लक्ष्य का विलोम शब्द, लक्ष्य शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, लक्ष्य का उल्टा Lakshy vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
लक्ष्य | अलक्ष्य |
Lakshy | Alakshy |
दोस्तों लक्ष्य का विलोम होता है अलक्ष्य । दोस्तों लक्ष्य का मतलब होता है जो टारगेट आपने निर्धारित किया है उसको हम लक्ष्य कहते हैं। जैसे कि आपको बैंक मे नौकरी करनी है तो आपका लक्ष्य बैंक की नौकरी होगा । इसी तरह से किसी को यदि चपरासी बनना है तो उसका लक्ष्य चपरासी हो गया । इसी तरह से आप कोई दूसरा लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। जीवन के अंदर कम ही लोग होते हैं जिनका लक्ष्य फिक्स होता है वे अपने लक्ष्य को बदलते नहीं है। और उनका लक्ष्य काफी अटल होता है। कितनी बार वे असफल क्यों ना हो जाएं । उनको बस अपना लक्ष्य ही दिखता है और वे एक दिन सफल हो ही जाते हैं
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका लक्ष्य कोई फिक्स नहीं होता है। इस प्रकार के लोग एक भटके हुए राहगिर की तरह होते हैं। जिनको यह पता ही नहीं होता है कि उनको किधरा जाना है ?
यह बात है जब हम पढ़ते थे । उस वक्त हमारा लक्ष्य तो फिक्स था लेकिन हमारे साथ कई ऐसे लड़के भी पढ़ते थे जिनका लक्ष्य कोई फिक्स नहीं था। जिसकी वजह से आज वे बहुत अधिक परेशान हैं। क्योंकि वे किसी भी काम के अंदर सफल नहीं हो पाए थे ।
जबकि हमको लिखना सदा से ही पसंद था तो उसके बाद हम ब्लॉगिंग के अंदर उतर गए । और आज काफी सफल बन चुके हैं। भारत मे क्या है कि देखा देखी होती है। भारत मे एक व्यक्ति किसी काम के अंदर बहुत सारे पैसा कमाने लगा तो लोग उसके पीछे भागने लग जाते हैं ।
उनको पता होता है कि वे इस तरीके से अधिक पैसा नहीं कमा पाएंगे क्योंकि उनके अंदर टैलैंट नहीं है लेकिन उसके बाद भी वे इस काम के पीछे इसलिए भागते हैं क्योंकि वे खुद सफल होना चाहते हैं।
लेकिन आपको पता ही है कि आजकल कंपिटिशन इतना अधिक बढ़ चुका है कि सफलता मिलना इतना आसान नहीं रह गया है। सफलता हाशिल करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है।लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हजारों असफलता के बाद भी सफलता हाशिल कर लेते हैं।
इस तरह के लोग कभी भी हार नहीं मानते हैं। वे हार को भी स्वीकार कर लेते हैं और उसके बाद भी कड़ी मेहनत से अपने काम मे जुट जाते हैं। और एक ना दिन वे सफल हो ही जाते हैं।
इसी तरह की एक घटना है दशरथ माँझी एक ऐसे ही इंसान थे जोकि काफी मेहनती थे । जन्म: 14 जनवरी 1929 को हुआ था। इनको माउंटेन मैन के नाम से भी जाना जाता है। बात काफी पुरानी है। उस समय मशीनों की सुविधा नहीं थी। गावं के पास एक पहाड़ पड़ता था उसको पार करके दूसरी जगह जाया जाता था । एक बार इनकी पत्नी खाई मे गिर गई और उसके बाद उसकी मौत हो गई थी। 22 वर्षों परिश्रम के बाद उन्होंने पहाड़ को काट कर 55 किलोमीटर को सिर्फ 15 मीटर कर दिया । और इनके परिश्रम को काफी सराहा गया ।
