मोती का पर्यायवाची शब्द या मोती का समानार्थी शब्द (moti ka paryayvachi shabd / moti ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में जानेगे । इसके साथ ही मोती क्या होता है और इससे जुडी विभिन्न तरह की जानकारी को हासिल करेगे तो लेख देखे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
मोती | सीपिज, नुक्ता, गुलिक, मौक्तिक, शुक्तिज, जलज, शशिगोती, शशिप्रम, सीपसुत, वन्दनवार, ददुर, शंख, गज, क्रोड़, शौक्तिकेय, तारा, अम्मःसार, हिम, इन्दुरत्न, लक्ष्मी, हारी, कुबल सौम्य तार, भौतिक, मुक्तिका, विन्दुफल, शशिप्रिय, हैमवत, नक्षत्र, शौचेयक, शीतल, स्वच्छ, तौतिक, हिमबल शुक्तिमणि, सुधांशुभ, सुधांशु, रत्न, लक्ष, भूरुह, शौक्तिक । |
मोती in Hindi | Moti, seepij, nukta, gulik, mauktik, shuktij, jalaj, shashigotee, shashipram, seepasut, vandanavaar, dadur, shankh, gaj, krod, shauktikey, taara, ammahsaar, him, induratn, lakshmee, haaree, kubal saumy taar, bhautik, muktika, vinduphal, shashipriy, haimavat, nakshatr, shaucheyak, sheetal, svachchh, tautik, himabal shuktimani, sudhaanshubh, sudhaanshu, ratn, laksh, bhooruh, shauktik. |
मोती in English | pearl, oyster, nacre, shell, pearl, scrimshaw, mother-of-pearl. |
समुद्री जीवो के द्वारा एक ऐसा आवरण बनाया जाता है जीसे सीपी कहा जाता है और इससे एक तरह का रत्न प्राप्त होता है जिसे हिंदी भाषा में मोती कहा जाता है । इसका उपयोग काफी अधिक रहता है ।
दूसरा की मनुष्य अपने कानो में एक बाली पहनता है उसे भी मोती कहा जाता है ।
मगर यहां पर हमारा मोती समुद्र से प्राप्त रत्न होता है ।
इसे एक शब्द में भी अनेक नामो से जाना जाता है जो है –
सीपिज
रत्न,
नक्षत्र,
मुक्तिका,
शुक्तिज आदी सभी को मोती के नाम से जाना जाता है और यही इसके पर्यायवाची शब्द होते है ।
मोती एक प्रकार का रत्न होता है जो की ऐसे जन्तुओ के द्वारा बनाया जाता है जो की मुलायम उतको से बने होते है जैसे घोघा । घोघा की जो किस्म मोती बनाने का काम करती है उन किस्म के घोघा को बाइवाल्वज कहा जाता है और घोघा की हजारो की संख्या में जातिया होती है जिमे शेल भी अलग अलग तरह की बनी होती है ।
जीसके कारण से मोती भी अलग अलग तरह के देखने को मिल सकते है । सामान्यत: मोती को देखने में एक कठोर आवरण वाला व चिकना गोल पत्थर सा लगता है । जीसे हिंदी में रत्न भी कहा जाता है ।
आपको बता दे की जब भी घोघा मोती बनाता तो इससे पहले वह अपने मुंह को खोलता है । क्योकी समुद्र में भी जीवो को भोजन और अनेक तरह की जरूरत को पूरा करने के लिए ऐसा करना पड जाता है । और इसी प्रक्रिया में पानी में बहुत से जीव होते है जो छोटे होते है इसके साथ ही बहुत से ऐसे प्रदार्थ भी होते है जो की घोघा के मुह में प्रवेश कर जाते है ।
क्योकी यह सब घोघा के लिए लाभकारी नही होते है बल्की हानिकारक होते है और यही कारण है की घोघा हानि से बचने के लिए इन जीवो या प्रदार्थो पर एक आवरण बनाने लग जाता है जो की मोती का आवरण होता है । इस तरह से घोघा अपनी सुरक्षा के लिए मोती का निर्माण करता है ।
