गरुड़ का पर्यायवाची शब्द या गरूड़ का समानार्थी शब्द (garud ka paryayvachi shabd / garud ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में बडे ही विस्तार से जानने वाले है । ताकी आपको गरूड़ से जुडी सभी तरह की जानकारी समझ में आ जाए ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
गरुड़ | खगपति, वातनेय, खगेश, खगेन्द्र, खगेश्वर, विषमुख, नागांतक, सुपर्ण, हरिवाहन, पत्रगारि, उरगारि, वैनतेय, हरियान, विष्णुरथ, महावीर, पक्षिसिंह, शाल्मकी, पक्षीराज, चील |
गरुड़ in Hindi | khagapati, vataney, khagesh, khagendr, khageshvar, vishamukh, nagantak, suparn, harivahan, patragari, uragari, vainatey, hariyan, vishnurath, mahavir, pakshisinh, shalmaki, pakshiraj, chil. |
गरुड़ in English | Eagle, Hawk, day owl, accipiter. |
हिंदू धर्म में अनुसार बताया जाता है की गरुड़ पक्षियो का राजा है और यह भगवान विष्णु यानि हरी का वाहन होता है । जिसे चील के नाम से भी जाना जाता है । त्रेतायुग में जब राम जी का जन्म हुआ तो भरत के रूप में जो राम के भाई थे वे गरुड़ ही थे । गरुड़ को हिंदी भाषा में अनेक तरह से समझाया जा सकता है
दोस्तो गरूड़ पक्षी का आकार चील से बड़ा होता है। क्योकी गरूड़ पक्षी चील नही है बल्की इसका आकार इससे भी बडा होता है । और इसकी जो चोंच होती है वह चील से छोटी होती है । प्राचीन समय में जो गरूड़ थे वे इससे भी अधिक बड़े बताए जाते थे । माना जाता है की उस समय गरूड़ इतने अधिक शक्तिशाली होते थे की किसी हाथी को अपनी चोंच से पकडकर उड़ तक सकते थे । मगर आज ऐसा नही है । आज गरूड़ का आकार उस समय से छोटा हो गया है ।
रामायण के समय भी गरूड़ के बारे में वर्णन मिलता है । आपने रामायण में रावण से लड़ने वाले जटायु के बारे में सुना होगा । यह एक तरह का पक्षी था जिसका आकार सामान्य पक्षियो से काफी अधिक बड़ा था। आपकी जानकारी के लिए बता दे की यह कोई और नही बल्की यह एक तरह का गरूड़ ही था ।
जिसे रावण जैसे महान बलशाली का काफी समय तक डट कर सामना किया था । इस बात से आप समझ सकते है की गरूड़ कितने ताक्तवर होते थे । इनका भौजन नाग होता है । और इस बारे में रामायण में एक घटना और देखने को मिली थी । जिसमें लक्ष्मण इन्द्रजीत से युद्ध कर रहा था ।
यह इन्द्रजीत और कोई नही बल्की रावण का पूत्र था । इन्द्रजीत ने अपनी शक्ति का उपयोग किया और लक्ष्मण को नागपाश से बाधा था । जिसके कारण से लक्ष्मण आजाद नही हो पाए थे । तब नारद जी को याद किया गया था । मगर नारद जी भी कुछ न कर सके ।
मगर नारद जी को पता था की लक्ष्मण को इस बंधन से केवल गरूड़ ही आजाद कर सकते है । जिसके कारण से नारदजी ने गरूड़ को याद किया और उनसे विनती की तब गरूड़ ने नागपाश को समाप्त किया और लक्ष्मण आजाद हुआ था । इस घटना के आधार पर पता चलता है की रामायण के समय गरूड़ थे और वे नागभक्षी थे । और यही कारण है की कहा जाता है की गरूड़ का पसंदीदा भोजन नाग होता है ।
वर्तमान में भी कुछ स्थान ऐसे है जहां पर गरूड़ पक्षी देखे जाते है।
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की चील गरूड़ नही होते है । बल्की गरूड़ चील से बडे होते है । और विश्व में आज केवल तीन ऐसे स्थान है जहां पर इन पक्षियो को देखा जा सकता है और वह है – कंबोडिया, असम और भागलपुर।
इन तीन स्थानो पर एक गणना के दोरान पता चला की 2013 के समय में लगभग 1300 गरुड़ मोजूद थे ।और धिरे धिरे इनकी सख्या बढ रही है । इस आधार पर कहा जाता है की वर्तमान यानि कलयुग में भी गरूड़ है । और ऐसा कहा जाता है की गरूड़ की उत्पत्ति सभी युगो में रही है ।
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की गरूड़ पक्षी बहुत ही शक्तिशाली होता है जो की पलक झपकते ही अपने शिकार को पकड लेता है । यह इतना अधिक शक्तिशाली होता है की इसके बारे में एक बात सुनने को मिलती है । की एक गरूड़ अपनी चोंच से हाथी को पकड़ कर उड़ सकता है। इस के आधार पर समझा जा सकता है की गरूड़ कितना अधिक शक्तिशाली होता है । क्योकी हाथी जंगल का सबसे बडा और भार वाला जानवर होता है । जिसका सामना अकेला शेर भी नही कर पाता है । मगर गरूड़ यह कर सकता है ।
