दोस्तो इस लेख मे हम जनक का पर्यायवाची शब्द janak ka paryayvachi shabd या जनक का समानार्थी शब्द janak ka samanarthi shabd के बारे मे जानेगे साथ ही इस लेख के साथ मे हम जनक के बारे मे बहुत कुछ ऐसी जानकारी हासिल करेगे जो बहुत ही उपयोगी होती है तो लेख को देखे ।
जनक शब्द के दो रूपो में पर्यायवाची शब्द को माना जाता है जो निचे दिए है –
शब्द { shabd} | { paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
जनक | 1. राजर्षि, मिथिेलेश, विवेकनिधि, तिर्हुतराज 2. बप्पा, जन्मदाता, तात, पिताजी , जनपिता, पिता, बापू, बाप, जनित्र, उत्पादक, जन्मदाता, उत्पन्न करनेवाला । |
janak | 1. rajarshi, mithielesh, vivekanidhi, tirhutaraj 2. bappa, janmadata, taat, pitaji , janapita, pita, baapoo, baap, janitr, utpaadak, janmadaata, utpann karanevaala . |
parent | 1. Rajarshi, Mithilesh, Vivekanidhi, Tirhutraj 2. Father, father, father, father, father, father, father, father, father, parent, Begetter, Germinative, JANAK, origination, originator, Producer, producer, progenitor, producer.. |
1. राजर्षि (Rajarshi)
2. मिथिलेश (Mithilesh)
3. विवेकनिधि (Viveknidhi)
4. तिर्हुतराज (Tirhutraj)
5. बप्पा (Bappa)
6. जन्मदाता (Janmadadata)
7. तात (Taat)
8. पिताजी (Pitaji)
9. जनपिता (Janapita)
10. पिता (Pita)
11. बापू (Bapu)
12. बाप (Baap)
13. जनित्र (Janitr)
14. उत्पादक (Utpadak)
15. जन्मदाता (Janmadata)
16. उत्पन्न करनेवाला (Utpanna Karnewala)
जनक शब्द का हिंदी मे अर्थ दो रूपो मे बताया जाता है एक पिता के रूप मे तो दूसरा किसी जाती को दर्शाता है । इस कारण से जनक को कूल दो रूपो मे मान सकते है और इस तरह से जनक का अर्थ है –
जनक शब्द की उत्पत्ति प्राचीन समय में हो चुकी थी क्योकी जब सृष्टी की रचना हो रही थी तो भगवान ब्रह्मा ने जीवो को जन्म दिया जिसके कारण से भगवान ब्रह्मा को जनक कहा गया था । उसी के साथ जनक शब्द का प्रयोग होना शुरू हुआ था । क्योकी ब्रह्मा ने जन्म देने का काम किया था तो वे पिता के रूप मे जाने जाते है । जिसके कारण से पिता का जनक कहा जाता है ।
इसके बाद में पिता का पर्यायवाची कें रूप मे जन का प्रयोग होने लगा । मगर इसके अलावा कुछ व्यक्तियो और एक वृक्ष का भी जनक नाम रखा गया है । मगर असल मे जनक का पर्यायवाची शब्द पिता से होता है । क्योकी पिता का पर्यायवाची ही जनक होता है जिसका सिधा साधा अर्थ होता है जन्म देने वाला ।
क्योकी जनक शब्द को दो रूपो मे परिभाषित किया जाता है जिनमे से एक पिता के रूप में होता है तो दूसरा मिथिला के राजा के रूप मे होता है । जिसके कारण से जनक शब्द के रोचक तथ्य दोनो के रूप मे बताए जाते है ।
दोस्तो जनक शब्द का अर्थ होता है जन्म देने वाला या उत्पन्न करने वाला । यानि इस संसार में माता पिता ही एक संतान को जन्म देती है । जिसमें दोनो का बहुत सहयोग रहता है । माता जहां बच्चे को अपने गर्भ में नो महिने रखती है वही पिता बच्चे की उमर भर आगे बढने में मदद करता है । मगर इस बिच में जन्म का सहयोग पिता का होता है ।
जिसकें कारण से ही एक संतान का जन्म होता है । इस तरह से पिता जन्म देने का काम करता है जिसके कारण से इन्हे जनक कहा जाता है । क्योकी जनक शब्द का अर्थ ही जन्म देने वाले से होता है ।
रामायण में भगवान राम का उल्लेख होता है और उसी समय माता सीता का भी परिचय दिया जाता है । भगवान राम ने जीस कन्या से विवाह किया था वह और कोई नही बल्की सीता था जिसके पिता ही राजा जनक थे । राजा जनक मिथिला नाम की नगरी में रहा करते थे ।
राजा जनक मिथिला के राजा कें रूप मे जाने जाते थे । रामायण में राजा जनक के बारे मे बताया जाता है की उनके दरबार में बहुत से ऋषि-मुनियों का आना जाना रहा करता था । इसका करण यह था की राजा जनक एक भग्त थे जो अपने प्रभु की भग्ति के अलावा कुछ भी ध्यान में नहीं रखना चाहते थे । जिसके कारण से ही उनकें दरबार में ऋषि-मुनियों का आना जाना रहता था ।
बताया जाता है की जनक इतने ज्ञानी थे की वे सांसारिक मोह माया से भी बचे हुए थे यानि सांसारिक मोह माया से वे दूर ही रहा करते थे । फिर भी राजा जनक ने सुनैना नाम की एक कन्या से विवाह किया था और उससे एक पुत्री का भी जन्म हुआ । मगर यह पूत्री माता सिता न थी बल्की यह उर्मिला थी ।
