मंगल का विलोम शब्द या मंगल का विलोम , मंगल का उल्टा क्या होता है ? Mangal ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
मंगल | अमंगल |
Mangal | Amangal |
दोस्तों मंगल का मतलब यह शुभ कार्य । अक्सर लोग किसी को आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि कि तुम्हारा मंगल हो । जिसका मतलब तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा ही अच्छा हो । किसी भी तरह का बुरा ना होना ही मंगल होना कहते हैं। हिंदु धर्म मे गणेश को विध्वन हरण मंगल करण वाले बताया जाता है। वैसे तो देवी देवता की पूजा हम इसीलिए करते हैं कि हमारे जीवन के अंदर सब कुछ मंगल हो । और जीवन के अंदर की सारी परेशानियां खत्म हो जाएं ।
जीवन के अंदर मंगल मंगल हमेशा नहीं हो सकता है। कारण यह है कि इस जीवन के दो पहलू हैं। सबसे पहला पहलू यह है कि जीवन के अंदर मंगल होगा तो दूसरा अमंगल होगा । ऐसा कभी भी नहीं हो सकता है कि आपके साथ सब कुछ हमेशा से ही अच्छा होता रहेगा ।
जब तक आप शरीर के अंदर हैं तब तक अमंगल को भी झेलना ही होगा ।यदि हम मंगल कार्यों की बात करें तो जितने भी कार्य आपके मन को शांति प्रदान करते हैं उन सभी को मंगल करने वाले कार्यों के अंदर माना जाता है। जैसे घर के अंदर शादी या फिर किसी बच्चे का जन्म या फिर कोई शुभ काम जो आपको खुशियां प्रदान करता।
दोस्तों अमंगल का मतलब बुरा होना ।जैसे किसी का एक्सीडेंट हो गया तो यह अमंगल है। इसी प्रकार किसी का पैसा खो गया तो यह अमंगल है। चोरी हो गई तो यह अमंगल और तलाक हो गया तो अमंगल है। वैसे आपको बतादें कि इस धरती पर मंगल कम ही होता है। अधिकतर केस मे अमंगल ही होता है।
लेकिन हम मंगल के चक्कर मे घूमते रहते हैं।इसके अलावा कुछ लोगों को तो अमंगल होने का डर बना ही रहता है। जैसे कुछ लोगों को नौकरी खोने का डर बना रहता है। इसी प्रकार से कुछ लोगों को धन खो जाने का डर बना रहता है। किसी को अपनी जान का खतरा होता है।
वैसे आपको अमंगल की दशा मे और मंगल की दशा मे सम ही रहना चाहिए ।जो लोग मंगल की दशा मे काफी मजे से जीते हैं तो अमंगल की दशा मे बहुत ही दुखी हो जाते हैं। और कई बार तो अमंगल की दशा मे मर भी जाते हैं।
इसलिए आपको अमंगल से लड़ना सीखना होगा जितनी भी हत्याएं होती हैं।वह अमंगल हैं। और हम अधिकतर केस मे हत्यारों से डर जाते हैं । बस इसीडर का हत्यारे फायदा उठाते हैं। यदि इंसान की उन हत्यारों से लड़ने की क्षमता होती तो ऐसा नहीं हो पाता । आमतौर पर कई जगह पर कमजोर लोगों को सताया जाता है। इसका कारण यह है कि कमजोर लोग खुद को और अधिक कमजोर बनाते चले जाते हैं। यदि वे ही कमजोर लोग अमंगल के विरूद्ध तलवार उठाकर सामने आ जाएं तो किसी की हिम्मत नहीं होगी उनको सताने की । यदि आप इस धरती पर ताकतवर बनते हैं तो आप अपने जीवन को आसानी से बचा सकते हैं। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको एक ना एक दिन नष्ट होना ही होगा । क्योंकि यहां पर अमंगल के विरूद्ध लड़ने वालों की ही विजय होती है।
दोस्तों प्राचीन काल की बात है।एक गांव के अंदर एक साधु कुटिया बनाकर रहा करता था । एक दिन दो भाई मंगल और अमंगल साधु के पास पहुंचे और पैरों मे गिरकर बोले ……हम आपके शिष्य बनना चाहते हैं ? और इसके लिए हमको क्या करना होगा ?
…….मैं आप दोनों की परीक्षा लेना चाहता हूं । जो इस परीक्षा के अंदर पास होगा वही मेरा शिष्य बनेगा।
……ठीक है आप अपनी परीक्षा के बारे मे बताएं ? दोनों भाइयों ने कहा ।
….आप दोनों जाएं और कोई ऐसा इंसान खोज कर लाएं जिसके साथ कभी भी अमंगल नहीं हुआ हो ।
और उसके बाद दोनों मंगल और अमंगल चल निकले । सबसे पहले मंगल ने पूरे गांवों को छान मारा लेकिन उसे हर जंगह मंगल ही मंगल दिखाई दिया । क्योंकि उसका मानना था कि जीवन के अंदर बस मंगल ही मंगल होता है। कुछ भी अमंगल नहीं होता है। यही वजह थी कि वह मौत के अंदर भी मंगल को देख लेता था। उसका विचार था कि मौत कभी नहीं होती है। शरीर मर जाता है लेकिन शरीर के अंदर रहने वाला जीव कभी नहीं मरता है।
मंगल सब जगह घूमा लेकिन उसे कहीं पर भी अमंगल नहीं दिखाई दिया। तो थक हार कर संत के पास चला आया ।
उधर अमंगल जिधर भी जाता उसे सब कुछ अमंगल ही नजर आता क्योंकि वह जानता था कि जो कुछ भी दिख रहा है वह मात्र एक भ्रम के सिवाय कुछ नहीं है। एक ना एक दिन सब कुछ नष्ट ही हो जाएगा ।
इस वजह से वह हर जगह पर अमंगल ही अमंगल देख रहा था।कुछ समय बाद दोनो संत के पास पहुंचे और मंगल बोला …..महाराज मेरी नजर मे कहीं पर भी अमंगल नहीं है। अज्ञान है। लेकिन अमंगल किस लिए जब हमारी मौत नहीं होती है ।
उसके बाद दूसरे अमंगल ने कहा … मैं सब जगहों पर घूमा लेकिन मुझे कहीं पर भी मंगल नजर आया । क्योंकि सब कुछ नष्ट होने वाला है या कहें कि नष्ट होता जा रहा है तो फिर मंगल कैसे हुआ आप ही बताएं क्या सही है ?
………असल मे ना तो यहां पर मंगल है और ना ही अमंगल है। बस आपके पास सोच की दो दिशाएं होती हैं। कोई एक को पकड़ता है तो कोई दूसरे को । मंगल ने यह देखा कि वह अमर है संसार बस एक खेल मात्र है। वह इसी विधि पर काम करता है लेकिन तुमने संसार से दूर जाने के लिए दूसरे मार्ग को चुना जिसके अंदर तुम यह विश्वास करने लग गए होकि यह संसार कुछ भी नहीं है जो दिख रहा है वह सिवाय भ्रम के कुछ भी नहीं है।
असल मे संसार को छोड़ने के यह दोनों ही तरीके अपने आप मे ही बेस्ट ही हैं। और आप किस तरीके का प्रयोग करते हैं यह आपके उपर निर्भर करता है। आप दोनों मेरे शिष्य बनने के योग्य हो ।
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