झरना का पर्यायवाची शब्द या झरना का समानार्थी शब्द { jharna paryayvachi shabd / jharna samanarthi shabd} के बारे में यहां पर आज हम जानेगे । इसके साथ ही हम झरना से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी के बारे में चर्चा करेगे तो लेख को देखे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द / समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
झरना | सोता, सरण, झालर, निर्झर, झर, स्रोत, फ़ौवारा, उत्स, वारिवाह, प्रपात, जलमाला, जल-प्रपात, प्रस्त्रवण । |
झरना | Jharana, sota, saran, jhaalar, nirjhar, jhar, srot, fauvaara, uts, vaarivaah, prapaat, jalamaala, jal-prapaat, prastravan . |
झरना | waterfall, cascade, fount, fall, well. |
हिंदी भाषा में झरना उसे कहा जाता है जो विभिन्न तरह के पहाडो से जल का बहाव जारी रहता है । जिसे स्रोता और निर्झर के नाम से भी जाना जाता है ।
संक्षिप्त में कहे तो यह एक तरह का जलप्रपात होता है जो की पहाडो से सिधा निचे की और गिरता है और फिर एक नदी के रूप में बहने लग जाता है ।
झरना शब्द का वाक्य में प्रयोग
दोस्तो आज हमारी पृथ्वी पर अनेक तरह की नदिया है जिनका पानी विभिन्न तरह के पहाडो से होकर आता है । और जब यह पानी बिना ढलान वाले पहाडो से सिधे ही निचे गिरता है तो इस तरह से पानी गिरने को झरना कहा जाता है । इसे इस तरह से समझा जा सकता है की
जब किसी पर्वत से होकर नदी धरती की तरफ बढती है तो पानी सिधा पर्वत से धरती पर गिरता है जिसके कारण से पानी का वेग काफी अधिक होता है । और इस तरह से उपर से निचे पानी गिरने को झरना कहा जाता है ।
हालाकी झरना वही होता है जिसमें लगातार पानी गिरता रह सके । इसे समझने के लिए हम एक नदी का उदहारण लेते है जो की लगभग 300 मीटर के पहाड से निचे गिरती है । जब यह नदी पहाड से धरती पर आती है तो इस बिच उंचाई 300 मिटर होती है जो की पानी का वेग काफी अधिक होता है तो इस तरह से उपर से निचे पानी के गिरने को ही झरना कहा जाता है।
दूसरा अगर कभी पर्वत से धरती पर गिरने वाला पानी कम मात्रा में होता है तो उसे भी झरना कहा जाता है । जैसे मान लो की कोई एक नदी है जो की काफी अधिक उंचाई से धरती पर गिरती है । और इसमें पानी की मात्रा बहुत ही कम होती है तो इस तरह से गिरने वाली नदी को भी झरना कहा जाता है । हालाकी इसमें मानी की कमी है। यह कोई बडी बात नही होती है । क्योकी संक्षिप्त में झरने का अर्थ वही होता है पहाड़ आदि ऊँचे स्थान से नीचे गिरने वाला जल प्रवाह।
इस तरह से अनेक तरह के झरने हमारी पृथ्वी पर मोजूद है जो की झरनो के रूप में जाने जाते है । इसके अलावा इस तरह के झरनो को जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है क्योकी एक जलप्रपात भी झरने की तरह ही होता है ।
दोस्तो झरने में पानी का महत्व होता है और पानी का उपर से निचे की और गिरना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है जिसके आधार पर ही इसे झरना कहा जाता है। और इसी पानी के गिरने के तरीके व मात्रा के आधार पर ही झरनो को विभिन्न प्रकारो में बाटा जा सकता है ।
दोस्तो आपने देखा होगा की पर्वतो से जब पानी गिरता है तो बडी मात्रा में एक साथ पानी निचे गिर जाता है । जिसके कारण से उस पानी पर वेग भी बहुत अधिक होता है और इस तरह से पानी का बहाव अधिक होने के कारण से पानी में ठहर नही सकता है । इस पानी का इतना अधिक वेग होता है की यह मानव को अपने साथ बहाकर ले जाने की क्षमता रखता है । इस तरह के विशाल जलप्रपातो के रूप में होने वाले झरनो को महाजलप्रपात झरना के रूप में जाना जाता है ।
जैसा की नाम से ही मालूम हो रहा है की जहां हिम की मात्रा मोजूद हो । यानि ऐक ऐसा मार्ग जिसमें पानी उपर से निचे गिरते समय पानी के साथ साथ हिम की मात्रा भी देखने को मिले हिमाद्रि झरना कहा जाता है ।
इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की एक ऐसा झरना जीसके पानी के साथ साथ बर्फ के टुकडे भी गिरते रहते है ऐस बर्फ वाले झरनो को हिमाद्रि झरना कहा जाता है
जैसा की नाम से ही मालूम हो रहा है की एक ऐसा झरना जिसमें पानी की मात्रा उपर से निचे गिरते समय ढलान वाला क्षेत्र होता है । और पानी इसी मात्रा मे ढालू तरीके से गिरता रहता है ढालू झरने कहलाते है ।
इस तरह के झरनो में पानी एक साथ नही बहता है बल्की जब पानी उपर से निचे की और गिरता है तो बिच में कोई अवरोध आ जाता है जिसके कारण से पानी का बहाव दूसरी और चला जाता है और एक ही तरह का पानी अलग अलग प्रकार के झरनो के रूप में निचे गिरता है इस तरह के झरनो को विभक्त झरने कहा जाता है । इस तरह के झरनो में पानी की मात्रा बहुत ही कम देखने को मिलती है क्योकी पानी अलग अलग भागो में विभक्त हो जाता है ।
