गुड का विलोम शब्द या गुड का विलोम , गुड का उल्टा क्या होता है ? good ka vilom shabd , good ka vilom shabd kya hai
शब्द | विलोम शब्द |
गुड | बेड या बुरा |
good | Bad |
दोस्तों गुड एक अंग्रेजी का शब्द है जिसका मतलब अच्छा होता है।गुड का विलोम शब्द बेड यानी बुरा होता है। अंग्रेज लोग अच्छे को गुड कहते हैं। वैसे इंडिया के अंदर अब सारे लोग अंग्रेज हो ही चुके हैं तो उनको गुड के बारे मे अच्छी तरह से पता ही चल चुका है। यदि बात करें रियल लाइफ के अंदर गुड की तो रियल लाइफ के अंदर कुछ भी गुड नहीं होता है। जिस चीज को हम आज गुड समझते हैं वे बहुत बार आगे जाकर हमारे लिए काफी घातक साबित होती है।
गुड और बेड के अंदर फर्क करना इतना आसान नहीं होता है।जितना की हम समझते हैं। इस संबंध मे मैं आपको एक कहानी के बारे मे बता रहा हूं । प्राचीन काल की बात है एक पिता भेड़ों को चराता था। उसका एक ही बेटा था जिसने पढ़ना लिखना छोड़ दिया और वह भी पिता के साथ भेंडें चराने लगा ।
एक बार एक भविष्यबताने वाला व्यक्ति उधर से गुजर रहा था तो उसे प्यास लगी और उसने बाप बेटे से पानी मांगा दोनों ने उसको पानी पिलाया तो वह उनका भविष्य फ्री मे बताने के लिए तैयार हो गया । तो बाप ने अपने बेटे का ही भविष्य पूछना उचित समझा क्योंकि बाप की तो उम्र हो चुकी थी।
भविष्य बताने वाले ने गडरिये के बेटे का भविष्य बताते हुए कहा कि वह जीवन मे कभी भी सफल नहीं होगा । उसकी जिंदगी बेकार ही रहेगी और वह भी यही काम करेगा । उसके बाद भविष्य बताने वाला चला गया । कुछ दूरी पर जाने पर वह एक कुए मे गिर गया और चिल्लाया तो बाप बेटों ने उसको किसी तरह से कुए से निकाला और उसके बाद बाप ने कहा कि जो लोग अपने इतने निकट के भविष्य को नहीं देख सकता है।वह मेरे बेटे का भविष्य क्या बताएगा । अच्छा ही हुआ कि यह यहीं पर कुए मे गिर गया वरना मैं तो पूरी उम्र अपने बेटे को अभागा मानता रहा है।
इसी प्रकार से गुड और बेड का सही सही से पता नहीं होता है कि आपके लिए आगे क्या होने वाला है। पहले मैं एक फेक्ट्री मैं काम करता था । उस फैक्ट्री से मुझे निकाल दिया गया और उसके बाद मैंने यही सोचा कि यह मेरे लिए अच्छा ही हुआ होगा और सच मुच फैक्ट्री से निकाला जाना मेरे लिए काफी अच्छा ही साबित हुआ और उसके बाद मैंने दूसरा काम शूरू किया ।
और उस दूसरे काम के अंदर मैं काफी सफल रहा । हालांकि दूसरे काम मे सफलता हाशिल करने मे मुझे काफी समय लग गया लेकिन यह समय मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण रहा । इस समय का मैंने पूरा लाभ उठाया ।
दोस्तों दुनिया गोल है।इसका पता नहीं चलता है कि आज जो आपको बुरा लग रहा है वह कल क्या घातक परिणाम ला सकता है। पता नहीं कौन किधर जा रहा है। सही सही कोई नहीं जानता है। सब कुछ कर्मों का खेल ही है पता नहीं कब क्या हो जाए ।
दोस्तों बुरे का अर्थ आप बहुत ही अच्छे तरीके से जानते ही हैं।बुरे के बारे मे आपको ज्यादा कुछ बताने की कोई जरूरत नहीं है। आप जो कुछ भी देख रहे हैं उसके अंदर बहुत सारी चीजें बुरी हैं।और सबसे बड़ी बात तो यह है कि बुरी चीजें करने वाले लोग बहुत ही ज्यादा हैं।आपने देखा जब लॉकडाउन का समय था । उस वक्त शराब की दुकाने सरकार ने बंद करदी थी तो शराबी काफी परेशान हो गए ।
उसके बाद जब सरकार ने शराब की बिक्री को शूरू किया तो फिर ठेके पर काफी लंबी लाइन लग गई ।एक न्यूज पेपर ने न्यूज को प्रकाशित किया और सब देखते ही रह गए । इसी प्रकार की न जाने कितनी खबरे आती रहती हैं। असल मे इसी प्रकार की एक अन्य घटना हुई । उस लड़की का नाम तो मुझे याद नहीं है लेकिन वह एक डॉक्टर थी तो अक्सर जो लोग शहर मे मकानों मे बंद होते हैं वे उतने चालाक नहीं होते हैं यही उस लड़की के साथ भी हुआ ।उस लड़की की स्कूटी पेंचर हो गयी और बीच सड़क पर वह अकेली थी पास ही ट्रेक्टरवालों ने उसकी मदद की पेशकस की और वे सारे कसाई बन गए पहले लड़की का रेप किया उसके बाद उसे जिंदा ही जला दिया ।
आप जानते हैं कि यह सब बुरे कामों के अंदर आते हैं। ऐसा नहीं है कि कर्मों की सजा नहीं मिलती है। कर्मों की सजा भी मिलती है बाद मे पुलिस ने उन लड़कों का एनकाउंटर कर डाला ।
खैर दोस्तों आप समझ सकते हैं कि कर्मों का खेल होता है। और कई विद्धान लोग तो यहां तक मानते हैं कि सब कुछ हमारे कर्मों का नतिजा होता है। असल मे हम अपने से कमजोर जीवों को मार देते हैं। यह भी एक अन्याय है तो हमसे ताकतवर लोग हमकों मार देते हैं यह भी एक अन्याय होगा । तो असल मे यहां पर जो कुछ भी हो रहा है वह नेचर की द्रष्टि से पूरी तरह से सही है।क्योंकि यहां पर नेचर शक्ति का शासन चलाती है। मतलब यही है कि ताकतवर ही विजेता होता है और जो ताकतवर नहीं होता है वह हार जाता है।
अब रही बात बुराई की तो बुरे और अच्छे लोग अपने आप ही बन जाते हैं। जो लोग बुरा करते हैं उनकी वैसी ही गति होती है। वे बहुत अधिक दुखी होते हैं। यह भी नेचर का ही नियम है और जो लोग अच्छा करते हैं उनकी भी वैसी ही गति होती है।
हां इंसान के पास ऐसी क्षमता है कि वह अपने कर्मों के फल से बच सकता है। जब तक हम खुद को कर्ता मानते हैं हम अपने अच्छे और बुरे कर्मों को भुगतना होगा । और जिस दिन हम अपने मन मे यह अच्छी तरह से बैठा लेंगे कि कर्ता हम नहीं हैं तो फिर हमे अपने कर्मों का फल नहीं भुगतना होगा ।यह जो कुछ भी हो रहा है वह बस लीला है।प्रकृति मे सदा से ही चलता आ रहा है। मरना और जीना यह तो खेल है जोकि सदा चलता ही रहेगा । इसमे कोई भी शक नहीं है।
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