इन्द्र का पर्यायवाची शब्द indra ka paryayvachi shabd
दोस्तो इस लेंख अंदर आपको इंद्र का पर्यायवाची indra ka paryayvachi shabd या इंद्र का समानार्थी शब्द indra ka samanarthi shabd के बारे मे जानकारी दी जाएगी साथ ही इंद्र के बारे मे महत्वपूर्ण बाते बताई गई है तो लेख को देखे ।
इंद्र का पर्यायवाची या इंद्र का समानार्थी शब्द {indra ka paryayvachi ya indra ka samanarthi shabd}
शब्द {shabd} | पर्यायवाची / समानार्थी शब्द {paryayvachi / samanarthi shabd} |
इंद्र | मघवा, देवेन्द्र, विडौज, मरूत्पाल, पाकशासन, शुक्र, अमरेश, पुरन्दर, वज्री, वासव, वृषा, वृत्रहा, देवराज, आखंडल, नाकपति, सहस्त्राक्ष, अमरपति, हरि, पुरूहूत, मेघवाहन, वज्रधर, बलाराति, सुरपति, शचीपति, पाकरिपु, सुनासीर, गोत्रमिद, दिशिराज, शतक्रतु, शचीपति, संकन्दन, वृद्धश्रवा, लेखर्षम, वास्तोस्पति, सुरेश, शतमन्यु । |
indra | Maghwa, Devendra, Widowj, Marutpal, Pakashasana, shukr, Amresh, Purandar, Vajri, Vasava, Vrisha, Vratraha, Devraj, Akhandal, Nakapati, Sahastraksha, Amarpati, Hari, Puruhoot, Meghvahan, Vajradhara, Balarati, Surpati, Shachipati, Pakripu, Sunasir, Gotramid, Dishiraj, Devraj, Shatkratu, Shachipati, Sankandan, Devendra, Vriddhashrava, Lekharsham, Vastospati, Suresh, Shatmanyu. |
Thunderer {indra} | rain god, Venus, Vajris, sky god, atmosphere god, Cloud indra, Generous indra, Best indra, Excellent indra, Soul indra, thunderbolt, |
इंद्र कोन है who is indra –
हिंदु धर्म का एक ऐसा देव जो स्वर्ग मे रहता है और स्वर्ग का राजा कहा जाता है । साथ ही वर्षा करने वाला देव यही होता है और इन्हे इंद्र देव के नाम से जाना जाता है । इनका मुख बहुत ही सुन्दर है और बलशाली होने के साथ साथ ज्ञानी भी होते sहै ।
इंद्र का हिंदी अर्थ –
दोस्तो इंद्र का अर्थ अनेक प्रकार से होता है जैसे –
1. आकाश मे रहने वाला एक देवता जो वर्षा करने का काम करता हो ।
2. वायुमंडल का देव जो संपूर्ण वायुमंडल मे वास करता हो ।
3. बादलो मे रहने वाला देव जो वर्षा भी करता है ।
4.आकाश मंडल का एक ऐसा देव जो आकाश पर राज करता है ।
5. वर्षा होना ।
6. एक ऐसा राजा जो स्वर्ग मे रहा हो और स्वर्ग के देवी देवताओ मे सबसे बडा हो ।
7. स्वर्ग पर राज करने वाला एक प्रकार का सबसे बडा देव ।
इंद्र का पर्यायवाची शब्द का वाक्य में प्रयोग
- अब तो देवेन्द्र को याद करना ही होगा कितना समय बित गया मगर वर्षा न हुई ।
- इंद्र के प्रकोप के कारण से इतनी अधिक भयानक वर्षा हुई की पुरा का पुरा वृंदावन डुबने को तैयार था तो कृष्णि ने लोगो की जान बचाई ।
- वज्रधर के प्रकोप से लोगो को बचाने के लिए भगवान कृष्णि जी ने अपनी सबसे छोटी उगली पर विशाल पर्वत को उठा लिया ।
- यह एक ऐसा गाव है जहां पर वर्षा के लिए हर बार देवराज की पूजा करनी पडती है तब जाकर वर्षा होती है ।
- इंद्र देव का स्थान स्वर्ग है और वे वहां के राजा कहलाते है ।
- बादलो का देव सुरपति को कहा जाता है ।
- असुरो का आतंक देख कर भगवान इंद्र का असान डोल गया ।
इंद्र से जुडे रोचक तथ्य
