यक्षिणी साधना

नाभि दर्शना अप्सरा मंत्र nabhi darshana apsara sadhna

‌‌‌नाभि दर्शना अप्सरा मंत्र,नाभि दर्शना अप्सरा शाबर मंत्र , नाभि दर्शना अप्सरा साधना,nabhi darshana apsara sadhna, कालीदास का नाम तो आपने सुना ही होगा । कालीदास के पास नाभिदर्शना अप्सरा की सिद्धि थी।हालांकि इसके बारे मे बहुत ही कम लोग जानते हैं। कालीदास एक कवि थे । जिन्होंने सुंदरता का बहुत ही अच्छा चित्रण किया था। ‌‌‌अप्सरा की वजह से ही तो कालीदास को वचन सिद्धि हुई थी।और उसके बाद वे जीवन भर उमंग और जोश ससे लिखते रहे ।वैसे आपको पता ही होगा कि एक कहावत है कि हर सफल इंसान के पीछे एक नारी का हाथ होता है। और वह नारी भले ही सामने ना आए । क्योंकि वैसे भी प्रकृति के अंदर स्त्री को शक्ति रूपा माना गया है।

‌‌‌और वैसे भी भारत के अंदर तो नारियों की देवी के रूप मे पूजा होती है।लेकिन इसमे भी एक समस्या है जो सामान्य इंसान होता है वह नारी को एक भोग की वस्तु ही समझता है लेकिन जो बुद्धिमान है जो ज्ञानी है उसके लिए नारी एक भोग की वस्तु नहीं है।

‌‌‌और जब एक कवि नारी के सौंदर्य रूप मे देखता है तो उसके बाद प्रकृति के अंदर हर जगह उसे सुंदरता ही नजर आने लग जाती है। और कालीदास को भी प्रकृति के कण कण मे सुंदरता नजर आ रही थी। खैर कालीदास के परममित्र राजा भोजराज के सामने कालीदास ने एक दिन नाभिदर्शन अप्सरा को प्रकट कर दिया था।

‌‌‌वह सौंदर्य और यौवन के अंदर एक छलकते हुए जाम की तरह थी।उसका सारा शरीर गौरा वर्ण था। और देखने मे ऐसा लगा रहा था कि इतनी सुंदर नारी धरती पर तो कम से कम नहीं हो सकती । जब भोज ने उस नारी को देखा तो वे अपना होश खो बैठे थे ।

‌‌‌उसके शरीर से धीमी धीमी खुशबू आ रही थी उसकी आंखे बड़ी और बहुत ही सुंदर दिखाई दे रही थी।इसके अलावा उसका बदन भी काफी नाजुक था जिसको देखते ही बनता था। इसके अलावा उसके लंबे केस किसी पर भी बिजली गिराने के लिए काफी थे ।

‌‌‌और वह पूरी तरह से मादकता भिखेरने वाला था।उसे तो इंद्र का वरदान था कि जो भी पुरूष इस अप्सरा के संपर्क मे आता है वह सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्त होकर चिरयौवन बन जाता है।

‌‌‌इसके अलावा नाभिदर्शना को अलग अलग उपहार देने का शौक भी है जो पुरूष इसके संपर्क मे आता है उसे यह स्वर्ण हीरे मौती देती है।और उस पुरूष के साथ प्रेमिका की तरह सुख देती है।

‌‌‌नाभिदर्शना अप्सरा साधना

दोस्तों नाभिदर्शना अप्सरा साधना बहुत ही सरल होती है। और यह अन्य अप्सरा की तुलना मे बहुत ही सुलझी हुई होती है।यह एक दिन की साधना है इसको कोई भी सिद्ध कर सकता है। ‌‌‌यह साधना शुक्रवार की रात को की जाती है।वैसे तो यह अप्सरा बहुत ही जल्दी सिद्ध हो जाती है लेकिन यदि सिद्ध नहीं होती है तो आप फिर इसको कर सकते हैं। यह निर्भर करता है कि आप कितनी एकाग्रता से साधना करते हैं। यदि आपके अंदर क्षमता है तो यह जल्दी ही सिद्ध हो जाएगी । ‌‌‌वैसे इस साधना को कहीं बाहर करने की जरूरत नहीं है।घर मे कहीं पर भी इस साधना को किया जा सकता है जहां पर एकांत हो ।

