गुरू का पर्यायवाची शब्द या गुरु का समानार्थी शब्द (guru ka paryayvachi shabd / guru ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में काफी विस्तार से जानने वाले है । इसके साथ ही गुरु के बारे मे हम बात करेगे की गुरु कोन होता है । तो लेख देखे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या सामनार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
गुरू | शिक्षक, अध्यापक, उपाध्याय, विशेषज्ञ, आचार्य, विद्वान्, ब्राह्मण, शास्त्रवेत्ता, बुद्धिमान, पंडित, ज्ञानी, कथावाचक, विज्ञ, प्रज्ञ, सुज्ञ, उस्ताद, शास्त्रज्ञ, कोविद । |
गुरू in Hindi | shikshak, adhyaapak, upaadhyaay, visheshagy, aachaary, vidvaan, braahman, shaastravetta, buddhimaan, pandit, gyaanee, kathaavaachak, vigy, pragy, sugy, ustaad, shaastragy, kovid . |
गुरू in English | Guru, teacher, educator, instructor, master, schoolteacher, docent. |
गुरु का अर्थ होता है वह जो ज्ञान देने का काम करता है । जैसे की कोई अध्यापक हो सकता है । क्योकी अध्यापक ज्ञान देता है तो वह गुरु होता है । एक ब्रह्मण भी ज्ञान देता है तो वह भी गुरु होता है । इस तरह से इस धरती पर मानव को जो भी कोई ज्ञान देता है वह गुरु होता है ।
जैसे की बच्चो को स्कूल में अध्यापको के द्वारा ज्ञान दिया जाता है तो उन्हे गुरु कहते है । प्राचीन समय में संत लोग आश्रम में ज्ञान देते थे तो वे भी गुरु कहे जाते है । तो इस तरह से जो भी कोई ज्ञान देने का काम करता है उसे गुरु कहते है ।
इस तरह से दोस्तो गुरु का अर्थ वह सभी होते है जो की किसी न किसी तरह से ज्ञान देते है । क्योकी बुद्धिमान लोग जो होते है वे किसी न किसी तरह से ज्ञान देते रहते है । इस कारण से उन्हे गुरु कहा गया है । वैसे ही अध्यापक को वर्तमान मे गुरु के रूप में जाना जाता है क्योकी अध्यापक ज्ञान देने का काम करते है और जो ज्ञान देता है वह गुरु है ।
दोस्तो आपने गुरु का नाम सुना होगा । अगर गुरु की बात की जाए तो गुरु वह होता है जो ज्ञान देता है । इसका मतलब हुआ की आपसे जो ज्ञानी है वह आपको ज्ञान दे सकता है और वह आपका गुरु हो सकता है।
मगर गुरु शब्द का प्रयोग ऐसे बहुत से लोगो के लिए किया जाता है । दरसल गुरु को ज्ञान देने वाला बताया है जिसके आधार पर हम कह सकते है की गुरु एक शिक्षक होता है । क्योकी आपको पता है की एक शिक्षक जो होता है वह ज्ञान देता है तो वह गुरु होता है ।
इसके अलावा समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते है जो की धर्म का ज्ञान देते है । तो वह भी गुरु होते है। कुछ कथा सुनाने वाले लोग भी कथा के माध्यम से अच्छा ज्ञान दे जाते है तो इस तरह से गुरु अनेक तरह के होते है । और हम यह कह सकते है की यह सब गुरु के प्रकार ही होते है ।
तो आइए जानते है विभिन्न तरह के गुरु कोन कोन है
दोस्तो आपने यह सुना होगा की माता पिता जो होते है वह बच्चे के प्रथम गुरु होते है । यह एक बात पुरी तरह से सटिक है । क्योकी जब कोई संतान जन्म लेती है तो वह सबसे अधिक अपने माता पिता के पास ही रहती है । और वर्तमान की बात की जाए तो बच्चा 5 वर्षों तक विद्यालय नही जा सकता है तो वहां पर जो शिक्षक होते है वे बच्चे के गुरु नही बनते है । बल्की बच्चा माता पिता के पास ही रहते है ।
तो माता पिता ही अपने बच्चे को ज्ञान देते है और उसे बताते है किसी तरह से बोलना है । किस तरह से अध्ययन करना है । समाज में जो लोग रहते है वे तुम्हारे क्या लगते है आदी तरह की जानकारी बच्चे को उनके माता पिता देते रहते है ।
