इच्छा का विलोम शब्द बताएं, इच्छा शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, इच्छा का उल्टा , ichcha ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
इच्छा | अनिच्छा |
Ichchha | अनिच्छा |
desire | Reluctance |
इच्छा का मतलब होता है कामना और चाह । इच्छा अनेक प्रकार की हो सकती है। लेकिन मुख्य रूप से इच्छा दो ही प्रकार की होती है। एक होती है विलासिता इच्छा और दूसरी होती है। जरूरी इच्छा ।
विलासिता इच्छा का मतलब होता है जो वास्वत मे आपने पैदा की है। यह एक अनिवार्य इच्छा नहीं है। इस इच्छा का मतलब यह है कि आप इसको पूरा नहीं करें तो भी कुछ नहीं होगा । इससे आपका जीवन समाप्त नहीं होगा । इस प्रकार की अच्छा यदि आपको पीड़ा देती है तो आप एक मूर्ख इंसान हैं। हालांकि विलासिता इच्छा की वजह से इंसान सबसे अधिक दुखी होता है।
दूसरी होती है अनिवार्य इच्छा या जरूरी इच्छा । इस प्रकार की इच्छा इंसानी शरीर के लिए आवश्यक होती है। जैसे कि भूख लगने पर भोजन की अच्छा होना । सोने की इच्छा होना । यदि आप इस प्रकार की इच्छा को पूर्ण नहीं करते हैं तो समस्या होगी । क्योंकि यह जीवन के लिए जरूरी होती है।
वैसे विलासिता इच्छा सबसे अधिक घातक होती है। इसका कारण यह है कि यह इच्छा जब पूरी हो जाती है तो दूसरी इच्छा उत्पन्न हो जाती है और जब दूसरी पूर्ण हो जाती है तो तीसरी इच्छा पैदा हो जाती है। और इंसान इन इच्छाओं के जाल के अंदर ही फंस कर रह जाता है।
उसे यह कभी भी समझ नहीं आता है कि वह मन के बनाए इच्छाओं के जाल के अंदर कैसे फंस गया है। और कई बार तो वालासिता इच्छा बहुत ही बेकार की होती हैं। अक्सर जब आपके सामने सुंदर कार गुजरती है तो आपको लगता है कि यह कार आपके पास होती तो कितना अच्छा होता । और उसके बाद सोच सोच कर इंसान दुखी हो जाता है।
अनिच्छा का मतलब होता है। इच्छा नहीं करना । जैसेकि आपको पानी पीने की इच्छा नहीं है तो वह अनिच्छा होगी । वैसे आपको बतादें कि पूर्ण अनिच्छा का मतलब अलग होता है। जो पूर्ण अच्चि्छा वाला इंसान है वह मानसिक रूप से इच्छाओं से रहित होता है। बस अनिवार्य इच्छाओं को पूर्ण करना उसके लिए जरूरी होता है। बाकि वह दूसरी इच्छाओं को जरूरी नहीं होता है कि पूरा करे ही ।
प्राचीन काल की बात है। एक गांव मे घोलू नामका एक सख्स रहता था। वह पैसे से चौकीदारी करता था। लेकिन उसकी शादी नहीं हुई थी। इस वजह से काफी दुखी रहता था। कई जगह अपने लिए लड़की तलास किया लेकिन उसे लड़की नहीं मिली । एक बार जब वह गांव के अंदर दिन मे घूम रहा था तो एक भीखमांगने वाली औरत उसे पास आई और बोली ……आप कुछ पैसे देदें तो मैं खाना खा लूंगी ।
…..आप इतनी सुंदर हैं और मांगकर खाती हैं । आपको तो शादी कर लेनी चाहिए । घोलू ने उसे सीख दी ।
……अरे साब मेरा कोई नहीं है। कौन करेगा मुझसे शादी क्या आप करेंगे?