‌‌‌इसके लिए शुक्रवार को सुंदर वस्त्र पहनें। सुंदर वस्त्रों का मतलब यह है कि वह वस्त्र पहने जो आपके शरीर पर काफी अच्छे लगते थे उसके बाद गुलाब के इत्र का अच्छी तरह से छिड़काव करें और दो गुलाब की माला लाकर अलग अलग पात्र मे रख देना है। उसके बाद फिर अपने सामने रेमशी वस्त्र पर नाभिदर्शना के ‌‌‌महायंत्र को स्थापित करना होगा । उसके बाद यंत्र के पीछे अप्सरा के चित्र को रख देना होगा ।इसके बाद सुगंधित अगरबत्ती और धी का दीपक जलाना होगा ।उसके बाद पानी हाथ मे लेकर यह संकल्प ले कि मैं अमुक नाम अमुक गोत्र पिता का नाम नाभिदर्शना अप्सरा को सिद्ध करना चाहता हूं । ‌‌‌वह जीवन भर मेरे वश मे रहे और प्रेमिका या स्त्री के लिए सखी  बनकर आनन्द प्रदान करती रहे ।

‌‌‌उसके बाद नाभिदर्शना मंत्र की 51 माला जाप करनी होगी इसके अंदर लगभग 4 घंटे लग सकते हैं। आपको 4 घंटे एक ही आसन के उपर बैठे रहना होगा ।

‌‌‌यदि साधना के बीच मे आपको घुंघरू की आवाज सुनाई दे तो साधक को विचलित नहीं होना चाहिए ।और अपनी साधन को बिना किसी रूकावट के जारी रहने देना होगा ।

‌‌‌माला जाप करते समय आप अपने मन को एकाग्र रखें आपके अंदर जितनी एकाग्रता होगी साधना के अंदर सफलता उतनी ही जल्दी मिलेगी । यदि आपके अंदर एकाग्रता नहीं होगी तो इसमे समय लग सकता है। दोस्तों जब 51 माला जाप हो जाएगी तो नाभिदर्शना आपके पास आकर बैठ जाएगी तो ‌‌‌आपको चाहिए कि आप अपनी माला को उसके गले मे डालदें ।तो फिर वह भी पास पड़ी माला आपके गले मे डालदेगी ।उस समय साधक को यह वचन लेलेना चाहिए कि जब भी मैं एक माला का जाप करू तुम को मेरे सामने शशरीर आना होगा और जो भी मांगू उसे पूरा करना होगा । वह साधक के हाथ पर हाथ रखकर उसे वचन देगी ।

‌‌‌अप्सरा के जाने के बाद साधक को चाहिए कि वहां से उठ खड़ा हो । अप्सरा के साथ आप जो कुछ भी करें उसके बारे मे किसी को बताना नहीं चाहिए ।

‌‌‌ओम ऐं श्रीं नाभिदर्शना अप्सरा प्रत्यक्ष श्रीं ऐं फट्।।

‌‌‌एक बार जब अप्सरा सिद्ध हो जाती है तो फिर आपको चाहिए कि आप अपनी माला को किसी गुप्त स्थान पर रखदें ताकि दूसरा इसका प्रयोग ना कर सकते । और अप्सरा महायंत्र को भी कहीं पर छुपा दें। इसके अलावा चित्र को भी छुपाकर ही रखें ।

‌‌‌जब अप्सरा को बुलाना हो तो आपको चाहिए कि आप एक माला मंत्र का जाप करें । तो अप्सरा आपके सामने प्रकट हो जाएगी और आप जो बोलेंगे वही करेगी । इस प्रकार से नाभिदर्शना अप्सरा आपके लिए एक प्रेमिका के रूप मे काम करेगी ।

