निर्माण का विलोम शब्द क्या है Nirman ka vilom shabd kya hai ?
निर्माण का विलोम शब्द या निर्माण का विलोम , अल्पायु का उल्टा क्या होता है ? Nirman ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
निर्माण | ध्वंश, नाश |
Nirman | Vidvans |
निर्माण का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों निर्माण का विलोम शब्द होता है विध्वंश । दोस्तों निर्माण का मतलब होता है किसी चीज की रचना करना । जैसे कि आप कुछ निर्माण करते हैं जैसे आप मकान का निर्माण करवा रहे हैं। तो उसके लिए निर्माण शब्द का प्रयोग किया जाता है। हमारे राजा महाराजा ने सुंदर चीजों का निर्माण करवाया था। इसके अंदर आप ताजमहल को ले सकते हैं। ताजमहल प्यार की निशानी होती है। जिसको शाहजहां ने अपनी बेगम की याद मे बनाया था। दोस्तों बात सिर्फ मकान बनाने की ही नहीं है। इस दुनिया के अंदर दो किस्म के लोग मुख्य रूप से होते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जोकि निर्माण पर भरोशा करते हैं। वह हर चीज का निर्माण करने मे लगे रहते हैं जैसे कि हमारे कुछ राजा ऐसे हुए जिन्होंने अपने शासन काल के अंदर मंदिरों को बनाया ।
तालाबों को बनाया और अनेक तरह के महल बनाये । लेकिन दूसरी तरफ कुछ राजा ऐसे भी हुए जो विध्वंश के अंदर भरोशा करते थे । उनका काम था मंदिरों को तोड़ना और पहले बनाई गई चीजों को नष्ट करना । निर्माण को विध्वंश की एक तरह से मानसिकता होती है। कुछ लोग जीवन के अंदर इस चीज पर भरोशा करने लग जाते हैं कि उनको दूसरों को नुकसान पहुंचाना है और वे जीवन भर दुसरों के विध्वंश के बारे मे ही सोचते हैं और वैसा ही कार्य भी करते हैं लेकिन कुछ राजा ऐसे होते हैं।
जो अपने जीवन के अंदर दुसरों के कष्ट को कम करने का काम हमेशा ही करते रहते हैं और इसके लिए वे अपने जीवन के अंदर हमेशा ऐसा ही कर्म करते हैं जिससे कि दूसरों का नुकसान ना हो । आप आप सोच सकते हैं कि निर्माण और विध्वंश की मानसिकता का विकास किस तरह से होता है ?
यह इस तरह से होता है जैसे कि आपने किसी ऐसे घर के अंदर जन्म लिया जहां पर विध्वंश की शिक्षा ही सदा आपको दी जाती रही लेकिन जब आप बड़े होंगे तो वही सब करने लग जाएंगे। इसी तरीके से यदि आपने किसी ऐसे घर के अंदर जन्म लिया जहां पर आपको बस निर्माण की शिक्षा ही दी जाती रही ।
और जहां पर विध्वंश को पाप माना गया । इस तरह से जब आप बड़े होंगे तो बस वही करेंगे । आपको निर्माण की शिक्षा मिली है तो आप हर चीज को सुंदर बनाने का प्रयास करेंगे और उस चीज के अंदर जो कमियां हैं उनको दूर करने का प्रयास आप करेंगे ।
बहुत से लोग विध्वंश को रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि आप विध्वंश को ना तो पूरी तरह से रोक सकते हैं और ना ही निर्माण को ही पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं क्योंकि यह नैचर का गुण है। यहां पर निर्माण और विध्वंश तो सदा ही चलता ही रहता है।
दुनिया की कोई भी ताकतवर शक्ति निर्माण को रोक नहीं सकती है। यहां कुछ ना कुछ बनता रहता है और उसके बदलने मे कुछ ना कुछ बिगड़ता रहता है। जैसे कि आप घर बनाने के लिए ईंट बनाते हैं तो ईंट का निर्माण होता है लेकिन इसके बदले मे आप अपने अच्छे वातावरण का नाश कर रहे हैं जोकि आपके लिए एक मुश्बित बनता जा रहा है तो दोस्तों निर्माण और विध्वंश तो सदा ही चलता रहेगा आप चाह कर भी इनको रोक नहीं सकते हैं। बस आप कुछ प्रयास कर सकते हैं जोकि आपको करने चाहिए जिससे कि आप विध्वंश को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं।
