मोहन नाम की राशि बताइए , mohan naam ki rashi ,मोहन नाम कई लड़कों का होता है। और मोहन काफी सुंदर नाम होता है। कई लड़के इस नाम के साथ माहन कार्य कर चुके हैं।मोहन नाम के लड़कों का प्रेम काफी सराहनिय होता है और इनके अंदर नेत्रत्व करने की अच्छी क्षमता होती है। यह शाही अंदाज वाले होते हैं और दूसरों पर अपना प्रभाव भी आसानी से छोड़ देते हैं।
मोहन नाम की राशी सिंह होती है।और इनका नाम सूर्य होता है।वैसे आपको बतादें कि मोहन नाम के लड़कों का सबसे बड़ा खास गुण यह होता है कि यह हमेशा राजा बनने के सपने देखते हैं। इनको किसी के अधीन रहना पसंद नहीं होता है। यदि शरीर के रोगों की बात करें तो इन लोगों को हर्ट की समस्याएं हो सकती हैं या फिर दिल की समस्याएं हो सकती हैं।
मोहन नाम के लड़कों को कई रोग परेशान कर सकते हैं लेकिन इनकों के अंदर ईमानदारी कूट कूट कर भरी होती है।
नाम | मोहन |
अर्थ | आकर्षक ,दिलचस्प ,गम्भीर ,उदार और हंसमुख |
लिंग | लड़का |
धर्म | हिंदु |
शुभअंक | 1 |
राशी | सिंह |
स्वामीग्रह | सूर्य |
शुभरंग | सुनहरी, लाल और क्रीम रंग |
शुभदिन | रविवार |
शुभरत्न | माणिक्य |
सामान्यरोग | गला, पेट, आंखों में तकलीफ, रक्त विकार, कान का दर्द, चर्मरोग, वातरोग |
यदि आपका नाम मोहन है तो आपको अपने नाम के अर्थ के बारे मे सही सही जानकारी होनी चाहिए क्योंकि नाम के हिसाब से ही इंसान के अंदर गुण आते हैं।
वैसे उपर हमने मोहन नाम के अर्थ के आधार पर गुणों को बताने का प्रयास किया है। लेकिन असल मे यह जरूरी नहीं होता है कि हर मोहन नाम के लड़के अपने नाम के अनुसार ही व्यवहार करें । क्योंकि यह देखा गया है कि कई लड़कों का नाम सिंह होता है लेकिन वे डरते चूहे से ही हैं।
दोस्तों मोहन नाम के रिश्ते काफी अच्छे होते हैं। यह काफी आकर्षक इंसान होते हैं।प्यार के अंदर यह शरीरिक संबंध बनान जायज मानते हैं।यह काफी रोमांटिक भी होते हैं।यह काफी प्यार होते हैं और अपने पार्टनर का पूरा ध्यान भी रख सकते हैं।
मोहन नाम के लोगों की सबसे बड़ी खास बात यह होती कि यह हमेशा चलने वाले प्यार के रिश्ते को पसंद करते हैं। और यह मानते हैं कि प्यार मे सब जायज होता है। जल्दी से बदलना इनके बस की बात नहीं होती है। वरन यह धीरे धीरे बदलाव के पक्ष मे होते हैं।
यह काफी सामाजिक भी होते हैं। यह किस से कितना प्यार करते हैं। इसके बारे मे यह किसी को भी बताते नहीं हैं। क्योंकि प्यार का दिखावा करना इनको पसंद नहीं होता है।
यह स्वाभाव से भावुक किस्म के होते हैं और प्रकृति से प्रेम करने वाले होते हैं।लेकिन इनका रैवया कई बार विवेकहीन हो जाता है। यह अपने जीवन साथी से काफी अधिक प्रेम करने वाले होते हैं।यह अपने परिवार के सदस्य के साथ खराब व्यवहार को पसंद नहीं करते हैं। और यदि कोई इनका विश्वास तोड़ता है तो फिर यह उससे दूरी बना लेते हैं । यही इनका सिद्धांत होता है।
मोहन नाम के लोग काफी अच्छे होते हैं और अपने बच्चों के लिए प्रेमपूर्ण होते हैं। एक पिता के रूप मे मोहन नाम के लोग खुशमिजाज और चंचल होते हैं। इसके अलावा यह अपने बच्चों का अच्छे से पालन पोषण करते हैं और इनके बच्चे भी काफी स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं। उनको प्रतिबंधों मे रहना पसंद नहीं होता है।
मोहन नाम के बच्चे काफी सुंदर होते हैं। इसी वजह से बहुत से काफी लोग इनको लाड़ प्यार करते हैं। जिससे यह बिगड़ भी जाते हैं।लेकिन यह अभिमानी नहीं होते हैं। अपनी बुद्धिमता की वजह से कभी गलत रस्ते पर नहीं जाते हैं। अच्छे व्यवहार, अज्ञाकातिा, बहादुरी, अपनेपन और भरोसे के चलते वे आत्मविश्वास से जीवन में आगे बढ़ते हैं और प्रसिद्धि पाते हैं, पर इनको अनुशासन के अंदर रखना माता पिता का काम होता है।
दोस्तों यदि आपका नाम मोहन है तो आपको अपने गुणों के बारे मे भी अच्छी तरह से जान लेना चाहिए । यदि आप मोहन नाम के लोगों को समझना चाहते हैं तो जानें ।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों की सबसे खास गुण यही होते है कि यह काफी भरोसेमंद होते हैं और यदि आप इनको अपना मित्र बनाते हैं तो यह आपका भरोशा नहीं तोड़ते हैं। हालांकि सभी मोहन नाम के लोग इस प्रकार के नहीं होते हैं।
सिंह राशी के लोगों के अंदर नेत्रत्व का गुण होता है। इसका मतलब यह है कि यह किसी के नीचे रहना पसंद नहीं करते हैं। इनके अंदर एक अच्छा लिडर बनने की काबिलियत होती है। यह अपने जीवन के अंदर नेता या फिर अन्य नेत्रत्व वाले कार्य करते हैं।
मोहन नाम के लोग काफी साहसी होते हैं।साहस का मतलब यह होता है कि यह बड़ी बड़ी परेशानियों से डरने वाले नहीं होते हैं वरन उनका आसानी से मुकाबला कर सकते हैं। साहस पूर्ण कार्य करना इनकी आदत होती है। यह काफी बेहतरीन इंसान होते हैं।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों की एक खास बात यह होती है कि यह दृढ़-निश्चयी होते हैं। यदि यह किसी कार्य के बारे मे एक बार कुछ निश्चित कर लेते हैं तो उसके बाद उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। यह उन लोगों मे नहीं होते हैं जो कार्य को बीच मे छोड़कर भाग जाते हों ।जब यह कार्य को एक बार आरम्भ कर देते हैं तो फिर उसे पूरा करके ही दम लेते हैं।
मोहन नाम के लोगों की एक खास बात यह भी होती है कि यही काफी आकर्षक इंसान भी होते हैं। और जब यह किसी से मिलते हैं तो फिर उस पर अपना प्रभाव अवश्य ही छोड़ देते हैं। आकर्षक होने की वजह से कई लोग इनको पसंद भी करते हैं।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों की खास बात यह भी होती है कि यह रोमांटिक पार्टनर भी होते हैं। अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक पल बिताना इनको काफी पसंद होता है। और यही कारण है कि इनके साथी इनको काफी पसंद भी करते हैं।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह बातूनी होते हैं।इसका मतलब यह है कि यह अधिक बात करने वाले होते हैं। हालांकि यह उनको कई मामलों मे फायदेमंद होता है। लेकिन असल मे कई मामलों मे यह उनके लिए काफी नुकसानदायी भी हो सकता है।
मोहन नाम के लोगों की खास बात यह होती है कि यह सच्चे साथी साबित होते हैं । यह अपने पार्टनर की हर समय हैल्प करने को तत्पर रहते हैं और उनका साथ कभी भी नहीं छोड़ते हैं।
मोहन नाम के लोगों के अंदर अतिआशावादी का गुण होता है। इसकी वजह से यह बहुत बार असफल भी हो जाते हैं। अति आशा की वजह से इनके कार्य करने की रफतार के अंदर कमी आती है जिसकी वजह से यह असफल होते हैं। हालांकि इनका अतिआशावादी पन कई बार इनके लिए काफी उपयोगी भी साबित होता है।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों का सबसे बड़ा गुण होता है कि यह परोपकारी होते हैं इसका अर्थ यह है कि यह दूसरों का भला करने पर यकीन करते हैं।और यदि कभी भी इनको किसी का भला करने का मौका मिलता है तो यह उसकी मदद जरूर करते हैं। इनको दूसरों का भला करने मे काफी सकून मिलता है।