जिसका विवाह राम से नही हुआ बल्की राम के छोटे भाई लक्ष्मण कें साथ हुआ था । इसके अलावा जनक की एक पुत्री और थी जीसका नाम सीता था और इनका जन्म नही हुआ बल्की यह तो धरती से उत्पन्न हुई थी ।
आपको जान कर हैरानी होगी की जनक जहां पिता का पर्यायवाची कें रूप मे जाना जाता है वही यह एक प्रकार की उपाधि भी है जिसे राजा महाराजाओ को प्राप्त होती थी । यही कारण है की कई राजाओ को जनक कहा गया है । दरसल राजाओ को यह उपाधि प्राप्त होती थी जिसके बाद में उस राजा को जनक कें नाम से जाना जाता है ।
जिस तरह से रामायण में राजा सिरध्वज को जनक उपाधि प्राप्त होने के बाद में राजा जनक कहा जाने लगा था । उसी तरह से यह उपाधि कुछ अन्य राजाओ को भी प्राप्त थी । मगर राजा सिरध्वज को वर्तमान में भी जनक कहा जाता है । और माता सीता के पिता के रूप में जाना जाता है ।
आपको जान कर हैरानी होगी पर सच है वर्तमान में भी जनक शब्द का प्रयोग हो रहा है । क्योकी उपर हमने जाना की यह एक प्रकार की उपाधि है जो वर्तमान में बहुत प्रचलित है । क्योकी जनक का अर्थ जन्म देने से होता है और जब भी कोई व्यक्ति किसी नई प्रकार की जाती या किसी वस्तु को जन्म देता है तो उसे उस वस्तु का जनक कहा जाता है ।
उदहारण – वर्तमान में विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक नई नई खोजो के कारण से कुछ श्रेष्ठ है । इसी तरह से उन्होने बहुत कुछ खोजा है जो किसी अन्य वैज्ञानिक ने पहले कभी नही बताया था । जिस तरह से लिनियस नाम के वैज्ञानिक को आधुनिक वनस्पति विज्ञान के जनक कें रूप में जाना जाता है। इस तरह से इस उपाधि का वर्तमान में भी उपयोग होता आ रहा है ।
राजा जनक का जन्म एक बहुत बडी घटना से जुडा हुआ है क्योकी एक बार राजा जनक के पिता निमि अपने यहां एक बहुत बडा यज्ञ करवा रहे थे । जिस यज्ञ में बहुत से विद्वान लोग आए हुए थे । बहुत से ऋषि इस यज्ञ में सामिल हुए थे । उस समय ऋषि वशिष्ठ को बहुत महान बताया जाता है जिसके कारण से निमि ने उन्हे मुख्य पुरोहित कें रूप मे बुलाया था ।
जब यज्ञ शुरू हुआ तो वहां पर ऋषि गौतम और अन्य ऋषि पधार गए थे । मगर ऋषि वरिष्ठ वहां पर नही आ सके थे । क्योकी उसी दिन और उसी समय इंद्र भी एक यज्ञ करवा रहे थे जहां पर वरिष्ठ जी गए हुए थे । उन्हे लगा की राजा निमि जन्म प्रतिक्षा करेगे ।
जिसके कारण से उन्होने इंद्र कें यहां का यज्ञ जल्दी जल्दी संपन्न करते हुए राजा निमि के पास गए । मगर वहां जाकर उन्होने देखा की राजा निमि ऋषि गौतम और अन्य ऋषियों के साथ यज्ञ कर रहे है । तब वरिष्ठ जी को लगा की राजा निमि उनका अपमान कर रहे है क्योकी उन्होने जब आमत्रित किया था तो प्रतिक्षा करनी चाहिए थी ।
इसी सोच के कारण से ऋषि वरिष्ठ को क्रोधित होते देर नही लगी । और इस क्रोध का कारण निमि को बनना पडा । क्योकी वरिष्ठजी ने निमि को भष्म होने का श्राप दे दिया । इस पर राजा निमि क्रोधित हो गए और उन्होने भी वरिष्ठ जी को श्राप दे दिया ।
जिसके कारण से दोनो भष्म होने लगे यह देख कर ऋषि गोतम और अन्य ऋषियों को लगा की अगर राजा निमि मर गए तो यज्ञ बिच में रह जाएगा जो की किसी के लिए भी अच्छा नही होगा । जिसके कारण से ऋषियो ने अपनी शक्तियो से निमि के शरीर को मथने के कारण से एक पुत्र की प्राप्त की । जिसे राजा जनक कें नाम से जाना जाता है । इस तरह से राजा जनक का जन्म हुआ था ।
इस तरह से हमने इस लेख मे जनक का पर्यायवाची शब्द के बारे मे जान लिया है साथ ही जनक शब्द के अर्थो के साथ साथ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली है ।
दोस्तो जनक का अर्थ क्या होता है यह आपको पता होगा तो आप यह जरूर जान जाएगे की क्या मानव के लिए जनक उपयोगी है ।
वैसे आपको बात दे की जनक पिता को कहा जाता है और पिता का जीवन मे होना कितना जरूरी है यह वे लोग बता सकते है जिनके पिता अभी जीवित नही है।
कहने का मतलब है की पिता का होना काफी जरूरी है । और दूसरा की पिता के बिना तो हमारा जन्म तक नही होता है तो फिर हम कैसे कह सकते है की पिता उपयोगी नही है ।
बल्की यह कहा जाएगा की पतिा का होना मानव के लिए काफी जरूरी है और उनका होना उपयोगी है ।
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