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70+ मेघ के पर्यायवाची शब्दो की लिस्ट, List of 70+ synonyms of cloud

दोस्तो ‌‌‌मेघ का पर्यायवाची शब्द megh ka paryayvachi shabd या मेघ का समानार्थी शब्द megh ka samanarthi shabd के बारे में इस लेख में जानेगे इसके अलावा मेघ के बारे मे रोचक तथ्य व अनेक महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से जानेंगे तो लेख को देखे ।

‌‌‌मेघ का पर्यायवाची शब्द या मेघ का समानार्थी शब्द {megh ka paryayvachi shabd kya megh ka samanarthi shabd}

शब्द {shabd}पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd}
‌‌‌मेघ (‌‌‌सभी पर्यायवाची शब्द)अभ्र, वारिवाह, घाराघर, मेघावली, जलमुच, मुदिर, घूमूयोनि, तड़ित्वान्, घन, जलघर, स्तनयित्नु, जलदान, बलाहक, अम्बुभृत्, जीमूत, वारिद, बदल, पर्जन्य, बादल, बद्दल, नीरद, वारिधर, पयोद, अम्बुद, पयोधर, सारंग, पुरजन, मेघमाला, यज्ञपुत्र, जगजीवन, असुर, घनमाला, अम्मोधर, व्योमधूम, घनाघन, वायुदारू, नमश्र्वर, ‌‌‌कन्धर, कन्ध, गगनध्वज, वार्मुक, जीमूत, बनभुक्, अब्द, नमोगज, घनश्याम, मदयित्नु, कद, कन्द, गदामर, खतमाल, वातरथ, श्वेतनील, नाग, जलकरड़्क, पेचकमेक, ददुर्र, क्षीरद, तोयद, स्नेहवादी, स्नेहधर, पाथेद, गदाम्बर, गाड़व, वारिमसि, अद्रि, ग्रावा, गोत्र, वल, अश्न, पुरूमोज, बलिशान, अश्मा
मेघ के महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्दअभ्र, पयोद, नीरद, वारिधर, बादल, अम्बुद, पयोधर, घनश्याम, मेघावली, मेघमाला ‌‌‌आदी
Megh in hindiAbhra, Warivah, Gharaghar, Meghavali, Jalmuch, Mudir, Ghumuyoni, Taditvan, Ghan, Jalghar, Stanayitnu, Jaldan, Balahak, Ambubhrit, Jimut, Warid, Badal, Parjanya, Badal, Badar, Nirad, Waridhar, Payod, Ambud, Payodhar, Sarang, Purjan, Meghmala, Yajnaputra, Jagjivan, Asura, Ghanmala, Ammodhar, Vyomadhum, Ghanaghan, Vayudaru, Namashrwar, Kandhar, Kandha, Gagandhwaj, Warmuk, Jimut, Banbhuk, Abd, Namogaj, Ghanshyam, Madiyatnu, Kad, Kanda, Gada Khatmal, Vatarath, Svetanil, Nag, Jalkardak, Pechakmak, Dadurr, Kshirad, Toyad, Snehawadi, Snehadhar, Pathed, Gadambar, Gadav, Warimasi, Adri, Grava, Gotra, Val, Ashna, Purumoj, Balishan, Ashma.

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70+ मेघ के पर्यायवाची शब्दो की लिस्ट, List of 70+ synonyms of cloud