उसी तरह से रावण से जब जटायु ने युद्ध किया था वह काफी समय तक रावण का सामना करता रहा और हार नही थी । क्योकी रावण के पास अनेक तरह की शक्तिया थी जो की शिव का कैलाश पर्वत भी उठा सकता था । इतने अधिक शक्तिशाली पुरूष का सामना करने से पता चलता है की जटायु भी काफी अधिक शक्तिशाली था । क्योकी यह आपको मालूम है की जटायु एक गरूड़ पक्षी है । जिसके कारण से यह समझा जा सकता है की गरूड़ पक्षी काफी अधिक शक्तिशाली होते है ।
शायद आपको जानकारी होगी की गरूड़ वह पक्षी होता है जो की भगवान विष्णु का वाहन होता है। इस बारे में विष्णु पुराण और अन्य पुराणो में भी आपको पढने को मिल जाता है। हिंदू धर्म में कहा जाता है जब भी विष्णु कही पर जाते है तो वह अपने वाहन गरूड़ की ही सवारी करते है । और यही कारण है की गरूड़ को हरि वाहन या विष्णुवाहन होता है ।
दोस्तो गरूड़ को जहां पक्षी के रूप में देखा जाता है वही गरूड़ पक्षी को भगवान के रूप में मानते है । हिंदू धर्म में कहा जाता है की गरूड़ भगवान है और उनकी पूजा होती है । गरूड़ भगवान के अवतारो में भरत का भी अवतार सामिल होता है जो की भगवान राम के भाई के रूप में जन्म लेते है।
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की गरूड़ भले ही यह भारत धार्मिक पक्षी होगा मगर इसे राष्ट्री पक्षी के रूप में भी जाना जाता है । मगर हैरानी की बात यह है की इतना शक्तिशाली और धार्मिक महत्व रखने के बाद भी यह पक्षी भारत का राष्ट्रीय पक्षी नही है । बल्की अमेरिका देश का यह पक्षी राष्ट्रीय पक्षी है ।
दोस्तो आपको जानकारी होगी की ऋषि कश्यप नामक एक महान ऋषि हुआ करते थे । जिनकी कई सारी पत्नी थी । उन पत्नियो में ही दो ऐसी पत्नी थी जो आपस में हमेशा झगडती रहती थी और उनका नाम विनती और कद्रु था । असल में दोनो बहन थी ।
मगर फिर भी दोनो को एक दूसरी को पसंद नही थी । और यही कारण था की दोनो एक दूसरे से ईर्ष्या करती रहती थी और झगड़ा भी कर लेती थी । दोनो बहने होने के बाद भी दोनो में एक बात कोमन और थी यानि दोनो के एक भी संतान नही थी । यानि इनके गर्भ से किसी भी संतान ने जन्म नही लिया था । और दोनो ही बहन संतान को जन्म देना चाहती थी ।
और इस बारे में एक बार दोनो ने अपने पति ऋषि कश्यप से वरदान मागा था । तब कश्यप ने वदान के लिए राजी हो गए थे । तब सबसे पहले विनती ने कश्यप से ऐसे पुत्र के जन्म की कामना की जो की बहुत ही बलशाली हो यह सुन कर ऋ़षि कश्यप ने कहा तुम जैसा चाहती हो वैसा ही पुत्र जन्म लेगा ।
मगर अब बारी कद्रु की थी और इसकी माग सुनकर आप हैरान होने वाले हो क्योकी इसने 1000 पुत्रो का जन्म होने का वरदान मागा था और यह पुत्र भी सर्प हो न की इंसान । यह सुन कर कश्यप ने वरदान दे दिया । समय बितता जा रहा था और दोनो बहन विनती और कद्रु ने एक दूसरे से कहा की जिसके पुत्र बलशाली होगे । उसकी कमजोर पुत्र वाली मां दासी बन कर रहेगी ।
अभी तक किसी के भी पुत्र का जन्म नही हुआ था । मगर कुछ समय के बाद में कद्रू ने कई सारे पुत्रो को जन्म दिया जो की 1000 सर्प थे । इन्होने एक अंडे के रूप में जन्म लिया था । मगर इसी तरह से विनती के गर्भ से भी दो अंडो का जन्म हुआ जिसमें पुत्र थे । इधर कद्रू अपने पुत्रो के साथ खुश थी क्योकी उसके सभी पुत्र जन्म ले चुके थे । मगर विनति का अभी तक एक भी पूत्र जन्म नही लीया था । मगर समय के साथ विनती के एक अंडे से अरूण देव का जन्म होता है और दूसरे अंडे से भगवान गरूड़ का जन्म होता है ।
इस तरह से गरूड़ का जन्म हुआ था ।
इस तरह से गरूड़ का पर्यायवाची शब्द आपको समझ में आ गया होगा ।
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