मंदिर में झाड़ू लगाने से क्या होता है mandir me jhadu laganaअक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग मंदिर मे जाते हैं। और ऐसे ही वहां पर साफ सफाई करने लग जाते हैं। इसके पीछे की मान्यता यह होती है कि ऐसा करने से उनको कई सारे फायदेमिलते हैं। यदि आप भी मंदिर के अंदर झाडू को लगाते हैं। तो इसके फायदे के बारे मे आपको पता होना चाहिए । भारत के अंदर मंदिरों मे एक पूजारी को रखा जाता है। और अधिकतर केस के अंदर यहां पर पूजारी को कोई भी पैसा नहीं दिया जाता है। मंदिर के अंदर जो भी चढ़ावा आता है , उससे ही उसका घर चलता है। इसलिए भी कुछ लोग मंदिर के अंदर झाडू लगाते हैं।
यदि आप भी मंदिर के अंदर झाडू लगाते हैं , तो आइए जानते हैं। इसके फायदे के बारे मे विस्तार से
यदि आप मंदिर के अंदर झाड़ू को लगाते हैं। तो इसकी वजह से आपको पुण्य की प्राप्ति होती है।और जो लोग पुण्य कमाने के इच्छुक होते हैं। उनको मंदिर मे झाडू जरूर ही लगाना चाहिए । अब आप पूछेंगे कि पुण्य कमाने से क्या होता है। , तो आपको बतादें कि पुण्य कमाने से आपको स्वर्ग के अंदर जाने मे काफी आसानी हो जाती है। कहा जाता है कि इस जीवन के अंदर और मौत के बाद पुण्य हमेशा आपको संकटों से बचाने का काम करते हैं।
दोस्तों यह कहा जाता है कि यदि आप मंदिर के अंदर झाड़ू को लगाते हैं। तो इसकी वजह से आपके पापों का नाश होता है। आपने जीवन के अंदर जो भी पाप किये हैं। उनका अंत हो जाता है। और उसके बाद आपको उनका फल नहीं भोगना पड़ता है। कई बार किसी इंसान के हाथों पाप हो जाते हैं , तो वे अपने पापों का प्रायशिचत करने के लिए भगवान की शरण मे जाते हैं।
मंदिर मे झाडू लगाने का एक फायदा यह भी है कि इंसान स्वर्ग को प्राप्त होता है। मरने के बाद हर इंसान की यही इच्छा होती है , कि उसको स्वर्ग मिले मगर यदि इंसान ने अपने जीवन काल के अंदर अच्छे कर्म किये हैं , तो ही उसे स्वर्ग मिलता है। यदि उसने अच्छे कर्म नहीं किये हैं , तो उसके बाद उसको नर्क ही मिलता है।और यही कारण है कि कुछ लोग मंदिर मे झाड़ू लगाना और पक्षियों को दाना डालने जैसा काम करते हैं , ताकि उनको स्वर्ग मिल सके और नर्क के अंदर तड़पना ना पड़े ।
दोस्तों हर किसी के मन के अंदर बुरी चीजें भरी होती हैं।मतलब कचरा भरा होता है। और यदि आप रोजाना मंदिर के अंदर झाडू लगाते हैं , तो यह कचरा धीरे धीरे साफ होता चला जाता है। और आपके मन के अंदर निर्मलता आती चली जाती है। एक तरह से देखा जाए तो आप यदि भगवान से जुड़ा कोई काम करते हैं। या उस काम के साथ जुड़ते हैं , तो आपका मन धीरे धीरे साफ होने लग जाता है।
मंदिर के अंदर झाडू लगाने के यदि हम अन्य फायदे के बारे मे बात करें , तो इसकी वजह से आपको भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और जिस किसी को भगवान का आशीर्वाद मिल जाता है। उसका कल्याण होना तय होता है। आप इस बात को समझ लें ।यदि आपको भी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना है , तो जरूरी नहीं है कि आप रोजाना ही मंदिर के अंदर झाडू लगाएं । आपको जब भी समय हो उस वक्त भी झाडू लगा सकते हैं। जैसे कि आप भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं। और रात मे मंदिर मे रूकते हैं , तो सुबह आप झाड़ू लगा सकते हैं।
यदि आप मंदिर के अंदर झाड़ू को लगाते हैं ,तो इसकी वजह से आपकी दरिद्रता दूर होती है। यदि आपके घर के अंदर आमदनी का कोई स्त्रोत नहीं है। या फिर काम नहीं मिल रहा है। तो रोजाना अपने पास के मंदिर मे जाएं और उसके बाद वहां पर झाड़ू लगाकर आएं । यह उपाय आपको कुछ दिन करना होगा । ऐसा करने से आपकी गरीबी धीरे धीरे दूर होने लग जाएगी ।
यदि आपके यहां पर काफी अधिक आर्थिक समस्याएं हैं , तो आपको मंदिर के अंदर झाड़ू लगाना चाहिए । जिससे कि आपको काफी अधिक फायदा होने का चांस होगा ।
दोस्तों यदि आप मंदिर के अंदर झाडू लगाते हैं , तो उसकी वजह से आपके मन को शांति मिलती है। इसकी वजह यह होती है कि मंदिर मे एक खास प्रकार की उर्जा होती है। और वह खास प्रकार की उर्जा होने की वजह से यह आपके मन के अंदर तनाव और चिंता को कम करने का काम करती है। यदि आप कभी मंदिर के अंदर गए होंगे तो आपको पता ही होगा कि वहां पर किस तरह की शांति मिलती है। यदि आप तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से झूझ रहे हैं , तो आपको एक बार मंदिर मे जरूर ही जाना चाहिए ।
यदि आप मंदिर के अंदर झाडू लगाते हैं , तो आपकी बीमारी और रोग दूर हो जाते हैं। इसकी वजह यह होती है कि भगवान आपको आशीर्वाद देते हैं। आप भगवान के शिष्य हो जाते हैं । जिसकी वजह से आप मे यदि किसी तरह का रोग और शोक होता है तो भगवान उसको हर लेते हैं। इसलिए तो कहा गया है कि नासे रोग हरे सब पिरा जो सुमिरे हनुमंत बलबिरा । कहने का मतलब यही है कि यदि आप मंदिर मे भगवान की सेवा करते हैं , तो आपको मेवा जरूर ही मिलता है।
