gajendra moksha path ke fayde गजेंद्र मोक्ष पाठ के फायदे के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। गजेंद्र मोक्ष का नाम तो आपने बहुत बार सुना होगा । आपको बतादें कि गजेंद्र मोक्ष का वर्णन गीता के तीसरे अध्याय के अंदर मिलता है। इसके अंदर एक हाथी की कथा का वर्णन मिलता है।इस संदर्भ मे एक दिलचस्प कहानी का उल्लेख मिलता है। इस कहानी के अनुसार एक बार की बात है। हाथियों के राजा गजेंद्र अपने साथियों के साथ एक बार घूमने के लिए निकले थे ।इस दौरान उनको प्यास लगी और वे तालाब के पास गए और उसके बाद वहां से जल को ग्रहण किया ।उसके बाद वह कमल की फूलों की खुशबू से मंत्र मुग्ध होकर गजेंद्र सरोवर की जल क्रिडा के अंदर उतर गया ।
मगरमच्छ उसी तालाब के अंदर रहता था । उसने हाथी का पैर पकड़ लिया । अब हाथी ने उस मगरमच्छ से अपने पैर को छूटाने का बहुत अधिक प्रयास किया लेकिन उसे सफलता नहीं मिली ।उसके बाद अन्य हाथियों ने भी गजेंद्र को मगरमच्छ के चंगुल से निकालने का प्रयास किया लेकिन वे भी इसके अंदर सफल नहीं हो सके । क्योंकि जलीय जीव की शक्ति जल मे काफी अधिक हो जाती है।
उसके बाद जब हाथी की कोई भी शक्ति काम नहीं आई , तो फिर उसे अपने पहले वाले जन्मों की वजह से भगवान विष्णू का स्मरण हो आया । उसने भगवान को याद किया भगवान ने अपने सुदर्शन से मगरमच्छ का सर काट दिया और उस हाथी का कल्याण किया । इस तरह से गजेंद्र मोक्ष की उत्पति हुई थी ।
अब बहुत से लोगों के मन मे यह आता है। कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से क्या क्या फायदे होते हैं , तो यहां पर हम आपको यह बताने वाले हैं , कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से आपको क्या क्या फायदे हो सकते हैं।
दोस्तों यदि आप गजेंद्र मोक्ष पाठ करते हैं , तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसकी वजह से आपके मन को शांति मिलती है। आपको पता ही है , कि जब भी हम भगवान या देवता के नाम का जाप करते हैं। या उनका नाम लेते हैं , तो मन को शांति मिलती है। तो यह एक तरह से मन को शांत करने के लिए भी काम करता है। यदि आपका मन अशांत रहता है , तो गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए ।
दोस्तों यदि आपको बतादें कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से घर के अंदर सुख शांति आती है। आमतौर पर बहुत सारे घरों के अंदर हर समस्या होती है , कि सब कुछ होने के बाद भी हारी बीमारी लगी ही रहती है। उनको रोजाना गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए । यह उनके लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। और उनके जीवन के अंदर शांति और सुख प्रदान करने वाला होता है।
वैसे भी हम सभी लोग जीवन के अंदर इसलिए ही तो भागते हैं , ताकि अधिक से अधिक सुख सुविधाओं को प्राप्त किया जा सके । तो यदि आप भी सुख के लिए तड़प रहे हैं , तो गजेंद्र मोक्ष का पाठ आपके लिए काफी अधिक उपयोगी हो सकता है।