‌‌‌वैसे देखा जाए तो यह साधना काफी सरल है।और इसमे समय नहीं लगता है लेकिन क्या है कि यदि आपकी एकाग्रता कम है तो सिद्ध होने मे समय लग सकता है। जो साधक पहले से ही कई साधना कर चुके हैं उनके लिए इसको करना बहुत ही आसान कार्य है।

नाभि दर्शना अप्सरा साधना अनुभव

‌‌‌मेरा नाम प्रयोग राज है और साधना के अंदर मेरी हमेशा से ही रूचि थी। जब मैं खुद को अकेला महसूस करता था तो मुझे लगता था कि मेरे साथ भी कोई होना चाहिए ।

 उसके बाद इंटरनेट पर ऐसे ही एक दिन पढ़ने को मिला कि यदि अप्सरा सिद्ध हो जाए तो सब कुछ देती है। ‌‌‌फिर अप्सरा साधना की विधि पढ़ने लगा लेकिन उर्वशी अप्सरा साधना की विधि भी काफी कठिन थी तो एक सरल अप्सरा साधन नाभिदर्शना मुझे मिली जो एक दिन की साधना थी। अब विधि  तो इंटरनेट पर आसानी से मिल जाती लेकिन बिना गुरू के ‌‌‌ किसी भी साधना को करना खतरे को मोल लेना था। तो अब मैं किसी ऐसे गुरू की तलास करने लगा जो मुझे नाभिदर्शना अप्सरा की साधना को करवा सके । कुछ तांत्रिकों के पास गया तो उन्होंने अधिक पैसा मांगा । उसके बाद एक ऐसे बाबा मिले जो इस साधना को मात्र 2000 रूपये मे ही करवाने के लिए तैयार हो गए ।

‌‌‌वे काफी पहुंचे हुए बाबा थे। और पहले से ही उन्होंने बड़ी बड़ी सिद्धियों को धारण किया हुआ था। उन्होंने मुझे पहले दिन अप्सरा के बारे मे अच्छी तरह से बताया और यह भी कहा कि कुछ भी हो जाए मंत्र जाप करने से पहले तुमको साधना से उठना नहीं है। यदि तुम उठे तो बहुत बड़ा संकट आ सकता है।

‌‌‌मैं उनकी बातों को ध्यान से सुन रहा था।उसके बाद उन्होंने मुझे किसी भी रात 11 बजे से साधना करने को कहा । मैंने ऐसा ही किया आज शाम को नहाया और सुंदर वस्त्र पहने घर के अंदर मां बाबा थे वे ज्यादा पूछताछ नहीं करते थे । फिर सुगंधित गुलाब इत्र लगाया आज मैं पूरी तरह से महक रहा था। रात को 11 बजे ‌‌‌ एक आसन लगाया और दीपक जलाया सामने नाभिदर्शना अप्सरा के यंत्र और फोटो को रखा और फिर अपने शरीर को बांधने का मंत्र बोला । गुरू ने बताया था कि यदि तुम अपने शरीर को नहीं बांधोगे तो बुरी ताकते तुम्हारी तरफ आ सकती हैं और इससे अर्थ हो सकता है। उसके बाद मैंने अप्सरा साधना का मंत्र जाप करना आरम्भ ‌‌‌कर दिया था।

‌‌‌मंत्र के स्वरों के बारे मे मैं पहले ही गुरू से पूछ चुका था तो उसे बोलने मे मुझे कोई परेशानी नहीं हुई।मैं अपने ध्यान को नाभिदर्शन अप्सरा के अंदर लगाने की कोशिश कर रहा था। मैंने कोई 5 माल ही जप की मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे कोई मेरे आस पास चल रहा है। लेकिन यह कोई इंसान था ‌‌‌और पुरूष था। पहली बार तो मैं काफी डर गया लेकिन बाद मे गुरू के बताए अनुसार डर कम हुआ की कीलन मंत्र के बाद तुमको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। कुछ समय बाद वह साया अपने आप गायब हो गया ।

‌‌‌उसके बाद मैं तेजी से मंत्र जाप करता रहा । लेकिन कुछ ही समय बाद मैंने देखा कि एक भयंकर कुत्ता मेरे सामने प्रकट हुआ है । उसकों देखकर मैं बुरी तरह से डर गया लेकिन वह मुझपर जोर जोर से चिल्ला रहा था। लेकिन सबसे बड़ी बात उसे सिर्फ मैं ही सुन सकता था।

