मेहनत का विलोम शब्द, मेहनत शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, मेहनत का उल्टा mehanat ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
मेहनत | विश्राम ,कामचोर |
mehanat | Vishraam ,kaamchor |
hard work | lazy |
मेहनत का दूसरा अर्थ है परिश्रम ।जब आप कोई कार्य करते हो तो यह एक तरह से मेहनत करना ही होता है। और जब आप किसी कार्य के अंदर विशेष तौर पर मन लगाकर परिश्रम करते हैं तो इसको मेहनत करना कहते हैं। हालांकि मेहनत को किसी एक परिभाषा के अंदर नहीं बांधा जा सकता है।
वैसे आपको पता ही होगा कि यहां पर बिना मेहनत के कुछ नहीं होता है।यदि आप मेहनत करने वाले हैं तो आपको सब कुछ मिलेगा । अक्सर लोग सफलता के ट्रिक खोजते फिरते हैं। लेकिन असल मे सफल होने का एक ही तरीका होता है मेहनत करना । यदि आप मेहनत करते हैं तो फिर ऐसा हो ही नहीं सकता है कि आपको सफलता ना मिले । इसी लिए तो कहा गया है कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती है। यू ही जय जय कार नहीं होती है।
यदि आप पूरे मनोयोग से मेहनत करते हैं तो फिर हो सकता है कि आप एक बार असफल हो जाएं लेकिन यदि आप प्रयास करना नहीं छोड़ते हैं तो कोई भी कारण नहीं है कि आप असफल हो जाएं ।
अक्सर लोग मेहनत करने से जी चुराते हैं। बस हर किसी को यही चाहिए होता है कि वह बस सफलता का स्वाद चखे । लेकिन सफलता को प्राप्त करना सिर्फ मेहनत से ही संभव होता है। यदि आप मेहनत करने मे रूचि लेते हैं तो सफलता भी आपके अंदर रूचि लेती है।
करत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान ।
रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान।।
यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी । इसका मतलब यही है कि जब बार बार रस्सी के खींचने से पत्थर के उपर भी निशान पड़ जाते हैं। उसी प्रकार से यदि आप लगातार मेहनत करते हैं तो आपको सफल होने से कोई भी नहीं रोक सकता है।
मेहनत का उल्ठटा कामचोरी होता है।अक्सर कामचोरी का मतलब यह है कि जब आप किसी कार्य को बेमन से बस दिखावे के लिए या फिर फोरमल्टी के लिए करते हैं तो यही कामचोरी कहलाता है।
वैसे कामचोरी करना काफी पसंद होता है। और वैसे भी बहुत से लोग कामचोरी करना पसंद करते हैं। इसके अंदर हम खुद भी शामिल होते हैं। आपको बतादें कि कामचोरी अक्सर उन कार्यों के अंदर होती है जो उबाउ होते हैं। यही कारण है कि किसी कार्य के लिए इंसान की योग्यता ही मैटर नहीं करती है वरन उसकी रूचि भी मैटर करती है। यदि उसके अंदर रूचि नहीं होगी तो कामचोरी अपने आप ही बढ़ जाएगी । इसलिए रूचि होना बेहद ही जरूरी होती है।जब आपका मन किसी कार्य के अंदर नहीं होता है और आप उसको अपनी मजबूरी से करने का प्रयास करते हैं तो जल्दी ही आपको दिमाग का भारीपन अनुभव होता है और कामचोरी व आलस्य दिखने लग जाते हैं।
प्राचीन काल की बात है। एक बहुत ही बूढ़ा मछुआरा रहता था। उसका कोई भी इस दुनिया के अंदर नहीं था। वह इतना बूढ़ा हो चुका था कि दो वक्त की रोटी भी काफी मुश्किल से जुटा पाता था। सुबह उठने के बाद वह अपना जाल उठाता और समुद्र की तरफ निकल पड़ता । उसके पास एक टूटा फूटा जाल था और एक छोटी सी नाव थी। उसके अदर वह मछली पकड़ने के लिए जाता था। रोजाना वह दोपहर तक मछली पकड़ता और उसके बाद उनको शहर के अंदर बेच कर घर आता । अपनी छोटी सी कमाई के अंदर से कुछ पैसा बचा कर रख लेता ।
उसके साथ वाले सभी मछुआरे रटायरमेंट ले चुके थे । बस वही था जो इस उम्र के अंदर भी अपने जीवन के लिए मेहनत कर रहा था। उसे नहीं पता था कि उसका क्या होगा ? जब वह बूढ़ा हो जाएगा तो कौन उसके लिए करेगा ? और उसे कौन खाना बनाकर देगा ? वह यह सब बातें सोचकर काफी परेशान रहता था। अब उसका जमाना बीत चुका था। नए नए जवान लड़के मछली पकड़ने के लिए आते थे । वे काफी जल्दी से मछली से अपनी नाव को भर कर ले जाते थे । बूढ़ा मछुआरा यह देखकर अपने जवानी के दिनों को याद करके रोता था कि एक दिन वह भी इनके जैसा था।
हालांकि उसे कभी भी लालच नहीं था। जितनी मछली उसे मिलती थी। वह उतने के अंदर ही संतुष्ट हो जाया करता था। बस इनको भगवान का उपहार समझ कर ले लेता था। और अब तो वह 70 साल का हो चुका है लेकिन लालच अब भी नहीं है लेकिन मेहनत करना नहीं छोड़ा ।
एक दिन मछुआरे की सुबह जल्दी आंखे खुल गई समय देखा तो सुबह के 4 बजे थे । दुबारा सोने का प्रयास किया तो आंख नहीं लगी । उसके बाद उसने अपना जाल उठाया और चल पड़ा समुद्र की तरफ अपनी बंधी नाव को खोला और समुद्र मे चला गया । काफी देर वह जाल को समुद्र मे डालता रहा लेकिन कुछ नहीं निकला । फिर अचानक से जाल किसी भारी वस्तु के अंदर फंसा मछुआरे ने सोचा कोई बड़ी मछली फंस गयी है। उसने जाल को खींचा तो उसके अंदर कुछ बर्तन जैसा था। जाल को पास लेकर आया तो उसके अंदर संदूक थी। संदूक देखने मे काफी छोटी थी।
मछुआरे ने संदूक को देखा वह लौहे से बनी थी उसके ताले को जैसे ही तोड़ा वह हैरान रह गया संदूक के अंदर सोने चांदी के सिक्के भरे हुए थे । वह आज काफी खुश हुआ और फिर तेजी से अपने घर की तरफ चला गया । घर के अंदर जाकर संदूक से एक सोने का सिक्का निकाला और उसको बाजार मे बैच कर सामान ले आया । काफी अच्छे से अब वह रहने लगा लेकिन किसी को कानो कान तक खबर नहीं मिली कि वह बहुत अधिक अमीर हो चुका है।
क्योंकि उसका रहन सहन कुछ भी नहीं बदला था लेकिन उसने आज भी मेहनत करना नहीं छोड़ा था।
किसी ने ठीक की कहा है कि मेहनत का फल मीठा होता है और जो मेहनत करता है वह सदैव ही सफलता हाशिल करता है।
मेहनत का विलोम शब्द, मेहनत शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, मेहनत का उल्टा bahaadur ka vilom shabd। उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हैं।
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