1.            अभ्र – Abhra

2.            वारिवाह – Varivaha

3.            घाराघर – Ghara-Ghara

4.            मेघावली – Meghavali

5.            जलमुच – Jalamuch

6.            मुदिर – Mudir

7.            घूमूयोनि – Ghumuyoni

8.            तड़ित्वान् – Taditvan

9.            घन – Ghan

10.          जलघर – Jalghar

11.          स्तनयित्नु – Stanayitnu

12.          जलदान – Jaldan

13.          बलाहक – Balahak

14.          अम्बुभृत् – Ambubhrut

15.          जीमूत – Jimoot

16.          वारिद – Varid

17.          बदल – Badal

18.          पर्जन्य – Parjanya

19.          बादल – Badal

20.          बद्दल – Baddal

21.          नीरद – Nirad

22.          वारिधर – Varidhar

23.          पयोद – Payod

24.          अम्बुद – Ambud

25.          पयोधर – Payodhar

26.          सारंग – Sarang

27.          पुरजन – Purajan

28.          मेघमाला – Meghamala

29.          यज्ञपुत्र – Yajnaputra

30.          जगजीवन – Jagajivan

31.          असुर – Asur

32.          घनमाला – Ghanamala

33.          अम्मोधर – Ammodhar

34.          व्योमधूम – Vyomadhoom

35.          घनाघन – Ghanaghan

36.          वायुदारू – Vayudaru

37.          नमश्र्वर – Namashrvar

38.          कन्धर – Kandhar

39.          कन्ध – Kandh

40.          गगनध्वज – Gagandhvaj

41.          वार्मुक – Varmuk

42.          जीमूत – Jimoot

43.          बनभुक् – Banabhuk

44.          अब्द – Abda

45.          नमोगज – Namogaj

46.          घनश्याम – Ghanashyam

47.          मदयित्नु – Madayitnu

48.          कद – Kad

49.          कन्द – Kand

50.          गदामर – Gadamar

51.          खतमाल – Khatamal

52.          वातरथ – Vatarath

53.          श्वेतनील – Shvetaneel

54.          नाग – Nag

55.          जलकरड़्क – Jalakaradk

56.          पेचकमेक – Pechakamek

57.          ददुर्र – Dadurr

58.          क्षीरद – Kshird

59.          तोयद – Toyad

60.          स्नेहवादी – Snehhavadi

61.          स्नेहधर – Snehhadar

62.          पाथेद – Pathed

63.          गदाम्बर – Gadambar

64.          गाड़व – Garv

65.          वारिमसि – Varimasi

66.          अद्रि – Adri

67.          ग्रावा – Grava

68.          गोत्र – Gotra

69.          वल – Val

70.          अश्न – Ashn

71.          पुरूमोज – Purumoj

72.          बलिशान – Balishan

73.          अश्मा – Ashma

मेघ का हिंदी में अर्थ // Meaning of cloud in hindi

‌‌‌हिंदी भाषा में मेघ का अर्थ बादल होता है । इसके अलावा ‌‌‌मेघ को अम्बुद, निरद, जलघर आदी के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ बादल होता है । क्योकी निरद और जलघर बादल को ही कहा जाता है अगर ये अर्थ मेघ के होते है तब भी मेघ का अर्थ बादल बन जाता है । अत मेघ का ‌‌‌अर्थ बादल से है ।

‌‌‌मेघ शब्द का वाक्य में प्रयोग, use the word cloud in a sentence

  • कल रात की बात है जोरो सोरो से मेघ गरज रहे थे मैं तो डर के मारे सोच रहा था की अब मेघ गिरेगा और मेरा घर पानी के साथ बह जाएगा ।
  • मेघ के गिर जाने के इतनी अधिक वर्षा हो गई की पूरे स्कूल में पानी ही पानी हो गया जिसके कारण से स्कूल की छूट्टी हो गई ।
  • ‌‌‌दादाजी ने कहा ही था की आज मेघ घनघोर काले दिखाई पड रहे है जरूर वर्षा होगी तभी अचानक तेजी से वर्षा की बुदे हमारे उपर आ पडी और कुछ ही समय में वर्षा तेजी से होने लगी ।
  • ‌‌‌श्यामलाल कहने लगा की कई दिन हो गए मगर मेघ कही नजर नही आ रहे लगता है अबकी बार वर्षा की कमी रहेगी ।

मेघ के पर्यायवाची शब्दो के वाक्य में प्रयोग, use of synonyms of cloud in sentence

  • आकाश निला था मगर कुछ ही समय में काले काले बादल दिखाई देने लगे की मानो वर्षा होने वाली हो ।
  • ‌‌‌बच्चे ‌‌‌को एक बार स्कूल से छूट्टी क्या मिल गई वह तो अम्बूद दिखते ही यही आशा करता है की तेज वर्षा हो और थमें न ।
  • दो दिन बित गए मगर निरद हटने का नाम ही नही ले रहा है चारो और पानी ही पानी हो गया ।
  • आज सुबह सुबह ही अभ्र नजर आ रहे है आखिर बात क्या है क्या वर्षा होगी ।