- हिंदु ग्रंथो मे माना जाता है की स्वर्ग का देव इंद्र है और इनकी पूजा हर कोई करता है ।
- इंद्र देव दिखने मे बडे ही सुन्दर होते है और इनकी भुजाओ मे बहुत ताक्त है जिसके कारण से आसानी से किसी से हार नही सकते ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की भगवान इंद्र देव स्वर्ग मे रहने के साथ साथ बादलो को पूरी तरह से नियत्रित रखते है ।
- आपको यह जान कर हैरानी होगी की इंद्र देव जब क्रोधित होते है तो उनका प्रकोप वर्षा बन कर पृथ्वी पर पडता है यह वर्षा बहुत ही भयानक होती है ।
- एक बार मथुरा के लोगों ने इंद्र देव की पुजा नही की थी तो उन्होने अपना प्रकोप वर्षा के रूप मे मथुरा के लोगो पर बरसाया था ।
- इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया था ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की इंद्र देव आकाश का राजा है और सभी स्वर्ग के देव उनकी बात मानते है ।
- इंद्र के भ्राताश्री का नाम वरूणदेव है ।
- वरूणदेव जो इंद्र के भ्राताश्री है वे देवो और असुर दोनो के बहुत ही प्रिय है ।
- आपको यह पता होगा की जहां परइंद्र देव रहते है उस स्थान को स्वर्ग लोक के अलावा इन्द्रलोक भी कहा जाता है ।
- आपको जान कर हैरानी होगी क इंद्र एक देव है और उनके सोतेले भाई असुर है ।
- आपको जानकर हैरानी जरूर होगी की हिरण्यकश्यप जो एक असुर है वह इंद्र देव का सोतेला भाई है ।
- कश्यप की पत्नी आदिती के गर्भ से देवो का जन्म हुआ था जिमसे इंद्र भी एक थे ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की स्वर्ग का राजा जब कोई और बनता है तो उसे इंद्र की उपाधि प्राप्त करनी पडती है ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की इंद्र एक राजा का नाम ही नही है बल्की काल भी इंद्र का नाम है यानि एक काल का नाम भी इंद्र है ।
- आपको जानकारी तक न होगी की इंद्र किसी देव का नाम नही है बल्की स्वर्ग के राजा की उपाधि है जो राजा होता है उसे यह उपाधि दी जाती है जिसके कारण से उन्हे बाद में इंद्र कह कर बुलाया जाता है ।
इंद्र का जन्म कैसे हुआ
हिंदु ग्रंथो के अनुसार और सबसे प्राचीन ग्रंथ ॠग्वेद मे वर्णन किया गया है की ऋषि कश्यप जो एक सप्त ऋषि के रूप मे जाने जाते है उनका विवाह दक्ष की कुल 17 पुत्रियों से हुआ था । जिनमे से आदिति और दिति नाम की दो प्रथम पत्नी थी । ऋषि कश्यप की इन दोनो पत्नियो से उत्पन्न होने वाली संतान समान न थी यानि आदिति से देवो की उत्पत्ति हुई तो दिती से राक्षसो की उत्पत्ति हुई थी ।
आदिति के गर्भ से जितनी भी संतानो का जन्म हुआ था वे सभी देव बन गए थे । और इन देवो मे से ही एक देव इंद्र थे जिनका जन्म आदिति के गर्भ से हुआ था । इस कारण से आदिति देवराज इंद्र की मां व उसके पिता कश्यप थे । मगर दिति से राक्षसो का जन्म हुआ था जिसके कारण से इंद्र के सोतेले भाई के रूप मे राक्षसो को माना जाता है ।
ऋग्वेद के अनुसार इंद्र का वर्णन
ऋग्वेद सबसे प्राचिन वेद है जिसमें इंद्र का वर्णन बहुत ही अच्छी तरह से देखने को मिलता है । साथ ही देवराज इंद्र को ऋग्वेद का एक महत्तवपूर्ण देव के रूप मे जाना जाता है । इसमे बताया जाता है की जब भी कभी वर्षा होती है तो उसे करने वाला देव इंद्र ही होता है और बहुत भयानक वर्षा होने का अर्थ इंद्र के प्रकोप का इस वेद मे बताया गया है । वज्र के बारे मे बताया जाता है की इंद्र का यह एक आयुध है जो उसका बहुत ही प्रिय है । जिसके कारण से ही इन्हे वज्रपात के नाम से भी जाना जाता है ।