दोस्तों आपको बतादें कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से पापों का नाश होता है। जब हम इस शरीर के अंदर रहते हैं , तो अनेक पाप जाने अन जाने मे हो ही जाते हैं। इसकी वजह से हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि यदि आप गजेंद्र मोक्ष का पाठ करते हैं , तो इसकी वजह से आपके सारे पाप कट जाते हैं। और आपका कल्याण होता है।
इस तरह से यदि आप अपने पापों का नाश करना चाहते हैं , तो फिर आपको गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा ।
दोस्तों आपको बतादें कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हर इंसान की जीवन से कुछ ना कुछ मनोकामनाएं होती ही हैं। यदि आपकी भी कोई मनोकामना है , जोकि पूर्ण नहीं हो रही है , तो इसके लिए आपको गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए । यदि आप रोजाना पाठ करते हैं , तो आपकी मनोकामनाएं जरूर ही पूरी हो जाएंगी । गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से भगवान काफी अधिक प्रसन्न होते हैं। और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
दोस्तों आपको बतादें कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से आपकी आर्थिक स्थिति के अंदर भी सुधार होता है। यदि घर के अंदर धन आ रहा है और उसकी बचत नहीं हो रही है , तो इसकी वजह से सुधार होता है। और यदि आपके पास धन की कमी है , तो भी गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से काफी बड़ा फायदा मिलता है। तो आप इसका पाठ करके देखें आपके घर के अंदर जो धन की कमी है ,वह दूर हो जाएगी । बहुत से लोग गजेंद्र मोक्ष का पाठ करते भी हैं , और उनको इसकी मदद से काफी अच्छा फायदा मिला भी है।
गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से कर्ज की समस्या दूर होती है। , यदि आपके उपर काफी अधिक कर्ज है , कमाई का कोई रस्ता नहीं है , तो फिर आपको रोजाना गजेंद्र मोक्ष का पाठ करके देखना चाहिए । ऐसा करने से आपके कर्ज की समस्या दूर हो जाएगी । आप जब अच्छा पैसा कमाएंगे ,तो कर्ज अपने आप ही चुकता हो जाएगा । जो लोग कर्ज की वजह से काफी अधिक परेशान हैं , उनके लिए यह पाठ राम बाण हो सकता है। लेकिन आपको पता ही है , कि कोई भी धार्मिक उपाय तभी तक काम करता है , जब तक कि आपके मन मे उसके प्रति क्षद्धा और विश्वास है , यदि श्रद्धा और विश्वास नहीं है , तो फिर यह काम नहीं करेगा ।
यदि किसी के जीवन पर किसी तरह का संकट आया हुआ है। और वह संकट टल नहीं रहा है , तो गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए ।गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से आया हुआ संकट टल जाता है और इसकी वजह से आपके जीवन की समस्याओं का समाधान हो जाता है।
दोस्तों यह कहा गया है , कि यदि आप गजेंद्र मोक्ष का पाठ करते हैं , तो आपको जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। जैसा कि गजेंद्र मोक्ष की कथा के अंदर बताया गया है , कि किस तरह से भगवान ने गजेंद्र को मोक्ष प्रदान किया था , तो इस तरह से गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से काफी अधिक फायदा होता है। यदि आप भी मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं , तो फिर आपको गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है।