‌‌‌इस प्रकार से सर्दी के अंदर ही मैं पूरी तरह से पसीने पसीने हो चुका था। मैं अपने कांपते हुए होंठों से अब तक 30 माला कर चुका था। और इसके अंदर 3 घंटे का समय हो चुका था। मैंरे पैरे सुन्न हो गये थे। ऐसा लग रहा था कि अब नहीं कर पाउंगा । कुछ माला और करने के बाद मैंने सुना की घुंघरू की आवाज आ रही है।

‌‌‌मैंने उस आवाज की तरफ ध्यान नहीं दिया । और माला का जाप करता रहा ।फिर अचानक से मुझे एहसास हुआ की एक बहुत ही सुंदर औरत है जोकी मेरे सामने खड़ी है और मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही है। इतनी सुंदर औरत मैंने आज तक जिंदगी मे नहीं देखी थी।

‌‌‌उसके शरीर पर बहुत ही सुंदर कपड़े थे और पहनावा प्राचीन लग रहा था। और देखने मे वह 18 साल की नौजवान लग रही थी। और उसके मदमस्त बदन का तो कहना ही क्या ।

‌‌‌उसी के अंदर खोया हुआ मैं मंत्रों का जाप करने लगा और वह कभी मेरे पास आकर बैठ जाती तो कभी मेरे सामने आकर बैठ जाती । 51 माला के जाप करने मे मुझे लगभग 5 घंटे का समय लगा माला पूर्ण होने के बाद अप्सरा मेरे सामने आई लेकिन वह सूक्ष्म रूप मे ही थी। और फिर मैंने उसे कहा …..आप मुझे वचन दें कि आप मेरा ‌‌‌ एक प्रेमिका की तरह ही ख्याल रखेंगी और मैं जो कहूंगा वह आपको करना होगा । उसके बाद उसने वचन दिया । मैंने अपने गले की माला उसके गले मे डालदी और उसने पास ही पड़ी गुलाबों की माला मेरे गले मे डालदी ।

‌‌‌उसके बाद अप्सरा चली गई ।लेकिन इसकी वजह से जो अनुभव था वो सच मे अदभुत था। मेरी प्रेमिका एक अप्सरा है तो यह कैसा एहसास होगा। लेकिन इसमे समस्या यह है कि आप उसके साथ वह सब नहीं कर सकते हैं जो आप अपनी रियल प्रेमिका के साथ कर सकते हैं। लेकिन वह आप से बातें करेगी और आपको एहसास तक दे सकती है।

‌‌‌एक तरह से वह आपके लिए एक टाइमपास बन सकती है। जब आपको जरूरत हो तो आप उसे एक माला जाप करके बुला सकते हैं और उसके साथ कुछ समय बीता सकते हैं। आपको बतादें कि अप्सरा एक सूक्ष्म शरीर का निर्माण है। असल मे कुछ महायोगी सूक्ष्म शरीर का निर्माण कर देते थे फिर इस सूक्ष्म शरीर को बलि या अन्य किसी

‌‌‌ प्रकार से उर्जा देकर काफी ताकतवर बना देते थे । आपने सुना होगा कि पहले हर कुल की एक अलग देवी होती थी तो इसका अर्थ यह है कि योगी देवी को रचते थे ।यह सब देवी जो सूक्ष्म जगत मे हैं इनको रचा गया है। किसी खास उदेश्य के लिए । यदि आप एक महायोगी हैं तो आप सब जानते हैं। अप्सरा को भी इन्हीं ‌‌‌ उदेश्य के लिए रचा गया है।यदि आपके अंदर योगबल है तो आप भी अपने लिए खुद एक प्रेमिका को रच सकते हैं। जो आपको बहुत कुछ एहसास कराती है। असल मे यह तंत्र की बहुत गहरी विधाय हैं जिनको जानने वाले लोग अब बहुत कम रह गए हैं।

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