वेदो और ग्रंथो मे आपको इंद्र देव की कथा के बारे मे सुनने को मिल जाता है जिसमे यह बताया जाता है की इंद्र कोई देव नही है बल्की यह एक प्रकार की उपाधि है जो स्वर्ग को चलाता है उस राजा को यह उपाधि दी जाती है । जिसके कारण से वह बादमें इंद्र के नाम से जाना जाता है । साथ ही वेदो मे बताया जाता है की इंद्र एक ऋषि होता है यानि वह एक मनुष्य होता है जो इंद्र देव के नाम से जाना जाता है ।
इंद्र देव की पूजा क्यो नही होती
इंद्र देव की पूजा न होने के पीछे कृष्ण जी और गोवर्धन पर्वत की घटना जुडी हुई है । क्योकी इस घटना से पहले गोकुलवासियों भगवान इंद्र देव की पूजा बडे ही आनन्द के साथ करते थे । जिसके कारण से भगवान प्रसन्न होकर वर्षा कर देते थे जिसके कारण से गोकुलवासी को बहुत फायदा पहुंचता था । मगर भगवान कृष्ण जी का मानना कुछ अलग ही था ।
जिसके कारण उन्होने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए अपने गाव वासीयो को कहा जिससे गाव के लोगो ने उनकी बात मान ली और भगवान इंद्र की पूजा न कर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए सभी तैयार हो गए थे । जब सभी लोग पूजा करने के लिए पर्वत के पास पहुचे और पूजा करने लगे तभी यह सुचना इंद्र के पास पहुंच गई थी ।
जिसके कारण से इंद्र ने सोचा की जब तक ये मेरी पूजा करनी शुरू नही करते है तब तक मैं इतनी अधिक वर्षा करूगा की पूरा का पूरा गाव डुबने लग जाएगा । तब जाकर इन लोगो को पता चलगा की इन्होने मेरी पूजा न कर कर कितना बडा अपराध किया है । साथ ही सोचा की तब इन्हे पता चलेगा की एक बालक की बात मान कर इन्होने कितनी बडी गलती कर दी है ।
यह सोच कर उन्होने भिष्ण वर्षा करवाई । जो बहुत समय तक होती रही और माना जाता है की इस वर्षा के कारण से सब कुछ पानी के साथ बहने लगा था यहां तक की पूरा का पूरा गाव अपनी जान बचाने के लिए पर्वत की तरफ चले गए । इसके अलावा बताया जाता है की भेड बकरी गाय आदी जानवर भी वहां पर चले गए थें ।
क्योकी कृष्ण जी की बात मानने के कारण से ही गाव के लोग इतनी बडी मुसीबत मे फस गए थे तो कृष्ण जी ने गाव के लोगो को बचाने और जानवरो को बचाने के लिए पुरा का पुरा गोवर्धन पर्वत अपनी सबसे छोटी अंगुली पर उठा लिया जिसके निचे सभी लोग आराम से खडे हो गए थे ।
यह देख कर इंद्र ने और अधिक वर्षा करवाई । मगर इसका अब गाव के लोगो पर असर नही हो रहा था । बल्की गाव के लोगो को वर्षा की एक बुंद भी नही लग रही थी । जिसके कारण से काफी समय बितता गया और इंद्र का अभिमान टुटने लगा था ।
जब इंद्र ने पूरे गाव को पानी से बहा दिया मगर कृष्ण जी वह पर्वत उठाते नही हारे और गाव के लोगो को एक बुंद तक नही लगी तो इंद्र का अभिमान पूरा का पूरा टूट गया था । जिसके कारण से इंद्र ने भगवान कृष्ण को जान लिया और उनसे क्षमा मागने लगा । इस घटना के बाद मे इंद्र देव की पूजा नही होती है ।
इंद्र कहा रहते है