मोहन नाम के लोग दयालू होते हैं । इसका मतलब यह है कि यह दया करने वाले होते हैं। बिना किसी वजह से किसी को परेशान नहीं करते हैं। और जानवरों से अधिक प्रेम करते हैं। यह काफी दया करने के गुण के चलते इनको बहुत पसंद किया जाता है।
मोहन नाम के लोग काफी आत्मविश्वासी होते हैं। यह जो भी कार्य करते हैं वह आत्मविश्वास होने पर ही करते हैं। यही कारण है कि हर कोई इनको डिगा नहीं सकता है। दूसरों की बातों पर यह आसानी से नहीं भटकने वाले होने की वजह से अपने लक्ष्य को पा लेते हैं।
मोहन नाम के लोगों का स्वाभाव यह भी होता है कि यह खरी खरी बातें कहने के लिए जाने जाते हैं। यह अगले के मुंह पर ही खरी बातें बोल देते हैं। हालांकि यह इस बात की चिंता नहीं करते हैं कि अगला उनके बारे मे क्या सोचेगा लेकिन बोलने वाली बातें सच होती हैं।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों की यह भी खास बात होती है कि यह गुस्सैल होते हैं।कई बार इनको गुस्सा आ जाता है और बाद मे कंट्रोल नहीं होता है। वैसे आप इसको खराब आदत नहीं कह सकते हैं। क्योंकि कुछ ऐसी जगह होती हैं जहां पर गुस्सा जरूरी होता है।
दोस्तों मोहन नाम के लोग दुख मे काफी आक्रमक हो सकते हैं । हालांकि इनका आक्रमक होना इनके खराब गुणों के अंदर आता है लेकिन कुछ जगहों पर इनकी आक्रमकता का प्रयोग किया जा सकता है।
दोस्तों मोहन नाम के लोग काफी जिदृी किस्म के होते हैं। यह कई बार किसी बात को लेकर अड़ जाते हैं और भले ही वह गलत को किसी की भी मानने को तैयार नहीं होते हैं। जो इनके स्वाभाव का एक हिस्सा है।
मोहन नाम के लोग खुले विचारों वाले होते हैं । जिसकी वजह से यह आधुनिक चीजें करने मे परहेज नहीं करते हैं। जैसे पार्टी के अंदर जाना या फिर कई ऐसे कार्य कर सकते हैं जो समाज मे वर्जित होते हैं। इनका मानना होता है कि इन कार्यों मे कोई बुराई नहीं होती है।
दोस्तों मोहन नाम के लोग काफी वफादार होते हैं। इनको अपनी साथी की वफादारी पसंद होती है। और यह सामने वाले से ही अपने जैसी ही उम्मीद करते हैं। कुल मिलाकर यह एक अच्छे इंसान होते हैं।
असल मे यह हमेशा से ही स्वार्थी नहीं होते हैं लेकिन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई बार दूसरों की अनदेखी भी कर देते हैं। हालांकि यह एक बहुत ही आम बात होती है।
हालांकि मोहन नाम के लोग प्यार व्यार को अधिक पसंद नहीं करते हैं लेकिन एक बार यदि प्यार मे पड़ जाते हैं तो अपने साथी के लिए सब कुछ लूटा देते हैं लेकिन असल मे यह अधिक समय ते अपने प्यार को बनाए रखने मे सक्षम नहीं होते ।
दोस्तों मोहन नाम के लोग कर्म करने मे भरोशा करते हैं।और कर्म को काफी पसंद करते हैं। इनका मानना होता है कि इंसान को सफलता उसके कर्मों से ही मिलती है। इसके अलावा वे न्याय प्रिय होते हैं। किसी के साथ अन्याय हो यह उनको पसंद नहीं होता है।
जैसा कि हमने आपको बताया कि मोहन नाम के लोग काफी रोबदार होते हैं।जिसकी वजह से इनका दाम्पतय जीवन उतना अधिक सफल नहीं होता है। लेकिन लाइफ के अंदर यह काफी बड़े पदों पर रहते हैं। यह अधिकतर उच्च प्रशासनिक नौकरी, राजनेता, जज, चिकित्सक, मार्गदर्शक, संस्था प्रमुख, कारखानों के स्वामी बन सकते हैं।
मोहन नाम के लोगों की राशी चिंह शैर होता है।इसका स्वामी सूर्य होता है और इसका संबंध अग्नि तत्व से होता है।यह बेहद ही ताकतवर है।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों को कई तरह के शौक होते हैं। जैसे सैनिमा देखना , सोना और अच्छे कपड़े पहनना ।अच्छा भोजन करना उपन्यास पढ़ना आदि हो सकते हैं।आभूषण बनाने की कला, नृत्य, गृहसज्जा, खेलकूद आदि के अंदर इनकी रूचि हो सकती है।सामाजिक मेल-जोल, शिल्पकला, चित्रकला आदि के अंदर इनकी रूचि होती है।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों का आर्थिक पक्ष काफी मजबूत होता है। इनको जरूरत से अधिक धन आसानी से मिल जाता है।और यह कर्ज लेने से डरते हैं। और यदि कर्ज ले भी लेते हैं तो वे पाई पाई चुका देते हैं। और यह जातक यदि पैसा दे भी देते हैं तो इनको पैसा वापस नहीं मिलता है।इसके अलावा मोहन नाम के लोगों को भूलने की बीमारी होती है।इनको याद नहीं रहने की वजह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और इनके पास खुद की कार भी होती है।
दोस्तों मोहन नाम के लोगों को शिशु रोग और हृदय रोग विशेषज्ञता, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति शास्त्र, ज्योतिष आदि के अंदर सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।वैसे मोहन नाम के लोग कौनसी क्षेत्र के अंदर अधिक सफलता हाशिल करेंगे। यह तो कुंडली देखकर ही पता लगाया जा सकता है।
मोहन नाम के लोग यदि ईमानदारी से कार्य करते हैं तो भी उनको सफलता मिलती है।यह धातु से जुड़े कार्य के अंदर सफल हो सकते हैं। इसके अलावा यह एक अच्छे वकील भी बन सकते हैं। कला के क्षेत्र मे यह अधिक सफल रहते हैं।
मोहन नाम के लोग अच्छे पति सिद्ध होते हैं। यह दूसरों को काफी खुश देखना चाहते हैं।लेकिन इनके विवाह के अंदर बाधा आने की संभावना अधिक होती है।सगाई टूट सकती है। इसके अलावा यह काफी क्रोधी होते हैं।और एक बार यदि इनको क्रोध आ जाता है तो फिर यह नियंत्रित नहीं हो पाते हैं।
मोहन नाम के लोगों के दिल मे माता पिता के लिए विशेष सम्मान होता है।मोहन नाम के लोग हर्ट से कोमल होने की वजह से सुख और दुख इनके दिल पर झलक जाता है।इसके अलावा इनको अपने भाई बहन से उचित सम्मान नहीं मिल पाता है।हालांकि मोहन नाम के लोगों का अपने पिता से थोड़ा विरोध हो सकता है।
मित्रता भी सही और सोच समझ कर ही करनी चाहिए नहीं तो यह नुकसान पहुंचा सकती है।
वैसे मोहन नाम के लोग दिखने मे काफी कमजोर होते हैं।लेकिन इनके अंदर काम करने की ताकत बहुत अधिक होती है। गला, पेट, आंखों में तकलीफ, रक्त विकार, कान का दर्द, चर्मरोग, वातरोग या शीत ज्वार पीड़ा जैसी समस्याएं इनको हो सकती हैं।इनको जुकाम काफी जल्दी हो जाती है। और जल की मात्रा इनको अधिक रखनी चाहिए ।छाछ, दही, पपीता, गोभी, आलू, टमाटर इनकी सेहत के लिए विशेष रूप से काफी उपयोगी होते हैं।
मोहन नाम के लोगों के लिए अंक की श्रृंखला1, 10, 28, 37, 46, 55, 64… एवं 4 अंक की श्रृंखला 4, 13, 22, 31, 40, 58, 67, 76….इनके लिए शुभ होती हैं। इसके अलावा 6, 7, 8 अंक अशुभ होता है।