मोती का उपयोग आज अलग अलग तरह से होता है जिसमें से सबसे अधिक अंगूठी और लॉकेट बनाने के लिए किया जाता है । और यही कारण है की मोती की दर दर किमत बढती जा रही है । क्योकी वर्तमान में लोग अपनी सुद्रंता के लिए मोती का उपयोग अधिक से अधिक करते जा रहे है और दूसरा की धर्म के आधार पर मोती का धारण करना अच्छा भी माना जाता है । जिसके कारण से मोती को अनेक प्रकारो में बाटा जाता है ।
मुख्य रूप से मोती को तीन प्रकारो मे विभाजित किया जाता है
इस तरह के मोती का उपयोग अधिकतर मानव जीवन में होता है मगर यहां पर महत्वपूर्ण यह होता है की इस तरह के मोती को मानव स्वयं ही बनाता है । यानि यह मानव के द्वारा तैयार किया गया मोती होता है । मगर इसके साथ ही सीप के जरीए बनाए जाने वाले सभी मोती को इस श्रेणी में रखा गया है और मानव भी सीप का उपयोग लेता है । जिसका उपयोग आज विभिन्न तरह से किया जाता है ।
दोस्तो आपको बता दे की वर्तमान में असली और नकली मोती का भेदभाव करना आसान नही है । इसी कारण से आज मोती का उपयोग होता है तो यह पता नही चल पता की यह असली मोती है या नकली । मगर जैसा भी हो केवीटी मोता का प्रयोग तो मानव अंगूठी के रूप में ही करता है ।
इस तरह के मोती का उपयोग करने के लिए मानव सोने चांदी आदी तरह के आभुषण के रूप में मोती बनाता है । और इस तरह के मोती को फिर मनुष्य अपनी हाथो की अंगूलियो में पहनते है और इन्हे अंगूठी के मोती कहा जाता है ।
दोस्तो दूसरा कवेटी मोती को लॉकेट के रूप में भी पहना जाता है । इसके लिए एक सुद्रर दिखने वाले मोती को एक लंबी चेन मे फंसा कर मनुष्य अपने गले में पहनता है । इस तरह की चेन के जरीए गले में पहने जाने वाले मोती को लॉकेट कहा जाता है ।
एक ऐसा मोती जो की अपने आप बन जाता है यानि प्रकृति की किसी क्रिया के द्वारा तैयार होता है । इस तरह से बनने वाले मोती को गोनट मोती के नाम से जाना जाता है ।
यह मोती न तो कोई जीव बनाता है और न ही मनुष्य स्वयं बनाता है बल्की प्रकृति में अपने आप बन जाता है । जिसके कारण से इसे प्राकृतिक मोती भी कहा जाता है ।
इस मोती का उपयोग काफी अधिक होता है और विशेष रूप से खाने के प्रदार्थो में भी इसका उपयोग होता है जैसे मोती भस्म, च्यवनप्राश का आपने नाम सुना होगा इसमें इस तरह के मोती का उपयोग होता है ।
आपको बता दे की यह मोती बहुत ही मुल्यवान होता है और इसी कारण से इसकी मांग हमेशा ही अधिक रहती है।
इस तरह से मोती तीन प्रकार के होते है । मगर कुछ अन्य तरीको के जरीय मोती को अलग अलग प्रकारो में भी बाटा जाता है और इस तरह से मोती कुल आठ प्रकार के देखने को मिलते है ।
आज संसार में जीतने भी मोती है उनमे से सबसे अधिक मोती सीप कें अदंर ही प्राप्त होते है । इस तरह से मोती की किमत काफी अधिक रहती है क्योकी इसका उपयोग माला बना कर पहनने से लेकर हाथो में अंगुठी पहनने तक किया जाता है । यानि इसका उपयोग शरीर की सुद्रता बढाने के लिए आभूषण के रूप में किया जाता है ।
प्रकृति में कभी भार कुछ ऐसी घटना घटती है जिस पर विश्वास करना आसान नही होता है और इसी तरह से अभ्र मोती का निर्माण का होना है । क्योकी यह मनुष्य के हाथ में तब लगता है जब किसी तरह की वर्षा होती है । दरसल इस प्रकार के मोती वर्षा के साथ बादलो से आ जाते है । जिसके कारण से ही इसे अभ्र मोती कहा जाता है ।
