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Gyan ka vilom shabd ज्ञान का विलोम शब्द ?

ज्ञान का विलोम शब्द, ज्ञान शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, ज्ञान का उल्टा Gyan ka vilom shabd , gyan ka opposite in hindi

शब्द (word) विलोम (vilom)
ज्ञानअज्ञान
GyanAgyan

‌‌‌ज्ञान का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों ज्ञान का विलोम शब्द होता है अज्ञान । अब यदि हम ज्ञान के अर्थ की बात करें तो इसको परिभाषित करना इतना आसान कार्य नहीं है। ज्ञान का मतलब किसी चीज की जानकारी होना होता है। यदि आपको किसी कार्य की जानकारी है तो आपको उसका ज्ञान है। ‌‌‌ज्ञान कई तरह का हो सकता है। एक वह ज्ञान होता है जो मानव जीवन के अंदर काम आता है। और एक वह ज्ञान होता है जो मानव शरीर से अलग भी काम करता है। वही सच्चा ज्ञान होता है। जो सदैव आपके साथ रहता है।

‌‌‌आज यदि आप अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो इसका कारण यह है कि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ज्ञान हाशिल करे । हालांकि स्कुल जाने के बाद आपका बच्चा पढ़ना लिखना तो सीख जाता है लेकिन उसे वह ज्ञान कहीं पर भी नहीं मिल पाता है जोकि सबसे अधिक जरूरी होता है।

‌‌‌एक बच्चे को कोई भी किताब यह नहीं सिखाती है कि उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए और क्या नहीं बोलना चाहिए । बस स्कूल की किताबें बस एक ही चीज सिखाती हैं कि ‌‌‌उसे बड़ा होकर नौकरी लगना है। यह युग ही ऐसा आ गया है कि यहां पर सच्चे ज्ञान का मौल नहीं है। ढोंगी भी ज्ञानी बनकर ऐसी मे बैठकर मजे ले रहे हैं। आपको यह समझ कर हैरानी होगी कि अर्थ जीवन के लिए जरूरी है लेकिन इतना भी जरूरी नहीं है कि सारी चीजें छोड़कर अर्थ के लिए ही लग जाएंगे ।

‌‌‌इस तरह से यदि आप आज देखेंगे तो आपको यह पता चलेगा कि एक करोड़ पति है।वह दिन रात और अधिक पैसा कमाने की सोच रहा है। वह उसी के अंदर सोचते सोचते मर जाता है।जबकि आप जानते हैं कि उसे और अधिक पैसों की जरूरत नहीं होती है।

‌‌‌लेकिन एक सच्चे ज्ञान को जानने वाले लोग काफी दुर्लभ होते हैं। एक प्राचीन काल की कहानी याद आ गई। एक नदी के किनारे एक साधु रहा करता था। सर्दी गर्मी और बरसात वह हमेशा ही वहीं पर रहता था। अपने सामने भगवान की मूर्ति रखता था ।

‌‌‌उसी शहर के अंदर एक करोड़पति रहा करता था। वह करोड़पति जब देखता तो दंग रह जाता साधु के चेहरे पर शिकन तक नहीं होती थी। एक दिन उससे रहा नहीं गया तो वह साधु के पास गया और बोला महाराज जी आप ‌‌‌के पास कुछ भी नहीं है उसके बाद भी आप काफी शांति से रहते हैं लेकिन मेरे पास सब कुछ होते हुए भी मैं शांति से नहीं रह पाता हूं । ऐसा क्या कारण है ?

