नश्वर का विलोम शब्द क्या है nashvar ka vilom shabd kya hai ?

नश्वर का विलोम शब्द या नश्वर का विलोम , नश्वर का उल्टा क्या होता है ? nashvar ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
नश्वर चिरन्तन स्थायी, शाश्र्वत
nashvaranashvar

‌‌‌नश्वर का विलोम शब्द और अर्थ

नश्वर का विलोम शब्द

दोस्तों नश्वर के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। नश्वर का विलोम शब्द होता है शाश्वत । दोस्तों यदि हम बात करें नश्वर की तो इसका मतलब होता है जो नष्ट होने वाला होता है। उसके लिए यह शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि मानव शरीर है या किसी भी जीव ‌‌‌और जंतु का जो शरीर होता है वह नश्वर ही होता है। वह नष्ट होने वाला ही होता है। एक कहावत है कि जिस इंसान ने इस धरती पर जन्म लिया है उसे मरना ही होगा । इसलिए सब कुछ नश्वर ही है। हम सभी लोग इस नश्वर दुनिया के अंदर ही रहते हैं। इस दुनिया के अंदर जो सुंदर सुंदर चीजें हमने बनाई हैं असल मे वे ‌‌‌ एक ना एक दिन नष्ट हो जाएंगी । इसके अंदर कोई भी शक नहीं है। वैसे भी यहां पर सब कुछ नष्ट होने वाला है। यह बात अलग है कि वे किस तरह से नष्ट होंगी । या तो इंसान आपस मे लड़ेंग तब नष्ट हो जाएंगी या फिर प्रलय तो आएगा ही तब नष्ट हो जाएंगी । मतलब यही है कि सब कुछ नष्ट होने वाला ही है। इसके अंदर ‌‌‌कोई भी शक नहीं है। असल मे जो ज्ञानी लोग होते हैं वे इसलिए ही तो इस संसार से मोह नहीं करते हैं क्योंकि उनको यह पता होता है कि यहां पर मोह करने का कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। क्योंकि यदि हम यहां पर मोह रखेंगे तो हमें दुखों का भोग करना होगा । यहां तो वैसे भी सब कुछ नष्ट ही होने वाला है

‌‌‌वे इस पूरे संसार को भ्रम मात्र ही समझते हैं तो आप समझ सकते हैं कि यह संसार नष्ट होने वाला ही है। इसके अंदर कोई भी शक नहीं है। आपको पता होना चाहिए । खैर आपको इसके बारे मे भी पता होना चाहिए कि आप इस धरती पर सदा सदा के लिए नहीं हैं आपको एक दिन इस धरती को छोड़कर जाना होगा भले ही आप इसके बारे मे

‌‌‌ सोचते हो या ना सोचते हो । क्योंकि शरीर का जीवन काल होता है। वैसे आपको बतादें कि आपका कोई भी जीवन काल नहीं है। आप सदा ही अमर रहने वाले हैं। और अमर ही रहेंगे । आप वह हैं जो इस शरीर को चलाता है आप शरीर नहीं है। लेकिन आप यह गलती करते हैं कि आप खुद को शरीर समझते हैं। आपने शरीर की बाहरी ‌‌‌दुनिया के बारे मे कुछ भी देखा ही नहीं है तो हम उसके उपर विश्वास भी कैसे कर सकते हैं ? लेकिन यदि आप कठिन साधना करने मे सक्षम हैं तो आप इस दुनिया से बाहरी दुनिया को देख सकते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌इस तरह से आप समझ सकते हैं कि इस दुनिया के अंदर जो कुछ भी है वह आपका भ्रम है सत्य कुछ भी नहीं है। इस दुनिया को जो लोग सत्य समझते हैं वे गलती करते हैं और क्योंकि यहां पर वे अपने खास उदेश्य को पूरा कर सकते हैं ।

