गुप्त का विलोम शब्द या गुप्त का विलोम , गुप्त का उल्टा क्या होता है ? Gupt ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
गुप्त | प्रकट |
Gupt | Prakat |
दोस्तों गुप्त का विलोम शब्द होता है प्रकट । दोस्तों गुप्त का मतलब जो छुपा हुआ हो । जैसे कि आपके घर के अंदर कोई घर का भेदी है तो वह गुप्त ही रहेगा । क्योंकि यदि वह सामने आ गया तो आप उसे नहीं छोड़ेंगे ।खैर बहुत से काम गुप्त तरीके से ही होते हैं। इसमे कोई शक नहीं है। जिस नेता को आप वोट देते हैं वह भी गुप्त तरीके से अनेक इलिगल कार्य करता है। इसी प्रकार से जिस इंसान को आप अच्छा समझते हैं हो सकता है वह भी गुप्त रूप से छुपा हुआ रूस्तम निकले । आपकी बीवी पर आप इतना भरोशा करते हैं हो सकता है कि वह भी गुप्त रूप से आपको धोखा दे रही हो ।खैर मन के अंदर जितने राज दबे होते हैं उतने राज कहीं पर भी नहीं दबे होते हैं। कारण यही है कि मन मे कितने भी राज दफन हो जाएं लेकिन असल मे मन सबको छुपा जाता है।
आमतौर पर यदि हम इस देश की बात करें तो इस देश के अंदर ऐसे ऐसे लोगों के सीने मे राज भरे पड़े हैं कि यदि वह सच हो जाएं तो यह देश हजारों टुकड़ों मे बंट जाएगा । वैसे भी हर इंसान को अपने चुल्हे से मतलब हो गया है दूसरे का चुल्हा जले या ना जले उसे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है लेकिन अपना चुल्हा जरूर जलना चाहिए ।
और यह तेजी से होता जा रहा है।आजकल आप जो पति पत्नी के अंदर अविश्वास की भावना देख रहे हैं वह गुप्त राज ही होता है। एक पत्नी अलग जगह पर काम करती है और एक पति अलग जगह पर काम करता है।दोनों कभी कभी मिलते हैं जिसका परिणाम क्या होता है ?अविश्वास पैदा हो जाता है। क्योंकि पत्नी भी बहुत सी बातें छुपा जाती है और पति का तो कहना ही क्या ? ऐसी स्थिति के अंदर रिश्ता कमजोर पड़ जाता है और आप समझ सकते हैं कि फिर क्या हालत होती है ? उसके बाद रिश्ते का अंत तलाक के रूप मे हो जाता है।
खैर गुप्त धन का तो कहना ही क्या पुराने जमाने मे जब बैंक नहीं थे तब लोग अपने धन को किसी हांडी के अंदर रखकर जमीन मे गाड़ देते थे । इसी तरह की एक बुढ़ी महिला का किस्सा है जिसने चांदी के सिक्कों को हांड़ी मे रखकर छुपा दिया । तो बारिश हो रही थी। उस बारिश के अंदर ओबरी जो एक तरह का कच्चा मकान था वह फूट गया तो सारे सिक्के बाहर निकल गए ।और आंगन के अंदर भिखर गए तब घर वालों को यह पता चला कि इसके पास तो चांदी के सिक्के हैं।
गुप्त धन का सिलसिला आज भी जारी है।विदेशी बैंक खाते के अंदर बड़े बड़े लोग गुप्त धन रखते हैं और उस धन के उपर उनको किसी भी तरह का टैक्स भी नहीं देना होता है। इस प्रकार का गुप्त धन का जिक्र मोदी भी कई बार कर चुके हैं।
खैर इस दुनिया को आप आंखों से देखेंगे तो सब कुछ अच्छा ही नजर आएगा लेकिन यदि आप गुप्त आंखों से देखेंगे तो इस काली दुनिया की काली सच्चाई नजर आएगी । और भारत की तो सबसे अधिक हालत खराब ही है।
प्रकट का मतलब अवतरित होना । जैसे कि आप यहां पर अचानक से आ जाते हैं तो आपके लिए यह कहा जाता है कि आप प्रकट हो गए हैं। खैर प्रकट होने का अर्थ आमतौर पर उन लोगों के लिए प्रयोग मे लिया जाता है जो गायब हो सकते हैं। प्राचीन काल के अंदर रावण के पास ऐसी शक्ति थी जिसकी मदद से वह कहीं पर भी आसानी से प्रकट हो जाता था। लेकिन असल मे आज के महा मानव के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है जिसकी मदद से वह कहीं पर भी प्रकट हो जाए । आज के समय तो ऐसा होना संभव नहीं है। हालांकि इंसान के गायब होने के अनेक सूट के अंदर दावे किये गए हैं लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है।
प्रकट का मतलब भेद खोलना भी होता है।जैसे कि कोई आपका दुश्मन है और आप उसका भेद जानना चाहते हैं तो आपको कुछ ऐसे लोगों से संपर्क करना होगा जोकि आपके मित्र हैं आपको वही भेद के बारे मे बताएंगे ।
या वे भेद खोलने का कार्य करेंगे । खैर भेद खोलना भी एक महान काम हम कह सकते हैं। भारत के अंदर इतने अधिक लंका भेदी हैं कि भारत तेजी से बरबादी की तरफ बढ़ रहा है। 303 सीट आने के बाद भी भारत सरकार भेदियों के आगे झुक रही है।
घर का भेदी लंका डाय यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी ।वैसे तो विभिषण को हम गदृार मानते हैं वही था जिसने रावण को मरवाया था लेकिन आप भी समझ सकते हैं कि किसी स्त्री को छल से उठा ले जाना भी पाप के अंदर आता है तो फिर रावण को मरवाना वास्तव मे पाप नहीं था।
आज भी भारत के अंदर विभिषण का नाम लिया जाता है।लेकिन विभिषण एक अच्छा इंसान था और उसने सदैव धर्म का पालन किया । इसी प्रकार कुछ लोग राम की आलोचना करते हैं । ऐसी लगे कमरे मे बैठे बैठे दुसरों की गलतियां गिनाते हैं ऐसे लोगों को हम यही कहेंगे कि राम की तरह जीवन जब जीयोंगे और फिर धर्म का पालन करोगे तो यह महानता होगी ।वरना बैठकर तो जानवर भी चिल्लाते हैं। खैर बात यह नहीं है बात है भेदी का तो यह भेदी आपको हर जगह पर मिलेगें । कोई भी ऐसा स्थान नहीं है जहां पर आपको भेदी नहीं मिलेंगे। आपके घर के अंदर भेदी कौन है ? यह आप भी जानते हैं लेकिन सारे भेदी विभिषण की तरह सत्य के मार्ग पर चलने
वाले नहीं होते हैं।असल मे आजकल के भेदी राक्षस की तरह होती हैं जो सिर्फ इसलिए काम करते हैं कि वे किसी का नुकसान करना चाहते हैं। दया और धर्म जैसी चीजें उनको आती नहीं हैं। और ना ही वे इनके बारे मे जानना चाहते हैं वे बस बुरा करना चाहते हैं।
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