कर्तव्य का पर्यायवाची शब्द या कर्तव्य का समानार्थी शब्द (kartavya ka paryayvachi shabd / kartavya ka samanarthi shabd) के बारे में इस लेख में विस्तार से बताया गया है तो आप लेख को देख सकते है ।
शब्द | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
कर्तव्य | फ़र्ज, दायित्व, कर्म, कृत्य, जिम्मेदारी, ड्यूटी,विधेय, धर्म । |
कर्तव्य in Hindi | farj, daayitv, karm, krty, jimmedaaree, dyootee,vidhey, dharm . |
कर्तव्य in english | duty, sentry-go, religion, righteousness, faith, duty, law, virtue, work, performance, role, commission, obligation, deed, act, responsibility, predicament, dharma. |
दोस्तो हिंदी भाषा में कर्तव्य शब्द का साब्दिक अर्थ होता है करने वाला ।
इसके अलावा ऐसे कार्य जो की मनुष्य अपनी आंतरिक नैतिक प्ररेणा से करता है कर्तव्य कहलाता है ।
इस तरह के कार्यों में किसी तरह का दबाव नही होता है बल्की व्यक्ति अपनी इंच्छा से कार्य करता है और इन कार्यों को अपनी ड्यूटी या धर्म सझता है ।
इस तरह से कर्तव्य शब्द के अनेक तरह के अर्थं हो सकते है जो है –
दोस्तो जैसा की आपको बताया गया की कर्तव्य का अर्थ फर्ज, ड्यूटी, जीमेदारी, और दायित्व होता है । जिसके कारण आज संसार में जीतने भी तरह के लोग होते है और वे अपना जो भी काम करते है वह सभी कर्तव्य कहा जा सकता है । क्योकी जैसे हमारे देश के फोजी भाईयो को ले लो वह हमारे देश की सेवा कर रहे है और अपने देश की हिफाजत कर रहे है । और ऐसा करना हर देशवासी का कृतव्य होता है ।
मगर फोजी भाईयो का यह सबसे अधिक कृतव्य होता है। दूसरा की उनकी यह ड्यूटी भी होती है । साथ ही इसे जीमेदारी भी कह सकते है । जो की हमारे भाई नीभा रहे है । तो यह कह सकते है की हमारे देश के फोजी भाई अपना कर्तव्य कर रहे है ।
इसी तरह से हमारे देश के लोगो को मदद करने का चाव रहता है । वह जब भी किसी की मदद करने का मोका देखते है तो उनकी मदद कर देते है और जब उन्हे मदद पाने वाला व्यक्ति धन्यवाद कहता है तो वे कहते है की नही धन्यवाद न कहे यह तो मेरा कृतव्य था । यानि हमारे धार्मों में कहा गया है की किसी भी व्यक्ति की मदद करना हमारा कर्तव्य होता है ।
अत: कर्तव्य एक तरह की क्रिया होती है जो की बिना किसी के दबाव में की जाती है । और मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है और इस कार्य के बदले में किसी तरह की उमीद नही रखता है कर्तव्य कहलाता है ।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की मोलिक कर्तव्य का जीक्र हमारे सविधान में हुआ है जो की नुच्छेद 51 (क) एवं भाग 4 (क) में देखने को मिल जाता है । हमारे सविधान के अनुसार व्यक्ति के जीवन में कुल कर्तव्य 11 प्रकार के होते है जिन्हे मौलिक कर्तव्य के नाम से जाना जाता है । और यही कर्तव्य बताते है की एक व्यक्ति को सविधान के अनुसार कोन कोन से कर्तव्य करने चाहिए आइए जानते है मौलिक कर्तव्य के बारे में –
1. संविधान का पालन करना
दोस्तो यह पहला कर्तव्य होता है जिसमें बताया जाता है की हमारे देश के सभी नागरीको का यह कर्तव्य है की वह अपने संविधान का अच्छी तरह से पालन करे और संविधान के जो आदर्श है उनका भी पालन करे । इसके साथ ही हमारा देश का ध्वज भी बहुत महत्वपूर्ण होता है और इस कर्तव्य में राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र ज्ञान को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। और उसका आदर करना चाहिए । यह हमारा पहला मोलिक कर्तव्य होता है ।
2. हमारा दूसरा मोलिक कर्तव्य हमें बताता है की हमारा देश पहले अंग्रेजो का गुलाम हुआ करता था। जिसके कारण से देश को अंग्रेजो से आजादी दिलाने के लिए अनेक विरो ने अपने प्राण दिए थे । जिसे कारण से देश की आजादी में उनका बहुत ही अधिक महत्व रहा है। और उन वीर व्यक्तियो और उनके कार्यों को हमेशा ही याद रखा जाना चाहिए ।
उन वीर जवानो का बलिदान हमे कभी भुलना नही चाहिए । और यही कारण होता है की देश के उन वीर जवानो को याद करने के लिए समय समय पर प्रोग्राम देखने को भी मिल जाते है ।
3. हमारा तीसरा मोलिक कृतव्य कहता है की हमारे देश की आजादी ऐसे ही नही हुई है बल्की इसके लिए बहुत से बलिदान देने पडे थे । जिसके कारण से हमेशा ही इस देश की एकता को बनाए रखे और और देश को कभी खडित न करे । बल्की देश की एकता और अंखडता का आदर कना चाहिए । देश की संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए ।