दूसरा इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की कई छोटे छोटे झरने अलग अलग दूर पर निकलते है मगर इनमे ज्यादा दूरी नही होती है जिसके कारण से देखने में ऐसा लगे की यह एक ही तरह का पानी है जो अलग अलग जगहो से निकल रहा है । जैसे हम अनेक नलो से एक ही पानी निकालते है वैसे ही यह झरना होता है ।
इस तरह के झरने में पानी गोता लगता हुआ निचे गिरता है । जैसे की पक्षी उडता हुआ गोता लगता है और अचानक निचे आकर बैठ जाता है या फिर वापस उड जाता है ठिक इसी तरह से जब पानी किसी चट्टान से टकराकर गोता लगाता हुआ निचे गिर जाता है गोता झरना कहलाता है ।
दोस्तो जीस तरह से एक पंख घूमता है तो अपने आस पास की हवा को दूर दूर बिखेर देता है । ठिक इसी से अगर जल पर्वत से निचे गिरते समय दूर दूर फैल जाता है जैसा मानो की बिच में एक पंखा है जो पानी को इधर उधर फैलाने का काम कर रहा हो इस तरह के झरनो को पंखा झरना कहा जाता है ।
इस तरह के झरनो का पानी धरती पर आकर एक कुंड के रूप में देखने को मिलता है हालाकी जब यह उपर से निचे गिरता है तो कुंड के रूप में नही होता बल्की यह एक संकीर्ण धारा के रूप में होता है मगर जैसे ही यह धरती पर आता है तो धरती से टकराकर पानी फैल जाता है और एक घेरे के रूप में कुंड में मिल जाता है । खरल झरना कहा जाता है ।
ऐसे झरने जीनमें पानी अलग अलग भागो से मिश्रित होकर आता है और फिर वह उपर से निचे गिरता है । मिश्रित झरने कहा जाता है ।
इसके अलावा भी झरनो को प्रकारो में बाटा जा सकता है और यह भी पानी के आधार पर ही होता है की उपर से निचे गिरते समय पानी कैसे गिरता है ।
आमतोर झरने कई वर्षो पहले ही बन जाते है मगर आज भी झरने बन सकते है यह कोई बडी बात नही होती । क्योकी हमारे पर्वतो पर बहुत ही अधिक मात्रा में पानी है जो की धरती पर आएगा यह तो सभी को मालूम है । मगर इसका मार्ग कैसा होगा यह नही मालूम । और इसी के रूप में झरने बनते है । आखिर झरने कैसे बनते है इन्हे इस बात पर समझा जा सकता है ।
जैसे की मान लो की हमारे किसी पर्वत पर बहुत ही अधिक मात्रा में पानी बह कर आ रहा है । या यह कह सकते है किसी नदी का पानी गुजरता हुआ हमारी धरती की और बढता है । जिससे पहले वह पर्वत से धरती की तरफ गिरता है । मगर इसी बिच वह जल कुछ भागो में बट जाता है और दूसरी तरफ जाता है ।
हालकी अब उस दिशा में पानी की मात्रा अधिक नही होती है मगर धिरे धिरे यह जल कोमल चट्टानो को काटने का काम करती है जिसके कारण से जल की मात्रा उस दिशा की और बढने लग जाती है और जल के कारण से मार्ग और अधिक कटने लग जाता है । इस तरह से जल की मात्रा बढती जाती है । और अब पानी का बहाव अधिक हो जाने के कारण से वह कही न कही से धरती पर गिरता ही है और वह अपना निश्चित मार्ग बनाती हुई आगे बढती जाती है और जल धरती पर गिरने लग जाता है ।
पहले यह थोडी मात्रा में होता है और फिर यह बडी मात्रा में होने लग जाता है । जिसके कारण से दूर से भी पता चल जाता है की वहां भी कोई झरना है । इस तरह से एक नदी का पानी किसी अन्य रास्ते से पर्वत के उपर से निचे धरती पर गिरता है और एक नया झरना बन जाता है । अक्सर लोगो ने ऐसे बने झरनो को देखा भी है जिसमें कम मात्रा में पानी बह कर आता रहता है ।
दोस्तो अगर कोई नदी पहाडो से होकर धरती से होती हुई आगे बढती है तो उस नदी को झरना कहा जा सकता है । मगर यह पूरी नदी झरना नही होती बल्की जब जल पर्वत के उपर से निचे धरती पर गिरता है केवल इतने मार्ग को ही झरना कहा जाएगा । न की पूरे जल के मार्ग को ही । इस तरह से विभिन्न तरह की नदियो का पानी जब पर्वत के उपर से निचे धरती पर गिरता है तो इस मार्ग को उन नदियो का झरना कहा जाता है ।
इस तरह के झरनो को देखने में बडा ही आनन्द महसुस होता है क्योकी झरना बहुत ही सुंदर रूप में दिखता है और आस पास का वातावरण उस झरने को और अधिक सुंदर बना देते है । और यही कारण होता है की वर्तमान में अनेक लोग विभिन्न तरह के झरनो को देखने के लिए जाते रहते है । अक्सर जब जंगलो में कोई फस जाता है तो इस तरह के झरने मिल जाते है क्योकी पानी जंगलो के रास्ते से ही आ रहा होता हैं
।
इस तरह से हमने झरना का पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द के बारे में जान लिया है ।
क्या आपने कभी अपने जीवन में झरना देखा है कमेंट में बताना न भूले ।
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