नाश का अर्थ और मतलब
दोस्तों नाश का मतलब होता है नष्ट हो जाना । जिस तरह से कोई मकान बनाया जाता है तो उसका समय पूरा हो जाने के बाद मकान ढह जाता है तो उसके लिए कहा जाता है कि मकान का नाश हो गया है। नाश का मतलब ही होता है नष्ट हो जाना । दोस्तों एक पुरानी कहावत प्रचलित है कि जिसका जन्म हुआ है। उसका नाश तो होगा ही । आप इस धरती पर अक्सर सुंदर सुंदर चीजें देखते हैं। लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि यह सुंदर चीजें एक ना एक दिन नाश होने ही वाली हैं। एक दिन ऐसा आएगा कि वह पूरी धरती ही नाश हो जाएगी । और यह बात आप सबको भी अच्छी तरह से पता ही है।
क्योंकि इस धरती का भी जन्म ही हुआ है । यह बात अलग है कि धरती की आयु अधिक होती है। आप पत्थर की चट्टान को देखते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि उस पत्थर की चट्टान का भी धीरे धीरे नाश हो रहा है और वह छोटे छोटे टुकड़ों के अंदर बंट रही है। अब आप यह सोच सकते हैं कि इतनी कठोर चट्टान होने के बाद भी उसका नाश हो सकता है तो आप और हम क्या चीज हैं। यह बात सिर्फ चट्टान के लिए ही लागू नहीं होती है आप और हम सभी लोग तेजी से मर रहे हैं। जैसे जैसे हमारे शरीर की कोशिकाएं मरती जाती हैं हम बूढे होते चले जाते हैं।
लेकिन इस दुनिया के अंदर एक ऐसी भी चीज है जिसका नाश नहीं होता है क्योंकि उसका जन्म ही नहीं होता है तो नाश कैसे होगा । जिस उर्जा से हमारा शरीर चल रहा है वह उर्जा कभी भी नाश नहीं होती है। जब तक यह उर्जा जिसे हम आत्मा कहते हैं शरीर के अंदर होती है। शरीर कार्य करता रहता है लेकिन जैसे ही यह शरीर से बाहर निकल जाती है शरीर गिर जाता है। उसके बाद आप शरीर को कितना भी उठाने की कोशिश करें । आपका शरीर नहीं उठेगा । अब उसके अंदर मिट्टी से कुछ भी अलग नहीं है। वह आत्मा जो शरीर को थामे रखती है। जिसकी शक्ति से हांड और मांस का पूतला भी चलने लग जाता है उसका नाश नहीं होता है।
लेकिन हममेसे अधिकतर लोग इसके बारे मे कुछ भी नहीं जानते हैं। क्योंकि उसको आजतक हमने देखा ही नहीं है। और ना ही उसको देखने की शक्ति हर किसी के अंदर होती है।
लेकिन यदि आप उसको देख लेते हैं तो फिर आप सचमुच महान हो जाते हैं। अक्सर हम ऐसी ही चीजों को एकत्रित करने मे लगे रहते हैं जोकि किसी काम की नहीं होती है। लोग बढ़िया पैसे लगाकर बंगला बनाते हैं लेंकिन वे भूल जाते हैं कि वे बंगले कें अंदर नहीं रह सकते हैं। क्योंकि यह सिर्फ शरीर के लिए हो सकता है । आप खुद तो एक आत्मा हैं। और आत्मा का कोई भी घर नहीं होता है। क्योंकि उसे कोई भूख नहीं लगती है। और उसको किसी भी तरह की सर्दी भी नहीं लगती है। लेकिन बहुत कम लोग खुद को आत्मा के रूप मे देखते हैं अधिकतर लोग तो बस खुद को राम अशोक और न जाने क्या क्या समझने लग जाते हैं लेकिन यह सब नाशवान शरीर के नाम होते हैं आपको पता ही होगा । आपका असली नाम कुछ भी नहीं होता है। यदि आप खुद को आत्मा के रूप मे जीते हैं तो आपके बहुत सारे दोष ही खत्म हो जाएंगे ।