मिट्टी का पर्यायवाची शब्द या मिट्टी का समानार्थी शब्द (mitti ka paryayvachi shabd / mitti ka samanarthi shabd) के बारे में इस लेख में हम जानेगे । इसके साथ ही मिट्टी शब्द से जुडी विभिन्न प्रकार की जानकारी के बारे में चर्चा करेगे तो लेख को देखे ।
शब्द | मिट्टी का पर्यायवाची शब्द या मिट्टी का समानार्थी शब्द (mitti ka paryayvachi shabd / mitti ka samanarthi shabd) |
मिट्टी | मृदा, मृत्, मृत्तिका, माटी, मट्टो, मृत्सा, प्रशस्ता, पृथ्वी, धरती, भूमि, भू, संसार, धूर, धूल, धूसर, चिक्कण, कीचड़, मैल, रज, रेणु, पांशु, गर्द, कीचड़, पिंजल, संचरा, वातकेतु, ज़मीन, वातध्वज आदी |
मिट्टी in Hindi | mrda, mrt, mrttika, maatee, matto, mrtsa, prashasta, prthvee, dharatee, bhoomi, bhoo, sansaar, dhoor, dhool, dhoosar, chikkan, keechad, mail, raj, renu, paanshu, gard, keechad, pinjal, sanchara, vaataketu, zameen, vaatadhvaj aadee. |
मिट्टी in English | soil, marl, mitti, the clod, earth, ground, terra, land, ground, field, plot, ground, world. |
अक्सर आपने देखा होगा की धरती के उपर एक तत्व पाया जाता है जो की रंग में भुरभुरा और मुलायम होता है । इसे ही मिट्टी कहा जाता है । इसके साथ ही विभिन्न तरह की जगहो के आधार पर इसका रंग अलग अलग हो सकता है । जिसके कारण से ही इसे काली मिट्टी, लाल मीट्टी जैसे विभिन्न नामो से जाना जाता है। अगर मिट्टी शब्द कें अर्थ की एक शब्द में बात करे तो होता है
अत: अंत में कह सकते है की पृथ्वी पर जो महिन प्रदार्थ बहुत ही अधिक मात्रा में पाया जाता है वह मिट्टी है और इसका अर्थ पर्यायवाची शब्द के रूप में समझा जा सकता है ।
दोस्तो पृथ्वी के उपरी भाग पर महिन कण पाए जाते है जिनमें कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित होते है। इस तरह के कणों को ही मिट्टी कहा जाता है । यह वही मिट्टी है जिस पर किसान अपनी खेती करता है और अन्न पैदा करता है ।
वैज्ञानिको ने जानकारी हासिल करते हुए कहा है की पृथ्वी एक है मगर इसके अलग अलग स्थानो पर अलग अलग तरह की मिट्टी देखने को मिलती है । यानि स्थानो के आधार पर मिट्टी को विभाजित किया जा कसता है ।
ICAR के अनुसार भारत मे कुल 8 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है ।
1. जलोढ़ मिट्टी (बांगर एवं खादर मिट्टी)
2. काली मिट्टी
3. लाल एवं पीली मिट्टी
4. लैटराइट मिट्टी
5. शुष्क मिट्टी
6. लवण मिट्टी
7. पीटमय मिट्टी तथा जैव मिट्टी
8. वन मिट्टी
इन आठ मिट्टी की अलग अलग विशेषता छिपी रहती है और एक मिट्टी का एक अलग ही महत्व होता है । साथ ही यह मिट्टी एक विशेष क्षेत्रो में ही मिलती है ।
भारत मे वैज्ञानिको के आकडो की गणना से पता चलता है की यह मिट्टी भारत में पाई जाने वाली अन्य मिट्टी की संख्याओ में प्रथम स्थान पर है । यह मिट्टी दो तरह की अन्य मिट्टीयों से मिलकर बनी होती है जो है बलुई मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी ।
जालोढ मिट्टी के बाद में काली मिट्टी भारत में पाई जाने वाली दूसरी सबसे अधिक मिट्टी है । यह मिट्टी भारत के दो क्षेत्रो में सबसे अधिक पाई जाती है जो है महाराष्ट्र और गुजरात । यह देखने में काले रंग की होती है और पानी के सम्पर्क में आने पर बहुत ही अधिक चिकनी बन जाती है । जिसके कारण से इस मिट्टी पर आसानी से किसी व्यक्ति से चला तक नही जाता है ।
यह मिट्टी भारत में पाई जाने वाली अन्य सभी मिट्टीयों मे तीन नम्बर पर आती है । इसमें से जीस स्थान पर लाल मिट्टी पाई जाती है वहां पर कभी न कभी ग्रेनाइट चट्टान बनी होती है । भारत के तमिलनाडु शहर में सबसे अधिक लाल मिट्टी ही पाई जाती है । इसी तरह से पीली मिट्टी केरल राज्य में सबसे अधिक पाई जाती है ।
यह मिट्टी भारत मे 4 नम्बर पर होती है यानि क्षेत्रफल की दृष्टी से चौथे नम्बर पर सबसे अधिक लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है । इस मिट्टी की विशेषता यह है की इसमें अधिक मात्रा में लौह ऑक्साइड एवं अल्यूमिनियम ऑक्साइड पाए जाते है ।
यह एक ऐसी मिट्टी होती है जिसमें नाइट्रोजन एवं कार्बनिक तत्व की मात्रा कम देखने को मिलती है मगर लवण एवं फास्फोरस जो एक दुसरे मे घूली हुई अवस्था में पाए जाते है अधिक देखने को मिलती है ।