‌‌‌मेघ के बारे मे रोचक तथ्य // Interesting facts about clouds in hindi

  1. ‌‌‌आपने आसमान ‌‌‌मे देखा होगा की मेघ का आकार कोई निश्चित नही होता है इसका कारण है यह की जब मेघ यानि बादल बनते है तो इकना आकार एक जैसा नही होता है बल्की यह किसी भी आकार मे बन सकते है । जिससे ही देखने में अलग अलग तरह के मेघ दिखाई देते है ।
  • ‌‌‌आपने क्या मेघ को करीब से देखा है नही ना । अनेक विशेज्ञयो ने बताया है की जिस तरह की धुंध होती है उसी तरह के बादल होते है और जब हम धुंध को ‌‌‌धूते है तो हमारे हाथों मे नमी आ जाती है ठिक उसी प्रकार बादल को घूने से नमी आ जाती है ।
  • ‌‌‌मेघ में पानी की अधिकता होने के कारण से ही वर्षा होती है क्योकी वे पानी को जोडे नही रख सकते और वजन बढ जाने के कारण से पानी की बंदू निचे की और गिरने लग जाती है । इसी तरह से मेघ से वर्षा होती है ।
  • मेघ का काला दिखाई देना मेघ में पानी की अधिक परत जुडने के कारण से मेघ की परत मोटी होती जाती ‌‌‌है और यह परत इतनी अधिक मोटी हो जाती है की जब हम इन्हे देखते है तो मेघ काले दिखाई देते है इसका कारण यह है की सूर्य से निकल कर जो रोशनी पृथ्वी पर आती है उसे मेघ बिच मे ही रोक लेते है जिससे मेघ काले दिखाई देते है ।
  • ‌‌‌मेघ का सफेद दिखाइ देना अनेक विशेज्ञयो ने बताया है की जब मेघ की परत पतली होती है तो उससे सूर्य की रोशनी आसानी से पृथ्वी तक पहुंच जाती है जिसके कारण से बादल ‌‌‌चमकता हुआ दिखाई देता है और यह चमक सफेद रग की होती है ।
  • ‌‌‌जीस तरह से पृथ्वी के पेड पोधो की पत्तिया हवा चलने के कारण से ही हिलने लग जाती है उसी तरह से मेघ भी हवा के साथ इधर उधर चलते है।
  • अक्सर आपके मन मे एक प्रशन रहता है की जो पानी की बूंद वाष्प के रूप मे उपर जाती है उनका क्या होता है तो इन पानी की वाष्प से मिल कर एक मेघ बनता है क्योकी जब अनेक ‌‌‌वाष्प आपस मे मिल जाती है तो एक मेघ का रूप ले लेती है ।
  • वर्तमान में विज्ञान इतना अधिक शक्तिशाली हो गया है की एक मेघ को आसानी से पृथ्वी पर बनाया जा सकता है ।
  • ‌‌‌आपको जान कर हैरानी होगी की एक बादल ‌‌‌के वजन की बात करे तो यह लगभग 100 हथियों के बाराबर हो जाता है ।
  1. ‌‌‌आपको जान कर हैरानी होगी की शक्र ग्रह पर भी मेघ पाया जाता है और इसमे हैरानी की बात है यह है की यह मेघ sulphhur oxide का बना होता है ।
  2. मेघ बनने के लिए जीन पानी की बूंदो का उपयोग होता है उन बूंदो का आकार 1 माइक्रोन के जीतना छोटा होता है ।

‌‌‌मेघो (बादल) का कैसे निर्माण होता है पूरी प्रक्रिया, How clouds are formed, the whole process

‌‌‌मेघ बनने के लिए सूर्य के तापमान का सबसे अधिक योगदान रहता है क्योकी जब सूर्य का ताप पृथ्वी पर पडता है तो जो पृथ्वी पर पानी रहता है वह गर्म होता है । और पानी गर्म होने पर वह वाष्प के रूप मे वातावरण मे फैलने लग जाता है । और यही कारण है की जब पानी वाष्प के रूप मे परिवतित हो जाता है तो यह ‌‌‌पृथ्वी पर न रह कर उपर की ओर उठने लग जाता है ।