सुनहरी, लाल और क्रीम रंग भाग्यशाली रंग होता है। मोहन नाम के लोगों को हमेशा अपने पास लाल रंग का रूमाल रखना चाहिए । और शुभ अवसरों के उपर आप इस रंग के कपड़े भी पहन सकते हैं। जो आपके लिए काफी फायदेमंद होगा ।
मोहन नाम के लोगों के लिए अच्छा दिन रविवार ही होता है। यदि आप कोई कार्य आरम्भ करने जा रहे हैं तो उसे आपको रविवार को ही आरम्भ करना चाहिए । यही आपके लिए अच्छा रहता है।इसके अलावा गुरुवार शुभ, मंगलवार अशुभ और शनिवार मध्यम होता है।
मोहन नाम के लोगों के लिए भाग्यशाली रत्न माणिक्य होता है। सूर्य खराब होने की वजह से इनको पहना जाना चाहिए । 3 रत्ती का माणिक्य सोने में जड़वाकर रविवार के दिन शुभ मुहूर्त में सूर्यदेव की उपासना के बाद धारण करें तो यह आपके लिए काफी उपयोगी होता है।
दोस्तों मोहन नाम के कई लोग काफी फेमस हर चुके हैं।आइए जानते हैं मोहन नाम के कुछ फेमस लोगों के बारे मे ।
मोहन राव , जिसे मोहन या माइक मोहन के नाम से भी जाना जाता है।यह एक भारतिये अभिनेता हैं जोकि तमिल फिल्मों के अंदर काम कर चुके हैं। कन्नड़ , तेलुगु और मलयालम फिल्मों में मे भी यह काम कर चुके हैं।मोहन को बी वी कारंत ने थिएटर की दुनिया में पेश किया। इन्हें दिल्ली जैसी जगहों पर नाटक के अंदर काम किया ।उन्हें फिल्म कोकिला में बालू महेंद्र ने 1977 में तमिल अभिनेता कमल हासन के साथ काम किया था ।
1980 में मूडु पनी की रिलीज के बाद से वह तमिल सिनेमा उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से यह एक बन गए थे ।मोहन को 1980 के दशक में ‘सिल्वर जुबली हीरो’ के रूप में इंडस्ट्री में बुलाया गया था।मोहन ने गौरी से 1987 में शादी की। दंपति का एक बेटा आकाश है, जिसका जन्म 1989 में हुआ था।
इन्होंने कई फिल्मों के अंदर काम किया उनमे से कुछ फिल्मों की लिस्ट को यहां पर दिया जा रहा है।
साल | फ़िल्म | भूमिका | भाषा: हिन्दी |
1977 | कोकिला | भास्कर | कन्नड़ |
1978 | अपरिचित | शामू ह्वेल | कन्नड़ |
1978 | मदालसा | चंद्रू | मलयालम |
1979 | तोरपु वेले रेलू | रमन्ना | तेलुगू |
1979 | भूलोकदल्ली यमराज | सुरेश | कन्नड़ |
1980 | नम्मनमाना सो | नटराज | कन्नड़ |
1980 | मूड़ु पाणि | भास्कर | तामिल |
1980 | नेनजथै किलथे | राम | तामिल |
1981 | गाली माथु | चिंतामणि | कन्नड़ |
1981 | मुनियाना मदारी | मार | कन्नड़ |
1981 | हेंनिना सेडु | गुरु | कन्नड़ |
1981 | किलंजलगल | बाबू | तामिल |
1982 | पयानंगल मुदिवथिल्लई | रवि कुमार | तामिल |
1982 | थम्भीथम ओरु संगीथम | तामिल | |
1982 | नजन ओन्नु परायते | माधवंकुट्टी | मलयालम |
1982 | गंधारगोलम | तेलुगू | |
1982 | कातरुकेन वेली | तामिल | |
1982 | पोनमुडी | राजू | मलयालम |
1982 | ऐराधा विलायट्टु पिल्लई | कन्नन / शेखर | तामिल |
1982 | लॉटरी टिकट | वासु | तामिल |
1982 | इणियावाले वै | प्रभु | तामिल |
1982 | कदलीथु पार | तामिल | |
1982 | गोपुरंगाल शिवतलाई | मुरली | तामिल |
1982 | चिन्नन चिरसुगल | तामिल | |
1982 | अर्चनाई पूकल | कार्तिक | तामिल |
1983 | हावड़ा होवु | मोहन | कन्नड़ |
1983 | अन्ता सिला नटकल | गोपी | तामिल |
1983 | ज्योति | तामिल | |
1983 | थोंगाधा कन्नेंद्रु ओंरू | रवि | तामिल |
1983 | नेनजमालम नीये | मोहन | तामिल |
1983 | इलमई कलांगल | रघु | तामिल |
1983 | शरणालयम | प्रभु | तामिल |
1983 | मनैवि सोले मंथिराम | थ्यागू | तामिल |
1983 | नालु पेरुकु नांद्री | बाबू | तामिल |
1984 | कुवा कुवा वथुगल | मोहन | तामिल |
1984 | विधि | राजा | तामिल |
1984 | नूरवथु नाल | रामकुमार | तामिल |
1984 | वेंगायिन मितानें | राधा का पति | तामिल |
1984 | नान पाडुम पाडल | आनंद | तामिल |
1984 | नालम नमालरिया अवल | तामिल | |
1984 | सटथई थिरथुंगल | चिरंजीवी | तामिल |
1984 | शांति मुहूर्तम् | राजा | तामिल |
1984 | 24 मणि नेरम | राज | तामिल |
1984 | मगुडी | अमावसई | तामिल |
1984 | अंबे ओडी वा | महेश | तामिल |
1984 | रुसी | रवि | तामिल |
1984 | निरबरथी | इंस्पेक्टर राजा | तामिल |
1984 | अम्बिगई नेरिल वांथाल | रवि | तामिल |
1984 | ओह माईने माणे | महेश | तामिल |
1984 | ओसाई | राजा | तामिल |
1984 | वै पंडाल | धीवरकर | तामिल |
1984 | उननाय नान संथथेन | विजय | तामिल |
1984 | नेनजथाई अल्लथा | वेणुगू | तामिल |
1985 | श्रवणार्थी | चिरंजीवी | तेलुगू |
1985 | अनबिन मुगावरी | बालू | तामिल |
1985 | थेंड्रेल एन्नै थोडु | रघुनाथ | तामिल |
1985 | आनी | राजा | तामिल |
1985 | मपिल्लई सिंगम | नर्तकी | तामिल |
1985 | उदय गीतम् | अरुण | तामिल |
1985 | देवीपिरवी | राजा | तामिल |
1985 | पिल्लई निला | मोहन | तामिल |
1985 | कुंगुमा चिमिल | रवि | तामिल |
1985 | श्री राघवेंद्र | शिष्य | तामिल |
1985 | इदेवा कोविल | शंकर | तामिल |
1985 | उनकगा ओरु रोजा | बालू | तामिल |
1985 | नान अनगल रसिगन | सुब्रमणि | तामिल |
1986 | दिसंबर पुकल | चंद्रू | तामिल |
1986 | आलापण | शिवुडु | तेलुगू |
1986 | उइरे उनाकागा | बालुमुरली | तामिल |
1986 | अय्यरम पुक्कल मलारट्टम | अरुण | तामिल |
1986 | मौना रागम | चंद्रकुमार | तामिल |
1986 | मिले थिरंधथु कढावु | सुब्रमणि | तामिल |
1986 | परु परु पटनम परु | मोहनराज | तामिल |
1986 | उन्नाय ओन्ड्रू केटपेन | तामिल | |
1987 | रिटटई वाल कुरुवी | गोपी | तामिल |
1987 | आनंद आराधनाई | मोहन | तामिल |
1987 | इधु ओरु थोदर कथई | रवि | तामिल |
1987 | पाडु निलवे | बालाकृष्णन | तामिल |
1987 | कृष्णन वंदन | राजा | तामिल |
1987 | अथार्थ कराइनाइल | गणेशन (राजा) | तामिल |
1987 | निनइक्का थेरिन्था मनमी | बाबू | तामिल |
1988 | कुंगुमा कोदू | रामू | तामिल |
1988 | चोपुलु कलासीना सुभेवला | आनंद मोहन | तेलुगू |
1988 | पासा पारीवाल | डॉ। शंकर | तामिल |
1988 | मपिल्लई सर | ड्राइविंग मास्टर | तामिल |
1988 | सहदेवन महादेवन | सहदेवन | तामिल |
1988 | वसंथी | राजा | तामिल |
1988 | आथम कथा | रवि | तेलुगू |
1989 | नालैया मनिथन | मेज़बान | तामिल |
1989 | पुलिस रिपोर्ट | श्रीनिवास | तेलुगू |
1989 | सोंधम १६ | वरुधु | तामिल |
1989 | ओरु पोन्नू नेनाचा | तामिल | |
1989 | थलाइवानुकोकोर थलाइवी | शिव | तामिल |
1989 | मणिधन मारिवट्टन | विश्वनाथन | तामिल |
1989 | इधाय धापम | ग्रांड चोरी | तामिल |
1989 | पासा मझाई | अशोक | तामिल |
1990 | सारदम्बा | श्रीकांत | तेलुगू |
1990 | वलिबा विलायाट्टु | राजा | तामिल |
1990 | जगतपालप्रथपन | प्रताप | तामिल |
1991 | उरुवम | मोहन | तामिल |
1999 | अनबुल्ला कधालुकु | प्रेम | तामिल |
2008 | सुत्त पझम | नंदकुमार (नंदू) | तामिल |
2009 | गौतम | रघुराम | कन्नड़ |
