Nek ka vilom shabd नेक का विलोम शब्द?
नेक का विलोम शब्द, नेक शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, नेक का उल्टा Nek ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
नेक | बद |
Nek | Vad |
नेक का विलोम शब्द और अर्थ
नेक शब्द हमने बहुत बार सुना है। नेक का मतलब होता है अच्छा । अक्सर लोग कहते हैं कि यह खुदा का नेक बंदा है। मतलब यह ईश्वर का बंदा है। लेकिन असल मे नेक इंसान का मिलना उतना ही कठिन है जितना की कचरे मे सूई की तलास करना । आप नेक इंसानों को उंगलियों पर गिन सकते हो । बहुत ही कम लोग अब नेक बचे हैं। ऐसा नहीं है कि नेक इंसान आसमां से टपकते हैं नेक इंसानों को यहीं पर बनाया जाता है लेकिन आज की शिक्षा प्रणाली एक चीज सीखाती है कि पैसा कैसे कमाएं । आपको यह सीखाएगी कि हवा महल मे कितने दरवाजे हैं ? आपको यह बताएगी कि अंतरिक्ष मे कितने तारे हैं लेकिन आपको यह बताना भूल जाएगी कि मन को कैसे नियंत्रित किया जाए ? आप खुद क्या हैं ?बस यहीं से सब कुछ गड़बड़ हो जाता है। आप जब पैसे के पीछे भागेंगे तो नेक बनना संभव नहीं है। क्योंकि जब आपके पास नेक बनने के संस्कार ही नहीं होंगे तो फिर आप नेक किस प्रकार से बन पाएंगे । उसके बाद जब अपराध बढ़ जाएंगे तो कानून लागू करेगी । इस प्रकार से एक बेकार ढर्रे पर सरकारें काम करती हैं। आप समझ सकते हैं कि भारत की दशा तो और ही अधिक खराब है।

एक नेक इंसान का जीना भी यहां पर उतना आसान नहीं है।और अब तो और ही कठिन हो गया है। क्योंकि आप जहां भी जाएंगे आपको चोर डकैत लूटेरे रेपिस्ट और हत्यारे मिलेंगे आप उनसे अच्छे की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। ऐसी स्थिति मे सच का साथ देने वाला कोई नहीं होगा ।
यदि आप कोई नेकी का काम कर रहे हैं तो कोई भी आपको काम नहीं करने देगा ।चोर लूटैरे आपके पीछे लग जाएंगे और आपका काम तमाम करके जेल से बाहर आ जाएंगे । सो आजकल हर इंसान का स्वाभाव ऐसा ही हो गया है।
बेरोजगारी बेरोगजारी छाती फाड़ चिल्लाने वाले यदि जनसंख्या नियंत्रण के बारे मे छाती फाड़ चिल्लाते तो यह समस्या नहीं होती लेकिन यह चिल्लाने वाले भी अपने नेक काम के लिए ऐसा करते हैं। खैर यदि यहीं पर कोई नेक इंसान मौजूद होता तो फिर आज भारत की जो दशा है वह नहीं होती है। नेकी करने वाले आपको बहुत ही कम मिलेंगे लेकिन बुरे इंसान हर जगह मिलेंगे खास कर इस युग के अंदर आपको बतादें कि बुराई संसाधनों से आती है। जितने अधिक आपके पास संसाधन होंगे आपके पास बुराई उतनी ही कम होगी ।और जितने कम संसाधन होंगे आपके पास बुराई उतनी ही अधिक होगी । ऐसा नहीं है कि प्राचीन काल मे संसाधन थे तो बुराई नहीं थी। बुराई थी लेकिन इतनी बुराई नहीं था। आज जमीन के एक टुकड़े के लिए खून की नदियां बह जाती हैं लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। क्योंकि जमीन बहुत अधिक हुआ करती थी।
वैसे यदि आप यह सोच रहे हैं कि हर इंसान को नेक होना चाहिए तो यह संभव नहीं है । हर इंसान नेक इंसान नहीं बन सकता है।कारण यह है कि बुराई भी प्रकृति का गुण है तो अच्छाई भी उसी का गुण है। बुराई जब अधिक बढ़ जाती है तो बुरे लोग खुद ही अपने आप समाप्त हो जाते हैं।लेकिन जब अच्छाई अधिक हो जाती है तो सभ्यता का विस्तार होता है। और यही विस्तार बुराई पनपने के लिए जाना जाता है।
