कवि का विलोम शब्द Kavi ka vilom shabd kya hai ?
कवि का विलोम शब्द या कवि का विलोम , कवि का उल्टा क्या होता है ? Kavi ka vilom shabd , Kavi ka vilom shabd kya hai
शब्द | विलोम शब्द |
कवि | कवयित्री |
Kavi | Kavyitri |
कवि का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों कवि एक मेल होता है जिसका विलोम कवियत्री होता है जो फीमेल होती है।कुल मिलाकर यह मैल और फीमेल वर्जन होते हैं। कवि वह इंसान होता है जो कविता करता है। या जो कविता लिखना जानता है वह कवि कहलाता है। वैसे आज के जमाने मे कवियों की कोई वैल्यू नहीं है। क्योंकि यह सब लोगों को पसंद नहीं आते हैं। और कोई कवियों की कठिन कविताएं सुनना भी पसंद नहीं करते हैं। हां यदि आप शायर हैं तो लोग आपकी शायरी सुनना चाहेंगे । क्योंकि आशिक तो हर युग के अंदर मौजूद होते हैं।
भारत मे कवियों का बुरा हाल ही रहता है।हकीकत मे भारत मे कोई भी कवि नहीं बनना चाहेगा । क्योंकि यहां पर आपको सब कुछ अपने दम पर ही करना होता है। आपको अपने दम पर ही किताब प्रकाशित करना होता है और खुद के दम पर ही उसे बेचना होता है। वैसे भी आजकल किताबें कौन पढ़ता है।
कवि गहरा दिमाग लगाकर किताबें लिख देते हैं और उसके बाद उनको काफी पैसा लगवाकर छपा भी देते हैं उनको लगता है कि उसके बाद पैसा आएगा । एक व्यक्ति नये नये कवि बने थे । और उनको किताब छपवाने का शौक लग गया हम से बोले भाई किताब कैसे छपवायें । उसके बाद हमने उनको किताब छपवाने का सारा तरीका बता दिया । खुद की तरफ से सारे पैसा लगाया और उसके बाद किताब छपवा दिये ।उसके बाद क्या था। उन्होंने सोचा था कि किताब तो लोग हाथों हाथ लेते हैं । अब तो बैठकर खाएंगे । लेकिन उसके बाद एक किताब भी ना बिका तो रोने लगे और बोले कवि बनने मे कोई फायदा नहीं है।
हमने उनको ढांढस बंधाते हुए कहा ।जनाब हम तो आपको पहले ही इस बारे मे बता चुके हैं। लेकिन आप मानते ही नहीं हैं कि हमारी कई किताबें लिखी हुई हैं आज तक उन किताबों ने 300 रूपये कमा कर दियें हैं तो कवि बनने मे कोई फायदा नहीं है। भारत मे कवि वैगरह उन लोगों के लिए होते हैं जो नौकरी से रटायर हो चुके हैं और अब उनके पास काफी समय है।वे बस अपनी कविताएं लिखेंगे । लेकिन यदि आप कोई काम ही नहीं करते हैं तो फिर कवि बनके बुरी हालत हो जाएगी । खैर आपको बतादें कि आजकल सबसे अधिक हास्य कविता चलती है। यदि आप हास्य कवि बनना चाहते हैं तो आपके अंदर दम होना चाहिए आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।
हास्य कवियों के लिए कवि सम्मेलन आयोजित किया जाता है। जिसके अंदर दूर दूर के कवि आते हैं और अपनी कविता प्रस्तुत करते हैं लेकिन लॉकडाउन के अंदर हास्य कवियों का भी बहुत अधिक बुरा हाल है। कारण यही है कि काम चल नहीं रहा है लेकिन खर्चा तो उतना का उतना ही लग रहा है।
