मुक्त का विलोम शब्द या मुक्त का विलोम , मुक्त का उल्टा क्या होता है ? Mukt ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
मुक्त | ग्रस्त |
Mukt | Grast |
दोस्तों मुक्त का विलोम शब्द होता है ग्रस्त ।यदि बात करें मुक्त के अर्थ कि तो इसका अर्थ होता है आजाद होना । यदि आप किसी चीज से आजाद हो गए हैं तो हम उसके लिए मुक्त कहेंगे । जैसे कि आप कोई नशा करते हैं और आप उस नशे से किसी भी तरह से छूटकारा पा जाते हैं तो आपके लिए यह यह शब्द प्रयोग मे लिया जाएगा कि आप नशे से मुक्त हो चुके हैं। नशे से मुक्ति ही आजाद है। लेकिन असल मे मुक्त शब्द का अर्थ बहुत अधिक व्यापक है। जब कोई चीज आपको परेशान करती है और आप उसे मुक्त होना चाहते हैं तो उस वक्त यह मुक्त आपके लिए काफी अहमियत रखता है।
एक भाई साहब आए और बोली कि उनकी पत्नी उनसे हमेशा ही झगड़ती रहती है और प्यार से बात ही नहीं करती हैं। वे चाहते हैं कि उससे तलाक लेकर दूसरी पत्नी लेकर आएं । लेकिन पत्नी मान नहीं रही है। ऐसी स्थिति के अंदर क्या किया जा सकता है ?
इसमे वह महाशय यह कह रहे हैं कि वे अपनी पहली पत्नी से मुक्त होना चाहते हैं और दूसरी पत्नी को लाना चाहते हैं।इसी प्रकार से यदि आप अपने बॉस से छूटकारा पाना चाहते हैं तो उसके लिए भी हम मुक्त शब्द का प्रयोग करने वाले हैं।
मुक्त का यह अर्थ तो सिर्फ एक पक्ष का ही है लेकिन मुक्त के दूसरे अर्थ भी होते हैं।मुक्त का मतलब है समस्त बंधनों से आजाद हो जाना । यदि आप सारे बंधनों से आजाद हो चुके हैं तो इसको हम कहेंगे पूर्ण मुक्त होना । यहां पर बंधनों का मतलब यह नहीं है कि कोई रस्सी आपको बांधी गई है। बंधनों का मतलब यह है कि आपके मन ने जिन जिन चीजों को पकड़ रखा है उन चीजों को आप छोड़ देते हैं और उसके बाद मन किसी भी चीज के प्रति आकर्षित नहीं होता है। और फिर सब दुखों का अंत हो जाता है।
लेकिन आपको बतादें कि यह सब करना इतना आसान कार्य नहीं है।इसको करने के लिए आपको काफी अधिक समय लग जाता है। हम अज्ञानता की वजह से ऐसे बंधनों को बनाने लग जाते हैं। जोकि बाद मे हमे ही कष्ट देते हैं।
इस प्रकार के नश्वर बंधन हमें बार बार इस संसार के अंदर आने के लिए विवश कर देते हैं।इन सभी बंधनों को नष्ट करना ही योग होता है। यदि आप एक बार अपने जीवन को सही दिशा मे लगा देते हैं तो आप अपने मानव शरीर का सही प्रयोग कर सकते हैं। क्योंकि सम्पूर्ण रूप से मुक्त होना सिर्फ मानव शरीर के अंदर ही संभव हो सकता है। एक मानव ही है जो पूरी तरह से जागरूक होकर अपनी यादों को बना सकता है।लेकिन उसके बाद भी हम सोकर अपनी यादों को बनाते हैं तो फिर हम किसी भी पशु के समान हैं क्योंकि पशु भी सोते हैं और उसी मे अपनी यादों को बना लेते हैं।
दोस्तों ग्रस्त का मतलब होता है जो मुक्त नहीं हो उसके लिए ग्रस्त शब्द का प्रयोग किया जाता है।यानि ग्रस्त का मतलब होता है जब आप किसी चीज के अंदर डूबे हुए हो तो उसके लिए यह शब्द प्रयोग मे लिया जाता है। जैसे कि आप नशा करते हैं तो आप नशे मे ग्रस्त हैं आप मुक्त नहीं हो सकते हैं। मुक्ती का मतलब होता है खुद के अंदर डूबना और ग्रस्त का मतलब होता है। दूसरी चीजों के अंदर खुद को देखना । यदि आप दूसरी चीजों से आनन्द प्राप्त कर रहे हो तो वह मुक्त नहीं होगा। असल मे आपको जो आनन्द मिलता है वह दूसरी चीजों से नहीं मिलता है।
आनन्द पहले से ही आपके अंदर मौजूद है। आपको आनन्द कोई बाहर की वस्तु नहीं दे रही है।यह बात जानकर जो खुद के अंदर डूबा रहता है अपनी आत्मा मे ही रमण करता है वह मुक्त होता है। लेकिन आजकल हम सभी लोग ऐसा नहीं करते हैं। इसका कारण यह है कि हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक भौतिक चीजें हमें प्राप्त हों और हम उन भौतिक चीजों के अंदर आनन्द की खोज करें ।आजकल आपने देखा होगा कि सब कुछ होने के बाद भी शांति इंसानों को नहीं मिल रही है। जबकि जानवर के सर पर मौत होती है। उसके बाद भी वह शांत रहता है। इंसान जानवरों से अधिक कायर हो चुके हैं। इसका कारण यही है कि इंसान दूसरी चीजों पर अपनी निर्भरता को बढ़ा चुका है। इस वजह से वह बहुत ज्यादा दुखी होता है । क्योंकि दूसरी चीजें उसके मन के अनुकूल व्यवहार नहीं करती हैं।
जैसे कि आपकी पत्नी आपकी बात नहीं मानती है तो आपको यही लगता है कि क्या करें पत्नी बात नहीं मान रही है। आप दुखी हो जाते हैं। यदि कोई आपको गाली दे देता है तो आप दुखी हो जाते हैं। इसी प्रकार से आप हर किसी छोटी मोटी बात पर दुखी हो जाते हैं।जिसका परिणाम आप समझ सकते हैं कि आप जीवन के अंदर शांति नहीं हाशिल कर पाते हैं । ऐसे मैं अनेक लोगों को जानता हूं जोकि बहुत पैसे वाले हैं लेकिन कभी भी चैन की नींद नहीं सो पाते हैं।
आपके मानने या ना मानने से कुछ नहीं होता है असल मे जो मजा फकीरी मे है वैसा मजा कहीं नहीं होता है। आप जब फकीर बन जाते हैं तो आपके पास कुछ नहीं होता है। आपको जो मिलता है बस भगवान का उपहार समझ कर लेते हैं। इसके अंदर आपका कुछ नहीं होता है। यही सबसे बड़ी बात होती है।
लेकिन जबतक आप ग्रस्त रहेंगे तब तक आप फकीर भी नहीं बन जाएंगे सो आपको चाहिए कि सब चीजों का परित्याग करें । आपको यह भी बतादें कि फकीर बनने के लिए मन से चीजों का त्याग करना होगा । जरूरी नहीं है कि आप इसके लिए घर बार छोड़ें। बस अपना मोह छोड़दें । सब कुछ संभव हो जाएगा ।
तो इस लेख के अंदर आप समझ गए होंगे कि मक्त और अमुक्त का मतलब क्या होता है। जब आपको किसी चीज की जरूरत ना रहे तब आप मुक्त हैं और जब आपको जरूरत है आप मुक्त नहीं हैं।
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