यह पानी विभिन्न भागो से आता है जैसे महासागरो, नदियो, बांध आदी । यानि पृथ्वी का जो भी पानी गर्म होता है वह उपर उठने लग जाता है और जब वह वातावरण की उचाईयो पर जाता है तो वहां पर ठंडा होने लगता है । क्योकी वहा पर सूर्य का ताप इतना अधिक न होने के ‌‌‌कारण से वायु बहुत ही ठंडी चलती है ।

क्योकी इतनी ठंडी वायु के कारण से जो पानी की वाष्प थी वह भी ठंडी हो जाती है और एक बुंद का आकर बना लेती है । यह बुंद 1 माइक्रोन जिनती ‌‌‌छोटी होती है । इस तरह की अनेक बुंदे जब नजदिक आती है तो आपस मे मिल जाती है और यही कारण है की बादल यानि मेघों का निर्माण हो ‌‌‌जाता है ।

क्योकी जब बादल या मेघ अधिक परत के होते है तो काले दिखाई देते है और कम परतो से बने होते है तो सफेद दिखाई देते है । यह सब बादल के निर्माण पर ही होता है ।

काले बादल का बनना

मेघ जब बनता है तो पानी की बुंदो से मिलकर बनता है और जब इन पानी की बुंदो की परत एक न होकर अनेक यानि अधिक होती ‌‌‌है तो बादल घना व मोटा बन जाता है । जिसके कारण से जब इस बादल पर सूर्य के रोशनी पडती है तो वह पृथ्वी तक नही पहुंच पाती है जिससे बादल दिखने मे काले लगते है ।

क्योकी यह अनेक परतो से मिलकर बने होते है तो इन्हे वर्षा वाले बादल भी कहा जाता है । यही कारण है की इस तरह के बादलो या मेघो से ‌‌‌अधिक तेज वर्षा होती है ।

सफेद बादल का बनना

मेघ बनते समय अनेक तरह की परत जुड कर मेघ बनता है मगर कभी कभी मेघ की परत मे कमी रहती है यानि कुछ ही परतो से मिल कर मेघ बन जाता है । जिसके कारण से वे सूर्य की रोशनी को रोक नही पाते है और वह अधिक मात्रा मे पृथ्वी तक पहुंच पाती है यही कारण है की बादल ‌‌‌या मेघ दिखने मे सफेद होते है ।

 क्योकी यह कुछ ही परतो से मिलकर बने होते है इस कारण से इनमे अधिक पानी भी नही होता और यही कारण है की इन्हे दिखावटी बादल या ‌‌‌वर्षा न करने वाले मेघ कहते है ।

‌‌‌किस मेघ को वार्षा वाले बादल कहा जाता है, Which cloud is called rain cloud

जैसा का हमने बाताया की हर तरह के मेघ वर्षा नही करते है क्योकी कुछ मेघ ऐसे होते है जिनमे पानी की मात्रा कम होती है तो कुछ मेघ ऐसे भी होते है जिनमे पानी की मात्रा अधिक होती है । अधिक पानी की मात्रा वाले बादल या मेघ अधिक बुंदो से जुड कर बनते है जिसके ‌‌‌कारण से अनेक परतें बन जाती है और मेघ मोटे दिखाई देने लग जाते है ।

क्योकी बुंदो की अनेक परते है जिसके कारण से बादल काले भी दिखाई देते है । इस तरह के बादलों को देखने मात्र पता चल जाता है की वर्षा होगी ।

‌‌‌मेघों से वर्षा ‌‌‌होने की प्रक्रिया, process of precipitation from clouds

मेघों में पानी की बडी बडी बुंदे रहते रहती है और इन बुंदो के टूटने के कारण से ही वर्षा होती है । इसके अलावा बादल या मेघ अनेक परतो के रूप मे बने घने और मोटे होते है जिसके कारण से जब भी इन बुंदो पर किसी प्रकार का दबाव पडता है तो बादल की कुछ बुंदे टूट जाती है जिससे ‌‌‌बुंदो मे जो पानी होता है वह पृथ्वी पर आ गिरता है । इस तरह से वर्षा हाने की प्रक्रिया दो रूपो मे हो सकती है –