हिंदु धर्मो का मानना है की भगवान इंद्र इंद्रलोक मे रहते है जिसे हम स्वर्ग लोक के नाम से भी जाते है । यह वही स्थान हैं जहां पर मनुष्य के मरने के बाद मे उसकी आत्मा चली जाती है ।इस स्थान मे बहुती ही आनन्द पैदा होता रहता है जिसा अनुभव बडा ही अच्छा होता है । जिसके कारण से हर कोई यहां पर जाना चाहता है ।
इंद्र को एक राजा के नाम से जाना जाता है जो स्वर्ग के राजा होते है । राजा होने के कारण से ये हमेशा ही अपने राजा के पद को बचाने का प्रयाश करते है और इसके बारे मे बहुत ही ज्यादा सोच विचार करते है । क्योकी यहां पर इंद्र का वास होता है जिसके कारण से ही इस स्थान को इंद्र लोक के नाम से जाना जाता है ।
इंद्र लोक में मनुष्य की आत्मा रहती है जो मरने के बाद मे जाती है । मगर इस स्थान के बारे मे बहुत से प्रशन सामने आते है की क्या सच मे यह वह स्थान है जहां पर सुखमय जीवन होता है । इस बारे में अलग अलग बाते कही जाती है । मगर फिर भी हिंदुओ का यही माना रहता है की यह सच मे वही स्थान है जहां पर जीवन जरूर सुखमय रहता है ।
मगर अनेक ग्रंथो के हिसाब से बात करे तो बताया जाता है की यहां पर भौतिक शरीर न होने के कारण से भोतिक कार्य नही किया जाता है । जिस तरह से पृथ्वी पर खान पान करना पडता है मगर स्वर्ग लोक में मनुष्य को खान पान नही करना पडता है । इस तरह के स्थान पर ही भगवान इंद्र रहते है ।
इंद्र को वज्रपात क्यों कहते है
इंद्र देव को वर्षा करने वाले देव के नाम से भी जाना जाता है। और इनका ‘वज्र’ इनका एक प्रसिद्ध आयुध है । जिसका उपयोग ये युद्ध करने के समय भी करते है ।
व्रजपात का अर्थ दो रूपों में लिया जाता है
1. जब आकाश से बीजली गिरती है तो उसे व्रजपता कहा जाता है ।
और 2.दूसरा भिष्ण संकट को व्रजपात कहा जाता है ।
क्योकी वर्षा के समय अक्सर बिजली का गिरना दिखाई देता रहता है । क्योकी वर्षा भगवान इंद्र ही करवाते है ऐसा माना जाता है तो व्रजपात का कारण भी भगवान इंद्र को बताया जाता है । इसके अलावा मथुरावासियों पर वर्षा के रूप मे भिष्ण कष्ट आया था तो इन्हे वर्षा का कष्ट देने वाला भी बताया जाता है । जो की व्रजपात का अर्थ होता है । और यही कारण है की इन्हे व्रजपात के नाम से जाना जाता है । जिसका सिधा सा अर्थ बनता है की ऐसा देव जिसके पास व्रज हो और वह वज्र पात दिराने का काम करता हो ।
क्या इंद्र देव मानव के लिए उपयोगी है
अगर आपने हमारे लेखो को अच्छी तरह से पढा है तो आपको अभी तक पता होगा की हम हमेशा कहते है की जो ईश्वर की पूजा करता है ईश्वर भी उनकी मदद करता है ।
और आपको पता होगा की इंद्र देव भी एक भगवान है जो की ईश्वर में सामिल है और इसका मतलब हुआ की ईश्वर मानव के भी मानव के जीवन में कुछ अनोखा करते है ।
दोस्तो आपने देखा होगा की इंद्र देव को वर्षा करवाने वाला माना जाता है तो इंद्र देव को खुश रखना भी हमारा फर्ज होता है क्योकी अंगर इंद्र देव की पूजा की जाती है तो उस स्थान पर वर्षां की कमी नही रहती है और इसका मतलब है की उस स्थान पर फसल अच्छी होती है और मानव पेट भर कर भोजन कर लेता है ।
और इसी तरह से कुछ अन्य मदद है जो की इंद्र देव मानव की करते है और इस बात से कह सकते है की इंद्र मानव के लिए उपयोगी है ।