2016 | अब्बायथो अम्मायि | अभि के पिता | तेलुगू |
एम मोहन एक है भारतीय के निदेशक जो मलयालम फिल्मों मे काम करते हैं।एंगीन ओरु अवधिक्कलथु , पाकशे , इसाबेला , ओरु कथा ओरु नननक्था , इड़ावेला , विदा परयूम मुनपे , रान्डू पेनकट्टिकल और शालिनी एन्टे कूटटुकरी जैसी कई फिल्मे यह कर चुके हैं।
पटकथा लेखक जॉन पॉल के साथ उनके जुड़ाव ने हमेशा समीक्षकों और व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों को जन्म दिया है। 1980 के दशक मे इनको प्रमुख सफल निर्देशकों मे से एक माना जाता है।
इनका जन्म जन्म 21 मई 1960 के बीच माना जाता है।यह एक भारतिय अभिनेता निर्माता और गायक हैं।तमिल , तेलुगू और हिंदी भाषा की फिल्मों के अंदर इन्होंने काम किया है।वर्तमान मे 340 से अधिक फिल्मों मे यह काम कर चुके हैं।मोहनलाल ने 1978 में मलयालम फिल्म थिरनोत्तम में 18 साल की उम्र में अपने अभिनय की शुरुआत की थी। लेकिन इस फिल्म के रिलिज होने के अंदर काफी देरी हुई थी। 1980 की रोमांस फ़िल्म मंज़िल विरिन्जा पुक्कल में हुआ था , जिसमें उन्होंने प्रतिपक्षी की भूमिका निभाई थी।के दशक तक इन्होंने बैंकेबल लीडिंग एक्टर के रूप मे खुद को स्थापित कर लिया था।1986 तक उन्होंने कई फिल्मों के अंदर काम किया था।
मोहनलाल विश्वनाथन का जन्म एलान्थूर में पथानामथिट्टा जिले , केरल पर 21 मई 1960 वह विश्वनाथन नायर के यहां हुआ था।मोहनलाल तिरुवनंतपुरम में अपने पैतृक घर मुदवनमुगल में पले-बढ़े । उन्होंने गवर्नमेंट मॉडल बॉयज़ हायर सेकेंडरी स्कूल , तिरुवनंतपुरम से पढ़ाई की और बैचलर ऑफ़ कॉमर्स की डिग्री हासिल की थी।
1977 और 1978 के दौरान वह केरल राज्य कुश्ती चैंपियन थे।
मोहनलाल ने 1978 में फिल्म थिरनोत्तम से अपने अभिनय की शुरुआत की थी। जिसे मोहनलाल और उनके दोस्तों- मणियानपिला राजू , सुरेश कुमार, उन्नी, प्रियदर्शन , रवि कुमार और कुछ अन्य लोगों द्वारा निर्मित था।
इस फिल्म के अंदर मोहन लाल ने कुट्टप्पन नामक एक भूमिका निभाई थी जोकि मानसिक रूप से विकलांग था।
इनका जन्म और मृत्यु 16 अक्टूबर 1952 – 10 जून 2019 ई के अंदर हुआ था।यह क्रेजी मोहन के नाम से जाने जाते हैं।एक भारतीय अभिनेता, हास्य अभिनेता, पटकथा लेखक और नाटककार थे।
इन्होंने टेलीविजन धारावाहिक और फिल्मों के अंदर काम किया था।मोहन ने 30 से अधिक नाटक लिखे, 40 से अधिक फिल्मों में काम किया, प्रत्येक फिल्म में कैमियो भूमिकाएं की और 100 लघु कहानियां लिखीं।तमिलनाडू सरकार ने उनको कालिमणी से सम्मानित किया था।
मोहन , गुइंडी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एक छात्र थे , जहाँ उन्होंने 1973 में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में स्नातक किया ।फरवरी 1972 में, इंजीनियरिंग कॉलेज, गिंडी में, उन्होंने पहली बार ग्रेट बैंक रॉबरी लिखा था , जो गिंडी इंजीनियरिंग कॉलेज के भीतर एक इंट्रा क्लास प्रतियोगिता के लिए एक स्किट था , जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार मिला था।
चेन्नई के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज में उनके छोटे भाई मढ़ू बालाजी के नाटक मंडली के लिए स्क्रिप्ट के लिए भी इन्होंने काम किया था।इन सबके बाद मोहन ने स्वयं की मंडली मे काम करने का निश्चिय किया और 1979 में क्रेजी क्रिएशंस की स्थापना की थी।
इन्होंने अभी तक 30 से अधिक शो के अंदर काम किया और 6500 से अधिक शो के अंदर इन्होंने अपनी भूमिका निभाई थी।चॉकलेट कृष्णा का इन्होंने 3 साल के अंदर 500 से अधिक बार मंचन किया था।
उनके द्वारा काम की गई पहली फीचर फिल्म के । बालचंदर की पोइक्कल कुदरही थी जिसके लिए उन्होंने संवाद लिखे थे। फिल्म खुद मोहन के ड्रामा मैरेज पर आधारित थी जो सैलून में बनी थी ।
1989 में, उन्होंने टेलीविजन कॉमेडी श्रृंखला का निर्माण भी शुरू किया। उनके द्वारा निर्मित धारावाहिकों में हियर क्रेजी , कल्याणथुकु कल्याणम जैसे धारावाहिक प्रमुख हैं।यह काफी अच्छे चले थे ।
कुछ लोकप्रिय नाटक हैं जिनके लिए इन्होंने काम किया था
इसके अलावा इन्होंने कई पटकथाओं का लेखन किया था।
23 जुलाई 1947 को इनका जन्म हुआ था यह भारतिय मनोचिकित्सक और अभिनेता हैं।इन्होंने 1996 ई के अंदर संगीत के अंदर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीता था।उन्होंने अपनी एमबीबीएस और मनोचिकित्सा में एमडी की डिग्री के लिए बीजे मेडिकल कॉलेज, पुणे में अध्ययन किया । अभिनेता बनने से पहले वह बाद में प्रोफेसर बने।
अगाशे ने पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून अस्पताल में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर के रूप में कार्य आरम्भ किया था। उसके बाद उन्होंने नैदानिक मनोविज्ञान के अंदर मनोचिकित्सा के अंदर भी काम किया था।यह भारत के पुणे के अंदर मनोचिकित्सा के अंदर कार्य कर चुके थे ।
अगाशे ने 1991 में महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा शुरू किए गए 1993 के लातूर भूकंप के आघात पर अगाशे ने पांच साल के अध्ययन का नेतृत्व किया था।
प्रैल 1997 से अप्रैल 2002 तक, वह फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया , पुणे के महानिदेशक थे ।और उन्होंने कई नाटकों के अंदर अभिनय भी किया था।
इनको अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
साल | पुरस्कार |
1990 | पद्म श्री |
1996 | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार |
1996 | साहित्य अकादमी पुरस्कार |
2002 | जर्मनी के संघीय गणराज्य का ऑर्डर ऑफ मेरिट |
2004 | गोएथे मेडल |
2017 | थेस्पो लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड |
2018 | विष्णुदास भावे पुरस्कार |
2018 | प्राइड ऑफ प्लेनेट अवार्ड |
2019 | लोटू पाटिल थिएटर अवार्ड |
मोहन बाबू इनका प्रसिद्ध नाम है।तेलुगु सेनिमा के अंदर यह काफी अधिक प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा यह 500 से अधिक फिल्मे कर चुके हैं।मोहन बाबू का जन्म मर्चु नारायणस्वामी नायडू और मांचू लक्ष्मम्मा के रूप में स्वर्णमुखी नदी के किनारे मोधुगुलपलेम गाँव में हुआ था ।
मोहन बाबू अपने तीन छोटे भाइयों, मांचू रंगनाथ चौधरी, मांचू रामचंद्र चौधरी, मांचू कृष्ण और उनकी बहन विजया के साथ बड़े हुए हैं।तिरुपति के अंदर इन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की थी।मोहन बाबू ने मात्र 14 साल की उम्र के अंदर ही नाटकों के अंदर अभिनय करना शूरू कर दिया था।
मोहन बाबू ने कई वर्षों तक शारीरिक शिक्षा के वाईएमसीए कॉलेज में शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया था।मोहन बाबू ने अवसरों की तलास के लिए चैन्नई स्टूडियों के अंदर यात्रा शूरू की थी।