4. हमारा चौथा मोलिक कर्तव्य कहता है की यह देश हर एक व्यक्ति का है और इस देश की रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य होता है । इस कारण से देश की रक्षा करनी चाहिए । जिसके कारण से देश में जो आर्दश स्थान और विचारधारा की पूरी तरह से रक्षा करने का कृर्तव्य बनता है । अत: यह मोलिक कर्तव्य कहता है की देश की रक्षा करनी चाहिए ।
5. अगला पांचवा मौलिक कर्तव्य कहता है की भारत की संस्कृति बहुत ही अच्छी है और इस संस्कृति की रक्षा करना हर नागरीक का मौलिक कर्तव्य होता है और राष्ट्र की संस्कृति को बढावा करना भी अधिकार होता है । अत: देश की संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए और इसे उंचाईयो तक लेकर जाना चाहिए ।
6. अगला कर्तव्य कहता है की देश का हर नागरीक आज आजाद है और सभी का एक समान होता है जो की उसे प्राप्त हो जाना चाहिए । अत: देश के हर नागरिक को आदर देना चाहिए उसे समान देना चाहिए । देश के किसी भी नागरिक को अनादर करने का कोई हक नही होता है । बल्की उसे प्राप्त अधिकारो की पालना करनाचाहिए उसे उचित समान देना चाहिए ।
7. अगला मौलिक कर्तव्य होता है की हमारे देश की प्राकृतिक संपदा और देश के स्थानो की रक्षा करनी चाहिए । और उन्हे बढावा देकर उन्हे और अधिक उंचाईयो तक लेकर जाना सभी नागरीको का मौलिक कर्तव्य होता है । अत प्राकृतिक संपदा का सरक्षण करना चाहिए ।
8. अगला मौलिक कर्तव्य महान वैज्ञानिको से जुडा होता है और उनके द्वारा बताए गए वैज्ञानिक मापदंडो को अच्छी तरह से अपनाते हुए देश के विकाश के लिए नए ज्ञान को उजागर करने को कहता है । और वैज्ञानिक मापदंडो के आधार पर देश का विकाश करने को कहता है।
9. अगला मौलिक कर्तव्य कहता है की देश में जो भी संपत्ति है उसे बचाने का हर नागरिक का अधिकार होता है और इसे बचाए रखने के लिए जो भी किया जा सके वह करना चाहिए । इसके साथ ही देश की संपत्ति को और अधिक बढाने का प्रयतन्न करना होता है ।
10. अगला कर्तव्य कहता है की देश में जो भी विकाश हो रहा है उसमें अपना भी किसी न किसी तरह से योग्दान देना चाहिए । ताकी देश के हर नागरीका के सहयोग से देश का विकाश हो सके ।
11. अगला कर्तव्य देश के माता पिता से जुडा होता है और एक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के बारे में बताता है । यह कर्तव्य कहता है की जब तक बच्चा 14 वर्षों से अधिक वर्ष का न हो जाए तब तक बच्चे को शिक्षा प्रदान करानी चाहिए और यह शिक्षा निःशुल्क शिक्षा होनी चाहिए । और ऐसा करना हर माता पिता का मौलिक कर्तव्य होता है ।
इस तरह से हमारे सविधान में कुल 11 मौलिक कर्तव्य बताए गए है । इन कर्तव्यो का पालन करना देश के सभी नागरिको का कर्तव्य होता है ।
इस तरह से कर्तव्य किसी भी तरह के हो सकते है ।
दोस्तो विद्यार्थी जीवन में भी ऐसे अनेक तरह के कर्तव्य सामिल किए गए है जो की एक विद्यार्थी को करना चाहिए जो है –
1. प्रत्यक विद्यार्थी का प्रथम कर्तव्य यह होता है की वह अपने प्रथम गुरू यानि माता पिता का हमेशा ही आदर करे और उनका नाम बनाए रखे ।
2. दूसरा कर्तव्य विद्यार्थी जीवन में अपने शिक्षको का आदर सत्कार करना होता है । गुरू हमेशा ही अपने विद्यार्थी को एक मार्गदर्शन प्रदान कराते है जो की उनके लिए उचित होते है इस कारण से गुरूओ के मार्गदर्शन पर ही चलना चाहिए ।
3. तीसरा कर्तव्य विद्यालय को माना जा सकता है और विद्यार्थी को विद्यालय भवन का हमेशा ही सरक्षण करना चाहिए । विद्यालय में जो भी है उसे बनाए रखना चाहिए उसे कभी नष्ट नही करना चाहिए यह एक विद्यार्थी का तीसरा कर्तव्य होता है ।
4. चौथा कर्तव्य एक विद्यार्थी के सहपाठियों से जुडा होता है और इस कर्तव्य में विद्यार्थी को अपने सहपाठियो को अपना समझना चाहिए और उनके साथ सरल स्वभाव रखते हुए उनके साथ अध्ययन करते हुए एक दूसरे की मदद करनी चाहिए ।
5. यह कर्तव्य कहते है की एक विद्यार्थी को हमेशा ही समाज के लोगो और देश के लोगो का आदर सत्कार करना चाहिए ।
6. यह कर्तव्य कहता है की एक विद्यार्थी को हमेशा ही अपने समाज में जो कुछ भी है उसे बनाए रखना चाहिए और कुछ ऐसा करना चाहिए ताकी समाज और गाव का नाम रोशन हो सके । इस तरह से विद्यार्थी के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्य होते है । क्योकी विद्यार्थी विद्यालय से जुडा होता है तो विद्यालय में जो भी कुछ होता है वही विद्यार्थी के कर्तव्य होते है । जैसे गुरूओ से जुडा, विद्यालय और इसकी समपति से जुडी ।
इस तरह से कर्तव्य से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी हमने जानी है । मगर महत्वपूर्ण कर्तव्य के पर्यायवाची शब्द ही रहे थे ।
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