जीवन का विलोम शब्द Jivan ka vilom shabd kya hai ?

जीवन का विलोम शब्द या जीवन का विलोम , जीवन का उल्टा क्या होता है ? Jivan ka vilom shabd , Jivan ka vilom shabd kya hai

शब्दविलोम शब्द
जीवनमरण, मृत्यु
JivanMaran, Mratyu

‌‌‌जीवन का विलोम शब्द और अर्थ

‌‌‌जीवन का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों जीवन के बारे मे हम सभी जानते हैं।जब हांड मांस का बना पूतला हिलने लगता है तो इसका मतलब यह है कि उसके अंदर जीव का प्रवेश हो चुका है । इसी को जीवन कहते हैं। और जीव जीवन से अलग होता है। जीव एक प्रकार का विचारों और भावनाओं का संग्रह होता है। ‌‌‌जबकि जीवन जीव के कारण पैदा होता है। यह सब कुछ प्रकृति का ही खेल होता है। हम सभी इस प्रकृति के खेल मे फंसे हुए हैं। इसमे कोई शक नहीं है। प्रकृति हमारे साथ एक गेम खेल रही है।

‌‌‌यह सच है कि जीव का कभी भी विनाश नहीं होता है।विनाश सिर्फ जीवन का होता है।जीव एक शरीर छोड़ने के बाद दूसरा शरीर धारण करता है। यह हिंदु लोग नहीं कहते हैं वरन अमेरिका के वैज्ञानिक कहते हैं। ‌‌‌कई अमेरिकी वैज्ञानिकों की पुस्तके पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि जो हिंदु कहते हैं वही सच है।

‌‌‌यदि बात करें जीवन कैसे संभव हुआ ? तो यह बहुत ही कठिन है। आज तक कोई भी यह नहीं बता पाया है कि जीवन की उत्पति कैसे हुई ? लेकिन इतना जाना जा जाता है कि एक जीव से दूसरा जीव पैदा हुआ । जीवन की उत्पति एक बहुत ही लंबी विकास प्रक्रिया का काम है।

‌‌‌और हम जैसे इंसान बनने मे काफी साल लगे हैं।और आज भी यह प्रक्रिया जारी है इसमे कोई शक नहीं है। असल मे प्रकृति मे एक तरह के जीव पैदा होते हैं तो दूसरे तरह के जीवन नष्ट हो जाते हैं। यदि आप धरती के इतिहास को देखेंगे तो आप पाएंगे कि ‌‌‌हर प्रजाति का किसी ना किसी समय धरती पर काफी वर्चस्व रहा होगा । एक समय डायनासोर का युग था। लेकिन समय के साथ सब कुछ खत्म हो गया । आज धरती पर होमोशिपयंस राज करते हैं लेकिन एक समय ऐसा आएगा कि हम इंसानी लोग धरती पर नहीं बच पाएंगे तो फिर क्या होगा ?

‌‌‌और उसके बाद हमारी वजह से जो दूसरी प्रजातियों की संख्या मे बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है वह अपने आप बढ़ने लगेगें । और उसके बाद धरती पर वह प्रजाति राज करेगी जो उस समय के वातावरण के अनुकूल होगी ।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि बहुतसे इंसानों को यह वहम होता है कि वे धरती पर राज करेंगे लेकिन हकीकत कुछ अलग ही है। धरती पर कोई भी राज नहीं कर सकता है। आज करोड़ों साल हो चुकी हैं धरती पर जीवन होते हुए लेकिन कोई भी यहां राज नहीं कर पाया है।

‌‌‌इंसान धरती के सामने एक कीड़ा है और यह किड़ा कितना भी कूद ले लेकिन अंत मे हाथ भी नहीं हिला पायेगा । सिंकदर जब मरा था तो उसके दोनों हाथा खाली थे । क्योंकि उसने भी राज करने के सपने देखे थे पर कुछ भी हाशिल नहीं हो पाया था।‌‌‌असल मे यह जीवन बस आपके जीने के लिए है।आप इस जीवन का इस्तेमाल अधिक से अधिक लोगों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं तो फिर यह अच्छी बात कैसे हो सकती है।

