दोस्तो इस लेख मे हम जानेगे की कृष्ण के पर्यायवाची शब्द krishna ka paryayvachi shabd और कृष्ण के समानार्थी शब्द krishna ka samanarthi shabd क्या होते है साथ ही जानेगे की कृष्ण कौन थे और इनका जन्म कैसे हुआ इसके अलावा इस लेख मे ऐसीजानकारी हासिल करेगे जो आपके लिए रोचक जानकारी होगी और आप उसे पढना चाहेगे तो इस लेख को देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द / समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
कृष्ण | श्याम, विष्णु, घनश्याम, साँवले , सँवलिया , नंदलाल, मोहन, नन्दनन्दन , जनार्दन , गोपाल, यदुनन्दन, देवकीनन्दन, कंसारिं , मुरमर्दन , गोपाल, मुरलीधर, कन्हैया, वंशीधर, गिरिधर, द्वारिकाधीश , माधव, केशव, कमलनाथ, हृषीकेश, मुकुन्द, हरि, मधुसूदन, ब्रजवल्लभ, देवाधिदेव, गोपीनाथ, राधारमण, पुरुषोत्तम, भगवान, चक्रपाणि, यादवेश, गिरधारी, योगीन्द्र , ब्रजभूषण , वासुदेव , बाल गोपाल, द्वारिकाधीश, देवकीनंदन, त्रिविक्रमा, श्यामसुंदर, सुदर्शन, विश्वदक्शिनह, स्वर्गपति, सत्यवचन, वैकुंठनाथ, परमात्मा, मुरलीमनोहर, मनोहर, मनमोहन, नारायननारायन, महेंद्र, नंद्गोपाल, लक्ष्मीकांत, माधव, जगन्नाथ, गोपालप्रिया, गोपाल, देवकीनंदन |
krishna | Shyam, Vishnu, Ghanshyam, Saanwale, Sanwalia, Nandlal, Mohan, Nandanandan, Janardan, Gopal, Yadunandan, Devkinandan, Kansarin, Murmardan, Gopal, Muralidhar, Kanhaiya, Vansidhar, Giridhar, Dwarikadhish, Madhav, Keshav, Kamalnath, Hrishikesh Hari, Madhusudan, Brajvallabh, Devadhidev, Gopinath, Radharman, Purushottam, Bhagwan, Chakrapani, Yadvesh, Girdhari, Yogindra, Brajbhushan, Vasudev, Bal Gopal, Dwarikadhish, Devkinandan, Trivikrama, Shyamsunder, Sudarshan, Vishwadakshinama, Swargapati, Satyavachan, , Muralimanohar, Manohar, Manmohan, Narayan Narayan, Mahendra, Nandgopal, Laxmikant, Madhav, Jagannath, Gopalpriya, Gopal, Devkinandan |
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1. श्याम (Shyam)
2. विष्णु (Vishnu)
3. घनश्याम (Ghanashyam)
4. साँवले (Saawale)
5. सँवलिया (Sanvalia)
6. नंदलाल (Nandalal)
7. मोहन (Mohan)
8. नन्दनन्दन (Nandananandan)
9. जनार्दन (Janardan)
10. गोपाल (Gopal)
11. यदुनन्दन (Yadunanandan)
12. देवकीनन्दन (Devakinandan)
13. कंसारिं (Kansarin)
14. मुरमर्दन (Murmardan)
15. मुरलीधर (Muralidhar)
16. कन्हैया (Kanhaiya)
17. वंशीधर (Vanshidhar)
18. गिरिधार (Giridhar)
19. द्वारिकाधीश (Dwarikadhish)
20. माधव (Madhav)
21. केशव (Keshav)
22. कमलनाथ (Kamalnath)
23. हृषीकेश (Hrishikesh)
24. मुकुन्द (Mukund)
25. हरि (Hari)
26. मधुसूदन (Madhusudan)
27. ब्रजवल्लभ (Brajvallabh)
28. देवाधिदेव (Devadhidev)
29. गोपीनाथ (Gopinath)
30. राधारमण (Radharaman)
31. पुरुषोत्तम (Purushottam)
