दोस्तो इस लेंख में हम लक्ष्मण का पर्यायवाची शब्द {lakshman ka paryayvachi shabd } या लक्ष्मण का समनार्थी शब्द {lakshman ka samanarthi shabd} कें बारे मे जानेगे । इसके अलावा लक्ष्मण के जीवन की महत्वपूर्ण बातो को विश्तार से जानेगें तो लेख को देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समनार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
लक्ष्मण | सौमित्र, अहीश, शेष, अनन्त, लखन, रामानुज, लछिमन, दशरथसुत , सुमित्रानंदन, शेषावतार। |
laxman hindi | Soumitra, Ahish, Shesha, Anant, Lakhan, Ramanuja, Lachhiman, Dasaratha Sut, Sumitranandan, Sheshavatar. |
laxman english | Soumitra, Ahish, Shesha, Anant, Lakhan, Ramanuja, Lachhiman, Dasaratha Sut, Sumitranandan, Sheshavatar. |
लक्ष्मण शब्द का अर्थ चिह्न युक्त होता है । मगर इसके अलावा भी लक्ष्मण शब्द का अर्थ बहुत कुछ बताया जाता है क्योकी लक्ष्मण एक ऐसे पुरूष का नाम था जो स्वयं भगवान राम कें भाई थे । जिसके कारण से इस शब्द का अर्थ होते है –
जिस तरह से राम का जन्म हुआ था उसी तरह से लक्ष्मण का जन्म हुआ था और यह जन्म भी बहुत ही अहम रहा था । क्योकी यह जन्म भी कोई साधारण जन्म नही था इसके लिए एक बहुत बडे यज्ञ का आयोजन हुआ था । जिसके कारण से राम लक्ष्मण का जन्म हुआ था । इस जन्म में अग्निदेव का बहुत बडा योगदान था क्योकी अग्निदेव ने दशरथ को खिर दी थी जिसके कारण से जन्म हुआ लक्ष्मण का ।
अयोध्या नगरी के राजा दशरथ था जिसकी तीन कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा नाम की रानिया था । इनमें से सुमित्रा कें गर्भ से श्री लक्ष्मण जी का जन्म हुआ था । क्योकी संतान प्राप्ति के लिए दशरथ ने एक ऐसे यज्ञ का आयोजन किया था जिसे स्वयं विशिष्ट जी ने बताया था । इस यज्ञ में बहुत से साधु संत आए थे । मगर यज्ञ को संपन्न करने वालेश्रृंगी ऋषि थे ।
जब यज्ञ सपंन्न हुआ तो यज्ञ कुण्ड से अग्निदेव प्रकट हुए जिनके हाथ में एक कटोरी थी और उसमें खिर थी । इस खिर को अग्नि देव ने तिनो रानियो को खिलाने को कहा । राजा दशरथ ने ऐसा ही किया । जिसके कारण से राजा दशरथ की तिनो पत्नियो के गर्भ में सतान का प्रवेश हो गया था । और फिर तिनो रानियो के गर्भ से संतान प्राप्ति हुई ।
इनमें से सुमित्रा कें गर्भ से भगवान लक्ष्मण जी का जन्म हुआ था । इस तरह से एक यज्ञ के आयोजन करने के कारण से लक्ष्मण का जन्म हुआ था । इसके साथ ही राम का जन्म भी हुआ था ।
श्री राम कें वनवास के बारे में कोन नही जानता है की उन्हे 14 वर्षो का वनवास प्राप्त हुआ था । जिसमें माता सिता और भाई लक्ष्मण भी उनकें साथ वनवास चले गए थे । क्योकी लक्ष्मण अपने भाई राम को अपना भाई ही नही बल्की गुरू भी मानते थे । जिसके कारण से उनके लक्ष्मण नें राम के सुख दूखो में साथ देने की ठान रखी थी । इसी कारण से लक्ष्मण अपने भाई राम कें साथ 14 वर्षों तक वनवास जाने को तैयार थे ।
मगर राम यह नही चाहते थे मगर लक्ष्मण राम की बात न मानते हुए उनके साथ चले गए । और इन 14 वर्षों तक लक्ष्मण ने दिन रात जगकर यानि बिना सोए अपने भाई राम और माता सिता की सेवा में लगा रहा । इसी तरह से दो कार्य और थे जो लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक नही किया था जो है –
लक्ष्मण को कौन नही जाना वे एक ऐसे वीर थे जो सभी कलाओ मे महान थे । जिनमें से लक्ष्मण का 14 वर्षों तक न सोने का रूप देखने को मिला था । रामायण में बताया गया है की राम और माता सिता जब रात को सो जाते थे तो लक्ष्मण उनकी हिफाजत के लिए रात को पेहरा दिया करते थे ।
क्योकी पेहरा देने और दिन के समय में भी न सोने के कारण से उन्हे रात को झपकिया आने लगी थी। जिसके कारण से लक्ष्मण बचने के लिए निंद्रा देवी को बंदी बना लिया । निंद्रा देवी लक्ष्मण जी कें बंदी से मुक्त न हो सकी । जिसके कारण से थक हार कर निंद्रा देवी ने लक्ष्मण को वरदान दे दिया की आपको 14 वर्षों तक निंद नही आएगी । यह वरदान को पाने के बाद में लक्ष्मण ने निंद्रा देवी कों बंदन से मुक्त किया ।
मगर इसके साथ ही बताया जाता है की लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला लक्ष्मण की निंद लिया करती थी । इस बारें मे किसी और ने नही बल्की लक्ष्मण ने ही स्वयं अपने भाई राम को बताया था । जो की रामायण में लिखा गया है ।
