कमजोर का विलोम शब्द ,kamjor vilom shabd ,कमजोर का विपरीत शब्द के बारे मे हम आइए जानते हैं।
शब्द | विलोम |
कमजोर | पुख्ता ,फौलादी , ताकतवर,तगड़ा ,मजबूत ,तनदुरुस्त ,ताकतवर |
kamjor | pukhtaa,phaulaadi,majbut,taakatavar,tagadaa,tanadurust,taakatavar |
Weak | Steel ,mighty, healthy, mighty |
कमजोर का मतलब यह है जो तय मापदंडों को पूरा करने मे सक्षम नहीं है। जैसे एक शारीरिक रूप से कमजोर इंसान वह है जो देखने मे काफी दुबला पतला दिखाई देता है। मतलब वह हटठा कट्टा नहीं है। उसे कम कमजोर इंसान कहेंगे । इसी प्रकार एक कमजोर मशीन वह होगी जो अधिक लोड़ को करने मे सक्षम नहीं है जितना की आम मशीने कर सकती हैं।
इसी प्रकार से एक कमजोर गाय उसे भी माना जाता है जो कम दूध देती है।क्योंकि वह दूध देने मे काफी कमजोर है।
एक कमजोर कुत्ता उसे माना जाता है जो भौकने मे सक्षम नहीं है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कमजोर वर्ड बहुत ही बुरा वर्ड है जो नगेटिव अर्थ को व्यक्त करता है। कमजोर का मतलब किसी ना किसी तरह की समस्या होना ही होता है।
मजबूत का मतलब होता है जो ताकतवर है।यहां पर ताकत शब्द का व्यापक अर्थों के अंदर प्रयोग किया जाता है।मतलब यह है कि मजबूती कई प्रकार की हो सकती है। जैसे शारीरिक मजबूती और मानसिक मजबूती या आर्थिक मजबूती ।
इंसान को जीवन के अंदर मजबूत होना चाहिए । इंसान को जो सबसे पहली मजबूती की आवश्यकता होती है वह होती है मानसिक मजबूती । मानसिक मजबूती से ही सारी मजबूती हाशिल होती है। यदि आपके पास मानसिक मजबूती नहीं है तो आप किसी भी दूसरे कार्यों के अंदर सक्सेस नहीं हो सकते हैं।
यहां पर मानसिक मजबूती का मतलब यह है कि आपके अंदर किसी कार्य को करने का द्रढ निश्चिय होना चाहिए । यदि आपके अंदर द्रढ निश्चिय होगा ही तो आप उस काम को कर पाएंगे । अब आपके सामने बाधाएं आएंगी । जब आपके विचारों से वे बाधाएं टकराएंगे तो कितने समय तक आप उन विचारों के साथ आप बने रह पाएंगे यह आपके उपर निर्भर करता है। यदि आपके अंदर मजबूती है तो आप हर प्रकार की बाधाओं को नष्ट कर देंगे और आगे बढ़ जाएंगे ।
लेकिन केवल कुछ ही इंसान ऐसे ही होते हैं जो वह सोचते हैं वही पा लेते हैं। उनके अंदर अपनी सोच को पूरा करने की वैचारिक मजबूती होती है।
प्राचीन काल की बात है ।एक गूरू के दो शिष्य हुआ करते थे । एक शिष्य का नाम कमजोर तो दूसरे का नाम मजबूत था। उनका नाम गुरू ने ही रखा था। क्योंकि एक हर काम को बहुत ही ढीले रैवये से करता तो दूसरा काफी तेजी से काम सम्पन्न करता ।
एक बार गुरू को गुरूकुल को छोड़कर कहीं जाना पड़ तो गुरू ने अपने शिष्यों को बुलाया और कहा …….मैं किसी काम से बाहर जा रहा हूं । तुम दोनों को अलग अलग फसल दिया जा रहा है। मैं जब वापस आउं तो पूरे खेत की फसल कट जानी चाहिए ।
——- ठीक है गुरू देव हम दोनो कोशिश करेंगे ।
उसके बाद गुरू तो चला गया लेकिन मजबूत शिष्य तो अपने काम मे लग गया और तेजी से फसल को काटने लगा लेकिन कमजोर की क्षमता इतनी नहीं थी। वह हमेशा खुद को नगेटिव रूप से देखता था। वह बैठा रहा । एक दिन बीत गया लेकिन कमजोर बस मामूली सी ही फसल काट पाय । जबकि एक दिन के अंदर ही मजबूत ने सारी फसल को काट डाला । अब कमजोर रोजाना मामूली सी फसल काटता और आराम करता रहता । इसी प्रकार से 3 दिन बीत गए । उसके बाद गुरू आये और दूर से देखा कि कमजोर पूरी तरह से काम चोरी कर रहा है तो उसने एक यम का वेश बनाया और रात के अंदर तलवार लेकर सोते हुए कमजोर के पास गए ……खबरदार जो कुछ भी हरकत करने की कोशिश की तो गर्दन उडा दी जाएगी
कमजोर बुरी तरह से डर गया और हाथ जोड़कर बोला ……….लेकिन मेरी क्या गलती है मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है ।
……. हम यहां पर लेने के लिए नहीं आएं हैं। हम यमदूत हैं और तुम्हें लेने के लिए आएं हैं। क्योंकि उपर से आदेश आया है कि कामचोर लोगों का धरती पर कोई काम नहीं है।
………..लेकिन …. ले …….लेकिन मैं कामचोर नहीं हूं।
………कितना दिन हो गया तुम एक खेत की फसल नहीं काट पाए । तुम यहां पर बोझ हो इसलिए तुमको मेरे साथ चलना चाहिए ।
अब कमजोर काफी डर गया और बोला कि ……. नहीं नहीं एक बार आप मुझे जीवनदान दें । अगली बार मे जो भी काम करूंगा उसके अंदर फूर्ती बरतूंगा । कामचोर कभी नहीं बनूंगा बस एक बार माफ कर दीजिए ।
——- ठीक है और ऐसा कहने के बाद यमदूत चले गए । उस रात कमजोर सोया नहीं और फसल को रात मे ही काटने लगा जब दिन उगा तो वह सारी फसल काट चुका था। सुबह गुरूदेव आये और बोले ……..अरे कमजोर आज तो तूने कमाल कर दिया ।
……..कमजोर रात का वैसे भी डरा हुआ था और बोला …….. मैंने कोई कमाल नहीं किया है। मैंने अपनी गलती को सुधार लिया है।अब मैं कमजोर नहीं रहा हूं। अब मैं भी मजबूत हो चुका हूं । रात को यमदूत आए थे और बोले की इस धरती पर कमजोरों के लिए कोई जगह नहीं है।
———आज के बाद गुरूदेव आप जो भी कहेंगे मैं आपका कार्य जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करूंगा और कामचोरी का त्याग कर दूंगा ।
उसके बाद गुरू भी प्रसन्न हुए और बोले ……… आज के बाद तुम्हें कमजोर नहीं कहा जाएगा । असल बात यह है कि मैं खुद ही तुम्हारे सामने यमदूत बनकर आया था ताकि तुम अपने आलस्य का त्याग करके आगे बढ़ो । यदि तुम आलस्य का त्याग नहीं कर पाते तो तुम कहीं नहीं पहुंच पाओगे ।
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