1969 में, उन्हें निर्देशक लक्ष्मी दीपक के साथ एक प्रशिक्षु के रूप में काम करने का अवसर मिला जिसके बाद उनका फिल्म उधोग के अंदर प्रवेश मिल गया ।उसके बाद मोहन का परिचय दसारी नारायण राव से हुआ, जो उस समय टॉलीवुड में एक पटकथा लेखक थे।एक अभिनेता के रूप में मोहन बाबू को पहली बड़ी सफलता दशरी नारायण राव द्वारा निर्देशित 1975 को रिलीज हुई थी।
शिवाजी गणेशन द्वारा तमिल फिल्म उद्योग में शुरू किए जाने के बाद , उन्होंने मोहन बाबू फिल्मोग्राफी में 20 से अधिक तमिल फिल्मों में काम किया और अपनी भूमिकाओं के लिए भूमिका निभाई थी।
रायलसीमा के लोग जब गम्भीर सुखे के चपेट मे आए तो मोहन बाबू ने सूखे क्षेत्र का दौरा किया और उसके बाद वहां के लोगों को आर्थिक मदद प्रदान की । इसी प्रकार से स्वच्छ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप मे भी इनका चुनाव किया गया ।
शिक्षा के अंदर भी इन्होंने अच्छा योगदान दिया ।मोहन बाबू ने 1993 में श्री विद्यानिकेतन एजुकेशनल ट्रस्ट की स्थापना की। आज, श्री विद्यानिकेतन श्री विद्यानिकेतन इंटरनेशनल स्कूल, श्री विद्यानिकेतन डिग्री कॉलेज, श्री विद्यानिकेतन इंजीनियरिंग कॉलेज, श्री विद्यानिकेतन कॉलेज ऑफ फार्मेसी, श्री विद्यानिकेतन कॉलेज ऑफ नर्सिंग आदि की स्थापना की थी।मोहन बाबू की शादी विद्या देवी से हुई, जिनके साथ उनका एक बेटा मांचू विष्णु और एक बेटी मांचू लक्ष्मी प्रसन्ना है – दोनों फिल्म उद्योग में अभिनेता हैं।।
यह नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के अध्यक्ष हैं।1985 मे जब उस पार्टी का गठन हुआ, तब बैद्य नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने ।1986 में, मोहन बैद्य सीपीएन (मशाल) के महासचिव के रूप में कार्य कर रहे थे, जब उन्होंने बीरेंद्र के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का आह्वान किया था।
मोहन बम को मोहन जुड़ो के नाम से भी जाना जाता है।इनका जन्म 12 June 1991 को हुआ था।8 से 10 अगस्त 2014 को ऑस्ट्रेलियाई जूडो फेडरेशन द्वारा आयोजित दक्षिणी क्रॉस इंटरनेशनल ओपन जूडो चैम्पियनशिप में पदक भी जीता था।वे गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं।
मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 ई को हुआ था।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्ययक्ष के रूप मे वे चुने गए थे ।यह एक ब्राहा्रमण परिवार के अंदर पैदा हुए थे ।उनके पिता मधुकर राव भागवत , चंद्रपुर क्षेत्र के लिए सचिव और बाद में गुजरात के लिए प्रांत प्रचारक थे । उनकी मां मालती आरएसएस महिला विंग की सदस्य थीं ।भागवत ने अपनी शिक्षा लोकमान्य तिलक विद्यालय से पूरी की थी। उन्होंने गवर्नमेंट वेटरनरी कॉलेज, नागपुर से पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन में स्नातक किया। और 1975 ई के अंदर आरएस एस के संस्थापक बन गए ।
2017 में, राज्य संचालित पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने नागपुर में अपने दीक्षांत समारोह के दौरान मोहन भागवत को विज्ञान के मानद डॉक्टर (डीएससी) की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका है।
मोहन भंडारी की जन्म और मृत्यु 31 July 1937 – 24 September 2015 को हुई थी।यह कई लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों के अंदर काम कर चुके हैं।इनकी मौत ब्रेन टयूमर से हुए थी।चुनुती , मुजरिम हजीर , परम्परा , अभिमान , बाबुल की दूबने लेती जा , किटी पार्टी , सैट तेरे: सलोनी का सफर जैसे धारावाहिकों के अंदर यह काम कर चुके हैं।1980 के दौरान यह सबसे व्यवस्थ अभिनेताओं मे से एक थे ।इन्होंने भारतिय स्टेट बैंक के अंदर काम किया था।
मोहन चंद शर्मा का जन्म और मृत्यु 23 सितंबर 1965 – 19 सितंबर 2008 को हुई थी।यह दिल्ली पुलिस के विशेष निरिक्षक थे ।2008 में नई दिल्ली, भारत में बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए थे।इनके मरने के बाद इनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया । इसके अलावा इनको वीरता पदक से भी सम्मानित किया गया ।
यह मूल रूप से उल्मोडा उतराखंड के मूल निवासी थे ।1989 मे दिल्ली पुलिस मे सब इंस्पेक्टर के अंदर शामिल किया गया था।सन 2008 मे मूठ भेड़ के अंदर पेट और जांघ के अंदर गोली लगने और अधिक खून बहने से इनकी मौत हो गई।शर्मा को फरवरी 2007 में दिल्ली के डीडीयू मार्ग पर एक मुठभेड़ के बाद चार जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादियों की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
मोहन चोती एक फिल्म अभिनेता हैं।इन्होंने हिंदी फिल्मों के अंदर एक हास्य अभिनेता के रूप मे काम किया था। मोहन चोती का नाम 1963 की फ़िल्म ब्लफ़ मास्टर के एक काल्पनिक चरित्र से आया था ।मोहन चोती का जन्म मोहन रक्षकर के रूप में 1933 में अमरावती, अमरावती जिला महाराष्ट्र में कांस्टेबल आत्माराम रक्षका के यहां पर हुआ था।
1 फरवरी 1992 को 57 वर्ष की आयु मे इनका निधन हुआ था। और इन्होंने अपने पूरे जीवन काल के अंदर 280 से अधिक फिल्में की थी । उनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं।
मोहन दास इनका नाम है।यह एक फकीर हैं और इन्होंने छोटी ही उम्र के अंदर ही घर छोड़ दिया था।30,000 किलोमीटर तक इन्होंने लुढक कर यात्रा की थी।यह अपनी यात्रा के दौरान कई बार सिगरेट पीते हुए भी देखे गए हैं।उनके पास लगभग 9,846 मील (15,846 किमी) में सबसे लंबे समय तक लुढ़कने का गिनीज रिकॉर्ड है ।
मोहन धारिया का जन्म और मृत्यु 14 February 1925 – 14 October 2013 को हुए थे ।यह एक केंद्रिय मंत्री और वकील व सामाजिक कार्यकर्ता भी थे ।धारिया एक पर्यावरणविद् थे और एक गैर-सरकारी संगठन वनराय चलाते थे। वह पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए , पहली बार 1971 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य के रूप में और राज्य मंत्री बने थे ।
माणिकचंद धारिया के वर्तमान महाड तालुका , रायगढ़ जिले के कोलाबा जिले के नाटे गांव में जन्मे थे ।और इन्होंने अपनी परारम्भिक शिक्षा कोंकण एजुकेशन सोसाइटी से पूरी की बाद मे सर्जन बनने के लिए पूणे के कॉलेज मे प्रवेश लिया लेकिन बाद मे 1942 मे स्वतंत्रता आंदोलन मे भाग लेने के वजह से कॉलेज को छोड़ दिया ।इनको कई पुरस्कारो और सम्मानों से नवाजा गया ।
