कछुए को संस्कृत में क्या कहते हैं , kachua ko sanskrit mein kya kahate hain दोस्तो कुछआ के बारे मे आप सभी अच्छी तरह से जानते ही होंगे ।कछुआ जल और थल दोनो ही जगहों पर आसानी से रह सकता है। और कछुआ की हजारों प्रजातियां हैं। जिनमे से कुछ तो विलुप्त हो चुकी हैं ।और कछुआ की प्रजाति करोड़ों साल पुरानी है। धरती पर करोड़ों साल पहले कछुआ पैदा हुए थे ।
कच्छप:कछुए को संस्कृत में कहा जाता है हालांकि कुछआ के संस्कृत मे अन्य नाम भी हो सकते हैं। हालंकि इस बारे मे हमे जानकारी नहीं है। फिर भी यदि आपको कछुआ काफी पसंद है आप हमें नीचे कमेंट करके यह बता सकते हैं कि आपको कछुआ क्यों पसंद है।
आपने यह तो जान ही लिया है कि कछुआ को संस्कृत मे क्या कहते हैं। अब हम आपको कछुआ से जुड़े कुछ फेक्टस को बताने जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कछुआ से जुड़े मजेदार फेक्टस । यदि नहीं जानते हैं तो आप पढ़ सकते हैं।
दोस्तों कछुआ लगभग 200 मिलियन साल से धरती पर हैं। यह सर्प से पहले से ही मौजूद हैं। इनका इतने समय तक टिके रहने का सबसे बड़ा कारण तो इनकी वातावरण के प्रतिअनुकुलता है और यह जल और थल दोनो जगहों पर आसानी से रह सकते हैं। यह तब की बात है जब धरती पर इंसान का नामो निशान भी नहीं था।
दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कछुआ की उम्र इंसान की तुलना मे अधिक होती है। इनकी उम्र 200 साल तक हो सकती है। हेरिएट नामक एक कछुआ सन 1835 ई मे चार्ल्स डार्विन लाये थे और उसकी मौत 2006 मे हुई यह कछुआ 175 साल से भी अधिक समय तक जीया था।
दोस्तों कछुआ की कई प्रजातियां तो इंसानों की वजह से विलुप्त हो गई । लेकिन अभी भी बहुत सारी प्रजातियां मौजूद हैं। कछुआ का लंबे समय तक धरती पर रहने का कारण यह है कि यह कहीं पर भी रह सकते हैं। और लगभग दुनिया के हर हिस्से मे यह पाये जाते हैं।
दोस्तों कछुआ का खोल काफी मजबूत होता है जोकि उसकी सुरक्षा मे महत्वपूर्ण होता है। एक कछुआ के खोल के अंदर 60 से अधिक हडियां होती हैं। कछुआ का खोल उसकी सुरक्षा के अंदर काफी उपयोगी साबित होता है।
दोस्तों कछुआ की एक खास बात यह भी होती है कि यह अपनी सांस को कुछ समय तक रोक सकता है।जब कछुआ को खतरे का एहसास होता है तो उसके बाद वह अपनी खोल मे जाने से पहले अपने अंदर के सांस को बाहर निकाल देता है। और उसके बाद अपनी खोल मे चला जाता है। जहां उसके लिए सांस लेना संभव नहीं है।
दोस्तों यह भी कछुआ की खास बात होती हैं। इनके अंदर नर और मादा की पहचान करना आसान कार्य नहीं होता है।क्योंकि दोनों दिखने मे लगभग एक जैसे ही दिखाई देते हैं। लेकिन आपको बतादें कि नर कछुआ मादा कछुआ की तुलना मे बड़े और लंबी पूंछ वाले होते हैं।
दोस्तों कछुआ अंतरिक्ष यात्रा भी कर चुके हैं क्या आप इसके बारे मे जानते हैं।1968 में, सोवियत संघ का ज़ोंड 5 अंतरिक्ष यान चंद्रमा का चक्कर लगाने और पृथ्वी पर सुरक्षित लौटने वाला पहला अंतरिक्ष यान था। और उड़ने से पहले उनके शरीर का वजन तप्रतिशत तक कम किया गया ।
दोस्तों भारत के अंदर कछुआ और खरगोश की कहानी काफी अधिक प्रसिद्ध है। इसक कहानी मे खरगोश और कछुआ शर्त लगाते हैं लेकिन कछुआ अपनी धीमी गति से दौड़ को जीत जाता है। इस कहानी मे यह शिक्षा देने का प्रयास किया गया है कि गति भले ही धीमी हो लेकिन जो चलता रहता है वह मंजिल पर जरूर ही पहुंच जाता है।
दोस्तों ऐसा नहीं है कि कछुआ का खोल केवल पत्थर ही होता है। कछुआ का खोल संवेदनशील होता है और वे स्पर्श को आसानी से महसूस कर सकते हैं।
दोस्तों आपको पता ही होगा कि कुछ लोग कछुआ को काफी पसंद करते हैं और अपने घरों मे रियल कछुआ रखते हैं। क्योंकि उनको जानवरों से काफी लगाव होता है। हालांकि लोग कछुआ के प्रतीक को भी अपने घरों मे रखते हैं।
दोस्तों आपको यह जानकार हैरानी होगी कि अंडे मे पहले से कोई लिंग निर्धारित नहीं होता है। जैसा कि हम इंसानों के अंदर होता है। कछुआ मे लिंग का निर्धारण तापमान की वजह से होता है। जब ठंड होती है, तो अधिक नर पैदा होते हैं। जब यह गर्म होता है, तो अधिक मादाएं पैदा होती हैं।
दोस्तों आपको यह पता होना चाहिए कि कछुआ कभी भी तेज गति से यात्रा नहीं कर सकते हैं। इनकी गति काफी धीम होती है।लेकिन केवल 0.2 मील प्रति घंटे की गति से चलने के लिए, वे किसी तरह हर दिन 4 मील तक की यात्रा करते हैं।
दोस्तों आपने देखा होगा कि कछुआ के गोले का रंग अलग अलग होता है।यह पूरी तरह से जलवायु के उपर निर्भर करता है।गर्म, रेगिस्तानी जलवायु में पाए जाने वाले कछुओं में प्रकाश को प्रतिबिंबित करने के लिए हल्के रंग के गोले होते हैं, और ठंडी जलवायु के अंदर गहरे रंग के होते हैं जोकि अधिक गर्मी को पैदा करने के लिए होते हैं।
आपको पता होगा कि कछुए पानी के अंदर रहते हैं लेकिन वे तैर नहीं सकते हैं। हालांकि वे कुछ समय तक अपनी सांस को रोक सकते हैं।
दोस्तों कछुआ को हम इंसानों और दूसरे जानवरों की तरह नाक नहीं होती हैं।वरन इनके गले पर एक खास प्रकार का अंग होता है जिसका इस्तेमाल यह सूंघने के लिए करते हैं।
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