दुनिया के अंदर अनेक सभ्यताएं थी जो अब नष्ट हो चुकी हैं। आज से 1 लाख साल बाद कोई और सम्यता होगी तो मिलियन साल बाद कोई और सभ्यता होगी यहां सब कुछ बदलता रहता है।
बद का मतलब
दोस्तों बद का मतलब होता है बुरा । नेक का मतलब अच्छा होता है और नेक का उल्टा बुरा होता है। बुरे इंसानों की इस कलयुग मे कमी नहीं है। आजकल आपको सब कुछ बुरा ही बुरा दिखेगा । अधिकतर लोग बुरे लोगों से घ्रणा करेंगे लेकिन अपने अंदर जो बुराई मौजूद है उसे निकालने का प्रयास नहीं करेंगे ।
आजकल भारत मे ज्ञानी की कमी नहीं है। सब तरफ लोग ज्ञान पेलते हुए मिल जाएंगे कि किसी को दान देना चाहिए । यह करना चाहिए वो करना चाहिए लेकिन यदि कोई उन खुद से पूछे कि वो कितना दान करते हैं तो शायद वो जवाब नहीं दे पाएंगे।
अक्सर जो बुरे लोग होते हैं वे बातें अधिक करते हैं। इसके अलावा उनके पास कुछ होता नहीं है। बुरे लोगों की खास बात यह होती है कि वे दिखावा करना काफी पसंद करते हैं लेकिन अच्छे लोगों को अच्छा करने से मतलब होता है उन्हें दिखावा करने से कोई भी मतलब नहीं होता है। लेकिन समय के साथ समाज भी तेजी से बदल रहा है। बुरे लोगों की ताकत का बढ़ना पूरी दुनिया के अंदर हो रहा है तो अच्छे लोगों का कमजोर होना भी देखा जा सकता है।
एक नेक इंसान की तलास कहानी
दोस्तों प्राचीन काल की बात है।दो शिष्य गुरू की तलास मे भटक रहे थे । वे चाहते थे कि उनको एक बेहतर गूरू मिले लेकिन कहा जाता है कि शिष्य को गुरू की पहचान नहीं होती है। एक गुरू ही बेहतर शिष्य को पहचान सकता है। उनको वन मे भटकते हुए एक साधु ने देखा तो साधु को पता चला कि दोनों नेक बंदे हैं इनको शिक्षा देकर इनका कल्याण किया जा सकता है। लेकिन साधु खुद उनके पास चलकर नहीं जाना चाहते थे । जब साधु को ध्यान मे बैठे देखा तो वे दोनो साधु के पास गए और बोले ……महाराज आप हमे अपना शिष्य बना लिजिए ।
……नहीं इसके लिए तुम्हे परीक्षा देनी होगी यदि तुम परीक्षा मे पास हो जाते हो तो फिर तुमको शिष्य बना लिया जाएगा । उसके बाद दोनों लड़के तैयार हो गए । साधु ने कहा ….कहीं से भी एक नेक इंसान खोजकर लाओं जिसने आज तक कोई बुरा किया ही नहीं हो ।
उसके बाद दोनों शिष्य निकल गए । वे सबसे पहले बड़े बड़े तपस्वी के पास गए और पूछा तो उनको यही उत्तर मिला कि उन्होंने बुरा किया है। इस प्रकार से दोनों लड़के कई साल तक जंगलो और गांवों की खाक छानते हुए घूमे लेकिन बाद मे दोनों को यह एहसास हो गया कि ऐसा इंसान मिलेगा ही नहीं जिसने कोई पाप नहीं किया हो ।उसके बाद दोनों बालक चल पड़े और साधु के चरणों मे गिरकर बोले …महाराज ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जिसने पाप नहीं किया हो । सब पापी हैं।
……..तो इस दुनिया मे पाप नहीं करने वाला कौन है ?
…..आत्मा ही अपापी है जो ना पाप करती है और ना ही पुण्य करती है।कर्म शरीर करता है। आत्मा बस इसका आधार मात्र है। इस प्रकार से आत्मा समस्त पापों से मुक्त ही है।और उसके बाद गुरू ने उन बालकों को अपना शिष्य स्वीकार कर लिया ।