दोस्तो इस लेख में हम गायत्री का पर्यायवाची शब्द gayatri ka paryayvachi shabd या गायत्री का समानार्थी शब्द gayatri ka samanarthi shabd के बारे मे जानेगे इसके अलावा हम जानेगे की गायत्री कोन थी और इसका जन्म कैसे हुआ । इसके साथ ही गायत्री के रोचक तथ्यो पर भी बात करेगे तो इस लेख को आराम से देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द / समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
गायत्री | वेदमाता, सवित्री, ब्रह्मी, ब्रह्मवीज । |
gayatri | Vedmata, Savitri, Brahmi, Brahmavija. |
gayatri | Vedmata, Savitri, Brahmi, Brahmavija. |
गायत्री और कोई नही बल्की सृष्टी रचियता ब्रह्मा की पत्नी और चारो वेदो की रचियता गायत्री है । वेदो की रचना करने के कारण से पता चलता है की इनमे ज्ञान बहुत है जिसके कारण से ये ज्ञान माता के रूप में जानी जाती है । यहां तक की माता लक्ष्मी जो है वह स्वयं गायत्री का अवतार है ।
गायत्री माता की उत्पत्ती हुई थी बल्की उनका जन्म नही हुआ । और यह उत्पत्ती स्वयं ब्रह्मा ने की पोराणिक कथाओ के अनुसार बताया जाता है की एक बार ब्रह्माजी किसी यज्ञ मे गए हुए थे । तब यज्ञ को शुरू होने मे कुछ समय था मगर तभी ब्रह्माजी को याद आया की अगर यज्ञ में पत्नी साथ होती है तो यज्ञ सफल होता है और पत्नी साथ न होने पर यज्ञ अधुरा होता है ।
यह सोच कर ब्रह्मा ने अपने नेत्र बंद कर लिए और कुछ समय के लिए ध्यान मग्न हो गए और फिर एक मंत्र का जाप करते हुए गायत्री माता की उत्पत्ति कर दी । इसके बाद मे ब्रह्माजी ने उसे गायत्री नाम दिया और उसे बताया की उसकी उत्पत्ती क्यो हुई है ।
बताते हुए ब्रह्मा ने कहा की किसी कारण वंश माता सावत्रि इस यज्ञ मे सामिल नही हो सकती है जिसके कारण से तुम्हे मेरी पत्नी के रूप मे यज्ञ मे बैठना है । इस तरह से ब्रह्मा ने फिर यज्ञ पूरा किया । इस तरह से माता सावित्री का जन्म ब्रह्मा ने किया था मगर यह उत्पत्ति मानी जाती है न की जन्म ।
कहते है की जब ब्रह्माजी ने गायत्री की उत्पत्ति की तो गायत्री माता एक साधारण स्त्री के रूप मे थी । उसके पास किसी प्रकार की शक्ति मौजूद नही थी । जिसके कारण से गायत्री को केवल देवी देवती ही जानते थे । मगर एक बार महर्षि विश्वामित्र ने तप करते हुए गायत्री के बारे मे चारो और तक फैला दिया गया ।
क्योकी गायत्री की उत्पत्ति के समय गायत्री मंत्र की भी उत्पत्ती हुई थी तो विश्वामीत्र ने इस मंत्र को इतना फैला दिया की हर कोई गायत्री माता को जानने लगा था । इस तरह से फिर गायत्री माता मे संशोधन हुआ था और विश्वामित्र को गायत्री मे संशोधन करने वाले के रूप मे जाना जाने लगा ।
गायत्री मंत्र माता गायत्री के लिए एक प्रकार का मंत्र होता है जो की वेदो का महत्वपूर्ण मंत्र है । यह मंत्र इतना बडा है की इसे ॐ के बाराबर भी माना जाए तो कोई गलत नही है । क्योकी मंत्र मे इतनी चमतकारी शक्ति मोजुद है जो ॐ के बराबर इस मंत्र को पहुंचाती है ।
क्योकि मंत्र का जाप करने के कारण से माता गायत्री की आराधना होती है जिसके कारण से ही से गायत्री मंत्र कहा जाता है । इस मंत्र को एक नाम और से जाना जाता है यानि माता सावित्री मंत्र । क्योकी गायत्री का रूप ही सावित्री है इसी कारण से ऐसा कहा जाता है । कहा जाता है की जो मनुष्य इस मंत्र को समझ लेता है उसे निश्चित ही अपने आराधय ईश्वर प्राप्त हो जाते है ।
इसके अलावा वेदो मे बताया गया है की मंत्र इतना प्रभावशाली है की इसका निरन्तर जाप करने से किसी प्रकार की समस्या तक नही आती है । मंत्र की उत्पत्ति का कारण ऋग्वेद को माना जाता है ।
बताया जाता है की वेदो की रचना करने वाली और कोई नही बल्की माता गायत्री ही है और उन ही वेदो मे गायत्री मंत्र का भी उल्लेख किया गया है । इसके अलावा गायत्री मंत्र का पाठ करने पर गायत्री या सावित्री की पूजा या आराधना होती है ।