‌‌‌मरण का अर्थ और मतलब

दोस्तो जीवन का उल्टा मरण होता है।मरण का मतलब तो आप बहुत ही अच्छी तरह से जानते ही हैं। जब यह शरीर इस लायक नहीं रह जाता है कि जीवन को थाम सके तो जीवन अपने आप ही इस शरीर को छोड़ देता है।

यह भी एक गहरा विज्ञान है। ‌‌‌मतलब यही है कि जब आपका शरीर आत्मा को धारण नहीं रख पाता है तो मौत हो जाती है।ओशो के बारे मे तो आपने सुना ही होगा । ओशो ने खुद को मौत सीखाने वाला बताया था। उन्होंने कहा था कि सब लोग जीवन जीने का ढंग सीखाते हैं लेकिन मैं मौत सीखाता हूं । और जो मौत को सीख लेता है उसे जीवन जीने का ढंग तो अपने आप ‌‌‌ आ ही जाएगा । ‌‌‌दोस्तों भले ही इस दुनिया मे कुछ भी तय नहीं है लेकिन एक चीज तय है और वो है मोत ।जिसने जन्म लिया है उसको मरना ही होगा इसमे कोई शक नहीं है। आप मरने से इंकार नहीं कर सकते हैं। क्योंकि मरना आपके बस के बाहर की चीज है। और मौत सबको आनी है मरण सबका होना है भले ही वह करोड़पति हो या फिर रोड़पति।

‌‌‌लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि मरना कोई भी नहीं चाहता है ।सब जीना चाहते हैं। क्योंकि हमको इस भौतिकवादी दुनिया ने यही सिखाया है कि मौत जीवन का समाप्त है लेकिन यह बहुत बड़ा झूठ है।

 मौत जीवन का समाप्त नहीं है। मौत के बाद भी जीवन मौजूद है। अनेक तरह के शोध इस पर आ चुके हैं । और धर्म ने ‌‌‌ तो हजारों सालों पहले ही यह बता दिया था कि मौत जीवन का अंत नहीं है।मौत तो जीवन के रहस्य को जानने की कला है। असल मे यही बात सच है। कहा जाता है कि बड़े बड़े महायोगी ने इच्छा मृत्यु की शक्ति प्राप्त होती है वे खुद अपने प्राण को त्याग देते हैं और उसके बाद अपनी मर्जी से शरीर भी धारण करते हैं।

‌‌‌और इस घोर कलियुग के अंदर इस प्रकार के योगियों का मिलना काफी कठिन होता है।और जो हैं भी वो सामने नहीं आते हैं । क्योंकि उनको पता है धरती पर राक्षसी राज हो चुका है जो अपने आप ही समाप्त हो जाएंगे ।

‌‌‌लेकिन जो भी हो मौत नाम से सभी डर जाते हैं।मौत के नाम से बड़े बड़े लोगों घिघी बन जाती है। क्योंकि सब जीवन से प्यार करते हैं मौत से कोई भी प्यार नहीं करता है।

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‌‌‌तो जब इंसान मर जाता है तो उसके शरीर से आत्मा निकल जाती है और उसके बाद उसका शरीर हिलडुल नहीं सकता है। क्योंकि शरीर को चलाने वाली जो शक्ति होती है शरीर उसके नियंत्रण से बाहर जा चुका होता है।

‌‌‌हालांकि मरने के बाद आत्मा शरीर के अंदर फिर से प्रवेश करने की कोशिश करती है लेकिन वह इस मामले मे सफल नहीं हो सकती है क्योंकि शरीर के पास उस आत्मा को थामे रखने की शक्ति नहीं होती है। ‌‌‌इस प्रकार से इंसान की मौत हो जाती है। आत्मा के बारे मे यह कहा जाता है कि उसका शरीर से मोह होने की स्थिति मे वह शरीर के पास ही बैठी रहती है।अगर आप कुछ हासिल करना चाहते हैं तो आपको जीवन में जोखिम लेने के लिए तैयार रहना होगा। अन्यथा, आप अपने करियर या अपने निजी जीवन में बस ठहराव भर देंगे। आपको नई चीजों को आजमाने के लिए तैयार रहना होगा, मौके लेने चाहिए और असफलता से नहीं डरना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो जीवन निश्चित रूप से आपके साथ अच्छा व्यवहार करेगा!

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