दोस्तो आपकों यहां पर कुबरे का पर्यायवाची शब्द kuber ka paryayvachi shabd या कुबेर के सामानार्थी शब्द kuber ke samanarthi shabd के बारे मे जानकारी मिलेगी साथ ही बताया गया है की कुबरे कोन है और इनके जीवन के बहुत कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी है तो लेख देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या सामानार्थी शब्द {paryayvachi shabd samanarthi shabd} |
कुबेर | धनदेवता, किन्नरेश, किन्नरपति, यक्षराज, यक्षेश्वर, धनद, धनाधिप, वित्तनाथ, गुह्यकेश्वर, राजराज, धनेश, व्यम्बकसखा, शजराज, पौलस्त्य, वैश्रवण, मनुष्पघर्मा, पुण्यजनेश , ऐलविल, सख, वित्तेश, यक्ष , नरवाहन, एकपिड्ग, किंपुरुषेश्वर, निधीश्वर, श्रीद, हय्र्यक्ष, धनराज, अलकाघिप, नरवाहन, कुबेर देव, धन देव, लक्ष्मीपति । |
kuber | dhanadevata, kinnaresh, kinnarapati, yaksharaj, yksheshvar, dhanad, dhanadhip, vittanath, guhyakeshvar, rajaraj, dhanesh, vyambakasakha, shajaraj, paulasty, vaishravan, manushpagharma, punyajanesh , ailavil, sakh, vittesh, yaksh , naravahan, ekapidg, kimpurusheshvar, nidhishvar, shreed, hayryaksh, dhanaraj, alakaghip, naravahan, kuber dev, dhan dev, lakshmipati . |
mammon | wealth god, finance nath, laxmi husband, money god, wealth god, money god, riches god, piles god, rich god, mammon god. |
कुबेर हिंदू धर्म के एक देवता है इन्हे धन के देवता कहा जाता है । इसके अलावा भगवान कुबेर रावण के सोतेले भाई और यक्षो के राजा के रूप में भी जाने जाते है । हिंदू धर्म में इनकी पूजा की जाती है जिसके कारण से धन प्राप्त होती है ।
आपने रावण के बारे मे तो सुना होगा की उनके पिता का नाम महामुनी विश्रवा था । महामुनी विश्रवा का विवाह दो स्त्री से हुआ था जिनका नाम इड़विड़ा और कैकसी था । कैकसी के बारे में आप लोगो ने सुना होगा की वे महा बलशाली रावण की मां थी तो यह सत्य है ।
क्योकी कैकसी के गर्भ से रावण और उनके अन्य भाईयो का जन्म हुआ था । मगर अब भी इड़विड़ा के गर्भ से किसी उत्पत्ति हुई थी तो बता दू की यह वही मांता है जिन्होने भगवा कुबरे को जन्म दिया था ।
साथ ही यह महामुनी विश्रवा की पहली पत्नी और इसके गर्भ से उत्पन्न होने वाली संतान पहली थी जिसके कारण से रावण से भी बडा कुबेर को बताया जाता है । अर्थाथ कुबरे का जन्म रावण की सोतेली मां से हुई थी और वह रावण का बडा भाई था ।
कुबरे के धन का स्वामी बनने के पिछे एक नही बल्की अनेक कथाए बताई जाती है मगर असल मे कुबरे धन के स्वामी कैसे बने थे उन कथाओ मे से एक है –
कुबरे के बारे मे बहुत कुछ रामायण मे पढने को मिल जाता है और बताया जाता है की भगवान कुबरे रावण के भाई थे । मगर उन्होने किसी कारण से रावण का साथ छोड दिया और भगवान ब्रहमा के लिए तप करने लगे थे । इसके अलावा शिव की भी उन्होने घोर तपस्या की थी। इतनी अधिक घोर तपस्या को जब शिव और ब्रहमा ने देखा तो वे उनके पास चले गए और उन्हे वरदान देने लगे ।