जैसा कि आपको पता ही है कि मंदिर भगवान का स्थान होता है।और यदि यहां पर आप गदंगी रखते हैं , तो यहां से भगवान का वास समाप्त हो जाता है। इसलिए आपको यहां पर गदंगी नहीं रखनी चाहिए ।क्योंकि जिन स्थानों पर गदंगी होती है , वहां पर भगवान का वास ना होकर भूत और प्रेतों का वास हो जाता है। इसलिए समय समय पर मंदिरों के अंदर सफाई करना काफी अधिक जरूरी होता है।
दोस्तों यदि आप मंदिर के अंदर साफ सफाई करते हैं , तो आपको कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए । यदि आप इन नियमों को ध्यान मे नहीं रखते हैं। तो फिर आपको पाप लग सकता है। तो आइए जानते हैं वे कौनसे नियम हैं , जोकि आपको पता होना चाहिए ।
वैसे मंदिर के अंदर पवित्रता का होना काफी अधिक जरूरी होता है। यदि मंदिर के अंदर साफ सफाई नहीं होती है। तो देवता आपकी पूजा को स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए अपने घर के मंदिर के अंदर भी साफ सफाई करना जरूरी होता है।
सूर्यास्त के बाद कभी भी मंदिर के अंदर साफ सफाई नहीं करनी चाहिए ।कहा जाता है कि यदि आप सूर्यास्त के बाद साफ सफाई यदि आप मंदिर के अंदर करते हैं , तो लक्ष्मी घर छोड़कर चली जाती है। ऐसा करने से आपके घर के अंदर धन की हानि हो सकती है। इसलिए घर के मंदिर के अंदर भी सूर्यास्त के बाद साफ सफाई करना अच्छा नहीं माना जाता है।
शााम के समय मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। और उसके बाद आप यदि मंदिर की साफ सफाई करते हैं। तो ऐसा माना जाता है कि देवताओं की नींद के अंदर विध्वन पड़ता है। इसलिए सूर्यास्त के बाद कभी भी मंदिर की सफाई नहीं करनी चाहिए ।यदि कोई ऐसा करता है तो उसके धन और वैभव के अंदर कमी आ जाती है।
यदि आप मंदिर के अंदर पूजा करते हैं ,और उसके बाद यदि साफ सफाई करते हैं , तो इसको अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा करने से धन वैभव के अंदर कमी आती है। और यदि आपको मंदिर की साफ सफाई यदि करनी ही है , तो पूजा पाठ करने से पहले साफ सफाई कर सकते हैं।
दोस्तों भारत के अंदर कई तरह की अजीब अजीब परम्पराएं मौजूद हैं। इसी तरह की एक परम्परा है झाडू वाला मंदिर ।मुरादाबाद-आगरा राजमार्ग पर सदत्बदी गांव में स्थित अतिप्राचीन पातालेश्वर मंदिर । यह यहां का काफी अधिक फेमस मंदिर है। इस मंदिर के बारे मे यह मान्यता है कि यहां पर यदि कोई झाड़ू को चढ़ाता है , तो उसके चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।भिखारीदास नामक एक व्यापारी की कहानी भी इसी मंदिर से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भिखारीदास को चर्म रोग था मगर वे काफी धनवान थे । उनको किसी वैध के पास ले जाया जा रहा था । रस्ते के अंदर यह आश्रम आया । यहां पर भिखारीदास को प्यास लगी तो वो इस आश्रम के अंदर पानी पीने के लिए उतरे उतने मे उनका पैर एक झाडू से टकरा गया । और झाडू के स्पर्श मात्र से ही उनके सारे रोग ठीक हो गए ।
उसके बाद सेठ ने आश्रम मे रहने वाले संतों को हीरे जवाहरात देने की पेशकस की लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया और कहा कि यहां पर एक शिव मंदिर का निर्माण करवा दे । उसके बाद सेठ ने ऐसा ही किया और बाद मे यह मंदिर पातालेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया । अब यहां पर जिस किसी को चर्म रोग होता है , वह इस मंदिर के अंदर झाड़ू को चढ़ाने के लिए आता है। और खास कर श्रावण महिने मे यहां पर काफी अधिक लोग आते हैं।
मंदिर में झाड़ू लगाने से क्या होता है ? लेख आपको पसंद आया होगा । यदि आपके मन मे इससे जुड़ा कोई सवाल है , तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं ।
धैर्य का विलोम शब्द या भलाई का विलोम , धैर्य का उल्टा क्या होता है…
भलाई का विलोम शब्द या भलाई का विलोम , भलाई का उल्टा क्या होता है…
चोर का विलोम शब्द, चोर शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, चोर का उल्टा Chor vilom shabd शब्द (word) विलोम (vilom)चोर पुलिसChor police …
सजीव का विलोम शब्द या सजीव का विलोम , सजीव का उल्टा क्या होता है…
सुगंध का विलोम शब्द, सुगंध शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, सुगंध का उल्टा Sugandh vilom shabd शब्द (word) विलोम (vilom)सुगंध दुर्गन्धSugandh Durgandh …
रोगी का विलोम शब्द, रोगी शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, रोगी का उल्टा Rogi ka…