेवकूफ बना रहा था। उसके बाद मोहन काफी परेशान हुआ । उसकी गांव के अंदर पीटाई हुई । और किसी तरह से वह जान बचाकर घर आया ।
उधर सोहन के दूध की मांग काफी तेजी से बढ़ने लगी । वह पेवर दूध देता था । किसी तरह की मिलावट भी नहीं करता था। ऐसी स्थिति के अंदर सोहन गांव के अंदर छा गया और अब उसके पास पहले से अधिक पैसा आने लगा । उधर बेचारा मोहन लालच के चक्कर मे सब कुछ खो बैठा। जैसी करणी वैसी भरणी कहानी के अंदर हमने यह जाना कि जो जैसा करता है।वह वैसा ही भरता है। यदि कोई गलत करता है तो उसे गलत भुकतना भी पड़ता है।
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