— जी मैं तो शादी करने के लिए तैयार ही बैठा हूं लेकिन कोई लड़की नहीं मिल रही है।
……लड़की मैं हूं ना बस चलो आज ही शादी कर लेते हैं। वह भीख मांगने वाली लड़की काफी खुश होते हुए बोली । और उसके बाद घोलू उसको लेकर अपने घर चला गया । दुर्भाग्य से घोलू भी अकेला ही रहता था ।उसका इस दुनिया मे कोई भी नहीं था। दोनों एक मंदिर मे गए और वहीं पर शादी करली ।
अब घोलू भी इस शादी से काफी खुश था । और उसकी पत्नी तो काफी खुश ही थी। वह सोच रही थी कि उसके किस्मत ने काम किया और आज से उसे मांगने के लिए कहीं पर भी नहीं जाना पड़ेगा । अब उसकी शादी हो चुकी है। आराम से खाना बनाएगी और दूसरी महिलाओं की तरह सोएगी । अब उसके ऐश के दिन शूरू हो चुके हैं।
जब घोलू शाम को घर आया तो उसकी पत्नी बोली …..अरे सुनते हो आप मुझे चांदी की रंग लाके देना ।मेरे पास नहीं है।
……अरे क्या करोगी चांदी की रिंग का ?
….सब महिलाएं पहनती हैं। मेरे पास नहीं है।
…….ठीक है और घोलू खाना खाकर सो गया ।
दूसरे दिन जल्दी से अपनी डयूटी पर गया और शाम को जब डयूटी पूरी हो गई तो । किसी सुनार की दुकान पर गया और पूछा ..भाई साहब यह चांदी की रिंग कितने की है ?
…पूरे 5 टके की है।
…..ठीक है देदेा और फिर घोलू ने उस चांदी की रिंग को अपनी जेब के अंदर डाला और घर आ गया ।
…….अरे सुनती हो ?
…….हां क्या है?
……..तुम्हारे लिए चांदी की रिंग लेकर आया
हूं।
और उसके बाद घोलू की पत्नी अंदर से भागी चांदी की रिंग को देखा और झट से लेकर अपने हाथ मे पहन लिया ।फिर वह काफी खुश नजर आ रही थी। और फिर बोला ………अब आप मुझे चांदी की पायजेब भी लगाकर देना ?
……लेकिन हमारे पास पैसा नहीं है इतना ?
……कोई बात नहीं उधार कर लेना बाद मे चुका देंगे।
अब घोलू नया नया था। और उसे पत्नी की इच्छाओं का जाल समझ नहीं आ रहा था। दूसरे दिन किसी से पैसा उधार लिया और चांदी की पायल भी ले आया । पत्नी को दिया पत्नी खुश हुई लेकिन पत्नी की एक और इच्छा पैदा हो गई और बोली अबकी बार सोने की अंगूठी लाकर देना । घोलू अब काफी परेशान हुआ और पत्नी से बोला कि उसके पास पैसा नहीं है लेकिन पत्नी कहां मानने वाली थी । अंत मे घोलू को झुकना पड़ा और किसी से पेशा उधार करके सोने की अंगूठी भी पत्नी को लादी ।
और उसके बाद पत्नी ने फिर नई मांग कर डाली की अबकी बार सोने के कंगन भी ला देना । अब तो घोलू को काफी गुस्सा आया और बोला …..नहीं नहीं अब मैं नहीं ला सकता । यदि यहां पर रहना है तो रहो नहीं तो जाओ ?
पत्नी भी चालाक थी बोली …….मैं कहां जाउंगी । लेकिन तब ला देना जब पैसा हो । घोलू उधर उससे किसी तरह से छूटकारा पाना चाहता था। उसने उसके बाद पत्नी को भगाने के काफी प्रयास किये लेकिन वह जाने के लिए तैयार नहीं हुई और यदि वह उसे जबरदस्ती घर से निकाल देता तो वह राजा के पास जा सकती थी जो घोलू के लिए परेशानी खड़ी कर सकता था। बेचारा घोलू लंबे समय तक पत्नी की इच्छाओं का कर्ज चुकाता रहा ।
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