और ऐसा उम्र भर चलता रहता है । तो इसका मतलब यह हुआ की जिसने पहले ज्ञान देना शुरु किया है वह प्रथम गुरु है और इस तरह से बच्चे के प्रथम गुरु के रूप में माता पिता कोमाना जाता है ।
आप अध्यापक के बारे में जानते हो । आपको जो विद्याले में ज्ञान देता है वह अध्यापक होता है । जब आप विद्यालय जाते हो तो वहां पर आपको अनेक अध्यापक देखने को मिलते है । जो की आपको पुरे दिन ज्ञान देते रहते है तो इस तरह से जो ज्ञान देता है उसे गुरु कहा जाता है और अध्यापक ज्ञान देने का काम कर रहा है अत अध्यापक गुरु है ।
आज के समय में तो अध्यापक को गुरु कम माना जाने लगा है । मगर प्राचीन समय की बात करे या फिर यह कह सकते है अपने दादाओ के जमाने की बात की जाए तो आपको पता चलेगा की उस समय जो अध्यापक होते थे उन्हे सभी गुरु मानते थे और वे जो कहते थे वह सब मान लेते थे । क्योकी सभी को मालूम था की अध्यापक उनसे ज्यादा ज्ञानी है ।
यहां तक की उस समय अध्यापक शब्द का प्रयोग भी कम होता था बल्की गुरु का ही प्रयो होता था ।
दोस्तो एक वह गुरु होता है जो हमे धर्म का ज्ञान देता है । वर्तमान में लोगो के पास धर्म का ज्ञान कम होने लगा है । सभी अपने ज्ञान को भूलाने लगे है । आज हमारे धर्म में अनेक पुराणो में लिखा तक गया है की हमारा धर्म कैसा है।
तो इन सबका जो ज्ञान देता है वह धर्म गुरु होता है । अधिकतर आचार्य लोग ऐसा होते है । क्योकी वे अधिकतर धर्म का ज्ञान देते है । दूसरा की ब्रह्मण जो होते है वे भी धर्म को जानते है तो वे भी ज्ञान देते है । इस तरह से जो धर्म का ज्ञान देता है वह धर्म गुरु होता है ।
वर्तमान में हम ब्रह्मण शब्द को जब भी सुनते है तो ब्रह्मण जाति याद आती है । मगर इसके अलावा जब ब्रह्मण शब्द के अर्थ की बात की जाए तो इसका एक अर्थ यह भी होता है की जो ज्ञानी है वह ब्रह्मण है । यानि जिसके पास ज्ञान होता है जो बुद्धिमान होता है वह ब्रह्मण होता है । तो इस तरह का जो भी व्यक्ति होता है उसे गुरु कहा जा सकता है ।
आपने ब्रह्मण लोगो को देखा होगा जो की हमारे यहां पर किसी शुभ कार्य पर आते है और हवान वगेरह करते है । तो उस समय वे कुछ मंत्रो का जाप करते है । तो इससे क्या मालूम होता है की वे हमसे ज्यादा ज्ञानी होते है । और कभी कभार तो यह भी देखने को मिलता है की वे हमे ज्ञान भी देते है । तो इस तरह से जो ज्ञान देता है वह ब्रह्मण कहा जाता है और यही कारण है की ब्रह्मण को भी गुरु कहा जाता है ।
दोस्तो वर्तमान में आपने देखा होगा की लोग अपने जीवन के लिए मोक्ष प्राप्ति का रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहे है । तो आपको बाता दे की मोक्ष का अर्थ होता है इस संसार से मुक्ति या छूटकारा ।
तो इसका मतलब यह नही की जब व्यक्ति मर जाता है तो उसे मोक्ष मिल जाता है नही ऐसा नही है । क्योकी व्यक्ति की मोत के बाद में वह वापस इसी धरती पर जन्म लेक कभी न कभी आता है । और इस तरह से जन्म और मरण चलता रहता है । इसी से छूटकारा पाना मोक्ष होता है ।
और इसके लिए कहा जाता है की गुरु बनाना चाहिए । आज जो संत लोग है जो ब्रह्मण है उन लोगो को गुरु बनाया जाता है । एक बार जब संत लोग गुरु बन जाते है तो वे उन्हे कुछ बाते बताते है जिसका शिष्य को पालन करना होता है ।
वर्तमान में इस तरह के संत आपको अनेक सारे दखने को मिल जाते है । और उन्हे लोग अपना गुरु भी बनाते है ।तो इस तरह से जो गुरु होते है वे मोक्ष प्राप्ति के लिए बनाए जाते है।
इस तरह से दोस्तो हमने इस लेख में गुरु के पर्यायवाची शब्द या गुरु के सामनार्थी शब्द के बारे में जान लिया है । अगर लेख अच्छा लगा तो बताना ।
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