तब शिव ने उन्हे एकाक्षीपिंगल का वरदान दिया था क्योकी माता पार्वती के तेज के कारण से कुबरे की एक आंख नष्ट हो गई थी । वही ब्रहमा का तप करने के कारण से ब्रहमा ने उन्हे धन का स्वामी होने का वरदान दे दिया था । जिसके बाद मे ही कुबरे को धन का स्वमी के नाम से जाना जाने लगा । मगर वे रावण के भाई थे और यक्षो के राजा जिसके कारण से ही उनकी पूजा बहुत कम होती है ।
जब कुबरे धन के स्वामी बन गए तो उनके पास धन की कमी नही हुई और उनकी पूजा माता लक्ष्मी के साथ की जाने लगी । क्योकी माता लक्ष्मी भी धन की देवी थी और उनकी जीस पर कृपा होती है वह धनवान बन जाता है । इसी तरह का ब्रहमाजी और शिव ने कुबरे को वरदान दिया की तुम्हारी जो भी कोई पूजा करेगा वह धनवान बन जाएगा । जिसके कारण से धन के स्वामी के नाम से कुबेर को जाना जाने लगा । इस तरह से कुबेर को धन का स्वामी बनाया गया था ।
भगवान कुबेर धन के देव है और इनका वाहन पुष्पक बताया जाता है । यह पुष्पक वही है जो ब्रहमाजी का वाहन होता है । इस कारण से यह समझा जा सकता है की कुबरे जी का वाहन जो पुष्पक है वह उन्हे ब्रहमाजी ने ही प्रदान किया था । क्योकी कुबेर के पास कुछ नही था यहां तक की उनके पास धन भी नही था जो भगवान ब्रहमा की मदद के कारण से ही कुबेर जी को प्राप्त हुआ था ।
उसके साथ ही कुबेर को ब्रहमाजी ने अपना वाहन भी दिया और कहा की आज के बाद से तुम्हारा वाहन पुष्पक होगा । ब्रहमा के इस वर्दान के कारण से कुबरे का वाहन पुष्पक बन गया और इन्हे भी पुष्प पर विराजमान देवता माना जाने लगा । इसके साथ ही कुबेर जी को धन प्राप्त हुआ और जब वे अपने भाई रावण के पास रहने लगे तो रावण पर धन की कृपा होने लगी ।
जिसके कारण से ही उनके यहां सोने की नगरी होती थी । और वह रावण की लंका को सोने की नगरी के नाम से बताई जाती है । इस बारे मे पूरी जानकारी रामायण और कुछ अन्य पुराणो मे पढने को भी मिल जाता है ।
कुबेर देवता के पिता रावण के पिता भी थे और रावण कुबरे का छोटा भाई था । मगर रावण की माता एक दानव की पूत्री थी जिसके कारण से रावण में कुछ दानव की प्रतिमा और कुछ ब्राह्मण की प्रतिमा रहती थी । क्योकी रावण के पिता एक ब्राह्मण थे । इसी के विपरीत कुबरे की मां दानव की बेटी नही थी जिसके कारण से कुबेर मे दानव के गुण न होकर एक ब्राह्मण के गुण थे । मगर भाई मे दानव के गुण होने के कारण से और कुबेर का एक साथी भी दानव व वह स्वयं यक्षो का राजा होने के कारण से ही इन्हे दानव कहा जाता है ।
कुबेर देवता के भाई का नाम रावण था जो एक सोने की लंका में रहते थे यह सोने की लंका किसी और की नही बल्की कुबेर की बनाई हुई थी । क्योकी जब कुबेर जी को ब्रहमा के द्वारा धन देवता बनाया गया तो कुबरे ने अपने ही धन से अपनी नगरी को चमकाने के लिए लंका को सोने का बनाने का फैसला लिया । जिसके कारण से कुबरे ने अपनी लंका को सोने की बना दिया ।