मोहन सलिया का जन्म और मृत्यु 9 November 1948 – 12 May 2009।1972 में एलावाला हेक्टर कोबेकाडुवा के निजी सचिव बने थे ।सन 1991 मे उन्हें बलंगोडा चुनावी जिले के लिए श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के मुख्य आयोजक के रूप में नियुक्त किया गया था।2 अक्टूबर 2008 को राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने एलावाला को सबारागामुवा प्रांत के पांचवें राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया । इस दौरान वे अपनी मृत्यु तक बने रहे ।
लेफ्टिनेंट जनरल मोहन अल-फुरायजी इराकी सेना में एक जनरल हैं ।सितंबर 2007 से अप्रैल 2008 तक इन्होंने इराकी सेना के गठन के लिए काम किया था।मोहन सद्दाम हुसैन के रिपब्लिकन गार्ड में एक वरिष्ठ अधिकारी थे और 1990 मे उनको जेल के अंदर डाल दिया गया और उसके बाद 2003 में शासन के पतन के बाद उनको सेना मे शामिल होने के बाद रोक लगादी गई।जनवरी 2007 में, जनरल मोहन बगदाद सुरक्षा योजना का नेतृत्व करने के लिए इराकी प्रधान मंत्री की पहली पसंद थे।
इनका जन्म सन 1945 ई मे हुआ था। एक केन्याई व्यवसायी हैं, जो लंदन डिस्टिलर्स के मालिक हैं ।2016 में, उन्हें और उनकी पत्नी संतोष गालोट को जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन व्यवसायी और उनकी पत्नी के खिलाफ आपराधिक आरोप दिसंबर 2016 में हटा दिए गए थे।
मोहन गोखले का जन्म और मृत्यु 7 नवंबर 1953 – 29 अप्रैल 1999 को हुए थे ।यह एक एक भारतीय फिल्म, टेलीविजन और थिएटर अभिनेता थे, जिन्होंने स्पर्श , भवानी भवई और मिर्च मसाला जैसी कला फिल्मों में काम किया है ।
मोहन गोखले को बचपन से ही रंगमंच का शौक था और बचपन मे ही इन्होंने कई तरह के पुरस्कार जीते थे ।पुणे में थिएटर अकादमी की स्थापना की थी।मोहन गोखले की शादी शुभांगी गोखले से हुई थी ।वह भी एक टेलीविजन अभिनेत्री है। इनकी एक बेटी सखी गोखले थी जो कि खुद भी एक अभिनेत्री है।गोखले की 29 अप्रैल 1999 को चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से नींद में मृत्यु हो गई । वह उस समय कमल हासन के हे राम पर काम कर रहे थे।
इनके द्धारा किये जाने वाले नाटक और फिल्मे कुछ इस प्रकार से हैं।
यह एक भारतीय फिल्म निर्देशक हैं जो मुख्य रूप से तेलुगु सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं।इनकी पहली निर्देशित फिल्म ग्रहनम थी जोकि सन 2005 के अंदर आई थी। उसके बाद इन्होंने कई फिल्मे और भी दी थी।
इनका जन्म एक तेलुगू भाषी परिवार में हुआ था।बचपन से ही इनके अंदर कथा साहित्य के प्रति आकर्षण था।साहित्यिक कार्यों के प्रति भी वे काफी शौकीन रह चुके हैं।उनकी परवरिश विजयवाड़ा में हुई जहाँ उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और लोयोला कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की । इसके बाद, उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी भाषा और दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। 2006 में, उनकी दूसरी निर्देशित फिल्म मायाबाजार में भूमिका चावला और राजा मुख्य भूमिकाओं में थे।
इनको अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।
मोहन जोशी एक भारतीय फिल्म , टेलीविजन और थिएटर अभिनेता हैं। उन्होंने हिंदी , मराठी , भोजपुरी फिल्मों के अंदर अपना योगदान दिया है।जोशी का जन्म बैंगलोर , कर्नाटक में हुआ था । और प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने पुणे महाराष्ट्र के अंदर अपने लिए अभिनय की शूरूआत की थी।
जोशी ने अपने करियर की शुरुआत पुणे में थिएटर से की थी। उन्हें कूर्यत सदा तिंगलम नाटक के माध्यम से देखा गया था ।जोशी को बाद में हिंदी और मराठी फिल्मों में विभिन्न भूमिकाएँ मिलीं। उनकी 1993 की कॉमेडी फिल्म सावत मांझी लड़की काफी सफल रही थी।इन्होंने ज्योति जोशी से शादी की थी। जोशी ने हिंदी फिल्मों के अंदर भी कई तरह की भूमिकाएं निभाई उनको नकारात्मक भूमिका निभाने के लिए काफी जाना जाता है। इनके द्धारा की जाने वाली फिल्में कुछ इस प्रकार से हैं।
साल | शीर्षक |
1983 | एक दाव भुतचा |
1987 | खत्याल सासु नथल सुन |
1988 | नशीबवानो |
1988 | एक गाड़ी बाकी अनादि |
1991 | बालीदानी |
1992 | हच सुनबैचा भाऊ |
1992 | जीवलागा |
1992 | जागृति |
1993 | सारेच सज्जन S |
1993 | सावत मांझी लड़की |
1993 | भूकैम्प |
1993 | आपली मानसे |
1993 | एंथो |
1994 | एलान |
1994 | आंदोलन |
1994 | गद्दार |
1994 | हम दोनो |
1994 | गुंडाराजी |
1994 | जुआरी |
1994 | Haqeeqat |
1996 | एक था राजा |
1996 | शास्त्र |
1996 | हिम्मत |
1996 | पापी गुड़िया |
1996 | भीष्म: |
1996 | माफिया |
1996 | कृष्णा |
1997 | सलमा पे दिल आ गया |
1997 | यशवंती |
1997 | मृत्युदंड |
1997 | भाई |
1997 | इश्क |
1998 | आक्रोश |
1998 | डू नम्ब्री |
1998 | हमसे बढ़कर कौन |
1998 | मेजर साब |
1998 | बरूद |
1998 | पुरानी कबरी |
1998 | तू दशम मी |
1998 | सालाखें |
1998 | विनाशक – विनाशक |
1998 | सर उठा के जियो |
1998 | गुंडा |
1998 | फूल बने पत्थर |
1999 | लढाई |
1999 | सिकंदर सड़क कास |
1999 | घरबाहेरी |
1999 | वास्तु |
1999 | हसीना मान जाएगी |
1999 | मुन्नीबाई |
1999 | कहानी किस्मत किस |
1999 | लाल बादशाह |
1999 | आरजू |
1999 | राजाजी |
1999 | होगी प्यार की जीत |
1999 | दाग: द फायर |
2000 | रहस्य |
2000 | चेहरे के पीछे |
2000 | बेटी नंबर 1 |
2000 | डाकू दिलरुबा |
2000 | बिच्छू |
2000 | बागी |
2000 | कुंवारा |
2000 | डाकू काली भवानी |
2000 | डाकु गंगा जमुना |
2000 | डाकु रामकली |
2000 | अपराधी कौस |
2001 | रूपा रानी रामकली |
2001 | शिव का इंसाफी |
2002 | मसीहा |
2003 | खंजर : चाकू |
2003 | बागबान |
2003 | ज़मीं |
2003 | गंगाजल |
2003 | श्रीमती राउत ही नहीं |
2004 | गर्व: गौरव और सम्मान and |
2004 | पुलिस बल: एक अंदरूनी कहानी |
2005 | मिस्टर प्राइम मिनिस्टर |
२००६ | यंदा कार्तव्य आहे |
२००७ | तुला शिकविन चांगलच ढाडा |
२००७ | मुक्कम पोस्ट लंदन |
२००७ | जनम जन्म के साथी |
2008 | दोघाट तिसरा आटा सगला विसरा |
2009 | माता एकवीरा नवसाला पावली |
2009 | तुक्य तुकविला नाग्य नचविला |
2009 | देबु |
2009 | दून साडे चारो बनो |
2009 | अग्निदिव्या |
2009 | लग्ली पैजू |
2012 | साहेब |
2012 | मोकला शवास |
2012 | दम असेल तारो |
2012 | येदयांची जात्रा |
2014 | लव यू क्रेजी गर्ल |
2015 | देओल बंद |
2015 | धुरंधर भटवडेकर |
2015 | ब्लैक होम |
2015 | शासन |
2015 | फेरा |
2015 | न्याय और कमीनों |
2015 | वृंदावन |
2017 | ये है इंडिया |
2017 | हमीर |
2017 | तबडाला |
2018 | पुष्पक विमान |
2018 | मुलशी पैटर्न |
2018 | अनी… डॉ. काशीनाथ घणेकरो |
2019 | 66 सदाशिव |
2020 | गोष्ट एका पैठानिचि |
थिएटर
आसू अनी हसु