यह जब पहाड़ को काटने का प्रयास किया तो इनका मजाक उड़ाया गया लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और अपना काम जारी रखा और बाद मे इनको सफलता मिली और आज उन्होंने गेहलौर के लोगों का जीवन सरल बना दिया ।
इनकी मौत पिताशय कैंसर की वजह से हुई उसके बाद सरकार ने भी इनके नाम पर एक हॉस्पीटल बनाने का ऐलान भी किया और इनके नाम पर एक सड़क बनाने का फैसला भी किया ।
दोस्तों अलक्ष्य का नाम तो आपने सुना ही होगा इसका मतलब होता है जो आपका लक्ष्य नहीं है। उसके लिए अलक्ष्य शब्द का प्रयोग किया जाता है। जो ज्ञानी इंसान होते हैं वे अपने जन्म के बाद अपने जीवन के अंदर एक लक्ष्य को निर्धारण करते हैं। लेकिन जो मूर्ख इंसान होते हैं उनका जीवन के अंदर किसी भी तरह का लक्ष्य नहीं होता है। बस वे भटकते ही रहते हैं।और सबसे बड़ी बात यही है कि दुनिया के अंदर सबसे अधिक इंसान हैं। आपने यदि ध्यान से देखा होगा तो आपके क्लाश के अंदर पढ़ने वाले होशियार लड़के से लड़कियों से यदि आप पूछेंगे कि उनका लक्ष्य क्या है ? तो वे आसानी से बता देंगे।
लेकिन कक्षा के अंदर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनका कोई भी लक्ष्य फिक्स नहीं होता है। यदि आप उनको लक्ष्य के बारे मे पूछेंगे तो वे नहीं बता पाएंगे कि उनका लक्ष्य क्या है ? इसका कारण यह है कि यह लोग बस धक्के से चलते हैं। यदि आप उनको यह पूछोगे कि उनको आगे बढ़कर किस क्षेत्र मे जॉब करनी है ? तो उसके बाद भी यह लोग नहीं बता पाएंगे और कहेंगे कि वे जीवन के अंदर यह करलेंगे वह करलेंगे। मतलब यह है कि उनका लक्ष्य फिक्स नहीं होता है। वे बस अपने लक्ष्य को दूसरों की देखा देखी के अंदर बदलते रहते हैं।
इस तरह के लोग जो अपने जीवन के अंदर किसी भी तरह का लक्ष्य निर्धारित नहीं करते हैं वे जीवन मे पैसा नहीं कमा पाते हैं। हां यह बात अलग है कि वे अपनी या फिर किसी की सिफारिश से सफल हो सकते हैं। हमारे पास एक लड़का पढ़ता था । वह कभी भी पढ़ने मे होशियार नहीं था। और उसने कभी भी किताबों पर ध्यान नहीं दिया । उसके बाद भी वह किसी की मदद से सरकारी नौकरी के अंदर चिपक गया और आज वह खुद को सक्सेस मानता है। लेकिन हम अभी भी ऐसे ही हैं जोकि प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। तो दोस्तों कई बार ऐसा भी होता है कि किसी इंसान को किसी की मदद से सक्सेस मिल जाती है।
भले ही उस इंसान के अंदर इस तरह के गुण ना हो । और आपको तो पता ही है कि आजकल सरकारी नौकरी के अंदर धंधली चलती है। अधिकतर जगहों पर घूस और रिश्वत से काम बन जाता है। इस दुनिया के अंदर बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जोकि काफी ईमानदार हैं।
सबसे अधिक समस्या उन लोगों को होती है जिनके घरवाले इतने सक्षम नहीं होते हैं कि उनको किसी भी तरह का स्पोर्ट प्रदान कर सकें। वे जो कुछ भी करते हैं वे बस अपनी मेहनत से ही करते हैं। इस तरह के लोग काफी कड़ी मेहनत करते हैं। बड़ी बड़ी कंपनी को शूरू करने वाले लोग इसी तरह के होते हैं।
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