अब सोने की लंका को देखने पर वह सब को मोहित करती और सभी उसे पाने के लिए सपने देखने लगे थे । मगर कुबेर किसी से कम नही थे वे आसानी से किसी से हार नही सकते थे जिसके कारण से सोने की लंका भी उनसे कोई नही छीन सका । इसी तरह से सोने की लंका रावण भी पाने के सपने देखता था ।
क्योकी कुबरे उनका भाई था जिसके कारण से रावण ने कुछ समय का इंतजार किया और अपने पिता से लंका की मांग की । जिसके कारण से रावण ने अपने पिता से लंका की मांग की तब पिता ने ही कुबरे को अपने पास बुलाकर लंका को रावण को देने के लिए कुबरे से कहा और कहा की तुम्हारा छोटा भाई तुम्हारी लंका को लेना चाहता है अपने पिता की बात सुन कर कुबेर जी ने कुछ नही कहा और स्वयं ही लंका रावण को सौप दी ।
इस तरह से कुबेर की लंका सोने की थी जिन्होने उसे रावण को दे दिया था । सोने की लंका प्राप्त कर कर रावण बडा ही खुश हुआ । मगर लंका चली जाने के कारण से कुबेर को जरा भी दुख नही हुआ क्योकी उन्हे वरदान था की वे जहां भी रहेगे उनके पास धन की कमी नही होगी । जिसके कारण से उन्होने सोचा की मुझे लंका की क्या जरूरत मैं तो स्वयं ही धन हूं ।
सुनने को आता है की कुबेर जहां भी रहते थे वहां अपने आप धन की प्राप्त होती रहती थी और जिस स्थान पर कुबेर जी का महल था वह तो चमकदार होगा । और ऐसा ही था जहां पर कुबेर जी रहते थे वहा पर चारो और से सोने की नगरी दिखाई देती थी । अगर कुबेर जी के महल की बात करे तो उनकी सभा का कक्ष हुआ करता था जो बडा ही अच्छा था ।
क्योकी महल में विराजमान के लिए कुबेर जी का सिहासन पूरी तरह से सोने का बना हुआ था और सिहासन मे हिरे जेवरात की बडी अच्छी कलाकारी दिख रही थी । इसके अलावा कुबेर जी के महल के बाकी के सिहासन भी अच्छे थे वे भी सभी सोने के बने हुए बताए जाते है । जिन पर अन्य धन की देवी विराजमान करती थी । जिस तरह से लक्ष्मी जी ।
इस कक्ष में ऋद्धि के अलावा अन्य देवी भी विराजमान होती थी और यहां पर सभा चला करती थी । इस कक्ष को कुबेर का सभा कक्ष कहा जाता था । कुबेर जब भी सिहासन पर बैठते तो उनके एक हाथ में कमल जरूर होता जो उनके वाहन का संकेत देता था । इसके अलावा एक हाथ से धन के लिए एक छोटा मटका दिखाई देता था । इसके अलावा उनके एक हाथ मे गदा भी होता था । जिनसे वे युद्ध करते थे और दूश्मनो को पल भर मे हरा देते थे ।
हां, मानव वह है जिसको हमेशा धन की जरूरत रही है और उनमे से हम भी है और आप भी है । क्योकी इस जीवन को जीने के लिए हम सभी को धन की काफी जरूरत होती है और यह बात आप समझ सकते है ।
मगर आपको यह पता होना चाहिए कीजो भगवान कुबेर है वे धन के देवता होते है ं यानि जिस तरह से माता लक्ष्मी है वैसे ही धन के देवता कुबेर है । और यहां तक की उनकी एक लंका थी जो की पूरी की पूरी सोने की थी वह बाद में रावण की लंका बन चुकी थी ।
कहा जाता है की कुबेर भगवान जिसके घर में रहते है वही पर धन की वर्षां होती है । मतलब धन आता रहता है और यही कारण है की भगवान कुबेर मानव के लिए उपयोगी है।
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