मोहन कांडा का जन्म जन्म 4 सितंबर 1945 को हुआ था।यह एक भारतीय सिविल सेवक हैं। वह 1968 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं।इनका जन्म चेन्नई तमिलनाडु , भारत में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री भीमा शंकरम कांडा और एक प्रमुख समाज सुधारक श्रीमती पपीम्मा के घर हुआ था।इन्होंने ऑल सेंट्स हाई स्कूल, हैदराबाद से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और निज़ाम कॉलेज , उस्मानिया विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक भी किया था।
इनको तेलुगु फिल्मों के अंदर बाल कलाकार के नाम से जाना जाता है।और मास्टर मोहन इनका फेमस नाम है।मोहन कांडा ने अपने करियर की शुरुआत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में एक अधिकारी के रूप में की थी। आईएएस अधिकारी बनने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ काम करना शुरू किया । वे भारत सरकार के अंदर कृषि मंत्रालय के अंदर सचिव भी रह चुके थे ।
मोहन कपूर का जन्म 27 October 1965 को हुआ था।यह एक भारतीय अभिनेता हैं जो फिल्म और टेलीविजन में काम करते हैं ।
इन्होंने कई फिल्मों मे काम किया उनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।
जी मोहन कुमार का जन्म 27 मई सन 1955 ई को हुआ था।एम. गोपीनाथन नायर, एनएसएस कॉलेज त्रिवेंद्रम के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, और सरदम्मा के बेटे, मोहन कुमार ने 1960 के दशक के दौरान सरकारी मॉडल स्कूल त्रिवेंद्रम में अध्ययन किया।सिविल सर्विसेज में चयन हो गया था। प्रारंभ में, उन्हें IPS में चुना गया और अपने अगले प्रयास में,IAS चुन लिए गए थे ।
जी मोहन ने केंद्र और ओडिसा सरकार के लिए कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया ।मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास के मुख्य सचिव के रूप मे कार्य किया ।राज्य सड़क परिवहन निगम के महानिर्देशक के रूपमे ।इसके अलावा ओडिशा के राज्यपाल के रूप मे इन्होंने कार्य किया ।
जी. मोहन कुमार को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा केंद्रीय इस्पात सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि बाद मे इन्होंने इस पद को छोड़ दिया था।
जी. मोहन कुमार को मई 2015 में कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा केंद्रीय रक्षा सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।
इनकी जन्म और मृत्यु 1 जून 1934 – 10 नवंबर 2017 को हुई थी।यह एक भारतिय निर्देशक और फिल्म निर्माता थे ।यह एक पटकथा लेखक थे और इन्होंने हिंदी फिल्मों मे काम किया था।इनका जन्म ब्रिटिश भारत के सियालकोट में हुआ था।
इनके द्धारा निर्देशित की जाने वाली फिल्में कुछ इस प्रकार से हैं।
मोहन कुमार विवेकानंद का जन्म सन 1965 ई के अंदर हुआ था । इनको साइनाइड मोहन के नाम से भी जाना जाता है।यह एक सिरियल किलर था जो शादी की तलास मे महिलाओं का शिकार करता था। कोर्ट ने इसको 20 महिलाओं को मारने के आरोप मे सजा दी थी।
वह उन महिलाओं को अपना शिकार बनाता था जोकि उपयुक्त पति नहीं ढूंढ पा रही थी।वह महिलाओं को गर्भनिरोधक गोली के बहाने साइनाइड की गोलियां खिलाता था और उसके बाद उनके गहने आदि को लूट लेता था। धोखाधड़ी और जालसाजी में भी उसके शामिल होने के आरोप लगे थे ।
सुरेंद्र मोहन कुमारमंगलम पहले भारतिय कम्यूनिस्ट पार्टी और बाद मे राष्ट्रय कांग्रेस के सदस्य रहे ।उन्होंने 1971 से 1972 तक पांडिचेरी के लिए लोकसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया । उन्होंने 1966 से 1967 तक मद्रास राज्य के लिए महाधिवक्ता के रूप में भी कार्य किया था।
मोहन कुमारमंगलम का जन्म लंदन में पी. सुब्बारायण के घर हुआ था , जो नमक्कल जिले के थिरुचेंगोडे तालुक में कुमारमंगलम के तत्कालीन जमींदार थे।यह इनके तीसरे बेटे थे । कुमारमंगलम की शिक्षा ईटन और किंग्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में हुई थी , कैम्ब्रिज यूनियन सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे।
1941 में, कुमारमंगलम को पी. राममूर्ति , सी.एस. सुब्रमण्यम और आर. उमानाथ के साथ गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी मद्रास षडयंत्र केस के अंदर हुई थी।कुमारमंगलम को बाद मे रिहा कर दिया गया था।May 31, 1973 को यह एक फलाईट क्रेस के अंदर मारे गए थे ।मोहन कुमारमंगलम ने 1943 में बंगाली राजनेता अजय मुखर्जी की भतीजी कल्याणी मुखर्जी से शादी की थी। इनका एक बेटा, रंगराजन कुमारमंगलम और दो बेटियां हैं।
मोहन लाल ग्रेरो एक श्रीलंकाई शिक्षाविद् और राजनीतिज्ञ हैं।और लंका के संसद के सदस्य भी हैं।उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा रॉयल प्रिपरेटरी स्कूल से प्राप्त की और 1966 में माध्यमिक शिक्षा के लिए आनंद कॉलेज चले गए ।1974 में उन्होंने श्रीलंका विश्वविद्यालय के कटुबेड्डा परिसर में प्रवेश किया और 1980 में इंजीनियरिंग में ऑनर्स की डिग्री के साथ स्नातक किया।
मोहन लाल कश्मीरी एक भारतीय यात्री, राजनयिक और लेखक थे। उन्होंने 1838.1842 के प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध में केंद्रीय भूमिका निभाई थी।मोहन लाल की पत्नी हैदरी बेगम एक मुस्लिम विद्वान थीं। 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान उन्होंने एक डायरी भी लिखी थी।
मोहन लाल कश्मीरी पंडितों के परिवारों मे से एक थे । उनके परदादा, पंडित मणि राम, शाह आलम द्वितीय के शासनकाल में मुगल दरबार में एक उच्च पद पर थे । मोहन लाल ने दिल्ली के कॉलेज के अंदर अध्ययन किया था। और वे अंग्रेजी पढ़ने वाले पहले भारतिय थे ।उनके इकलौते भाई, केदार नाथ जुत्शी , पंजाब प्रांत के अंबाला में डिप्टी कलेक्टर थे
मोहन लाल सिंधु पर अंग्रेजों के लिए वाणिज्यिक एजेंट और प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के दौरान काबुल में बर्न्स के राजनीतिक सहायक थे।युद्ध के बाद 1844 ई के अंदर मोहन लाल ने ब्रेटेन की यात्रा की और उसके बाद यूरोप में अपने समय के दौरान उन्होंने महारानी विक्टोरिया , प्रिंस अल्बर्ट और प्रशिया के फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ से मुलाकात की थी।
मोहन लाल 32 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हुए।उसके बाद वे काफी निराशा के अंदर जीवन व्यतीत करने लगे और वितिय परेशानियों के शिकार भी रहे । हालांकि उनकी मौत 1877 ई के अंदर हुई लेकिन यह पता नहीं चल सका कि उनकी मौत कैसे हुए । वे डायरी भी लिखते थे लेकिन डायरी का भी पता नहीं चल पाया ।
