मोह का विलोम शब्द moh ka vilom shabd ,मोह का उल्टा
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
मोह | निर्मोह |
moh | nirmoh |
– | – |
मोह वर्ड तो आपने बहुत बार सुना ही होगा ।लेकिन मोह का मतलब होता है प्रेम । जैसे किसी माता का अपने बच्चे के प्रति मोह है । या किसी का धन के प्रति मोह है। मोह का एक दूसरा नाम आसक्ति भी होता है। जैसे कि किसी की धन के प्रति आक्ति हो सकती है तो किसी की लड़की मे आसक्ति हो सकती है।
जब हमारे किसी प्रिय इंसान की मौत हो जाती है या फिर उसके साथ बुरा हो जाता है तो यह मोह ही तो है जिसकी वजह से हम दुखी होते हैं। यदि हम सारे मोह का त्याग कर देते हैं तो ऐसा हो ही नहीं सकता है कि हम दुखी हो जाएं ।
जब हमारे मन मे किसी को लेकर आसक्ति होती है। तो उसके बाद उसको नुकसान होने पर हमे दुख होता है। मोह का होना एक तरह से फायदे मंद भी होता है क्योंकि बिना मोह के हम किसी इंसान का खास ख्याल नहीं रख पाएंगे । जैसे कि एक माता का मोह अपने बच्चे के प्रति होना बेहद ही जरूरी होता है। कारण यह है कि बिना मोह के वह अपने बच्चे का ख्याल अच्छे से नहीं रख पाएगी । लेकिन यही मोह उसके दुख का कारण बनता है।
मोह का उल्टा होता है निर्मोह ।जिसका मतलब होता है बिना मोह के ।जिसके पास कोई मोह नहीं हो । जैसे कि अनजान लोगों के प्रति हमारे मन मे कोई मोह नहीं होता है। अक्सर मीरा कृष्ण के लिए निर्मोही शब्द का प्रयोग करती थी । जिसका मतलब यह था कि वह आसानी से नहीं रीझ पा रहे हैं। निर्मोही शब्द एक तरह से कठोर व्यवहार करने जैसा है लेकिन असल मे यदि हम सभी ओर से निर्मोही हो जाते हैं तो यह काफी बेहतरीन चीज हो सकती है। निर्मोही बनना भी कोई आसान कार्य नहीं है।
यदि आप समस्त प्रकार की आसक्तियों का त्याग करने मे सक्षम हैं तो यही निर्मोहीपन हम कह सकते हैं जो एक बेहतरीन चीज होती है। योगियों को इसी प्रकार की अवस्था सुलभ होती है। यही कारण है कि योगी अपना जीवन बेहद ही शांति से जीते हैं।
नीचे हम मोह और निर्मोह पर एक कहानी बता रहे हैं जिससे इनके बारे मे आपको काफी बेहतर तरीके से समझ आएगा ।
प्राचीन काल की बात है। एक नगर के अंदर दो साधु रहा करते थे । दोनों के ही पत्नी और बच्चे थे और मांग मांग कर पेट भरते थे ।एक का नाम मोही था । और दुसरे का नाम निर्मोही था। नाम के जैसा ही उनका स्वाभाव हुआ करता था।
मोही हर प्रकार की चीजों के अंदर आसक्ति रखता था।उसे धन संपति और पैसा का मोह था। इसी प्रकार से निर्मोही किसी भी बात की चिंता नहीं करता था । जो मिल गया सो मिल गया नहीं मिला तो नहीं मिला ।
एक दिन मोही की पत्नी काफी बीमार हो गई । वह काफी दुखी हुआ और पत्नी का कई जगहों पर इलाज करवाया लेकिन कोई भी फायदा नहीं हुआ ।अंत मे एक वैध ने मोही को कहा कि उसकी पत्नी नहीं बचने वाली है। भले ही वह कहीं पर भी इलाज करवाले ।
मोही निर्मोही के पास गया और बोला ………..अरे भाई क्या करें पत्नी मर रही है ?
………कुछ करे की जरूरत नहीं है। तुमने बहुत कुछ कर लिया ।जो तुमसे हुआ । अब सब भगवान भरोसे है। और वह बहुत ही आराम से बोला था।
………..लेकिन पत्नी मर गई तो मेरा क्या होगा ?
…….कुछ नहीं वही होगा जो बाकि विधुरों का होता है।जो होना है उसकी चिंता ना करो। बस इसकी चिंता करो की तुम क्या अच्छा कर सकते हो । जो होना है वह तो होगा ही ।
और कुछ समय बाद मोही की पत्नी मर गई।उस दिन मोही फूट फूट कर रोया और कुछ दिनों तक खाट पर पड़ा रहा लेकिन फिर भी उसकी पत्नी वापस नहीं आई । थक हार कर वह वापस कार्य करने लगा ।
कुछ समय बाद मोही का बेटा बीमार हुआ । और उसका भी ईलाज उसने कई जगहों पर करवाया लेकिन बेटे को कोई भी असर नहीं हुआ अंत मे वह भी बिस्तर पर लैट गया और जब मोही को लगा कि अब उसका बेटा भी दुनिया छोड़कर जाने वाला है तो वह निर्मोही के पास गया और बोला ………… आप मुझे कोई रस्ता दिखाएं । अब मेरा बेटा मरने वाला है। और उसके बाद मोही फूट फूट कर रोने लगा ।
………..पहली बात को इसकी तुझे चिंता नहीं करनी चाहिए । बस अपने बेटे को बचाने का प्रयास कर । मैं भी ऐसा ही कर रहा हूं । तेरे बेटे की मौत होगी या नहीं इसका तो पता नहीं लेकिन अपने बेटे से मोह मत रख।
क्योंकि जिस भी चीज से तू मोह रखेगा ।वह तुझे दुख ही देगी । इसलिए सभी तरह के मोह को छोड़कर निर्मोही बन जा । लेकिन अपने कर्त्तव्य को कभी ना भूल ।
जिस दिन तू निर्मोही बन गया । बस उसी दिन से तू सुखी हो जाएगा । तू संसार की चिंता मत कर क्योंकि इसके नियमों को बदलना तेरे मेरे बस मे नहीं है।
लेकिन जो तेरे बस मे है बस उसको निष्काम भावना से करता चला जा ।
………सच मुच निर्मोही तू ज्ञानी है यार मैंने आज तक अनेक शास्त्र पढ़े लेकिन कभी भी किसी को अपने जीवन के अंदर उतारने का प्रयास नहीं किया । यही कारण है कि आज मैं दुखी हूं और तू हर हाल मे खुस रहता है।क्योंकि तू इस बात को जानता ही नहीं कि आत्मा अमर है। वरन तू इस बात को मानता भी है कि चाहे जो हो लेकिन वह कभी नहीं मरता है।
और बस इतना कहने के बाद मोही ने अपने आंसूओं को पौंछा और फिर वहां से उठकर चला गया । मोही अब निर्मोही बन चुका था। उसे यह समझ आ चुका था कि जिसको मरना है वह मरेगा जिसकी मौत भी नहीं आई है वह कैसे मर सकता है।
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