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Papi ka vilom shabd  पापी का विलोम शब्द क्या है?

पापी का विलोम शब्द, पापी शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, पापी का उल्टा Papi ka vilom shabd , Papi ka opposite in hindi

शब्द (word) विलोम (vilom)
पापीनिष्पाप
PapiNishpap

Papi ka vilom shabd  पापी का विलोम शब्द क्या है?

‌‌‌पापी का विलोम शब्द की बात करें तो पापी का विलोम शब्द निष्पाप होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।पापी का मतलब होता है जो इंसान पाप करता है वही पापी होता है। यदि आप कोई पाप करते हैं तो आप पापी ही होते हैं। दोस्तों इस प्रकृति से बड़ा कोई पापी नहीं है। ‌‌‌असल मे हकीकत तो यह है मूर्ख इंसान अपने अहं के वशीभूत होकर यह सोचता है कि वही सब कुछ कर रहा है लेकिन इसके अंदर कुछ भी सच नहीं है आप इस बात को समझ सकते हैं। इसलिए दोस्तों आप यह सोच रहे हैं कि आप कर रहे हैं तो आप गलत सोच रहे हैं।

‌‌‌लेकिन सबसे बड़ी बात यही है कि अधिकतर लोग जो गलत काम होते हैं वे पापियों के द्धारा ही किये जाते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । यदि आप भी पापी हैं तो अपने कर्मों की सजा को भुगतने के लिए तैयार रहे आपको इसके अंदर कोई शक नहीं होना चाहिए ।

‌‌‌चलो पापियों की एक कहानी मैं आपको सुनाता हूं । एक बार जंगल के अंदर एक शिकारी रहता था और वह शिकार करने के लिए जाता था। एक दिन शिकार करने के लिए जा रहा था तो यमराज आए और बोले कि अब तेरा समय हो चुका है अब तुझे जाना होगा । लेकिन शिकार बोला कि मेरे बिना सब लोग जो मेरे घर ‌‌‌ वाले हैं वे भूखे मर जाएंगे ऐसी स्थिति के अंदर मैं कैसे चल सकता हूं । लेकिन उसके बाद यमराज ने कहा नहीं तुम जिन घरवालों के लिए इतना पाप कर्म कर रहे हो वे इसकी सजा नहीं भुगतने वाले हैं इसकी सजा तो तुम्हे खुद ही भुगतनी होगी आप समझ ही गए होंगे ।

‌‌‌उसके बाद शिकारी बोला ठीक है महाराज मैं एक बार घर जाकर वापस आता हूं । तो वह सबसे पहले अपनी पत्नी के पास गया और अपने कर्मों की सजा भुगतने के लिए आधा हिस्सा करने को कहा लेकिन पत्नी ने साफ मना कर दिया उसके बाद बेटा बेटी आदि सब के पास गया लेकिन कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ ।

‌‌‌उसके बाद उसे समझ आ गया कि काम बुरे मैं करूं और जिनके लिए बुरे कर्म करता हूं आज पापी हूं वक्त आने पर वे भी मेरा साथ छोड़ देते हैं । तो बेहतर यही है कि मैं बुरे कर्म करूं ही क्यों और क्योंही पापी बनूं कम से कम सजा तो नहीं भुगतनी होगी । ‌‌‌और उस दिन के बाद उसने बुरे कर्मों का त्याग कर दिया और फिर वह पूरी तरह से सदाचारी हो गया अच्छे कर्मों को करने लगा और बुरी चीजों को छोड़ दिया । इसलिए दोस्तों उन लोगों के लिए बुरे कर्म करके अपने उपर पाप का भार ना बढाएं जोकि आपके फायदे के लिए काम करते हैं। ‌‌‌क्योंकि वे सिर्फ इसलिए टिके हुए हैं क्योंकि आप से उनको फायदा मिल रहा है वरना वे कबके छोड़कर आपको जा चुके होते ।

‌‌‌निष्पाप का अर्थ और मतलब

‌‌‌निष्पाप का का अर्थ होता है पापरहित । एक इंसान जिसने कोई पाप नहीं किया है वह निष्पाप ही होता है। असल मे निष्पाप वैसे कोई नहीं है। लेकिन निष्पाप का सही अर्थ यह है कि जो इंसान अपने फायदे के लिए किसी को नहीं मारता है। मतलब यही है कि जब आपके पास कोई रस्ता नहीं है तभी आप किसी का कत्ल ‌‌‌ करते हैं। और आप बस धर्म के लिए काम करते हैं। अधर्म पर धर्म की विजय ही सही होती है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे होते हैं जोकि लालच मे गुस्से मे किसी का कत्ल करते हैं। दुश्मनी निकालने के लिए बदलने की भावना के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं।

‌‌‌यह पाप है। दोस्तों राम की रावण से कोई दुश्मनी नहीं थी। क्योंकि रावण विधर्मी था। और उसने छल पूर्वक दूसरे की स्त्री का हरण किया था। इस वजह से रावण का वध करना कोई पाप कर्म नहीं है। आप इस बात को समझ सकते हैं। इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है। आप यह बात ना सोचे की आप को कुछ हो जाएगा । आप सदा अजर और ‌‌‌अमर हैं आपका विनाश नहीं होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌आप खुद को शरीर समझना बंद करदें । आप कोई शरीर नहीं हैं। नाम तो शरीर के होंते हैं। लेकिन बहुत से मूर्ख लोग खुद को शरीर समझने लग जाते हैं। और शरीर से इतने अधिक घुल मिल जाते हैं कि शरीर का मोह उनसे छूट ही नहीं पाता है।

‌‌‌और अपने शरीर से वशीभूत होकर कुकर्म करने लग जाते हैं। और आप तो जानते ही हैं कि कर्म किसी को माप नहीं करते हैं। भले ही आज आप किसी को मारकर खुश हो रहे हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी आने वाला है जब आपको मारने के बाद कोई दूसरा खुश होगा क्योंकि मौत अटल है जिस शरीर ने जन्म लिया है।‌‌‌वह एक ना एक दिन नष्ट होना तय ही है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌यदि आप पापी और नीच कर्म कर रहे हैं तो आपको आज ही इसी वक्त से पापी और नीच कर्म को छोड़ देना चाहिए और अपने कर्मों पर पछाताप करना चाहिए । क्योंकि पाप कर्म की सजा तो आपको मिलेगी ही उसे कोई नहीं रोक सकता है। कर्मों की सजा तो भगवान को भी भुगतनी पड़ती है। तो आप कौनसे से खेत की मूली हैं।

‌‌‌इसलिए अपने पाप कर्मों का त्याग करें इसी के अंदर आपकी भलाई है आप जिनके लिए वे पाप कर्म कर रहे हैं। उनको इन पाप कर्मों की सजा नहीं मिलेगी । क्योंकि वे तो आपके पाप कर्मों का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन सजा तो आपको ही अपने पापकर्मों की मिलेगी । या तो आपको यह सजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा या ‌‌‌ फिर आपको इनको छोड़ना होगा । अब आपको कौनसा काम पसंद आता है आप ही तय कर सकते हैं जो आपको पसंद आता है।

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