यह एक भारतीय रंगमंच निर्देशक, नाटककार और संगीतकार थे, जिन्हें भारतीय रंगमंच संगीत में अग्रणी माना जाता है।मोहन उप्रेती का जन्म 1928 में अल्मोड़ा में हुआ था और इन्होंने वहीं से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी।वह पीसी जोशी जैसे ट्रेड यूनियन नेताओं से बहुत प्रभावित थे , जो बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीआई ) के एक प्रमुख नेता और उप्रेती के संरक्षक भी बने।
1940 के अंदर मोहन ने उतराखंड की भी यात्रा की और यहां पर तेजी से विलुप्त होते संगीतों का संग्रह किया ।मोहन उप्रेती का विवाह 1969 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक नईमा खान उप्रेती से हुआ था।
उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति 1980 में प्रकाशित महाकाव्य गाथागीत ‘राजुला मालुशाही’ है , जो कुमाऊँनी लोक संस्कृति में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। उनके अन्य महत्वपूर्ण नाटक हैं ‘नंदा देवी जागर’ ।
मोहन सीथारा एक भारतीय संगीतकार हैं। उन्हें प्रियनंदन की सूफी परांजा कड़ा में गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक (2009) का केरल राज्य फिल्म पुरस्कार मिला था।मलयालम फिल्मों के अंदर यह सक्रिय संगीतकार की भूमिका निभा चुके हैं।
कई प्रसिद्ध गीतकारों ने इनके गीत गाए हैं। जिनमे से कुछ नाम इस प्रकार से हैं। रफ़ीक अहमद, एस रमेसन नायर , बी आर प्रसाद, विनयन ,, भरनिक्कावु शिवकुमारअनिल पानाचूरन , वयलार सरत चंद्र वर्मा , और बिचु थिरुमाला । केजे येसुदास , पी जयचंद्रन , एमजीश्रीकुमार , केएस चित्रा , श्रेया घोषाल , सुजाता मोहन , मधु बालकृष्णन , जी वेणुगोपाल , विधु प्रताप , अफसल , मंजरी , ज्योत्सना राधाकृष्णन , शीलाणी, बिजुआन नारायण राधाकृष्णन आदि ।
मोहन सिथारा में केरल मे 1959 पैदा हुए थे और उसके बाद एक संगीत मंडली के अंदर उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।बाद मे उन्होंने कई संगीतकारों के साथ काम भी किया था।इन्होंने कई सारी फिल्मे और गाने भी दिये ।
राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय एक होटल व्यवसायी थे । भारत की दूसरी सबसे बड़ी होटल कंपनी ओबेरॉय होटल्स एंड रिसॉर्ट्स के संस्थापक और अध्यक्ष थे , जिसमें भारत , मिस्र , इंडोनेशिया , संयुक्त अरब अमीरात में 31 होटल मौजूद हैं।अखबारों मे छपी न्यूज के अनुसार इन्होंने भारतिय ब्रांड को दुनिया भर के अंदर पेस किया था।
ओबेरॉय का जन्म झेलम जिले (अब चकवाल जिला ), पंजाब , ब्रिटिश भारत के एक छोटे से गांव भाऊन में एक पंजाबी सिख परिवार में हुआ था । जब वे 6 माह के थे तब उनके पिता की मौत हो गई जोकि एक ठेकेदार थे । उनकी मां ने ही उनको पाला था।अपने ही गांव के अंदर ऑबराय ने इंटरमिडियट परीक्षा पास करली ।उसके बाद 1922 में, ओबेरॉय प्लेग की महामारी से बचने के लिए शिमला आए और 50 रुपये प्रति माह के वेतन पर द सेसिल होटल में फ्रंट डेस्क क्लर्क की नौकरी करने लगे ।
सेसिल के प्रबंधक, श्री अर्नेस्ट क्लार्क और उनकी पत्नी गर्ट्रूड ने एक मेहनती युवा मोहन सिंह ओबेरॉय की ईमानदारी को बहुत पसंद किया था।
श्री क्लार्क और उनकी पत्नी ने होटल कार्लटन के प्रबंधन की जिम्मेदारी इस प्रभावशाली युवक को सौंप दिया था।और बाद मे यह तरक्की करते ही चले गए ।ओबेराय समूह , 1934 में स्थापना की, दुनिया भर में 12,000 लोगों के बारे में कार्यरत और स्वामित्व में है और तीस होटल दुनिया भर के अंदर चल रहे हैं।यह ऐशिया के बेहतरीन होटलों के अंदर तीसरे स्थान पर आते हैं।
अपने बाद के जीवन के दौराना ओबेरॉय कई पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया ।ओबेरॉय को 1943 में ग्रेट ब्रिटेन के महामहिम राजा द्वारा राय बहादुर (पिता परिवार) की उपाधि से नवाजा गया । इसी प्रकार से 2001 मे पदम भूषण पुरस्कार से भी उनको भारत सरकार ने सम्मानित किया ।1898 ई के अंदर उनका जन्म हुआ था।और जब इनकी मौत हुई तो आयु 103 साल थी।
ओबेरॉय ने 1920 में ईशरन देवी से शादी की, श्री उस्नक राय की बेटी उनके गांव की थी। उनके दो बेटे और दो बेटियां थीं। सबसे बड़े बेटे राज तिलक सिंह ओबेरॉय (1924) को टिक्की ओबेरॉय के नाम से जाना जाता है और दूसरे बेटे पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय (1929) को दुनिया में बिक्की ओबेरॉय के नाम से जानते हैं।
यह विद्या भवन समूह के संस्थानों और उदयपुर , राजस्थान , भारत में सेवा मंदिर के संस्थापक थे ।मोहन सिंह मेहता का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में 20 अप्रैल 1895 को जीवन सिंह मेहता के यहाँ हुआ था। उनकी पत्नी का नाम हुलास कुमारी मेहता था और उनका एक बेटा जगत सिंह मेहता था ।
मेहता ने 1916 ई के अंदर आगरा मे बीए की डिग्री हाशिल की थी।उसके बाद 1918 ई के अंदर अर्थशास्त्र मे एमए किया था। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (1927) मे पीएचडी की डिग्री दी गई थी ।
इनको कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।
कप्तान मोहन सिंह कोहली का जन्म 11 दिसंबर 1931 को हरिपुर में हुआ था।एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध भारतीय पर्वतारोही हैं । भारतीय नौसेना में एक अधिकारी जो भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में शामिल हुए , उन्होंने 1965 के भारतीय अभियान का नेतृत्व किया था।मोहन सिंह कोहली 1989 से 1993 तक भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन के अध्यक्ष थे । 1989 में, उन्होंने हिमालयन पर्यावरण ट्रस्ट की सह-स्थापना की थी। जिसकी मदद से बहुत से लोग हिमालय शिवरों की यात्रा कर सकते हैं।
मोहन सिंह का जन्म और मृत्यु 3 जनवरी 1909 – 26 दिसंबर 1989 को हुए। एक भारतीय सैन्य अधिकारी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सदस्य थे, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय राष्ट्रीय सेना के अंदर काम किया था।
उनका जन्म तारा सिंह और हुकम कौर के इकलौते बेटे, सियालकोट के अंदर हुआ था और उनके जन्म के 2 महिने पहले ही उनके पिता की मौत हो गई तो उनकी मां अपने पिता के यहां पर चली गई थी।
मोहन सिंह ने 10 वीं पास किया और ब्रिटिश भारतिय सैना के अंदर भर्ति हो गए ।यह बात है सन 1927 ई की ।होरोजपुर में अपनी भर्ती प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद , मोहन सिंह रेजिमेंट की दूसरी बटालियन में तैनात थे, फिर उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत में सेवा कर रहे थे। सन 1931 ई के अंदर उनको एक अधिकारी के रूप मे चुन लिया गया ।
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