मुंह का पर्यायवाची शब्द या मुंह का समानार्थी शब्द (munh ka paryayvachi shabd / munh ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में बडे ही विस्तार से जानेगे । इसके साथ ही मुंह से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी के बारे में चर्चा करेगे तो लेख को देखे ।
शब्द | मुंह का पर्यायवाची शब्द या मुंह का समानार्थी शब्द (munh ka paryayvachi shabd / munh ka samanarthi shabd) |
मुंह | आनन, मुख, आस्य, मुहाना, मुखमंडल, लपन, वदन, वक्र, मुखड़ा, तुण्ड, चेहरा । |
मुंह | aanan, mukh, aasy, mukhamandal, lapan, vadan, vakr, mukhada, tund, chehara . |
मुंह | Mouth, bung, face, kisser, countenance. |
वह अंग जो की भोजन को ग्रहण करने के काम में आता है और उसकी मदद से किसी भी तरह के शब्दो को बोला जाता है मुंह कहलाता है । संक्षिप्त में इन्हे निम्न तरह से समझ सकते है
विभिन्न तरह के जंतुओ के भोजन के लिए आहार नली पाई जाती है जिसका प्रथम भाग मुंह होता है । यानि मुंह आहार नली का प्रथम भाग होता है जिससे जीव जन्तु भोजन अपने पेट तक पहुंचाते है। इसमें जीभ, दांत, लार, तालु आदी तरह कें अंग पाए जाते है । जिनका एक अलग ही महत्व होता है और एक विशेष तरह का कार्य करते है । यह बाहर से होठ से ढका रहाता है ।
इसके साथ ही किसी भी तरह की ध्वनी का उपयोग करते हुए बोलने पर भी मुंह का प्रयोग होता है जिसमें गले का उपयोग होता है और जीभ का लचीलापन एक अच्छी ध्वनी बाहर की और निकाल देता है । जिसके कारण से हमें सही तरह से समझ में आता है की सामने वाला क्या कह है ।
मुंह में अनेक तरह की लार ग्रंथी भी पाई जाती है जो की लार का स्रावण करती है और जितनी अधिक लार मुंह में बनती है उतना ही अधिक भोजन स्वाद लगता है ।
मनुष्य के मुंह में पाए जाने वाले अंगो का एक विशेष कार्य होता है और इस तरह से अनेक तरह कें अंग होते है जो है –
यह मनुष्य के मुंह का प्रथम भाग हाता है जो की बाहर से दिखाई देता है । इसका काम मुंह की बाहर से सुरक्षा करने का होता है । इसे ओष्ठ के नाम से भी जाना जाता है । यह कोमल तथ लचीला होता है । यह मनुष्य के मुंह को बंद करने का ही काम नही करता बल्की मुंह से बाहर आने वाली ध्वनी को एक अच्छा स्वर भी प्रदान करता है ।
जिसके कारण से वार्तालाप बडी अच्छी बन जाती है । यह बाहर से दो भागो में बटे दिखाई देते है । जिन्हे उपर वाला होठ या निचे वाला होठ कहा जाता है ।
यह मुंह का वह भाग हाता है जो की दांतो के निचे की ओर पाए जाते है । यह दांतो को अच्छी तरह की मजबुती से पकडने का काम करते है । अगर मसुडे न हो तो हमारे मुंह में पाए जाने वाले दांत बाहर आकर गिर जाते है । मसुडो में भी रक्त पाया जाता है जो की कभी कभार बाहर आ जाता है जैसे चोट लगने पर ।
कभी कभार मसुडो से दांत को बाहर निकालना पडता है क्योकी दांत में छेद हो जाता है जिसे दांत की बिमारी कहा जाता है । जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढती जाती है वैसे वैसे मसुडे कमजोर होते जाते है और वह दांत को छोडते रहते है । जिसके कारण से दांत बाहर गिरते रहते है ।
यह वह भाग होता है जो की मनुष्य के मुंह मे पाए जाने वाले मसुडो के बाहर व अंदर होता है । यह सफेंद हडियो के बने होते है जो की काफी अधिक कठोर होते है । इनका मुख्य कार्य भोजन को अच्छी तरह से पीसने का होता है । ताकी भोजन का अच्छी तरह से पाच हो सके । मनुष्य के जीवन में दांत दो बार आते है एक बच्चे के दांत जिन्हे दुध वाले दांत के नाम से जाना जाता है ।
इसके बाद में एक बार और दांत आते है इन्हे स्थाई दांत के नाम से भी जानते है । क्योकी ये दांत उम्र भर रहते है । अगर ये दांत गिर जाते है तो फिर किसी तरह कें दांत नही आते है । इसके बाद में नकली दांतो से काम उपयोग लेना पडता है । मुंह में अनेक तरह के बैक्टीरिया पाए जाते है जो की दांत को नष्ट करते रहते है । जिसके कारण से दांत की नियमित सफाई की जानी चाहिए ।
जीभ मनुष्य के मुंह में पाई जाती है । जो की लचीली होती है और बिना कंकाल के बनी होती है । इसमें अनेक तरह की लार ग्रंथी जुडी होती है जो की समय समय पर लार का स्रावण करती है । जिसके कारण से भोजन को ग्रहण करने पर स्वाद का अहसास होता है । इसके अलावा जीभ का काम बोलने के लिए भी किया जाता है । क्योकी यह ध्वनी को मधुर व सही बना देती है ।