खैर कर ही क्या सकते हैं।भारत सरकार हो या भारत के लोग सब एक जैसे हैं वे देशी कम्पनी को नुकसान पहुंचाने मे लगे रहते हैं । उनको यहां पर विदेशी कम्पनी पसंद होती है तो वे देशी कवि भी पसंद नहीं करेंगे । और सरकार उन्हीं लोगों ने चुनी है तो वैसी ही होगी ना ।
कवयित्री का अर्थ और मतलब
कवयित्री का मतलब महिला कवि से होता है। यदि कोई महिला कवि है तो उसके लिए कवयित्री शब्द का प्रयोग किया जाता है। वैसे आज के समय मे पुरूष कवियों की भी संख्या तेजी से कम हो रही है तो महिला कवयित्री की संख्या वैसे भी कम होगी ।
जैसा कि हमने आपको बताया अक्सर वे महिलाएं कविता करती हैं जो या तो आर्थिक रूप से अधिक अच्छी हैं या जिनको अपने घर वालों का सपोर्ट प्राप्त होता है। हमने यह भी देखा है कि कुछ कवियत्री काफी फेमस भी हो चुकी हैं। खास कर वे जोकि हास्य कविता करती हैं तो उनको दूर दूर से कवि सम्मेलन मे बुलाया इस प्रकार के बड़े बड़े कवि सम्मेलन भी आयोजित किये जाते हैं। लेकिन जैसा कि आपको पता है कि आजकल कवि को तो निराश ही होना पड़ता है क्योंकि यदि वे ऐसा सोचते हैं कि मात्र कविता के बल पर ही वे कमा कर खा लेंगे तो ऐसा नहीं होगा । और जब एक कवि अपनी कविता के दम पर नहीं कमा पाता है तो आप जानते ही हैं कि उसे दूसरा कोई काम करना पड़ता है फिर कविता करने के लिए कहां पर समय मिल पाता है।
और पाठकों के बारे मे तो आप जानते ही हैं। पाठक कवियों को कम ही पसंद करते हैं। आजकल मनोरंजन के हजारो साधन आ चुके हैं। ऐसी स्थिति मे पाठकों के लिए कविता को सुनना कठिन हो चुका है। आजकल लोग विडियों के अंदर अधिक रूचि लेना पसंद कर रहे हैं।
कुछ ऐसी भी कवियत्री देखी हैं जोकि बस अपने शौक के लिए लिखती हैं। उनका मकसद फेमस होना होता है। उनके पास सब कुछ होता है लेकिन बस अपना शौक पूरा करने के लिए वे यह सब करती हैं। इस प्रकार की कवियत्री वास्तव मे सफल होती हैं। उन्हें नफे नुकसान की चिंता नहीं होती है।
बस जो इनके दिल मे उतरता है वे उसे लिखती चली जाती हैं और यही तो सच्ची कविता होती है। आपने देखा होगा कि जब कोई कविता लिखने के बाद पत्र पत्रिकाओं के अंदर प्रकाशित करवाने के लिए भेजता है तो कई महिने लग जाते हैं । उनके अंदर अपनी कविता को छपाने मे क्योंकि कई बार कविताएं रिजेक्ट कर दी जाती हैं। और बहुत बार ऐसा भी होता है कि कवि को इसके अंदर बोलने की आजादी नहीं होती है। वह अपनी मर्जी से जो लिखता है उसको भी संपादक अपने हिसाब से बदल देते हैं। मुझे अच्छी तरह से याद है जब मैं कविता लिखता था तो कई महिने लग गए ।
एक कविता को पत्रिकाओं मे प्रकाशित करवाने के लिए ।और इससे भी बड़ी बात यह होती है कि आपको जिनता पैसा कविता लिखने का मिलता है उतना तो डाक के अंदर भेजने मे और मेहनत मे ही खर्च हो जाता है लेकिन यदि आप नाम कमाने के लिए कर रहे हैं तो फिर कोई भी समस्या नहीं है। तब आपके लिए पैसा मायेने नहीं रखता है।