शाश्र्वत का अर्थ और मतलब

दोस्तों शाश्र्वत का नाम तो आपने सुना होगा इसका मतलब होता है जो स्थिर होता है । उसे शाश्र्वत कहा जाता है। आप अपनी आंख से जो कुछ भी देख रहे हैं वह शाश्र्वत नहीं है। वरन शाश्र्वत को आप अपनी आंखों से देख ही नहीं सकते हैं। वरन शाश्र्वत वह होता है जो आपकी आंखों से बहुत ही परे ‌‌‌ होता है। अब जो कुछ भी हम देख रहे हैं वह स्थिर नहीं है। वरन सब कुछ नश्वर चीजें होती हैं। और हम नश्वरता पर यकीन करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो हम भ्रम के अंदर जी रहे हैं। जिस सुंदर महल जिस सुंदर स्त्री जिन पैसा पर हम लोग घमड़ कर रहे हैं वह एक ना एक दिन नष्ट हो जाएंगे । जिस काया का हमे ‌‌‌ गुमान है वह काया भी अंत मे आपका साथ छोड़ देगी । इसका मतलब यही है कि आप खुद वह नहीं हैं जो आप खुद को देखते हैं। असल मे आप तो हमेशा ही शाश्वत ही हैं और शाश्वत ही रहेंगे। आपका अंत नहीं हो सकता है। आपका शरीर आपके द्धारा पहने जाने वाले कपड़े से अधिक कीमती नहीं है।

‌‌‌जिस तरीके से आपके द्धारा पहने वाले जाने वाले कपड़ों का कोई अधिक मूल्य नहीं होता है। और जब यह पुराने हो जाते हैं तो हम उनको बिना किसी लागलपेट के फेंक देते हैं। और इसी तरीके से आत्मा के लिए भी शरीर का मूल्य कपड़े से अधिक नहीं है। क्योंकि शरीर के होने या ना होने से आत्मा प्रभावित नहीं ‌‌‌होती है। यदि शरीर नष्ट हो जाता है तो आत्मा उसे अलग हो जाती है। वह अपनी वासनाओं से वशीभूत होकर दूसरे किसी शरीर की तलास करने लग जाती है। बस यही क्रम चलता रहता है।

‌‌‌दोस्तों आपको यह पता होना चाहिए कि इस दुनिया के अंदर जब आप पैदा होते हैं तो इसका मतलब ही वासना की पूर्ति करना होता है। और नश्वर शरीर को आप धारण करते हैं। असल मे यह कोई जरूरी नहीं है कि आप नश्वर शरीर के अंदर आएं । और आपको तो यह पता ही है कि दुख का कारण शरीर ही होता है। असल मे आत्मा को ‌‌‌ किसी भी तरह के भोजन की जरूरत नहीं है। लेकिन उसके बाद भी हम जीवन के अंदर आकर अपना असली रूप भूल जाते हैं और खुद को शरीर समझने लग जाते हैं। और यही वजह है कि शरीर के द्धारा किये गए कर्म हमारे चिपक जाते हैं और हम काफी दुखी महूसस करते हैं। कर्म शरीर करता है लेकिन आप किसी तरह का कार्म नहीं करते ।

‌‌‌बहुत से लोगों को आज भी यही लगता है कि वे मोहन हैं कोई को लगता है वे सोहन हैं। असल मे यह सब शरीर के नाम होते हैं। उनका असली नाम कोई नहीं होता है। वे बस मशनी की भाति जिदंगी जीकर चले जाते हैं। इसके अंदर कोई शक नहीं है।

‌‌‌जीव के पैदा होने का कारण तो असल मे बेवकूफी ही होता है। अधिकतर लोग वासना की पूर्ति के लिए जन्म लेते हैं। बस ज्ञानी ही होते हैं जो किसी खास उदेश्य के लिए धरती पर आते हैं। लेकिन इस तरह के लोग काफी कम ही होते हैं।नश्वर का विलोम शब्द या नश्वर का विलोम , नश्वर का उल्टा क्या होता है ? nashvar ka vilom shabd

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