नीरस का विलोम शब्द बताएं, नीरस शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, नीरस का उल्टा , Niras ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
नीरस | सरस |
Niras | Saras |
निरस का विलोम शब्द होता है जिसके अंदर कोई रस नहीं हो ।बिना रस की चीजों को निरस कहा जाता है। अक्सर जब हम कोई मिठाई खाते हैं और वह स्वादिष्ट नहीं होती है तो हम यही कहते हैं कि मिठाई के अंदर अब रस नहीं रह गया है या मिठाई को काफी बेकार बनाया गया है।वैसे हर इंसान अपने जीवन के अंदर रस चाहता है।कोई नहीं चाहता है कि उसका जीवन रसहीन बन जाए ।लेकिन क्या करें। यदि आप जीवन के अंदर रस लेते हैं तो भी एक दिन आपका रसहीन जीवन भी गुजारना पड़ता है।
रस का मतलब सिर्फ खाने पीने की चीजों तक ही सीमित नहीं है। रस का मतलब घर के अंदर अच्छे साधन होने से भी होता है। यदि आपके घर के अंदर अच्छे साधन हैं तो आप यही कहेंगे कि आपको जीवन के अंदर रस आ रहा है।इस प्रकार से मजे से जिंदगी को जीना रस लेना ही तो है।
लेकिन आज के समय मे यदि आपको जीवन का रस लेना है तो आपके पास पैसा होना चाहिए । आप बिना पैसे के इस जीवन का रस नहीं ले सकते हैं। यही कारण है कि आज पूरी दुनिया पैसे के पीछे भाग रही है। और जिसके पास अधिक पैसा है वह कार बंगले और गाड़ी खरीद रहा है। और उसके बाद अपने जीवन को काफी आराम से जी रहा है।
और बेचारे गरीब लोग काफी मेहनत करते हैं। और उसके बाद भी अच्छे पैसे नहीं कमा पाते हैं। तो उनको यह लगता है कि जीवन के अंदर रस जैसी कुछ भी चीज नहीं है। सब कुछ बेकार है। अक्सर यही कारण है कि गरीब लोग आत्महत्या करते हैं और अमीर बहुत कम सुसाइड करते हैं।
दोस्तों निरस का विलोम सरस होता है। सरस का मतलब है रस देना या रस देने वाली चीज को सरस कहते हैं। जैसे सरस दूध का नाम आपने सुना ही होगा । अक्सर मीठी चीजों को सरस कहा जाता है।आप मिठाई खाते हैं और यह आपकों काफी स्वादिष्ट लगती हैं तो यह आपके लिए सरस ही होती हैं। इसी प्रकार से आप यदि आपको जीवन जीने के अंदर मजा आ रहा है तो वह भी आपके लिए सरस जैसा ही है। आपको जीवन मे रस आ रहा है। यही आपके लिए मजा है।
वैसे सरस का जीवन के अंदर होना बहुत ही जरूरी है। और रस के लिए ही तो हम जीवन मे बहुत सारे प्रयास करते हैं। और कई बार हमारे प्रयास सफल भी होते हैं। लेकिन बहुत बार असफल भी हो जाते हैं। लेकिन हमे कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए । जो हिम्मत हार जाता है वह कभी भी सक्सेस नहीं हो पाता है।
प्राचीन काल की बात है। एक किसान था । वह काफी गरीब था। और खेती करता था। खेती के अंदर सिर्फ इतना ही अन्न पैदा होता था कि वह अपना पेट पाल सके । और उसका एक बेटा भोलू था। वह काफी आलसी किस्म का इंसान था। कोई भी काम सही तरीके से नहीं करता था। पूरे दिन ऐसे ही पड़ा रहता था।पिता ने उनको बहुत बार कहा कि वह खेती के अंदर हाथ बंटाया करें लेकिन वह पिता की बात को अनसुना कर देता । पिता को उसकी चिंता हो रही थी। अब पिता का जीवन पूरी तरह से चिंता के अंदर निरस बनता जा रहा था।
इसी चिंता के अंदर भोलू के पिता बीमार पड़ गए । काफी उनको दिखाया गया वैध के पास लेकर गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । बेटा कामचोर था और काम नहीं करने की वजह से घर के अंदर खाने के लाले पड़ गए ।
फिर एक दिन घर की दसा देखकर बाप ने बेट को बुलाया और कहा कि खेत के अंदर सोना गढ़ा हुआ है और जब बारिस हो तो खेत को खोदना । फिर बीज डाल देना । बस फिर तुमको कुछ करने की जरूरत नहीं होगी । और ऐसा कहने के कुछ दिन बाद ही भोलू का बाप मर गया ।
कुछ दिन के बाद भोलू को पैसों की जरूरत पड़ी तो वह खेत खोदने लगा लेकिन पूरा खेत खोदते खोदते थक गया लेकिन उसे कहीं पर भी सोना नहीं मिला । इतने मे बारिस हो गई तो उसने खेत मे बीज डाल दिया ।
फिर वह खेत मे नहीं गया । कुछ दिन बाद उसे किसी ने बताया कि खेत के अंदर बहुत अच्छी फसल खड़ी है तो उसने खेत मे जाकर देखा तो दंग रह गया । खेत मे काफी अच्छी फसल खड़ी थी।
अब वह अपने निरस जीवन से काफी परेशान हो चुका था। तो खेत की देख रेख करने लगा सुबह जल्दी उठते ही खेत मे चला जाता और शाम को देर रात तक खेत मे ही बैठा रहता । इस प्रकार से कुछ ही समय के अंदर फसल पक गई ।
उसने काफी मेहनत की और फसल को काट कर बाजार मे बेच आया काफी पैसा मिला । पहली बार उसे अच्छा लगा कि मेहनत करने का फल कैसा होता है?
अब वह अपने पैसों से वह सब कुछ खरीद सकता था जोकि वह खरीदने की इच्छा रखता था। अब उसे लगा कि जीवन काफी रोचक होता है। वास्तव मे जीवन निरस नहीं होता है यदि हम चाहें तो कभी भी उसे सरस बना सकते हैं।
इस प्रकार से यह कहानी हमें यही सीख देती है कि जीवन के अंदर कभी भी मेहनत को नहीं छोड़ना चाहिए । यदि हम मेहनत को छोड़ देते हैं तो फिर पूरा जीवन नीरस होने मे देर नहीं लगती है।यदि आप चाहते हैं कि आपका जीवन अच्छा चले तो मेहनत करते रहो । मेहनत ही सफलता की पूंजी है। यदि आप भोलू की तरह नहीं हैं तो बस कर्म करते जाएं । फल की चिंता मत करें क्योंकि फल तो आपको अपने आप ही मिल जाएगा । कर्मों का सिद्धांत बस सही कहता है।
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