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‌‌‌हिंसा का विलोम शब्द क्या‌‌‌ है  Hinsa ka vilom shabd kya hai ?

‌‌‌हिंसा का विलोम शब्द या ‌‌‌हिंसा का विलोम , योग्यता का उल्टा क्या होता है ? Hinsa iman  ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
‌‌‌हिंसाअहिंसा
HinsaAhinsa

‌‌‌हिंसा का विलोम शब्द क्या‌‌‌ है Hinsa ka vilom shabd kya hai ?

‌‌‌हिंसा का विलोम शब्द होता है अंहिसा । दोस्तों यदि हम हिंसा के मतलब की बात करें तो हिंसा का मतलब होता है कि मार काट मचाना । जैसे कि आतंकवादी करते हैं वे बेकसूर लोगों को मारते हैं। और उसके बदले मे उनको काफी अच्छा पैसा दिया जाता है। और यह सब चलता रहता है। और दोस्तों हिंसा इस दुनिया का ‌‌‌पहला अंग है। और सब प्रकार की जो समस्याएं पैदा होती हैं। इसका कारण यह नेचर होती है। छोटे छोटे जीवों के अंदर हिंसा होती है। और तब हम इंसानों के अंदर हिंसा कैसे नहीं हो सकती है। दोस्तों बहुत से लोगों को यह लगता है कि हिंसा का कारण भगवान होते हैं। लेकिन असली बात यह नहीं है। इन सबका कारण नेचर है।

‌‌‌यह जो सब कुछ दोष होता है वह नेचर के अंदर ही होता है। जंगली जानवरों के बीच रोज हिंसा होती है। एक जीव दूसरे को मारकर खा जाता है। ताकतवर कमजोर को मार देता है यही इस नेचर की सच्चाई है। बहुत से लोग इस धरती पर सुख की खोज करते हुए फिरते हैं लेकिन जो नेचर खुद हिंसा को प्रमोट करती है वहां पर आपको ‌‌‌किसी तरह का सुख नहीं मिल सकता है। यह हम नहीं कह रहे हैं ।वरन बड़े बड़े ज्ञानीजन इस बात को कह रहे हैं। तो दोस्तों यहां पर सुख की खोज करना ही बेमानी होगी । यदि आप समझते हैं कि आप कर्ता हैं तो यह आपकी सबसे बड़ी मूर्खता है। आप ना तो हिंसा करते हैं और ना ही अंहिसा करते हैं। आप कुछ नहीं करते हैं।

‌‌‌वरन यह सब कुछ यह भौतिक शरीर करता है जोकि नेचर का ही एक टुकड़ा है। यह अलग बात है कि इंसान के पास कर्म करने की स्वतंत्रता है तो वह फायदा ले सकता है। लेकिन कर्म किसी को माफ नहीं करते हैं। यदि आप बुरे कर्म करते हैं किसी को मारते काटते हैं तो अपने कर्मों का फल भुगतने के लिए भी आपको तैयार हो ‌‌‌ जाना चाहिए आप इस बात को अच्छी तरह से समझलें कि आपको अपने कर्मों का फल भुगतना ही पड़ेगा । आप चाहे इस देश के प्रधानमंत्री ही क्योंना हो । जिस तरह से मौत अटल है उसी  तरह से किये गए कर्मों का फल भी अटल होता है। तो हमारा यही कहना है कि आपको मानव शरीर मिला है तो आप उसका सही इस्तेमाल करें ।

‌‌‌आप जो इस शरीर का दूसरों को पीड़ा देने या फिर दूसरों को कष्ट देने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो फिर आप खुद भी कष्ट झेलने के लिए तैयार रहें सिर्फ उतने ही कष्ट नहीं जितने की आपको दूसरों ने दिये हैं । वरन आपको उससे अधिक कष्ट झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए । आप समझ सकते हैं।

‌‌‌इस तरह से दोस्तों हिंसा आप करते हैं तो आपका भला कभी भी नहीं हो सकता है। ज्ञानी लोग यदि हिंसा भी करते हैं तो बस जरूरत पड़ने पर लेकिन वे अपने कर्मों की छाप को अपने मन से दूर रखते हैं। भले ही उनका कितना बड़ा शत्रू क्यों ना हो वे उसे घृणा से कभी भी नहीं देखते हैं क्योंकि यदि वे ऐसा करेंगे तो

‌‌‌उनके कर्मों की सजा उनको ही मिलेगी तो आप समझ सकते हैं हिंसा करना आपके लिए घातक साबित हो सकता है। आप चाहे माने या ना माने लेकिन यही सच है। सदैव ही सच ही रहेगा । आपको अपने कर्मों के फलों को भोगना होगा । इसलिए आपके कर्म आपके गले की ही फांस ना बन जाएं । इसका ध्यान रखें ।

‌‌‌अहिंसा का अर्थ और मतलब

दोस्तों मन कर्म और वचन से हिंसा ना करना ही अहिंसा है। दोस्तों वैसे तो अहिंसा के अंदर रहना बहुत ही अच्छी बात होती है। लेकिन असली बात यह है कि अहिंसा के अंदर रहा ही नहीं जा सकता है। और खास कर आज के जमाने मे आज का जमाना ही कुछ इसी प्रकार का हो चुका है कि जीवन को ‌‌‌ जीने के लिए हिंसा करनी ही पड़ती है। बहुत से लोग अहिंसा पर काम करते हैं लेकिन उनको भी यह पता होना चाहिए की कई बार हम लोगों से अनजाने के अंदर किसी जीव की हत्या हो जाती है तो वह भी हिंसा ही होती है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌आप कम से कम शरीर के अंदर हैं तो हिंसा को रोक नहीं सकते हैं। किसी ना किसी रूप मे हिंसा हो ही जाती है। मैं खुद हिंसा को रोकने का प्रयास करता हूं लेकिन यह पूरी तरह से संभव नहीं है। जब हम एक जीवन की बलि देते हैं तो ही दूसरा जीवन पैदा होता है। यह नैचर का नियम है। एक जीवन की बलि देने के बाद ‌‌‌ही दूसरे जीवन का पोषण होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। आपने देखा होगा कि कई मंदिरों के अंदर बकरे की बलि दी जाती है। असल मे एक जीव से दूसरे जीवन का विकास किया जाता है। यही सब चलता रहता है।

‌‌‌कुछ मंदिरों के अंदर नारियल की बलि दी जाती है। और नारियल की बलि से ही जीवन को समृद्ध बनाया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए तो दोस्तों हम कह सकते हैं। कि बिना किसी  हिंसा के हम अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। यदि जीवन को चलाना है तो उसके बाद हिंसा करनी होगी इसके अंदर कोई ‌‌‌शक नहीं है। यदि आपके पास शरीर है तो हिंसा होगी । हां यह एक अलग बात है कि जो आप अनजाने के अंदर हिंसा करते हैं उसकी छाप आपके मन पर नहीं पड़ती है। लेकिन यदि आप कोई हिंसा जानबूझ करकरते हैं तो उसकी छाप आपके मन पर पड़ती है। और इसके कर्मों का फल भी आपको भुगतना पड़ता है।

‌‌‌इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । तो यदि आप भी हिंसा करते हैं तो आपको हिंसा करने से बचना होगा तभी कुछ फायदेमंद हो सकता है। यदि आप खुद को जितना हो सके हिंसा से अलग करलें। यही आपके लिए सही होगा इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ भी सकते हैं।

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