जिसके कारण से गायत्री मंत्र का पाठ किया जाता है । इसके अलावा गायत्री मंत्र को ॐ के बराबर माना जाता है जिसके कारण से पता चलता है की गायत्री भी बहुत उच्च तरह की देवी है । क्योकी गायत्री मंत्र गायत्री माता का ही है । गायत्री मंत्र के जाप करने के कारण से मनुष्य के आस पास की जो नेगीटिव उर्जा होती है वह नष्ट हो जाती है और उसकी जगह सकारात्मक उर्जा का विकाश होता है । जिसके कारण से मनुष्य खुश मय जीवन जीने लग जाता है ।
देवी देवताओ में हर किसी के पास अपना वाहन या सवारी होता है जिस पर वे विराजमान होकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते है । मगर चोका देने वाली बात तो यह है की सभी के पास पशु पक्षी का ही वाहन है । इसी तरह से माता गायत्री का भी वाहन है जो माता गायत्री की सवारी के रूप में काम आता है । माता गायत्री का वाहन एक हंस होता है ।
मगर इसके अलावा इन्हे कमल पर भी देखा जा सकता है । इसका कारण यह है की भगवान ब्रह्मा की पत्नी होने के कारण इनके पास कमल हो सकता है । मगर असल मे सवारी या वाहन हंस ही है ।
गायत्री माता वेदो की देवी कही जाने वाली है और बताया जाता है की इन्होने ही वेद लिखे थे । गायत्री माता का विवाह सृष्टी मे जीवो को जन्म देने वाले स्वयं ब्रह्मा के साथ हुआ था । जिसके कारण से ब्रह्माजी गायत्री माता के पति है । क्योकी एक बार यज्ञ के समय ब्रह्मा को लगा की पत्नी अगर यज्ञ मे साथ होगी तो यज्ञ शुभ रहेगा ।
इसी कारण से ब्रह्मा ने गायत्री को उत्पन्न करते हुए उसके साथ विवाह कर लिया । इसके बाद मे गायत्री माता को ब्रह्मा की पत्नी कहा जाने लगा यानि ब्रह्मा गायत्री के पति है ।
माता गायत्री ब्रह्मदेव की पत्नी है और उसी ने वेदो की रचना की है । जिसके कारण से पता चलता है की गायत्री माता बहुत ही ज्ञानी है । इस कारण से जो कोई भी माता गायत्री की पूजा करता है उसे ज्ञान हासिल होता है जिसके कारण से वह समय के इस चक्र में सही रास्ते पर चलते रहने के लिए रास्ता प्रदान करती है और सही गलत का बोध करवाती है ।
जिसके कारण से मनुष्य अपने जीवन को सही तरह से जी सके । इसके अलावा बताया जाता है की जो व्यक्ति माता गायत्री की पूजा करता है उसकी मन की मनोकामना पूरी तरह से सफल हो जाती है । मगर पूजा के साथ साथ गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत ही जरूरी होता है ।
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बिमार पडा है तो वह भी ठिक हो सकता है क्योकी गायत्री माता सुख देवी भी है । और किसी प्रकार की विपत्ती से रक्षा करने का काम करती है । गायत्री देवी की आराधना से केवल इतना ही नही प्राप्त किया जा कसता बल्की आज मनुष्य को जीस चीज की सबसे अधिक जरूरत है वह भी पूरी की जा सकती है ।
यानि धन की कमी भी आराम से पूरी होती है । आराधना करने वाले के साथ कुछ इस तरह से होने लग जाता है की उसे धन प्राप्त होता रहे । इस कारण से कहा जाता है की गायत्री माता की आराधना करने पर बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है ।
सभी देवी देवताओ का एक रहने का स्थान होता है जिसे निवास स्थान कहा जाता है और माता गायत्री का निवास स्थान तपलोक से बारह करोड़ योजन ऊपर बताया जाता है जिसे सत्यलोक के नाम से जानते है । यही पर माता गायत्री रहती है । इस लोक मे हमेशा सत्य होता है जिसके कारण से ही इसे सत्य लोक कहा जाता है ।
जी हां, दोस्तो आपने माता गायत्री के बारे में सुना है असल में यह एक देवी के रूप मे मानी जाती है । और देवी होने के कारण से आपको भी पता है की हिंदू धर्म में इनका काफी बड़ा महत्व माना जाता है ।
अगर आपने गायत्री मंत्र के बारे में सुना है तो यह भी इनसे ही जुड़ा है और आपको पता होगा की मंत्र का कितना अधिक महत्व होता है और मंत्र कितना उपयोगी होता है ।
तो इस बात का मतलब होता है की गायत्री मानव के लिए उपयोगी है ।
इस तरह से हमने इस लेख मे गायत्री के बारे मे बहुत कुछ जान लिया है । मगर लेख मे विशेष रूप से गायत्री का पर्यायवाची शब्द gayatri ka paryayvachi shabd ही है । जो आपको पूरी तरह से समझ मे आ गया है । फिर भी अगर कोई प्रशन है तो कमेंट बॉक्स मे पूछ सकते है ।
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