32. भगवान (Bhagwan)
33. चक्रपाणि (Chakrapani)
34. यादवेश (Yadavesh)
35. गिरधारी (Giridhari)
36. योगीन्द्र (Yogendra)
37. ब्रजभूषण (Brajbhushan)
38. वासुदेव (Vasudev)
39. बाल गोपाल (Bal Gopal)
40. द्वारिकाधीश (Dwarikadhish)
41. देवकीनंदन (Devakinandan)
42. त्रिविक्रमा (Trivikrama)
43. श्यामसुंदर (Shyam Sundar)
44. सुदर्शन (Sudarshan)
45. विश्वदक्शिनह (Vishwadakshinah)
46. स्वर्गपति (Svargapati)
47. सत्यवचन (Satyavachan)
48. वैकुंठनाथ (Vaikunthanath)
49. परमात्मा (Paramatma)
50. मुरलीमनोहर (Murali Manohar)
51. मनोहर (Manohar)
52. मनमोहन (Manmohan)
53. नारायननारायन (Narayan Narayan)
54. महेंद्र (Mahendra)
55. नंदगोपाल (Nandgopal)
56. लक्ष्मीकांत (Lakshmikant)
57. माधव (Madhav)
58. जगन्नाथ (Jagannath)
59. गोपालप्रिया (Gopalpriya)
60. गोपाल (Gopal)
61. देवकीनंदन (Devakinandan)
श्री कृष्ण त्रिदोवो मे से एक विष्णु का अवतार होते है जिन्होने पृथ्वी पर कंस की हत्थया करनेके लिए जन्म लिया था । साथ ही बताया जाता है की कृष्ण ज्ञानी थे जो अपने ज्ञान के बल पर एक स्थान की बात दूर बैठे ही जान लेते थे । इनके चमतकारो के कारण से इन्हे आज पृथ्वी पर पूजा जाता है और इन्हे अनेक नामो से बुलाया जाता है ।
श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग के समय हुआ था । उस समय मथुरा का राजा और कोई नही बल्की कंस था जिसकी एक बहन भी थी जिसका नाम देवकी था । यह देवकी वही है जिसके गर्भ से कृष्ण ने जन्म लिया था । मगर इससे पहले ही कंस को पता चल गया था की उसकी बहन की 8 वी संतान उसका वध करेगी । इस बात को जान कर कंस अपनी बहन की हर संतान को मारता गया ।
मगर जब देवकी के गर्भ मे 8 वी संतान के रूप मे श्री कृष्ण थे तो देवकी और वासुदेव जो देवकी का पति था दोनो को ही बडे डरने लगे थे की कंस इसे भी मार देगा । मगर जैसे ही श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो चारो और बारीस के घने बादल छा गए और तेज वर्षा होने लगी थी ।
साथ ही जो सेनिक देवकी और वासुदेव को केद कर कर रखे हुए थे वे भी बेहोस हो गए । इसके अलावा कारागार मे ऐसा कोई नही था जिसे होस हो और वह यह जानता हो की देवकी के गर्भ से किसी बच्चे ने जन्म लिया है । माना जाता है की जन्म लेने से पहले ही विष्णु जी ने देवकी और वासुदेव से कहा था की जो बच्चा जन्म लेगा उसे गोकुल के नन्द जी के घर छोडना है और उसके घर मे भी एक बच्ची का जन्म हुआ है उसे लेकर आना है ।
यह कहते हुए विष्णु जी वहां से चले गए । मगर जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो माता देवकी अपने बच्चे को दूर नही करना चाहती थी । मगर उसे यह भी पता था की अगर उन्होने विष्णु की बात नही मानी तो कंस मेरे बच्चे को मार देगा । साथ ही वासुदेव ने देवकी को समझाया तब जाकर देवकी समझी और वासुदेव जैसे ही अपने बच्चे को गोकूल के लिए लेकर जाने लगा तो सभी कारागारो के ताले टूटते जा रहे थे ।