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत और उसके अर्थ के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं ।
श्रीमद्भागवतान्तर्गतगजेन्द्र कृत भगवान का स्तवन
श्री शुक उवाच
एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि।
जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम॥
अपने मन को नियंत्रित करके गजेंद्र बार बार अपने पीछले जन्म मे किये गए कर्मों का स्मरण करने लगा ।और निम्न स्त्रोत का जाप करने लगा ।
ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम।
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि॥
गजेंद्र ने मन ही मन कहा जिनके प्रवेश करने मात्र से ही मन और शरीर चेतनता का व्यवहार करने लग जाते हैं।ॐ द्वारा लक्षित और पूरे शरीर में प्रकृति और पुरुष के रूप में प्रवेश करने वाले उस सर्व शक्तिमान देवता का मन ही मन मनन करने का काम करता हूं ।
यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयं।
योस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम॥
वो जिनके सहारे संसार टिका हुआ है। जिनसे यह संसार अवतरित हुआ है। जिनसे इस नेचर की रचना हुई है।जो खुद उसके रूप मे प्रकट है ,लेकिन उसके बाद भी वह नेचर से सर्वोपरी और श्र्रेष्ठ है।ऐसे भगवान की मैं शरण ग्रहण करता हूं ।
यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितंक्कचिद्विभातं क्क च तत्तिरोहितम।
अविद्धदृक साक्ष्युभयं तदीक्षतेस आत्ममूलोवतु मां परात्परः॥
अपनी संकल्प शक्ति के बल पर और अपने ही स्वरूप मे रचित सृष्टि काल में प्रकट एवं प्रलय में अप्रकट रहने वाले और इस शास्त्र प्रसिद्धि प्राप्त कार्य कारण रुपी संसार को साक्षी के रूप मे देखते हुए । भी वे इस संसार मे लिप्त नहीं होते हैं। ऐसे प्रभु मेरी रक्षा करें ।
कालेन पंचत्वमितेषु कृत्स्नशोलोकेषु पालेषु च सर्व हेतुषु।
तमस्तदाऽऽऽसीद गहनं गभीरंयस्तस्य पारेऽभिविराजते विभुः।।
“काल (समय) के साथ जो भी वस्तुएँ थीं, पांच तत्वों के सम्पूर्ण लोकों में और समस्त जीवों में, उन्हें पूर्ण रूप से पाल रखने वाले सर्व हेतु ब्रह्म (परमात्मा) हैं। उन ब्रह्म को जो गहन और गहरा है, उसके पारे वह विभु (अद्वितीय ईश्वर) अपने प्रकाश से प्रकट होते हैं। वो ईश्वर मेरी रक्षा करें ।
न यस्य देवा ऋषयः पदं विदुर्जन्तुः पुनः कोऽर्हति गन्तुमीरितुम।
यथा नटस्याकृतिभिर्विचेष्टतोदुरत्ययानुक्रमणः स मावतु॥
विभिन्न रूपों मे अभिनय करने वाले उस अभिनेता के वास्तविक स्वरूप को जिस प्रकार से साधारण लोग भी नहीं जान पाते हैं। उसी प्रकार से सत्व प्रदान देवता भी उनके रूप को नहीं जान पाते हैं।ऐसी स्थिति के अंदर कोई साधारण जीव उनका वर्णन कैसे कर सकता है। ऐसे प्रभु मेरी रक्षा करें ।
दिदृक्षवो यस्य पदं सुमंगलमविमुक्त संगा मुनयः सुसाधवः।
चरन्त्यलोकव्रतमव्रणं वनेभूतत्मभूता सुहृदः स मे गतिः॥
आशिक्त से मुक्त सभी प्राणियों के अंदर आत्म बुद्धि प्रदान करने वाले ।सबके बिना कारण हित और अतिशय साधु स्वभाव ऋषि मुनि उनके स्वरूप को देखने के लिए निर्जर वनों मे रहकर तपस्या करते हैं।ऐसे प्रभु ही मेरी गति हैं।
न विद्यते यस्य न जन्म कर्म वान नाम रूपे गुणदोष एव वा।
तथापि लोकाप्ययाम्भवाय यःस्वमायया तान्युलाकमृच्छति॥