इस तरह के मोती के नाम के आधार पर समझा जा सकता है की इसका शंक के साथ कुछ न कुछ समबंध होता है और ऐसा ही है क्योकी यह मोती पांन्चजन्य शंख में पाया जाता है जो की समुद्रो में देखने को मिलता है ।
इस तरह के मोती एक तरह के सर्प के सिर पर लगे होते है जो की श्रेष्ठ वासुकी जाति के होते है । इस मोती का उपयोग काफी अधिक रहता है और माग भी अधिक होती है । मगर सर्प के पास रहने के कारण से एक तो खतरा बना रहता है और दूसरा की इस तरह के सर्प आसानी से मिल भी नही पाते है । जिसके कारण से इस तरह के मोती को प्राप्त करना आसान नही होता है ।
दोस्तो गज हाथियो को कहा जाता है और इस तरह से यह समझ में आता है की यह मोती हाथियो से प्राप्त होता है । मगर ऐसा माना जाता है की यह मोती प्राप्त करने से पहले यह जानकारी होनी चाहिए की कोनसा हाथी पुष्य या श्रावणी नक्षत्र मे जन्मा हुआ है । क्योकी इसी समय जन्मे हाथियो में यह मोती पाया जाता है। दूसरा यह की यह मोती मादा हाथी में नही पाया जाता है बल्की नर हाथी में ही यह मोती देखने को मिल सकता है ।
इस तरह का मोती एक तरह के बांस के पेड से प्राप्त होता है । और यह पेड आसानी से नही मिलता है बल्की यह वही प्राप्त होता है जहां पर बांस के पेडो की अधिकता रहती है ।
इस तरह के मोती शुकर के माथे में लगे होते है जो की वाराह वर्ग में उत्पन्न होते है । और इस मोती को न तो कोई देख सकता है क्योकी यह मोती माथे के अंदर बद होता है जो की अधिक बडा होने पर बाहर निकलता है और यह प्रक्रिया काफी अधिक कष्टदायक रहती है ।
दोस्तो आपको बता दे की मीन मछली को कहा जाता है और इस तरह से मछली कें अंदर पाया जाने वाला मोती मीन मोती होता है । मगर यह सभी तरह की मछलियो में नही होता है बल्की जो मछली हैलासाइटिक वर्ग की होती है उन्ही में यह देखने को मिलता है । इस तरह के मोती का आकार चने के जैसा गोल व चमकदार होता है ।
दोस्तो वर्तमान में मोती की खेती कर कर भी लाखो की संख्या में मुनाफा प्राप्त किया जा कसता है और अनेको सख्या में मोती प्राप्त किए जा सकते है ।
दोस्तो मोती की खेती करने से पहले यह जाकारी होनी चाहिए की यह किस समय में होता है तो आपको बता दे की शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर का समय खेती के लिए अच्छा रहता है ।
दोस्तो मोती की खेती पानी में होती है और इस कारण से ऐसे तालाब का उपयोग किया जाता है जो 10×10 फीट आकार का होता है ।
खेती करने के लिए किसान को सीपों को इकट्ठा करना बहुत ही जरूरी होता है क्योकी इसमें ही मोती को प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू होगी । जिसके लिए इन सीपो को बाजार से भी खरीदा जा सकता है या नदी तालाब से इकट्ठा किया जा सकता है । अगर आप एक सीप को बाजार से खरीदने के लिए जाओगे तो आपको वहां पर कम से कम 9 रूपय तक देने पड सकते है ।
इसके बाद में उपयुक्त विधी के जरीय खेती की प्रक्रिया शुरू की जाती है ।
दोस्तो इस तरह से हमने मोती का पर्यायवाची शब्द या मोती का समानार्थी शब्द के बारे में जानकारी हासिल कर ली है ।
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