जब लक्ष्मण राम के साथ 14 वर्षो के वनवास का समय बिता रहे थे तो उन्होने अपने पेट में किसी भी प्रकार का भोजन प्रवेश तक नही किया था । जब वनवास का समय पूरा हुआ और राम अपनी नगरी लोटे तो राम ने स्वयं ही लक्ष्मण से इस बारे में पूछा था । तब लक्ष्मण ने बताया की जब भी राम भैया मुझे फल देते तो कहते की इन्हे रख लो ।
तब मैं सभी फल अपने पास रख लेता था । मगर राम ने मुझे खाने को नही कहा तो मैं किसी भी फल को नही खाता था । साथ ही लक्ष्मण ने कहा की वे फल आज भी उसी कुटिया में रखे है । इस तरह से लक्ष्मण 14 वर्षों तक भूखे रहे थे ।
रामायण में बताया गया है की जब लक्ष्मण अपने भाई राम के साथ 14 वर्षों के वनवास मे थे तो उन्होने कभी भी माता सिता का चेहरा नही देखा था । वे केवल माता के पैरो को ही छुते थे । जब इस बारे मे ऋषि अगस्त्य ने राम को बताया तो राम को यकिन नही हुआ । तब राम ने लक्ष्मण से ही इस बारे मे पुछा ।
तब लक्ष्मण ने कहा की यह बात सत्य है क्योकी जब माता सिता का हरण रावण ने किया था और हम उन्हे तलाश रहे थे । तब तलाशते हुए हम ऋष्यमूक पर्वत पर भी गए थे । तब वहां पर कुछ आभूषण भी मिले थे । जो की माता सिता के थे या किसी और के इस बारे मे सुग्रीव ने मुझसे पूछा ।
तो मैं उन आभूषणो को नही पहचान पाया था । मगर जैसे ही मैंने माता सिता के पैरो के आभूषणों को देखा तो मैं उन्हे पहचान गया । तभी मुझें याद आया की मैंने माता सिता के चराणो को उपर कभी नही देखा । यह बात सुन कर राम को ऋषि अगस्त्य की बात पर पूरा यकिन हुआ ।
इस तरह से लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक तीन काम नही किए थे । जो की स्वयं लक्ष्मण ने ही श्री राम को प्रमाण के रूप मे बताया था ।
एक बार अगस्त्य मुनी अयोध्या पधारे थे तो उन्होने राम और बाकी लोगो के सामने कहा की लक्ष्मण जैसा सबसे वीर योद्धा इस युद्ध में कोई नही था । यह बात सुन कर किसी को भी समझ में नही आया क्योकी सबसे सक्तिशाली तो रावण था जिसका अंत राम ने किया था । तो राम सबसे अधिक वीर योद्धा होने चाहिए थे । इसी कारण से सभी को कुछ समझ में नही आया ।
साथ ही राम को भी समझ में नही आया तो राम ने इस बारे में अगस्त्य मुनी से पूछ लिया की लक्ष्मण सबसे वीर योद्धा कैसे है । इस प्रशन का उतर देते हुए अगस्त्य मुनी ने कहा की इसके पिछे इंद्रजीत के वध की बात छूपी है ।
इंद्रजीत कोई साधारण वीर नही था वह रामायण का वीर योद्धा था और उसे वरदान प्राप्त था की उनका वध वही कर सकता है जो की 14 वर्षों तक न सोया हो, 14 वर्षों तक भूखा रहा हो और न जीसने 14 वर्षो तक किसी भी स्त्री का मुख देखा हो ।
वरदान के अनुसार सभी लक्षण लक्ष्मण में मिल गए थे क्योकी वह यह तीनो काम 14 वर्षो तक नही कर सका था । यही कारण था की इंद्रजीत का वध केवल लक्ष्मण ही कर सकते थे । इस बात की पुस्टी अगस्त्य ऋषि ने राम के साथ की थी ।
इस तरह से राम से भी अधिक बलवान रामायण में लक्ष्मण को बताया गया था । मगर सभी राम की ही महिमा गाते है । तो लक्ष्मण के बारे मे महत्वपूर्ण बात छूपी रह जाती है । ऐसा नही है की राम बलवान योद्धा नही थे । बल्की रामायण में दोनो ही योद्धा थे मगर लक्ष्मण ने जो महत्वपूर्ण काम किए थे वह राम ने भी नही किए थे जैसे उपर बताया गया की लक्ष्मण ने इंद्रजीत का वंध किया था जो कोई और नही कर सकता था ।
इस तरह से हमने इस लेख मे यह जान लिया है की लक्ष्मण का पर्यायवाची शब्द क्या है और लक्ष्मण कौन थे साथ ही लक्ष्मण के जीवन के अहम बातो के बारे मे जान लिया है ।
दोस्तो हम जो रामायण देखते है उसमें भले ही हमे लक्ष्मण इतने ताक्तवर नही दिखाए गए है बल्की आपको बता दे की असल में जब पुराणो मे पढा जाता है तो यह देखने केा मिलता है की जो लक्ष्मण होते है वे काफी श्रेष्ठ थे और उनके पास ज्ञान भी बहुत था साथ ही वे काफी बलशाली थे ।
क्योकी भगवान राम को एक भगवान माना जाता है जो की मानव के लिए उपयोगी है क्योकी वे मानव के जीवन से दूखो को दूर करते है । मगर इसी तरह से लक्ष्मण भी एक भगवान है और उन्हे शेषनाग का अवतार माना जाता है । तो इसका मतलब है की लक्ष्मण जो है वे असल में मानव के लिए उपयोगी है ।
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