वो जिनका ना तो हमारी भांति जन्म होता है। जिनके पास अहंकार नहीं होता है।जिनके निर्गुण रूप का कोई नाम नहीं है। उनका कोई रूप नहीं है।उसके बाद भी वो अपनी इच्छा से जन्म को स्वीकार करते हैं।
तस्मै नमः परेशाय ब्राह्मणेऽनन्तशक्तये।
अरूपायोरुरूपाय नम आश्चर्य कर्मणे॥
उस अनंत शक्ति वाले परब्रह्रमा को मेरा नमन है।उस आकार रहित परम ब्रह्रमा को मेरा नमन है।
नम आत्म प्रदीपाय साक्षिणे परमात्मने।
नमो गिरां विदूराय मनसश्चेतसामपि॥
स्वयं प्रकाश और सभी साक्ष्य परमेश्वर को मेरा शत् शत् नमन । वैसे देव जो वाणी और चित वृतियों से परे है। वैसे देव को मेरा नमन है।
सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्चिता।
नमः केवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे॥
विवेक से पूर्ण सभी सत्व गुणों से पूर्ण, निवृति धर्म के आचरण से मिलने वाले योग्य, मोक्ष सुख को प्रदान करने वाले प्रभु को मेरा नमन है।
नमः शान्ताय घोराय मूढाय गुण धर्मिणे।
निर्विशेषाय साम्याय नमो ज्ञानघनाय च॥
अपने सभी गुणों को स्वीकार शांत, रजोगुण को स्वीकार और तमोगुण को स्वीकार करके मूढ से जाने जाने वाले , बिना भेद के और हमेशा सद्भाव से पूर्ण प्रभु को मेरा नमस्कार है।
क्षेत्रज्ञाय नमस्तुभ्यं सर्वाध्यक्षाय साक्षिणे।
पुरुषायात्ममूलय मूलप्रकृतये नमः॥
शरीर के सभी इंद्रय और समुदाय रूप , सभी पिंड़ों के ज्ञाता सभी के स्वामी और साक्षी रूप वाले भगवान को मेरा नमन है।प्रकृति के परम कारण और खुद बिना कारण प्रभु को मेरा नमन है।
सर्वेन्द्रियगुणद्रष्ट्रे सर्वप्रत्ययहेतवे।
असताच्छाययोक्ताय सदाभासय ते नमः॥
भी इन्द्रियों और उसके विषय मे जानकर , और सभी प्रतियों के कारण स्वरूप , सम्पूर्ण जड़-प्रपंच और सबकी मूलभूता अविद्या के द्धारा सूचित भगवान को मेरा नमन है।
नमो नमस्ते खिल कारणायनिष्कारणायद्भुत कारणाय।
सर्वागमान्मायमहार्णवायनमोपवर्गाय परायणाय॥
सबके कारण होने के बाद भी खुद बिना कारण होने पर भी बिना किसी कारण होने की वजह से अन्य कारणों से विलक्षण प्रभु आपको मेरा बार बार नमन है। सभी वेदों व शास्त्रों के परम ज्ञाता मोक्षरूपी और क्षेष्ट पुरूषों की परम गति देवता को मेरा बार बार नमस्कार है।
गुणारणिच्छन्न चिदूष्मपायतत्क्षोभविस्फूर्जित मान्साय।
नैष्कर्म्यभावेन विवर्जितागम-स्वयंप्रकाशाय नमस्करोमि॥
वो जो त्रिगुण रूपों मे छिपी हुई ज्ञान रूपी आग है। उन गुणों मे प्रवाह होनें पर जिनके मन मे संसार को रचने की व्रति पैदा होती है। और आत्मा मे तत्व की भावना के ऋारा विधि निषेध रूप शास्त्र से उपर उठे महाज्ञानी महात्माओं मे खुद को प्रकाशमान कर रहे हैं। ऐसे प्रभु को मेरा नमन है।
मादृक्प्रपन्नपशुपाशविमोक्षणायमुक्ताय भूरिकरुणाय नमोऽलयाय।
स्वांशेन सर्वतनुभृन्मनसि प्रतीत प्रत्यग्दृशे भगवते बृहते नमस्ते॥
मेरे जैसे शरणागत पशु के सामान जीवों की फांसी या समस्या को हमेशा के लिए काट देने वाले परम दयालु पऔर दया दिखने मे कभी भी आलस नहीं करने वाले मुक्त प्रभु को मेरा नमन है। अपने अंश से भी जीवों के मन मे अंतर्यामी रूप मे प्रकट रहने वाले परमात्मा को मेरा नमस्कार
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