तालु भी मुंह में पाया जाता है । दरसल मुंह अंदर से घूफा की तरह होता है जो की उपर से छत की तरह ढंका रहता है । और इसी छत को तालु कहा जाता है। यह मसुडो से लेकर कंठो तक का भाग होता है । मगर तालु के दो तरह के भाग देखने को मिलते है जो की मसुडो के बाद का भाग यानि आगे का भाग और पिछे का भाग या कंठ के पास का भाग ।
दोनो तरह के भाग क्रमश कठोर और नरम होते है । यानि तालु का आगे का भाग कठोर होता है और पिछे का भाग नरम होता है ।
इन सभी भाग को मुंह के भाग कहा जाता है और इन सभी से मिलकर एक मुंह बनता है ।
जीन कार्यो को मुंह के द्वारा सपन्न किया जा कसता है उन कार्यो में मुंह का उपयोग होता है यह कहा जा सकता है । इस तरह से ऐसे बहुत से कार्य होते है जिन्हे मुंह से ही किया जाता है और मुंह का उपयोग होता है जो है –
दोस्तो मुंह का सबसे अधिक उपयोग भोजन ग्रहण करने में ही होता है । क्योकी हमारे शरीर को भोजन की जरूरत होती है जिसे पूरा करने के लिए किसी न किसी तरह से भोजन को हमारे शरीर में पहुंचाना होता है । और इसका केवल एक ही मार्ग होता है जो मुंह का मार्ग होता है । यही कारण है की इसे आहर नाल का प्रथम भाग कहा जाता है । क्योकी भोजन की प्रक्रिया मुंह से शुरू होती है ।
अगर हम कभी भोजन को ग्रहण करते है तो वह सबसे पहले हमारे होठो से होकर मुंह में चला जाता है । जिसके बादमे मुंह मे लगे दांत का उपयोग होता है और भोजन को बारीक से बारीक बना देता है ।
इसके साथ ही हमारी जीभ से लार की उत्पत्ति होती रहती है जो की भोजन को अच्छी तरह से मिला कर लसलसा बना देती है और जीभ इस भोजन को कंठ की और भेज देती है । इस तरह यह सभी कार्य भोजन के लिए जरूरी होती है और यह मुंह में सपन्न होते है तो कह सकते है की मुंह का भोजन ग्रहण करने में उपयोग होता है ।
दोस्तो मनुष्य जब भी कुछ बोलता है तो इसमें वह अपने कंठो का उपयोग करता है । मगर यह ध्वनी बाहर निकलने के लिए मुंह का रास्ता ही अपनाती है । इसके साथ ही जब कठ से निकले शब्द मुंह में प्रवेश करते है तो मुंह में जीभ पाई जाती है जो की एक अच्छी ध्वनी में शब्दो को बदल देती है ।
इसके बाद में जब यह ध्वनी मुंह से बाहर निकलती है तो होठ भी इस ध्वनी को अपने अनुसार बदल देते है । जिसके कारण से सामने खडे व्यक्ति को यह समझ में आ जाता है की हमें क्या कह रहे है । क्योकी मुंह के होठ, और जीभ के कारण से ध्वनी सही तरह से बन जाती है तो अच्छे शब्द बोले जाते है ।
क्योकी इसमें मुंह का उपयोग हो रहा है भले ही मुंह के होठ का हो या जीभ का मगर यह मुंह में पाई जाती है तो मुंह का उपयोग होना कहा जाता है । इस कारण से बोलने के लिए भी मुंह का उपयोग होता है ऐसा कहना गलत नही होगा ।
दोस्तो वैसे तो वातावरण में मोजूद वायु जो ऑक्सीजन के रूप में हम शरीर में पहुंचाते है उसके मार्ग के रूप में नाक का उपयोग होता है । मगर जब हमारा नाक बंद होता है यानि शर्दी जुकाम के चलते हम इसी ऑक्सीजन को ग्रहण करने के लिए मुंह का उपयोग करने लग जाते है ।
इसके साथ ही दौड़ लगाने के बाद में भी मुंह से तेजी से ऑक्सीजन ली जाती है । तब भी मुंह का उपयोग हो रहा है । जिसके कारण से कह सकते है की ऑक्सीजन के लिए भी मुंह का उपयोग होता है ।
दोस्तो जिस तरह से कभी कभार ऑक्सीजन के लिए मुंह का उपयोग किया जाता है उसी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग भी होता है । क्योकी ऑक्सीजन लेने के बाद में शरीर में जो वायु या गैस होती है उसे कार्बन डाइऑक्साइड कहते है जिसे शरीर से बाहर निकाला जाता है । जब मुंह से यह किया होती है तो मुंह का उपयोग किया जा रहा है कहा जाता है ।
दोस्तो मुस्कुराना आज हर किसी को पसंद है और सभी ऐसा करते भी है । मगर जब भी कोई मुस्कुराता है तो इसमें मुंह का काफी अधिक महत्व होता है । क्योकी मुस्कुराने के समय मुंह के दांत दिखते है और होठ का आकार बदल जाता है । इसके साथ ही कुछ ध्वनी भी बाहर निकलती है । और यह क्रिया मुंह के कारण होती है । अगर मुंह न हो तो मुस्कुराया नही जाता है । इस कारण से कह सकते है की मुस्कुराने में या हंसने में भी मुह का उपयोग होता है ।
इस तरह से हमने मुंह का पर्यायवाची शब्द या मुंह का समानार्थी शब्द के बारे में बडी ही अच्छी तरह से जान लिया है ।
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