जल की निकाशी न होने वाले क्षेत्रो में इस मिट्टी को देखा जा कसता है ।
यह एक मात्र ऐसी मिट्टी है जिसमें लवण की मात्रा अधिक संख्या में पाई जाती है । इस मिट्टी को दलदली मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है ।
जैसा की नाम से ही पता चलता है की जो मिट्टी वनो में पाई जाती है वह मिट्टी वन मिट्टी होती है ।
आज के करोडो वर्ष पूर्व जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तो किसी प्रकार की मिट्टी नही थी बल्की कठोर कंकरिट मौजूद थी । जो की पृथ्वी पर इकट्ठा होती गई और इस तरह से कई परतो का निर्माण होता गया । जब पृथ्वी कई स्तर मोटी बन गई तब पृथ्वी तेजी से अधिक गर्म होने लगी थी क्योकी बताया जाता है की पृथ्वी का जब निर्माण हुआ था तो वह सूर्य के समान तेज गर्म हो गई थी।
इसी कारण से पृथ्वी की गर्मी अंदर दबती हुई ठंडी हो रही थी मगर इसी बिच मे ज्वालामुखी के फटने की घटना भी आम थी । क्योकी जैसे ही ज्वालामुखी फटता है तो पृथ्वी की गहराईयो मे स्थित मिट्टी एक लावा का रूप लेते हुए पृथ्वी पर आ जाती है । इस तरह से पृथ्वी की उपरी सतह लावा के रूप मे रहने लगी थी ।
जब इस बात को करोडो वर्ष बित गए तब वह लावा हवा और अन्य सभी घटको की मदद से महिन और बारीक बन गई । जिसके कारण से उपरी सतह एक रेतीली मिट्टी के रूप में बन गई थी । तब जाकर मिट्टी की उत्पत्ति हुई थी । इस तरह से कहा जा सकता है की मिट्टी न केवल कुछ ही पल मे बन जाती है बल्की करोडो वर्षो के बाद में बनती है ।
उदहारण के रूप में आपने यह देखा होगा की कुछ पर्वत ऐसे है जहां पर मिट्टी पाई जाती है बल्की कुछ पर्वत ऐसे भी है जहां पर मिट्टी का नाम तक नही है । यानि जब पर्वत को कई करोड वर्ष बित जाते है तब जाकर वहा पर मिट्टी मिलने लग जाती है । वरना मिट्टी विभन्न घटको के साथ दूसरी जगह पर जाती रहती है । जैसे हवा के साथ मिल कर अन्य स्थानो पर जाना ।
प्राचीन समय से मिट्टी कैसे बनी यह जान लिया है और अब जान लेते है की वर्तमान में मिट्टी कैसे बनती है यानि वर्तमान मे मिट्टी 5 कारणो के कारण से बन सकती है ।
जब पृथ्वी पर विभिन्न तरह के पर्वतो के छोटे छोटे भाग टूट जाते है तो वे विभिन्न घटको के माध्यम से अलग अलग स्थानो पर जाते है । जिनमे से वायु, जल, नदिया आदी । इस तरह से दूसरे स्थानो मे जाते समय पर्वत का वह भाग विभिन्न तरह के अवरोधो से टकराता रहता है ।
जिसके कारण से वह और अधिक विभाजित होता रहता है । इसी विभाजन के कारण से पर्वत का बडा भाग एक छोटा सा कण बन जाता है । और जब इस तरह के कण बहुत ही अधिक मात्रा में मिल जाते है तो मिट्टी का निर्माण हो जाता है ।
दोस्तो आपने यह देखा होगा की जब कोई पत्थर कई वर्षा तक जमीन पर पडा रहता है तो वह एक समय के बाद में नष्ट हो जाने लग जाता है । जैसे ईंट को आपने देखा होगा की वह कई महिनो तक पृथ्वी पर पडे रहने के कारण से नष्ट होने लग जाती है । क्योकी वह पृथ्वी के ऑक्सीजन उपस्थिति में विभिन्न खनिज प्रदार्थो के सम्पर्क मे आने से भूरभूरे होकर मिट्टी बन जाती है ।
ठिक यही प्रक्रिया विशाल पर्वतो में होता है क्योकी वहां पर भी ऑक्सीजन होगी और वहां पर भी ऐसे खनिज तत्व मौजूद होते है । जिसके कारण से पर्वत के छोटे छोटे भाग मिट्टी बनते जाते है मगर एक पर्वत को मिट्टी बनने में करोडो वर्ष तक लग जाते है ।
सूक्ष्मजीवो के द्वारा त्यागे गए अम्लो के कारण से मिट्टी का निर्माण हो जाता है क्योकी अम्लो से क्रिया करने के बाद में पत्थर नष्ट होने लग जाता है ।
तापमान का प्रभाव जब किसी पत्थर पर पडता है तो वह फैलने लग जाता है और जब इसका प्रभाव कम हो जाता है तो पत्थर सिकुडने लग जाता है लगातार यही क्रिया होने के कारण से पत्थर नष्ट हो जाता है ।
आज मनुष्य अपने उपयोग के लिए कई पर्वतो को पल भर में नष्ट कर देते है । जिसके कारण से पत्थरो के साथ मिट्टी का निर्माण भी होता है ।
दोस्तो इस तरह से हमने इस लेख में मिट्टी के बारे में बहुत कुछ जान लिया है मगर विशेष मिट्टी का पर्यायवाची या समानार्थी शब्द था । लेख पसंद आया तो कमेंट में बताए ।
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