1. गर्म वायु के प्रभाव मे आने से

दोस्तो जब बादल गर्म हवा के प्रभाव मे आते है तो बादल में समाहित पानी की बुंदो की ‌‌‌हानि होती है और पानी की बुंदे नष्ट होने लग जाती है जिसके कारण से जो ‌‌‌पानी होता है वह बुंदो से अलग हो कर पृथ्वी पर गिरने लग जाता है । धिरे धिरे करते हुए गर्म हवा पूरे बादल पर अपना प्रभाव दिखाने लग जाती है जिसके कारण से बादल मे समाहित पानी पूरा पृथ्वी पर आ जाता है ।

इस तरह से पानी पृथ्वी पर गिरने को मेघो से वर्षा होना कहा जाता है । मगर कभी कभी वायु इतनी ‌‌‌अधिक गर्म होती है की कुछ ही समय में अपना प्रभाव पूरे बादल या मेघ पर दिखा देती है जिसके कारण से मेघ मे समाहित पानी पूरा का पूरा कुछ ही समय मे पृथ्वी पर आ गिरता है इस तरह से तेजी से पानी गिरने को मेघो का फटना कहा जाता है। क्योकी कुछ ही समय मे मेघो का सारा का सारा पानी पृथ्वी पर आ जाता है ।

‌‌‌2.मेघ के मार्ग मे अवरोध आने से

मेघ अपने समय के अदंर हवा के साथ साथ इधर उधर गती करते रहते है और इस तरह से गति इतनी अधिक तेज होती है की एक स्थान से दूसरे स्थान मे मेघ को पहुंचने मे देर नही लगती है । यही कारण है की कुछ ही समय मे एक स्थान मे वर्षा की कुछ बुंदे पड कर दूर दूसरे स्थान मे मेघ चले ‌‌‌चले जाते है ।

इस तरह से तेज गति करने के अलावा कभी कभी मार्ग मे कुछ अवरोध आ जाते है जैसे उच्चे पर्वत, तेज गर्म वायु, अन्य छोटे बडे मेघ । इन अवरोधो से अगर मेघ टकरा जाता है तो वर्षा होने लग जाती है ।

1)मार्ग मे पर्वत आने से वर्षा का होना

पहाडी इलाको मे अनेक तरह के पहाड देखने को मिलते है और जब ‌‌‌बादल या मेघ इन पहाडो या पर्वतों से टकराते है तो बादल मे जो पानी होता है वह झडने लग जाता है और पृथ्वी पर आ गिरता है । इस तरह से वर्षा होती है ।

मगर कभी कभी पर्वत अधिक उच्चा होने के कारण से बादल इतना ज्यादा टकरा जाता है की पूरा का पूरा बादल ही नष्ट हो जाता है और जो पानी होता है वह कुछ ही ‌‌‌मिनटो मे पृथ्वी पर गिर जाता है इस तरह से वर्षा तो होती है मगर इसे बादल फटना कहा जाता है ।

‌‌‌2)अवरोध के रूप में अन्य छोटा बडा बादल

दोस्तो कभी कभी बादल एक दूसरे से टकराने के कारण से भी वर्षा करने लग जाते है क्योकी जिस तरह से दो वाहन टकराते है तो बहुत आवाज होती है और दोनो वाहनो का कचुम्बर बन जाता है ठिक‌‌‌ वैसे ही मेघ के टकराने के कारण से जो पानी होता है वह निचे आ गिरता है । इस तरह से वर्षा होती है । मगर जब कुछ ही मिनटो मे अधिक पानी गिर जाता है तो इसे भी मेघ का फटना कहा जाता है ।

‌‌‌इस तरह से इस लेख में हमने जाना की मेघ का पर्यायवाची शब्द क्या होता है और मेघ का समानार्थी शब्द क्या होते है इसके अलावा मेघ के बारे मे बहुत कुछ जान लिया है ।

उम्मीद करते है लेख पंसद आया होगा कमेंट कर कर बताए ।

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