यानि कृष्ण के नन्द के घर जाने का रास्ता अपने आप बन रहा था । इसी के चलते हुए जब वासुदेव और कृष्ण यमुना नदी के पास पहुंचे तो वासुदेव यमुना को देख कर हैरान रह गए क्योकी यमुना नदी मे इतनी हडबड मची हुई थी की अगर कोई इसको पार कर कर मथुरा गया तो पक्का नदी मे ही मारा जाएगा । मगर वासुदेव ने अपने प्राणो की फिकर न करते हुए अपने बच्चे को बचाने की चाह मे नदी मे उतर गया और धिरे धिरे नदी को पार करता रहा ।
मरग नदी का पानी इतना अधिक हडबड मचाए हुआ था की वासुदेव पूरे के पूरे पानी मे डुब गए मगर उन्होने हार नही मानी बल्की वे आगे बढते जा रहे थे । इसके साथ जैसे ही नदी मे श्री कृष्ण के पैरो को छुआ तो नदी एकदम शांत हो गई । यह देख कर वासुदेव को कुछ समझ मे नही आ रहा था । मगर वे अपने बच्चे को लेकर आगे की और बढ रहे थे ।
इसी के चलते हुए जैसे ही वासुदेव नन्द के घर पहुंचे तो वहा पर भी सभी निन्द्रा अवस्था मे थे किसी को भी कुछ होस नही था । तब वासुदेव ने अपने बेटे को वहा पर रख दिया । मगर अब उनकी बेटी को उठाने से झिझक रहा था । फिर विष्णु की बात याद कर कर उसे वहां से लकर महल आ गया । जब सुबह हुई तो वापस सभी सेनिक अपने होस मे थे यहां तक की किसी को यह तक पता नही चला की वासुदेव रात को कारागार से बाहर तक गया था । मगर कंस को जैसे ही पता चला की देवकी के गर्भ से बच्चे का जन्म हो गया है तो वह उसे मारने के लिए आ गया ।
मगर अब कंस लडकी को लडका समझ कर मारने ही वाला था की नन्द की लडकी अचानक गायब हो गई। यह देख कर कंस को कुछ समझ मे नही आया तभी आकाशवाणी फिर से हुई और हंसते हुए कहा की तुम्हारा अंत निश्चित है तुम्हारा अंत करने वाली मैं नही बल्की वह तो कही और खेल रहा है । यह सुन कर कंस हैरान हो गया ।
मरग उसे समझ मे नही आया की अब मेरा वंध करने वाला कहा है । इस तरह से रात के भयानक रूप के 12 बजे श्री कृष्ण का जन्म हुआ था । जन्म के समय इतने चमतकार थे की वे अपने पूरे जीवन मे चमतकार करते रहे थे । उसी दिन को याद कर कर आज कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है और रात के 12 बजे ही श्री कृष्ण का भोग लगता है ।
इसके पिछे सिधा साधा एक ही कारण है की कंस का आतक इतना बढ गया था की उसे मारना पडा । क्योकी यही पोराणिक कथाए बताती है की जब भी पृथ्वी पर किसी का आतक इतना अधिक बढ जाता है या जब किसी का पाप बहुत अधिक हो जाता है तो उसे नष्ट करने के लिए कोई न कोई को जन्म लेता है ।
कंस का आतक इतना अधिक हो गया की उसने अपने पिता और अपनी बहन तक को कारागार मे डाल दिया । यहां तक की उसने अपनी बहन के हर बच्चे को मारता गया । इसके साथ ही पृथ्वी के जीवो और गोकूलवासियो पर भी उसका आतक कम नही था । उसने असुरो की मदद से बहुत तबाही मचा रखी थी । यही कारण था की कंस का वध हुआ ।
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