साधु ने कहा ……अरे महाजन तुम जिसको अपना समझ कर सीने से लगाये बैठे हो ना वो माया एक दिन तुमको धोखा ही देखी । उसी की वजह से तुम अशांत हो लेकिन ‌‌‌ मैं जिससे अपने सीने से लगाकर रखता हूं वह मेरी आत्मा है जो सदा मेरी ही है। और उसी से सब कुछ उत्पन्न हुआ है। यह सब कुछ चरा चर जगत के अंदर मौजूद है उसका मूल आत्मा ही है। मैं किसी भी चीज से पूर्ण नहीं हो सकता हूं । क्योंकि मैं अपने आप मे पूर्ण ही हूं । जो मांग करता है वह माया का ही एक रूप है। ‌‌‌और उसके बाद बिजनेसमैन को सब कुछ ज्ञान हो गया और उसे समझ गया जीवन मे नाम जाप करना चाहिए ।

‌‌‌अज्ञान का अर्थ और मतलब

दोस्तों अज्ञान का मतलब होता है जानकारी ना होना ।यदि आपको किसी चीज के बारे मे जानकारी नहीं है तो इसका मतलब उसके बारे मे आपको ज्ञान नहीं है। दोस्तों ज्ञान दो प्रकार का होता है पहला ज्ञान वह होता है जो आपके लिए बस इस संसार मे ही काम आएगा और दूसरा ज्ञान वह होता है जोकि ‌‌‌इस संसार के अंदर ही काम नहीं आएगा ।वरन यह आगे भी काम आएगा । वही असली ज्ञान है। जिसके बारे मे जो जान जाता है वही असली मानव धर्म को निभा पता है वरना शरीर मानव का होने पर कुछ नहीं होता है। काम अधिकतर जानवर के जैसे ही करते रहते हैं।

‌‌‌इस जीवन के अंदर हम अधिकतर ऐसे काम करते रहते हैं जोकि हमारे लिए काफी फालतू होते हैं।बहुत से लोग तो ऐसे होते हैं जो अपने पूरे जीवन किसी से धन के लिए लड़ते झगड़ते रहते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर जब उनका अंत समय आता है तो उसके बाद उनको बहुत अधिक पछताने के अलावा कुछ भी हाशिल नहीं होता है।

‌‌‌बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो जीवन के अंदर बस उसी ज्ञान को महत्व देते हैं जोकि धन कमाने मे सहायक होता है। वे अधिक से अधिक धन को कमा लेना चाहते हैं और इसके लिए बहुत अधिक प्रयास भी करते हैं। और कुछ लोग धन को कमाने मे काफी सफल हो भी जाते हैं। लेकिन इसके साथ यह समस्या है कि ‌‌‌ वे धन का सही उपयोग करना नहीं जानते हैं। धन उनके लिए एक वासन बनकर रह जाती है।ऐसी स्थिति के अंदर धन ही उनकी परेशानी बन जाती है। हर वो भौतिक चीज जो आपके मन से चिपक जाती है वह आपके लिए बाधा ही है।

‌‌‌और सच्चा ज्ञान बस दो शब्दों मे यही है कि आत्मा अजर अमर है उसका विनाश नहीं होता है। आप कभी अपूर्ण नहीं थे । इसका मतलब यह है कि आप सदा से ही पूरे ही हो । आपको किसी की जरूरत नहीं थी । आपने खुद जरूरते बनाई हैं तो आपको खुद ही इनको समाप्त करना होगा ।

‌‌‌इसलिए तो सच्चे गुरू अपने शिष्यों को यही उपदेश देते हैं कि आपको अपना कल्याण खुद करना होगा । और इसके लिए प्रयास करने होंगे। कोई भी गुरू इतना सक्षम नहीं होता है कि वह आपके सारे पापों को नष्ट करदे।

‌‌‌यदि आप सही ज्ञान को जान जाते हैं तो उसके बाद किसी भी तरह की कोई समस्याएं ही नहीं पैदा होगी ।आपको बस पता होगा कि आपको क्या करना है ? आप कभी भी फालतू की चीजों के अंदर नहीं भटकेंगे । ‌‌‌इसलिए अज्ञान का त्याग करें और ज्ञान को बढ़ाएं ज्ञान ही आपको सही मार्ग पर लेकर जा सकता है। यही आपका कल्याण कर सकता है।

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